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शेयर बाजार ट्रेडिंग जोन में

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भारतीय शेयर बाजार इस समय पूरी तरह ट्रेडिंग जोन में है और निवेशकों को इस समय लंबी अवधि के निवेश के बजाय पूरी तरह एक कारोबारी की तरह लाभ उठाना चाहिए। लेकिन ज्‍यादातर निवेशक एक गलती करते हैं और वे वैल्‍यू स्‍टॉक पर दांव लगा बैठते हैं जो फंडामेंटल व टेक्निकल तौर पर बेहद मजबूत होते हैं लेकिन निवेशकों की शिकायत होती है कि उनके शेयर चल ही नहीं रहे। जबकि, बाजार जब पूरी तरह ट्रेडिंग जोन में हो तो निवेश ग्रोथ स्‍टॉक में करना चाहिए। अंतरराष्‍ट्रीय बाजार में क्रूड के दाम 147 डॉलर से घटकर 116 डॉलर प्रति बैरल आ जाने से अर्थव्‍यवस्‍था पर सबसे घातक मार करने वाला कारक ठंडा होता नजर आ रहा है। लेकिन सरकार के समाने अभी भी बढ़ती महंगाई दर को काबू में करना, उच्‍च ब्‍याज दरों को फिर से कम करना और औद्योगिक उत्‍पादन बढ़ाना मुख्‍य चुनौतियां हैं। हालांकि, अब आम चुनाव का समय जैसे जैसे नजदीकी आ रहा है सरकार की प्राथमिकताओं में भी ये ही बातें आ गई हैं ताकि चुनावी समर में फतह हासिल की जा सके। ऊंची ब्‍याज दर की वजह से कर्ज की मांग में आने वाली कमी और अंतरराष्‍ट्रीय कमोडिटी बाजारों में आई नरमी से आने वाले दिनों में मह

शेयर बाजार को जरुरत वोट ऑफ कान्फिडेंस की

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भारतीय संसद और शेयर बाजार को इस सप्‍ताह वोट ऑफ कान्फिडेंस की जरुरत है। दिल्ली में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सरकार 22 जुलाई को संसद में विश्‍वास मत हासिल कर पाती है या नहीं, पर खिलाडि़यों की नजरें इसी पर टिकी हैं और यही से शेयर बाजार की दिशा तय होगी। हालांकि यहां एक बात अहम है कि संसद चुनावों से पहले शेयर बाजार ने निवेशकों को पोजिटिव रिटर्न दिया है। संसद में सरकार विश्‍वास मत हासिल करें या नहीं लेकिन यह तो तय है कि देश आम चुनाव की ओर अब धीरे धीरे बढ़ रहा है। संसद चुनावों से पहले के शेयर बाजार इतिहास पर नजर डालें तो इसने केवल 1989 के चुनाव को छोड़कर पिछले पांच आम चुनाव से पहले पोजिटिव रिटर्न दिया है। वर्ष 1991 से 2004 के दौरान कुल पांच बार आम चुनाव हुए। इन चुनावों से पहले तीन, छह और नौ महीनों के दौरान शेयर बाजार ने निवेशकों को खुश किया है। चुनाव से पहले के छह महीनों में जहां बाजार ने 11.03 फीसदी का रिटर्न दिया है, वहीं नौ महीने की अवधि में यह रिटर्न 19.70 फीसदी रहा है। चुनाव से तीन महीने पहले की समयावधि में यह रिटर्न औसतन 2.62 फीसदी देखने को मिला है। वर्ष 1999 में हुए आम चुनाव से पहले

शेयर बाजार के लिए नेगेटिव खबरों का अंबार

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महंगाई दर 11.62 फीसदी के साथ 13 साल के उच्‍च शिखर पर, क्रूड 145 डॉलर प्रति बैरल पार और अब 170 डॉलर की ओर बढ़ने की तैयारी, भारत-अमरीका परमाणु करार पर यूपीए सरकार का भविष्‍य खतरे में, भारतीय रुपया डॉलर की तुलना में तेजी से कमजोर, विदेशी संस्‍थागत निवेशकों की लगातार बिकवाली जैसी नकारात्‍मक खबरें शेयर बाजार का पीछा नहीं छोड़ रही हैं। शेयर बाजार के लिए निकट भविष्‍य में कोई बड़ा सकारात्‍मक कारक उभरकर सामने आने की संभावना कम है। सब प्राइम के बाद अभी भी दुनिया के अनेक बैंकरों और निवेश फंडों के मुश्किल से उबरने में असमर्थ होने की खबरें बाजार के लिए अच्‍छी नहीं हैं। अमरीका के बाद यूरोप की बैंकों को 141 अरब डॉलर जुटाने की जरुरत, कमोडिटी के बढ़ते विश्‍व व्‍यापी भाव इस मंदी को बढ़ाने का काम कर रहे हैं। घरेलू मोर्चे पर सरकार अर्थव्‍यवस्‍था को पटरी पर लाने के अनेक प्रयास कर रही है ताकि अगले वर्ष होने वाले आम चुनावों में जीत हासिल की जा सके लेकिन क्रूड के बढ़ते दाम और चढ़ती महंगाई दर ने सरकार के हर प्रयास को विफल कर दिया है। भारतीय रिजर्व बैंक को इस बीच, रेपो रेट और सीआरआर में जो बढ़ोतरी करनी पड़ी है

