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शेयर लेवाली का बेहतर समय

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भारतीय शेयर बाजार के लिए वित्‍त वर्ष 2007-08 का अंतिम सप्‍ताह अच्‍छा रहा और जिस तरह के भारी बिकवाली दबाव की जो आशंका थी, वह आशंका ही रह गई। अमरीकी अर्थव्‍यवस्‍था में आए मंदी के संकेत मिटे नहीं है बल्कि दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्‍यवस्‍था जापान के बुरे हाल होने की खबरें बैचेनी बढ़ा सकती है। देश में भी महंगाई की दर ने सिर उठा लिया है बावजूद इसके पिछले शुक्रवार को बॉम्‍बे स्‍टॉक एक्‍सचेंज में 356 अंक का उछाल देखने को मिला, जो यह संकेत देता है कि बाजार एक बार फिर कई कारकों को नजरअंदाज करते हुए आगे बढ़ता रहेगा। लोकसभा चुनाव के इस वर्ष में खुद सरकार भी नहीं चाहती कि शेयर बाजार में अब कोई बड़ी गिरावट आए जिससे उसे आक्रोश का सामना करना पड़े, लिहाजा बाजार का सेंटीमेंट सकारात्‍मक रखने के लिए अब अनेक घोषणाएं होती रहेंगी। मोतीलाल ओसवाल सिक्‍युरिटीज के इक्विटी वाइस प्रेसीडेंट मनीष सोंथलिया का मानना है कि शेयर बाजार ने बॉटम से उठना शुरु कर दिया है और इसने उच्‍च मुद्रास्‍फीति को भी डिस्‍काउंट कर लिया है। अगले सप्‍ताह से शेयर बाजार में मजबूती दिखने की उम्‍मीद है एवं चौथी तिमाही के लिए आने वाले कार

शेयर बाजार में तेजी तय नहीं

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अमरीकी शेयर बाजारों में आए सुधार के साथ भारतीय शेयर बाजार की ताल मिलने से निवेशक खुश हैं। बॉम्‍बे स्‍टॉक एक्‍सचेंज ने कई दिनों बाद 16 हजार अंक का स्‍तर पार किया है। इस चमक के बाद अधिकतर शेयर विश्‍लेषक यह कह रहे हैं कि नेशनल स्‍टॉक एक्‍सचेंज का निफ्टी जल्‍दी ही 5050 अंक तक चला जाएगा और 5050 से 5100 के स्‍तर पर आने के बाद इसकी अगली मंजिल 5300 अंक होगी। इस मंजिल को पार करने के बाद भारतीय शेयर बाजार में तेजी पूरी तरह तय है और हम नई ऊंचाई की ओर बढ़ेंगे। अचरज होता है कि दो दिन की चमक के बाद अब विश्‍लेषकों को सारे फंडामेंटल बदले हुए नजर आ रहे हैं। यह सही है कि जेपी मॉर्गन ने खस्‍ताहाल अमरीकी निवेश बैंक बेयर स्‍टीयर्न्‍स को खरीदने के लिए अपने पेशकश पांच गुना तक बढ़ाने की मंशा जताई है और अमरीका में घर खरीद के आंकड़े कुछ सकारात्‍मक आ रहे हैं। लेकिन इन दो वजहों से यह कतई तय नहीं किया जा सकता कि अमरीकी अर्थव्‍यवस्‍था के सुधरने के ठोस संकेत सामने आ गए हैं। यही वजह है कि घरेलू तकनीकी विश्‍लेषक बचने के लिए यह भी जोड़ रहे हैं कि निफ्टी का 4600 अंक का स्‍तर नहीं टूटना चाहिए। यदि यह टूटा तो एक बार फिर क

शेयर बाजार में बड़ा चमत्‍कार संभव नहीं

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अमरीकी फेडरल रिजर्व की ब्‍याज दर में 0.75 फीसदी की कटौती से दुनिया भर के शेयर बाजारों में थोड़ी राहत महसूस की गई है लेकिन यह कदम शेयर बाजारों के लिए बड़ा चमत्‍कारी साबित नहीं होगा। भारतीय शेयर बाजार में असली समस्‍या लिक्विडिटी नहीं है बल्कि सेंटीमेंट की है। जब तक निवेशकों के सेंटीमेंट में परिवर्तन नहीं होगा, शेयरों में बड़े सुधार की उम्‍मीद नहीं की जानी चाहिए। हालांकि, इस सेंटीमेंट से उबरने में अभी भी चार से पांच महीने लग सकते हैं। अमरीकी फेडरल रिजर्व की ब्‍याज दर कटौती पर शेयर बाजार में झूमने का यह समय नहीं है बल्कि निवेशकों को आने वाले दिनों में और बुरे समाचार सुनने पड़ सकते हैं। वॉल स्‍ट्रीट में पांचवें नंबर के मुख्‍य निवेश घराने बेयर स्‍टीयर्न्‍स का जिस तरह पतन हुआ है उससे सभी अचंभित है। जेपी मार्गन ने इस घराने को केवल 24 करोड़ डॉलर यानी एक हजार करोड़ रुपए से कम पर खरीद लिया है। इस सौदे के खिलाफ बेयर स्‍टीयर्न्‍स के शेयरधारी अदालत में गए हैं जिनका कहना है‍ कि उन्‍हें पूरी तरह अंधेरे में रखा गया है। अब सिंगापुर स्थित डीबीएस ने अपने ट्रेडर्स को लेहमैन ब्रदर्स के साथ कारोबार नहीं करने

साहसियों के लिए समय है निवेश का

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दुनिया के सबसे अमीर आदमी वारेन बफेट की बात मानें तो शेयर बाजार की गिरावट हरेक को निवेश का मौका देती है जो भविष्‍य में आपको अमीर बनाती है। लेकिन दुनिया भर के शेयर बाजारों में इस समय जो गिरावट आई है उसमें चंद ही ऐसे लोग हैं जो निवेश कर रहे हैं। इसलिए यह भी तय है कि भविष्‍य में चंद ही लोग आपको दुनिया में सबसे अमीर दिखाई देंगे। यह आम कहावत है कि मंदी में शेयर खरीदो और तेजी में बेचो। लेकिन ऐसा कहने वाले भी यह नहीं कर पाते। अमरीकी फैड रिजर्व ने ब्‍याज दर में 0.75 फीसदी और डिस्‍काउंट रेट में भी इतनी ही कमी की है। इससे खबर से अमरीकी शेयर बाजारों में खासा सुधार हुआ। इस उम्‍मीद पर भारतीय शेयर बाजारों को एक बड़े तेज गेप के साथ खुलना स्‍वाभाविक था लेकिन यह ऊंचाई अंत तक कायम नहीं रही और बीएसई सेंसेक्‍स 161 अंक बढ़कर 15 हजार के नीचे ही बंद हुआ। अनेक भारतीय इक्विटी विश्‍लेषक यह कह रहे हैं कि अब मंदी पूरी हो चुकी है और शेयर बाजार फिर से तेजी की ओर मुड़ेगा। लेकिन इसका भरोसा तो खुद अमरीकियों को भी नहीं है। आज भी मार्क फैबर, जिम रोजर्स, जॉर्ज सोरास और वारेन बफेट तक अमरीकी बैंक के इस कदम के बाद यह नहीं कह