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भारत और अमरीका के बीच परमाणु करार पर वामपंथियों ने जो रुख दिखाया और सरकार से समर्थन वापस लेने की बात तक कही अब उससे हर सांसद बचता नजर आ रहा है। मौजूदा यूपीए सरकार पूरे पांच साल चले इसकी पहल दस सांसदों ने शुरू कर दी है। इन सांसदों की अगुआई कर रहे राहुल बजाज का कहना है कि इस पहल का उद्देश्य सभी दलों की सरकार बनाकर मध्यावधि चुनावों को टालना है। ऐसे चुनाव से देश पर तगड़ा वित्तीय बोझ पड़ता है। हमारा आश्य मौजूदा लोकसभा अपनी अवधि पूरी करे यही है। इस समय मध्यावधि चुनाव होते हैं तो 2700 करोड़ रुपए खर्च होंगे। इस खर्च में राजनीतिक दलों द्धारा किए जाने वाला खर्च शामिल नहीं है। इस प्रयास की पहल भले ही दस सांसदों ने की हो, लेकिन हरेक पार्टी के सांसद के मन में तो यही है कि मध्यावधि चुनाव न हो। राजनीतिक गलियारों में चल रही चर्चाओं पर भरोसा करें तो देश में मध्यावधि चुनाव की संभावना कम ही है क्योंकि सभी दल जानते हैं कि भाजपा ने समय से पहले चुनाव कराकर अपनी सत्ता खो दी थी। वामपंथियों से लेकर दक्षिणपंथी तक इस बात के हिमायती हैं कि मध्यावधि चुनाव को टाला जाना चाहिए। यदि देश मध्यावधि चुनाव की