रियलटी शेयरों से दूर रहने में भलाई

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मुंबई। भारतीय शेयर बाजारों में इस समय रियलटी शेयरों की जमकर धुलाई हो रही है। इस क्षेत्र की कई कंपनियों के शेयर तो अपने इश्‍यू प्राइस से नीचे बिक रहे हैं, जिनमें देश की सबसे बड़ी रियलटी कंपनी डीएलएफ शामिल है। डीएलएफ का आईपीओ प्राइस 525 रुपए था। इसी तरह शोभा डेवलपर्स का आईपीओ प्राइस 640 रुपए, पार्श्‍वनाथ डेवलपर्स का आईपीओ प्राइस 300 रुपए, ओमैक्‍स का आईपीओ प्राइस 310 रुपए और पूर्वांकरा प्रोजेक्‍ट्स का आईपीओ प्राइस 400 रुपए था लेकिन ये सभी इससे कम पर मिल रहे हैं। रेलीगेयर सिक्‍युरिटीज के सुमन मेमानी का कहना है कि रियलटी बाजार पर निकट भविष्‍य में और दबाव पड़ने की आशंका है। आवासीय और व्‍यावसायिक दोनों सेगमेंट पर मांग तेजी से घटी है। साथ ही कच्‍चे माल की लागत में बढ़ोतरी से इन कंपनियों पर के मार्जिन पर दबाव पड़ रहा है। कई बिल्‍डरों और डेवलपरों ने धन की तंगी की वजह से अपनी अनेक परियोजनाओं पर काम रोक दिया है। विशेषज्ञों का कहना है कि क्रूड के बढ़े दाम और महंगाई दर में हो रही लगातार बढ़ोतरी से भारतीय रिजर्व बैंक सीआरआर बढ़ा सकता है। ऐसा हुआ तो पहले से ही बुरे हाल हुए रियल इस्‍टेट की हालत औ

शेयर बाजार में राहत की आस नहीं

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देश में मानसून का पहला राउंड बेहतर रहने के बावजूद अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर क्रूड के अभी भी 134 डॉलर प्रति बैरल पर टिके होने से शेयर बाजार का मूड ठीक नहीं है। क्रूड के दाम जब तक 100 डॉलर प्रति बैरल से नीचे नहीं आते दुनिया भर की अर्थव्‍यवस्‍था की हालत खासकर बढ़ती महंगाई दर पर लगाम नहीं लगेगी जिससे शेयर बाजारों में बड़े सुधार की आशा भी नहीं रखी जानी चाहिए। पिछले सप्‍ताह भी हमने कहा था कि शेयर बाजार में बड़ी रिकवरी के मौके कम है और अभी यही हालत है। गोल्‍डमैन सेश के बाद मोर्गन स्‍टेनली ने भी 4 जुलाई तक क्रूड के दाम निकट भविष्‍य में 150 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंचने की भविष्‍यवाणी की है। इस भविष्‍यवाणी के बाद क्रूड के दाम 15 से 17 डॉलर बढ़े हैं और ये घटने का नाम नहीं ले रहे। अंतरराष्‍ट्रीय मुद्रा कोष ने भी क्रूड के दाम ऊंचे रहने के साथ भारत सहित अनेक विकासशील देशों की इसमें जोरदार मांग बने रहने की बात कही है। इक्विटी विशेषज्ञों की राय में क्रूड के दाम 120 डॉलर प्रति बैरल से नीचे आने पर ही शेयर बाजारों में सुधार के संकेत दिखेंगे। इस बीच, भारतीय रिजर्व बैंक ने रेपो रेट जरुर बढ़ा दी है लेकिन बढ़ती