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पैसा कमाने का सही समय !

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शेयर बाजार के सभी मित्रों को नमस्‍ते। शेयर बाजार में इस समय तेजी और मंदी का जो दौर चल रहा है, हालांकि उसे अनेक निवेशक ठीक नहीं मान रहे हैं। लेकिन ट्रेडिंग के लिए इस तरह की दौर चलना बेहतर रहता है। ऐसे दौर को ठीक से समझने वाले निवेशक खासा पैसा कमा सकते हैं। हर निचले लेवल पर खरीदें और ऊपरी स्‍तर पर बेचकर मुनाफा बटोरने का यह बेहतर समय है। आज से शुरू हो रहे नए सप्‍ताह के लिए ये शेयर फायदेमंद हो सकते हैं: टिस्‍को मारुति उद्योग एचडीएफसी बैंक गुजरात मिनरल एसकेएफ इंडिया टोरेंट केबल आइडिया सेलुलर अलस्‍थॉम प्रोजेक्‍टस सेल रैनबक्‍सी

शांत रहे.....बाजार तो बढ़ेगा ही

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अमरीकी शेयर बाजार में जिस तरह का इनसाइडर ट्रेडिंग का मसला सामने आया है, उससे दुनिया भर के शेयर बाजारों को गिरावट तो आनी ही थी। भारतीय शेयर बाजार में भी तगड़ी गिरावट अभी थमी नहीं है, लेकिन बीएसई सेंसेक्‍स को 12400 अंक पर स्‍पोर्ट मिल सकता है लेकिन कुछ लोगों की राय में यह स्‍पोर्ट 11800 के स्‍तर पर मिलेगा। खैर, चाहे जो हो। मेरी नजर में शेयर बाजारों में फिर से गर्मी का दौर मई से शुरू होगा, जब मानसून भारत में दस्‍तक दे रहा होगा। इस समय सबसे पहले शांत रहे और उन बेस्‍ट स्‍टॉक पर नजर रखें जो काफी सस्‍ते मिल रहे हैं। इन शेयरों की खरीददारी तभी करें जब बाजार बॉटम ऑउट हो जाए। यह खरीद भी छोटे छोटे ऑर्डर के माध्‍यम से करें। यानी किसी कंपनी के पांच सौ शेयर खरीदने हो तो पचास पचास शेयर के लॉट में ही खरीद करें। याद रखें कि जो शांत और धैर्यवान होता है, जीत उसी की होती है, जल्‍दबाज की नहीं। बीएसई सेंसेक्‍स आपको वर्ष 2008 की दिवाली के बाद 25 हजार के आसपास दिखाई दे तो ताज्जुब नहीं होना चाहिए, लेकिन इस मुकाम पर पहुंचने से पहले लगने वाले झटकों के लिए भी तैयार रहना होगा। आपसे अगली मुलाकात 12 मार्च को होगी....

रंग बरसे....बुरा न मानो होली है

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शेयर बाजार की बजट से पहले जिस तरह फटी पड़ी है, उसमें अच्‍छे-अच्‍छों की ढंग से ठुक गई है। शेयर बाजार में ताजा गिरावट से पैसों के लिए मदमाती युवतियां और युवक दोनों अंदर तक घुस गए हैं और कब बाहर निकलेंगे खुद कामशास्‍त्र की पीली किताबें लिखने वाले भी नहीं जानते। पैसे की जवानी का मजा लूटने निकले युवक-युवतियां तो बजट से पहले ही अंदर घुस गए थे लेकिन वित्‍त मंत्री के बजट ने पैसे के पुजारियों को और अंदर घुसेड़ दिया। शेयर बाजार में मंदडि़यों का मदनोत्‍सव पूरा हो जाने पर ही शायद ये लोग बाहर निकल पाएं और उस समय उनकी स्थिति चलने फिरने लायक नहीं बचेगी। फिर से जवानी की उमंग पाने के लिए उन्‍हें श्रावण भादों तक तेजडि़यां रुपी पिया या प्रियतमा के आने का इंतजार करना पड़ेगा। इस पिया या प्रियतमा के आने पर ही मुखड़ा खिल पाएगा और मद मस्‍त जवानी मिल पाएगी। इससे पहले तो दिल्‍ली की सड़कों पर जवानी लौटाने का दम भरने वाले अस्‍पतालों के पास भी दवा नहीं है। शेयर बाजार में शादी से पहले या शादी के बाद खोई हुई जवानी लौटाने के‍ लिए इन अस्‍पतालों के पास कोई खानदानी इलाज नहीं है यह उन्‍होंने इस ब्‍लॉग को होली के दिन भांग

