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अनिल अंबानी का सच अश्वत्थामा के मरने जैसा

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मुंबई। अनिल अंबानी सूमह ने स्पष्ट किया है कि सेबी की जांच का निपटान कंपनी की स्वैच्छिक शर्तों पर हुआ है। सेबी ने रिलायंस इन्फ्रा और आरएनआरएल या उसके निदेशकों पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया है। जबकि, स्थिति इसके विपरीत है। सेबी ने अपने चार पेज के आर्डर में रोक की बात कही है। लेकिन स्थिति पांडवो और कौरवो के गुरु द्रोणाचार्य के बेटे अश्वत्थामा के मरने जैसे है। पहले अश्वत्थामा की कथा को जान लीजिए: महाभारत युध्द के समय गुरु द्रोणाचार्य जी ने हस्तिनापुर राज्य के प्रति निष्ठा होने के कारण कोरवो का साथ देना उचित समझा। अश्वत्थामा भी अपने पिता की तरह शास्त्र व शस्त्र विद्या मे निपूण थे। महाभारत के युद्ध में उन्होंने सक्रिय भाग लिया था। महाभारत युद्ध में ये कौरव-पक्ष के एक सेनापति थे। उन्होंने भीम-पुत्र घटोत्कच को परास्त किया तथा घटोत्कच पुत्र अंजनपर्वा का वध किया। उसके अतिरिक्त द्रुपदकुमार, शत्रुंजय, बलानीक, जयानीक, जयाश्व तथा राजा श्रुताहु को भी मार डाला था। उन्होंने कुंतीभोज के दस पुत्रों का वध किया। पिता-पुत्र की जोडी ने महाभारत युध्द के समय पाण्डव सेना को तितर-बितर कर दिया। पांडवो की सेना की हार

केबल कार्पोरेशन: रिस्‍क कम, रिटर्न ज्‍यादा

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केबल कार्पोरेशन ऑफ इंडिया (बीएसई कोड 500077) का शेयर इन दिनों 24 से 27 रुपए के बीच घूम रहा है। कंपनी की भावी योजनाओं को देखते हुए यह शेयर मध्‍यम से लंबी अवधि के निवेशकों के लिए बेहतर शेयर कहा जा सकता है। इक्विटी विश्‍लेषक इसके एक साल की समयावधि में 28-35-52-55 रुपए तक पहुंचने की संभावना जता रहे हैं। जबकि, तकनीकी तौर पर नीचे में 20 रुपए का स्‍तर बेहतर सपोर्ट है एवं इस स्‍तर से इसके गिरने के चांस बेहद कम है। केबल कार्पोरेशन ने अपनी फैक्‍टरी को महाराष्‍ट्र के नासिक में शिफ्ट करने के बाद मुंबई के बोरीवली इलाके में अपनी 35 लाख वर्ग फीट जमीन को आवासीय एवं व्‍यावसायिक तौर पर डेवलप करने की योजना पर अमल शुरु कर दिया है। तकरीबन 22 एकड़ भूमि में कंपनी एक हजार करोड़ रुपए निवेश कर इस परियोजना को तैयार कर रही है। इसे रिवाली पार्क नाम दिया गया है। बोरीवली की इस फैक्‍टरी में कंपनी हाई वोलटेज केबल्‍स का उत्‍पादन करती थी लेकिन अब नासिक की फैक्‍टरी में हाई के साथ लो वोल्‍टेज केबल्‍स का उत्‍पादन किया जा रहा है। कंपनी के अध्‍यक्ष एवं प्रबंध निदेशक हितेन ए. खटाऊ का कहना है कि हमारी एसोसिएटस कंपनी सीसीआई प्

