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महा रिटर्न जय मंत्र

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सही तरीके और सही मात्रा में शेयर आधारित फंडों का चयन, निवेशक के लिए लंबे समय के निवेश लक्ष्यों के मामले में अति महत्त्वपूर्ण है। अब इस तरीके और मात्रा के साथ जुड़े 'सही' के पुछल्ले से निबटने के लिए पेशेवर सलाहकार की शरण में जाना आसान उपाय है, लेकिन अपनी गाढी कमाई की पूंजी को जोखिम भरे शेयर बाजार में निवेशित करने का इरादा करते समय कुछ महत्त्वपूर्ण बातें खुद भी ध्यान में रखी जानी चाहिए। इससे एक तो आत्मविश्वास बढता है और दूसरे सचेतता आती है जो कि रूपए-पैसे के मामले में सुरक्षा के लिहाज से बहुत ही जरूरी है। 1- सबसे पहले अपनी जोखिम क्षमता का आकलन करें। यह निवेश के अनुभवों, आपके दृष्टिकोण और भावनात्मक दृढता पर आधारित होता है। जोखिम उठाने की क्षमता और इच्छा दो अलग-अलग चीजें हैं, यह याद रखना बहुत जरूरी है। जोखिम क्षमता के आधार पर ही निवेश की अति सुरक्षित, या सामान्य सुरक्षित या आक्रामक रणनीति बनानी चाहिए। अति सुरक्षित नीति जहां पूंजी की सुरक्षा को सर्वोच्च सुनिश्चित करती है, वहीं रिटर्न के मामले में कमजोर भी साबित होती है जबकि आक्रामक रणनीति बेहद अच्छे रिटर्न भी दिला सकती है और आपकी कु

अन्तरात्मा खडी़ बजार में...

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मोहन वर्मा पश्चिम बंगाल की जनता के नाम अपने खुले पत्र में टाटा ने बहुत बुनियादी सवाल उठाया है, कि कानून का शासन, आधुनिक ढांचा और औद्योगिक विकास दर वाले खुशहाल राज्य बनाम टकराव, आंदोलन, हिंसा और अराजकता के विध्वंसकारी राजनीतिक माहौल से बरबाद होते राज्य में से पश्चिम बंगाल की जनता किस प्रकार के राज्य को चुनना चाहेगी? इस मूलभूत सवाल के परिप्रेक्ष्य में यह जानना दिलचस्प है, कि एक ही शब्द के मायने, एक ही बात की परिभाषाएं, किस तरह व्यक्तियों और समुदायों के लिए अलग-अलग विरोधाभासी रूख अख्तियार करती हैं। कानून का शासन यह है कि राज्य प्राकृतिक संसाधनों को उन ब़डे देशी-विदेशी उद्योगपतियों के हवाले कर दे, जिनकी औद्योगिक परियोजनाओं की सफलताएं, भारत के भावी विकसित स्वरूप का निर्माण करने वाली हैं। कानून का शासन वे लोग मानें, जिनकी जिंदगियों में शेयरों का, कंपनियों का कोई सीधा दखल नहीं, बल्कि जिनकी जिंदगी की शर्तें जल-जंगल और जमीन से जुडी़ हैं। पश्चिम बंगाल सरकार कानून के शासन के परीक्षण के इस मामले में विफल रही और अंतत: टाटा के आगे बिछ-बिछ जाने को तैयार विभिन्न मुख्यमंत्रियों में से टाटा ने एक म

धैर्यवान का साथ देगा शेयर बाजार

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भारत ही नहीं दुनिया भर के शेयर बाजार इस समय वैश्विक वित्तीय संकट की चपेट में हैं जिससे आम और खास दोनों तरह के निवेशक बुरी तरह मायूस हैं। शेयर बाजारों का और बुरा हाल होने की आंशका अभी भी बनी हुई है लेकिन इतिहास इस बात का भी गवाह है कि बुरे दौर से गुजरने के बाद इस बाजार ने हमेशा बेहतर रिटर्न दिया है तभी तो दुनिया के सबसे बड़े निवेशक वारेन बफेट इस समय बेहतर अमरीकी कंपनियों में निवेश कर रहे हैं। असल में शेयर बाजार और लक्ष्‍मी ने हमेशा धैर्यवानों का साथ दिया है। न्यूयॉर्क टाइम्स में लिखे अपने लेख में वारेन बफेट ने कहा है कि अमरीका को खरीदो, मैं इसे खरीद रहा हूं। वित्तीय संकट के केंद्र में बैठे इस शक्तिशाली और धैर्यवान निवेशक का एक-एक शब्द निवेशकों के लिए पत्थर की लकीर जैसे होता है और इसका सकारात्मक असर दुनिया भर के बाजारों में पड़ सकता है। वे लिखते हैं कि 20 वीं सदी में अमरीका ने दो विश्वयुद्धों के साथ लंबे समय तक चला शीतयुद्ध और अनेक मंदियां देखी। हर बार लगा कि रिकवर कर पाना कठिन है बावजूद डॉव जोंस 11497 पर पहुंच गया। अमरीका, ताईवान सहित अनेक देशों ने अपने यहां शेयरों में शार्ट सेल पर रोक