मैं एक राजा हूं

भारतीय शेयर बाजार में कोई भी आदमी साढ़े पांच घंटे में गिरधर गोपाल से फक्‍कड़ गिरधारी होने तक का सफर तय कर सकता है। या फिर फक्‍कड़ गिरधारी से नटवर नागर बन सकता है। आम बजट से पहले और बजट के दिन तक जिस तरह शेयर बाजार औंधे मुंह गिरे वह इस सफर के लिए काफी है। लेकिन एक मार्च को ऐसा क्‍या हुआ कि बॉम्‍बे स्‍टॉक एक्‍सचेंज चढ़कर बंद हुआ और आज भी ढीला है। असल में सारा खेल इस समय न्‍यूज का कम और व्‍यूज का ज्‍यादा है। देश के शेयर बाजारों में जितनी भी कंपनियां सूचीबद्ध हैं उनमें से कोई भी कंपनी पिछले उतार चढ़ाव से अछूती शायद ही रहीं। लेकिन शेयर बाजार की इस प्रेम कहानी में एक राजा भी है। इस राजा का नाम है एनटीपीसी यानी नेशनल थर्मल पॉवर कार्पोरेशन । बीएसई सेंसेक्‍स में जब दस फीसदी की गिरावट आई थी और बाजार में कारोबार रोक दिया गया था उस दिन एनटीपीसी का शेयर कुछ समय के लिए 95 रुपए बोला गया था लेकिन उसके बाद इसने पलट कर नहीं देखा। कुछ लोग यह कहते हैं कि लंबे निवेश के लिए बढि़या स्‍टॉक कौन सा है। मेरी राय में सबसे सुरक्षित और बेहतर स्‍टॉक एनटीपीसी है, जिसमें शेयर निवेश की जानकारी न रखने वाला भी निवेश कर स

भैया ! यह दीवार टूटती क्‍यों नहीं

देखो भाई क्‍या कह रहा है...आओ अपने बीच की इस दीवार को गिरा देते हैं....भैया यह दीवार टूटती क्‍यों नहीं....टूटेगी कैसे......सीमेंट से जो बनी है। लेकिन लगता है कि केंद्र सरकार सीमेंट पर उत्‍पाद शुल्‍क यानी एक्‍साइज डयूटी बढ़ाकर बड़ी सीमेंट कंपनियों और आम उपभोक्‍ता का बेड़ा गर्क करना चाहती है। सरकार यह मानती है कि इस शुल्‍क को बढ़ाने से सीमेंट सस्‍ती होगी। लेकिन सच यह है कि इन बड़ी कंपनियां की हालत जहां खराब होगी, वहीं छोटी छोटी सीमेंट कंपनियों की पौ बारह हो जाएगी। छोटी कंपनियां कुछ पैसा बिल से और कुछ बगैर बिल लेकर अपने और खरीदने वाले के लिए रास्‍ते आसान कर लेगी। सरकार को कुछ पता भी नहीं चलेगा यानी सीधे सीधे खेल खत्‍म पैसा हजम। सीमेंट पर उत्‍पाद शुल्‍क बढ़ाकर सरकार ने बिल्‍डरों की तो चांदी ही कर दी। अब बिल्‍डर सीमेंट महंगी होने का बहाना कर मकान का सपना रखने वालों को खूब चूना लगा लेंगे वहीं छोटी छोटी कंपनियों से सीमेंट खरीद कर पैसे का घालमेल भी कर लेंगे। साथ ही बड़ी परियोजनाओं की लागत बढ़ने से निवेशक भी ढीले पड़ जाएंगे। सरकार ने रिटेल में 190 रुपए प्रति बैग (50किलो) से ज्‍यादा भाव पर बिकने