हिंदुस्‍तानी जनता अब रोएगी महंगी चीनी का रोना

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समूची दुनिया में पड़ रही इस जोरदार सर्दी के मौसम में सभी के दांत किटकिटा रहे हैं, शरीर कांप रहा है। बर्फ और सर्दी...बचाओ भगवान। सर्दी से बचने के लिए गर्मा गर्म चाय पीकर कुछ जोश आ जाता है आम आदमी के शरीर में। लेकिन अब यह सुख भी जल्‍दी दूर होना वाला है। उल्‍टा गाना गाना पड़ेगा...सुख भरे दिन बीते रे भैया, अब दुख आया रे...रोना धोना नया लाया रे। प्‍याज, लहसुन, टमाटर, आलू, सब्जियां, फल, दूध इन सबके बाद पिछले थोड़े समय से चैन से खा रहे कुछ सस्‍ती चीनी अब कड़वी होने जा रही है। 27 दिसंबर 2010 को जब हिंदुस्‍तान की जनता आंख खोलेगी चाय पीने के लिए तब उसे पता चलेगा कि आज से तो चीनी में सारे सट्टेबाज दुगुने जोश से जुट गए हैं। कमोडिटी एक्‍सचेंज खुलेंगे दस बजे और चालू हो जाएगा चीनी में सट्टा। एक के दो, दो के चार। मारो इस साली जनता को जो बहुत दिनों से सस्‍ती चीनी खा रही थी। इसे इस बार चीनी 42 के बजाय 48 में नहीं खिलवाई तो हमारा नाम सट्टेबाज नहीं। देश का जीडीपी का बढ़ रहा है और इसे चाहिए सस्‍ते में चीनी। मुंह मीठा करना है कि देश खूब प्रोगरेस कर रहा है लेकिन सस्‍ते की आदत नहीं जाती। इस फोकट चंद जनता को

मीडिया वाले खा गए देश का सारा प्‍याज, टमाटर, आलू

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दिल्‍ली की मुख्‍यमंत्री शीला दीक्षित को विधानसभा चुनाव के समय को छोड़कर हमेशा मीडिया पर गुस्‍सा आता है। राष्‍ट्रमंडल खेलों में हुए निर्माण कार्य और घोटालों के लिए जहां वे मीडिया पर बरस रही थीं वहीं अब प्‍याज, टमाटर और आलू सहित सब्जियों के दाम के लिए मीडिया को दोषी ठहरा रही हैं। शीला दीक्षित ने क्‍या कहा.... सब्जियों की आसमान छूती कीमतों पर पूछे गए एक सवाल पर शीला पत्रकारों पर भड़क उठीं और उन्होंने बेतुका बयान देते हुए कहा कि "आपलोग दाम बढ़ा रहे हैं।" शीला दीक्षित से संवाददाताओं ने पूछा था कि "दिल्ली में प्याज के दाम आसमान पर हैं और राज्य सरकार बिजली के दाम बढ़ाने पर विचार कर रही है।" इस पर मुख्यमंत्री भड़क उठीं और उन्होंने दो टूक शब्दों में कहा कि "कहां बढ़ रहे हैं दाम, आपलोग बढ़ा रहे हैं।" शीला जी सही है आपकी बात, क्‍योंकि मीडिया कर्मी आजकल न्‍यूज कवरेज करने में लगे हैं और उनके खेत खाली पड़े हैं। देखिए न तो वे समय पर सब्जियां उगा रहे हैं और न ही उनकी सही ढंग से सप्‍लाई कर रहे हैं। मैंने खुद कई बार कहा मीडिया दोस्‍तों से कि ये न्‍यूज व्‍यूज क्‍या है। छोड़

टाटा के लिए दौलताबाद साबित हुआ साणंद

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महाराष्‍ट्र के औरंगाबाद के समीप बसा दौलताबाद शहर हमेशा शक्‍तिशाली बादशाहों के लिए आकर्षण का केंद्र रहा। दौलताबाद की सामरिक स्थिति बहुत ही महत्‍वपूर्ण थी। यह उत्तर और दक्षिण भारत के मध्‍य में पड़ता है। यहां से पूरे भारत पर शासन किया जा सकता था। इसी वजह से बादशाह मुहम्‍मद बिन तुगलक ने इसे अपनी राजधानी बनाया था। उसने दिल्‍ली की सारी जनता को दौलताबाद चलने का आदेश दिया था। लेकिन दौलताबाद की खराब स्थिति एवं आम लोगों की तकलीफों के कारण उसे कुछ वर्षों बाद राजधानी पुन: दिल्‍ली ले जानी पड़ी। शायद ऐसा ही है देश के शक्तिशाली उद्योगपति रतन टाटा के साथ। पश्चिम बंगाल के सिंगुर में लगने वाली यह परियोजना तृणमूल कांग्रेस की नेता ममता बनर्जी के तगड़े विरोध की वजह से लग नहीं पाई और टाटा इस परियोजना को लगाने के लिए अनेक राज्यों को खंगालते रहे लेकिन उनके पारिवारिक राज्य गुजरात के मुख्‍यमंत्री नरेंद्र मोदी के एक एसएमएस पर उन्‍होंने इस परियोजना को अहमदाबाद के करीब साणंद में लगाने का निश्‍चय कर लिया। इस लखटकिया कार परियोजना के गुजरात जाने से उस समय कई राज्यों के मुख्‍यमंत्री मन मसोस कर रह गए कि नरेंद्र मोदी न