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निवेश से पहले रियलटी को परखें

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भारतीय रिजर्व बैंक ने ब्‍याज दर में जो कटौती नहीं कि उससे सबसे ज्‍यादा कंसट्रक्‍शन कंपनियां निराश हुई हैं। इन कंपनियों को उम्‍मीद थी कि रिजर्व बैंक ने यदि ब्‍याज दर को 25 बेसिस अंक भी घटाया तो लोग उनके बने मकान, फ्लैट या व्‍यावसायिक जगह बैंकों से कर्ज लेकर खरीदेंगे क्‍योंकि उनके कुछ पैसे इसमें बचेंगे। लेकिन, रिजर्व बैंक ने इन कंपनियों के साथ उन लोगों के सपने को भी बिखेर दिया जो ब्‍याज दर में कमी की आस लगाए बैठे थे। हालांकि, भारतीय पूंजी बाजार में पिछले दो साल में रियालिटी या कंसट्रक्‍शन और इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर के नाम पर ढ़ेरों कंपनियां पूंजी बाजार में आई और निवेशकों को लैंड बैंक के साथ बढ़ती मांग के नाम पर खूब ऊंचे दामों में अपने शेयर बेचे हैं। इन कंपनियों के इश्‍यू की बाढ़ ने देश्‍ा के हर शहर, कस्‍बे में जमीन और मकानों की कीमतें रातों रात इतनी अधिक बढ़ा दी कि आम आदमी यही अफसोस कर रहा है कि काश, जिंदगी में एक छोटा सा मकान पेट काटकर पहले ले लिया होता तो अच्‍छा रहता। खैर! रियालिटी डेवलपरों का कहना है कि ब्‍याज दर महंगी होने की वजह से उनकी बिक्री प्रभावित हो रही है। खुद भारतीय रिजर्व बैंक क

शेयर वाले बाबा

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आज मन में इच्‍छा हुई कि चलो यह लोक तो सुधरा शेयर बाजार में कमाकर, गंवाकर, अब परलोक सुधार लिया जाए टीवी पर सुबह सुबह धार्मिक प्रवचन सुनकर। धर्म का धंधा खोले संतों की हमारे देखने से टीआरपी बढ़ जाएगी और सनातन धर्म की रक्षा भी हो जाएगी। आसाराम जी से लेकर रामदेव जी तक को सुनने के लिए, बस हम धोएं कान हुआ स्‍नान के अनुसार तैयार होकर टीवी के सामने। टीवी ऑन, मार्केट गॉन कल दलाल स्‍ट्रीट में घूम रहा दिगंबरी था एक चैनल पर। हमने सोचा दिन में तो यह दलाल स्‍ट्रीट के सांड की अराधना करता रहता है और सुबह सुबह यह टीवी पर अपनी अराधना करवा रहा है या शेयर टिप्‍स दे रहा है भगवा कपड़े पहनकर। बाजार में खुद के कपड़े तो उतरवा ही लिए, अब भक्‍तों के कपड़े उतरवाएगा क्‍या यह। खैर, अपनी जमात के दिगंबरी भाई को सुनने की इच्‍छा हो गई कि यह क्‍या बोलता है। जरा ठहरे। भक्‍तों, देश का सबसे बड़ा धाम दलाल स्‍ट्रीट खतरे में है। उस पर खतरा मंडराने का मतलब सनातन धर्म का संकट में फंसना है क्‍योंकि आज के जमाने में बगैर लक्ष्‍मी के कुछ नहीं हो सकता। इस जमाने में लक्ष्‍मी तो शेयर बाजार से ही आ रही हैं। पैसा न हो तो क्‍या सनातन धर्

