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मीडिया वाले खा गए देश का सारा प्‍याज, टमाटर, आलू

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दिल्‍ली की मुख्‍यमंत्री शीला दीक्षित को विधानसभा चुनाव के समय को छोड़कर हमेशा मीडिया पर गुस्‍सा आता है। राष्‍ट्रमंडल खेलों में हुए निर्माण कार्य और घोटालों के लिए जहां वे मीडिया पर बरस रही थीं वहीं अब प्‍याज, टमाटर और आलू सहित सब्जियों के दाम के लिए मीडिया को दोषी ठहरा रही हैं। शीला दीक्षित ने क्‍या कहा.... सब्जियों की आसमान छूती कीमतों पर पूछे गए एक सवाल पर शीला पत्रकारों पर भड़क उठीं और उन्होंने बेतुका बयान देते हुए कहा कि "आपलोग दाम बढ़ा रहे हैं।" शीला दीक्षित से संवाददाताओं ने पूछा था कि "दिल्ली में प्याज के दाम आसमान पर हैं और राज्य सरकार बिजली के दाम बढ़ाने पर विचार कर रही है।" इस पर मुख्यमंत्री भड़क उठीं और उन्होंने दो टूक शब्दों में कहा कि "कहां बढ़ रहे हैं दाम, आपलोग बढ़ा रहे हैं।" शीला जी सही है आपकी बात, क्‍योंकि मीडिया कर्मी आजकल न्‍यूज कवरेज करने में लगे हैं और उनके खेत खाली पड़े हैं। देखिए न तो वे समय पर सब्जियां उगा रहे हैं और न ही उनकी सही ढंग से सप्‍लाई कर रहे हैं। मैंने खुद कई बार कहा मीडिया दोस्‍तों से कि ये न्‍यूज व्‍यूज क्‍या है। छोड़

टाटा के लिए दौलताबाद साबित हुआ साणंद

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महाराष्‍ट्र के औरंगाबाद के समीप बसा दौलताबाद शहर हमेशा शक्‍तिशाली बादशाहों के लिए आकर्षण का केंद्र रहा। दौलताबाद की सामरिक स्थिति बहुत ही महत्‍वपूर्ण थी। यह उत्तर और दक्षिण भारत के मध्‍य में पड़ता है। यहां से पूरे भारत पर शासन किया जा सकता था। इसी वजह से बादशाह मुहम्‍मद बिन तुगलक ने इसे अपनी राजधानी बनाया था। उसने दिल्‍ली की सारी जनता को दौलताबाद चलने का आदेश दिया था। लेकिन दौलताबाद की खराब स्थिति एवं आम लोगों की तकलीफों के कारण उसे कुछ वर्षों बाद राजधानी पुन: दिल्‍ली ले जानी पड़ी। शायद ऐसा ही है देश के शक्तिशाली उद्योगपति रतन टाटा के साथ। पश्चिम बंगाल के सिंगुर में लगने वाली यह परियोजना तृणमूल कांग्रेस की नेता ममता बनर्जी के तगड़े विरोध की वजह से लग नहीं पाई और टाटा इस परियोजना को लगाने के लिए अनेक राज्यों को खंगालते रहे लेकिन उनके पारिवारिक राज्य गुजरात के मुख्‍यमंत्री नरेंद्र मोदी के एक एसएमएस पर उन्‍होंने इस परियोजना को अहमदाबाद के करीब साणंद में लगाने का निश्‍चय कर लिया। इस लखटकिया कार परियोजना के गुजरात जाने से उस समय कई राज्यों के मुख्‍यमंत्री मन मसोस कर रह गए कि नरेंद्र मोदी न