सेंसेक्‍स का और टूटना बाकी

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दुनिया की सबसे बड़ी 14 खबर डॉलर की अर्थव्‍यवस्‍था ने घुटने टेक दिए हैं...यह बात है अमरीकी अर्थव्‍यवस्‍था की जो समूची दुनिया में अपने डॉलर का डंका बजवा रही थी लेकिन इसे अब एक बार फिर 1929-30 की महामंदी जैसे हालात का सामना करना पड़ रहा है। 700 अरब डॉलर की अमरीकी वित्तीय बचाव योजना भी मंदी के इस तूफान में ऊंट के मुंह में जीरा साबित होती नजर आ रही है। दुनिया भर के आर्थिक ज्ञानी तो यह मानते हैं कि 1930 के ग्रेस डिप्रेशन के बाद यह सबसे बड़ा वित्तीय झटका है। लिक्विडिटी इन्‍फयूजन से लेकर अधिग्रहण तक, जो कुछ भी संभव है किया जा रहा है। इससे वित्तीय बाजारों में कुछ स्थिरता की उम्‍मीद की जा सकती है लेकिन पहले जैसी गर्मी लौट पाएगी, यह कठिन लग रहा है। आईएमएफ के फर्स्ट डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर जॉन लिप्स्की का कहना है कि वित्तीय क्षेत्र में घट रही घटनाओं से आने वाले कुछ महीनों तक अनिश्चितता का माहौल बना रहेगा। वित्त क्षेत्र में बड़े संकट की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। रिलायंस कैपिटल के अध्यक्ष अनिल अंबानी ने पिछले दिनों कंपनी की सालाना आम बैठक में शेयरधारकों से कहा था कि अंतरराष्‍ट्रीय अर्थव्

शेयर बाजार ट्रेडिंग जोन में

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भारतीय शेयर बाजार इस समय पूरी तरह ट्रेडिंग जोन में है और निवेशकों को इस समय लंबी अवधि के निवेश के बजाय पूरी तरह एक कारोबारी की तरह लाभ उठाना चाहिए। लेकिन ज्‍यादातर निवेशक एक गलती करते हैं और वे वैल्‍यू स्‍टॉक पर दांव लगा बैठते हैं जो फंडामेंटल व टेक्निकल तौर पर बेहद मजबूत होते हैं लेकिन निवेशकों की शिकायत होती है कि उनके शेयर चल ही नहीं रहे। जबकि, बाजार जब पूरी तरह ट्रेडिंग जोन में हो तो निवेश ग्रोथ स्‍टॉक में करना चाहिए। अंतरराष्‍ट्रीय बाजार में क्रूड के दाम 147 डॉलर से घटकर 116 डॉलर प्रति बैरल आ जाने से अर्थव्‍यवस्‍था पर सबसे घातक मार करने वाला कारक ठंडा होता नजर आ रहा है। लेकिन सरकार के समाने अभी भी बढ़ती महंगाई दर को काबू में करना, उच्‍च ब्‍याज दरों को फिर से कम करना और औद्योगिक उत्‍पादन बढ़ाना मुख्‍य चुनौतियां हैं। हालांकि, अब आम चुनाव का समय जैसे जैसे नजदीकी आ रहा है सरकार की प्राथमिकताओं में भी ये ही बातें आ गई हैं ताकि चुनावी समर में फतह हासिल की जा सके। ऊंची ब्‍याज दर की वजह से कर्ज की मांग में आने वाली कमी और अंतरराष्‍ट्रीय कमोडिटी बाजारों में आई नरमी से आने वाले दिनों में मह