शेयरों में निवेश पर मिलती है टैक्‍स में छूट

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शेयर बाजार में नियमित निवेश करने के बावजूद आप अक्सर हैरान होते होंगे कि मोटा मुनाफा होने के बाद भी आपके हाथ में मामूली रकम क्यों बचती है? आपके मुनाफे का बड़ा हिस्सा लेन-देन की लागत व टैक्स में चली जाती है। इस मुनाफे में से सरकार और ब्रोकर दोनों बड़ा हिस्सा खा जाते हैं। ब्रोकर के साथ अगर आपके संबंध अच्छे हैं तो वह दलाली का एक हिस्सा आपको लौटा भी सकता है। वहीं सरकार आपके सिक्यूरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स (एसटीटी) को शेयर बाजार के लाभ पर टैक्स से बराबर कर सकती है। आयकर अधिनियम के सेक्शन 88ई में उन लोगों को छूट हासिल है जो शेयर बाजार में सक्रिय ट्रेडर हैं, भले ही व्यक्ति, हिंदू अविभाजित परिवार (एचयूएफ), कंपनियां, फर्म, लोगों के संगठन या कोई और हो। प्रावधान: एक, आपकी कर योग्य आय वह आय होनी चाहिए जिस पर ‘प्राफिट एंड गेन्स ऑफ बिजनेस आर प्रोफेशन’ के तहत टैक्स लगता हो। दो, यह आय कर योग्य शेयर कारोबार से मिली पाजिटिव इनकम होनी चाहिए। पाजिटिव इनकम से मतलब है कि शेयरों के लेन-देन से कुछ आय हो। अगर आप इस मद में नुकसान दिखा रहे हैं तो सेक्शन 88ई के तहत कोई छूट नहीं मिलती। अगर शेयर कारोबार से आय नहीं होत

केईआई इंडस्‍ट्रीज: पैसे का केबल

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लो टेंशन और हाई टेंशन पावर केबल्‍स के उत्‍पादन से जुड़ी देश की मुख्‍य कंपनी केईआई इंडस्‍ट्रीज देश में बिजली क्षेत्र के हो रहे विकास के साथ तेज गति से आगे बढ़ रही है। लो टेंशन केबल्‍स में इसकी 37 हजार किलोमीटर और हाई टेंशन केबल्‍स में तीन हजार किलोमीटर सालाना उत्‍पादन क्षमता है। कंपनी ने अक्‍टूबर से दिसंबर 2007 की तिमाही के घोषित नतीजों में 233.5 करोड़ रुपए की आय पर 13.5 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया है। जबकि, पिछले साल समान अवधि में इसकी आय 160.5 करोड़ रुपए और शुद्ध लाभ 11 करोड़ रुपए था। वर्ष 2006/07 में कंपनी की आय 604.3 करोड़ रुपए और शुद्ध मुनाफा 40.1 करोड़ रुपए रहा। 31 मार्च 2008 को समाप्‍त होने वाले वित्‍त वर्ष में आय बढ़कर 885.1 करोड़ रुपए और शुद्ध लाभ 58 करोड़ रुपए होने का अनुमान है। केईआई इंडस्‍ट्रीज देश की दूसरी सबसे बड़ी पावर केबल उत्‍पादक कंपनी है और देश के शेयर बाजार में सूचीबद्ध सबसे बड़ी खिलाड़ी। कंपनी के चौपंकी स्थित नए संयंत्र में जनवरी के पहले सप्‍ताह से आंशिक उत्‍पादन आरंभ हो गया है। हालांकि, हाई टेंशन केबल्‍स इकाई का काम अंतिम चरण में है और इसके मई महीने से शुरु होने

रिजर्व बैंक ने किया निराश

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भारतीय रिजर्व बैंक ने ब्याज दरों में नरमी लाने की सभी अटकलबाजियों को खाजिर करते हुए बैंक दर, रेपो दर और रिवर्स रेपो दरों को पहले के स्तर पर ही बनाए रखा है। जबकि, बाजार और उद्योग जगत ने उम्‍मीदों से भरी नजरें रिजर्व बैंक पर लगा रखी थीं। रिजर्व बैंक गवर्नर वाई।वी.रेड्डी ने 2007-08 की ऋण एवं मौद्रिक नीति की तीसरी तिमाही की समीक्षा रिपोर्ट जारी करते हुए कहा कि बैंक जरुरत पड़ने पर ब्याज दरों में बीच में भी बदलाव कर सकता है। अमरीका के फैड रिजर्व बैंक ने पिछले सप्ताह ब्याज दरों में पौना फीसदी की कटौती किए जाने के बाद यह अटकलें जोरों पर थी कि रिजर्व बैंक भी ब्याज दरों में कमी कर सकता है। बैंक ने बाजार में वित्तीय तरलता की स्थिति को देखते हुए नकद सुरक्षित अनुपात (सीआरआर) में भी कोई बदलाव नहीं किया है। रिजर्व बैंक की तिमाही समीक्षा रिपोर्ट जारी होते ही शेयर बाजार में बैंकों के शेयरों में गिरावट का रुझान देखा गया। घोषणा के तुरंत बाद बीएसई के बैंकिंग क्षेत्र के सूचकांक में चार प्रतिशत की गिरावट आई। समीक्षा में रेपो दर को पौने आठ प्रतिशत, रिवर्स रिपो और बैंक दर प्रत्येक को छह फीसदी पर बनाए रखा गया