प्‍याज न खाने से दस लाख लोग मरे

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हिंदुस्‍तान में इस समय भगवान से ज्‍यादा नाम प्‍याज का भजा रहा है। हर समाचार पत्र, न्‍यूज वेबसाइट और टीवी चैनलों में परोसी जा रही खबरों में प्‍याज राडिया पर लीड बनाता जा रहा है। राडिया, राजा, टाटा दबते जा रहे हैं प्‍याज के बोझ और भाव के नीचे। न्‍यूज माध्‍यम और राजनेताओं को अचानक आम आदमी याद आ रहा है। गरीब हिंदुस्‍तान के लोग प्‍याज और रोटी खाकर दिन गुजार रहे हैं लेकिन समझ नहीं आ रहा कि अचानक देश के सारे न्‍यूज माध्‍यम वालों को गरीब आदमी कहां से याद आ गया। गरीब तो इतना दब चुका है कि प्‍याज से रोटी खाना तो उसने कभी का छोड़ दिया और गांव वाले भी शहरियों की तरह प्रोग्रेस कर रहे हैं। बल्कि शहर वाले हर खाने में प्‍याज चाहते हैं, प्‍याज की कचोरियां, प्‍याज के पकौड़े से लेकर पता नहीं कितने व्‍यंजनों में प्‍याज चट कर रहे हैं। अभी कुछ साथियों से बात हो रही थी कि ऐसा कहीं सुना है कि प्‍याज न खाने से लोग मर गए हों या प्‍याज न खाने से बीमार पड़ गए हो और अस्‍पतालों के सामने मरीजों की लंबी कतारें लगी हो। फिर प्‍याज पर हायतौबा क्‍यों। मत खाइए, अपने आप दुकानदार हाथ जोड़कर सस्‍ता बेचते नजर आएंगे। लेकिन अप

मुरली का सीमेंट प्‍लांट बिकने की खबर थी झूठी!

मुरली इंडस्‍ट्रीज के शेयरों पर पिछले समय दांव लगाकर बड़ा पैसा कमाने की इच्‍छा रखने वाले निवेशकों को जोरदार झटका मैक्सिको की सीमेंट कंपनी सीमेक्स सैब द सीवी ने दिया है। इस कंपनी ने यह साफ कर दिया है कि उसने कभी भी मुरली इंडस्‍ट्रीज के सीमेंट प्‍लांट को खरीदने के लिए बातचीत तक नहीं की। कंपनी ने दो टूक शब्‍दों में कहा है कि सीमेक्‍स न तो इस सौदे में शामिल थी और न ही है। मीडिया में आई खबर के बाद सीमेक्‍स ने अपनी स्थिति साफ कर दी है। जबकि, मुरली इंडस्‍ट्रीज अब चुप है। सेबी ने पिछले दिनों इस कंपनी के प्रमोटरों को एक पुराने मामले में शेयर बाजार में अपने शेयर बेचने से रोक दिया है। बाजार के कुछ खिलाडि़यों का कहना है कि मुरली इंडस्‍ट्रीज के प्रमोटरों और इस शेयर में काम कर रहे कुछ ऑपरेटरों ने मिलकर मीडिया में यह खबर परोसवाई की मैक्सिको की सीमेंट कंपनी ने उसके प्‍लांट को खरीदने की तैयारी कर रही है। इस खबर के बाद मुरली इंडस्‍ट्रीज के शेयरों को पंख लग गए। निवेशकों में मुरली इंडस्‍ट्रीज के शेयर खरीदने के लिए अफरातफरी मच गई और लगा जैसे इस कंपनी के शेयर नहीं लिए तो बहुत कुछ उनके हाथ से छूट जाएगा। इसी क

मानसून होगा शेयर बाजार का नया ट्रिगर

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दुनिया के उभरते शेयर बाजारों में सबसे अच्‍छी और सुखद स्थिति में होने के बावजूद भारतीय शेयर बाजार इस समय ढुलमुल हालत में है जिससे न तो निवेशकों को कोई कमाई हो रही है और न ही वे यह निर्णय कर पा रहे हैं कि शेयरों में खरीद की जाए या बेच दें। वजह साफ है अमेरिकी और यूरोपियन शेयर बाजार एक दिन इस खबर पर बढ़ते हैं कि अब ग्रीस को कर्ज संकट से उबार लिया गया है जबकि दूसरे दिन इस वजह से गिर जाते हैं कि यह संकट अन्‍य देशों में फैल गया तो क्‍या होगा। असल में एक कहावत है कि अटकलें तमाम अनिष्‍टों का कारण होती हैं। बस, इन्‍हीं अटकलों ने दुनिया भर के शेयर बाजारों की हालत पतली कर रखी है। शेयर बाजारों के लिए एक और बात देखें तो मई का महीना कभी अच्‍छा नहीं रहा। पिछले आठ साल से मई का महीना भारतीय शेयर बाजार और निवेशकों के लिए रिटर्न की दृष्टि से कमाऊ महीना नहीं रहा है। लेकिन इस साल जो सकारात्‍मक तथ्‍य देखने को मिल रहा है वह है विदेशी संस्‍थागत निवेशकों की धीमी बिकवाली। इन निवेशकों की आक्रामक बिकवाली न होने से हमारा बाजार काफी कम गिरा है। भारतीय मानसून विभाग ने 30 मई को केरल में मानसून आने की भविष्‍यवाणी की है