शेयर बाजार : अंधेरे के बाद ही उजाला
भारतीय अर्थव्यवस्था के बैरोमीटर बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का सेंसेक्स पिछले दो दिन में एक हजार अंक गिर चुका है और निवेशकों में बेचैनी छा गई है। निवेशकों के मुरझाएं चेहरों पर एक ही सवाल है कि सेंसेक्स और शेयर बाजार में आगे क्या होगा। क्या यह मंदी और बढ़ेगी या फिर मार्केट की रौनक लौट आएगी। हर निवेशक को यह जान लेना चाहिए शेयर बाजार में न तो सब कुछ मिटने जा रहा है और न ही बड़ी तेजी आएगी। लेकिन यह बात ध्यान रखनी चाहिए कि हर तगड़ी तेजी के बाद कुछ करेक्शन आता ही है लेकिन ऐसे करेक्शन स्थाई नहीं हैं और शेयर बाजार नई बुलंदियों को छूता रहेगा।
बीएसई सेंसेक्स जब पांच हजार अंक था और आठ हजार अंक पर आया तब भी यही बातें होती थी कि अब बहुत बढ़ गया बाजार, कभी भी औंधे मुंह गिरेगा। आठ से 15 हजार अंक पहुंचा तब भी इसी तरह की बातें होती थी और आज भी हो रही है। इस तरह की बातों को सोचने के पीछे हमारी गलती नहीं है, बल्कि हमारी मानसिकता आड़े आ जाती है क्योंकि हम तगड़ी तेजी देखने के आदी नहीं रहे और पहली बार बाजार में आग लगते हुए देख रहे हैं लेकिन एक गिरावट ब्लड प्रेशर गड़बड़ा देती है। यदि इतिहास देखा जाए तो सेंसेक्स ने जब भी बड़ा गोता लगाया, वह अगली बार दुगुने जोश से आगे बढ़ा है। इस समय की मंदी की बड़ी वजह निवेशकों की नए पब्लिक इश्यू में पैसा लगाने के लिए निकली बिकवाली है। आम निवेशक को चिंतित होने की जरुरत नहीं है। सेंसेक्स को अभी बड़ी मंजिल तय करनी है।
हर निवेशक से कहना है कि यदि आपने देश की क्रीम कंपनियों में निवेश किया है तो बिल्कुल न घबराएं, चाहे सेंसेक्स किसी भी स्तर पर दिखें। साथ ही ऐसी कंपनियों के शेयर छोटे मोटे लाभ के लिए न बेंचे, बल्कि लांग टर्म के आधार पर अपने निवेश को बनाए रखें। हालांकि, बाजार पर बुरा असर डालने वाली कोई बड़ी खबर आ रही हो तो आप कुछ समय के लिए अपने शेयर बेच सकते हैं लेकिन उन्हें घटे स्तर पर खरीदने की तैयारी भी रखें। यदि आप ऑपरेटरों और पंटरों के मन को पढ़ सकते हैं तो यह जान लें कि जब बाजार में चौतरफा यह तय हो जाता है कि बाजार में अब गिरावट नहीं आएगी और यह उठता ही रहेगा तभी इतना तगड़ा झटका दिया जाता है कि निवेशकों की बड़ी संख्या संभल ही नहीं पाती। कई बार यह धक्का प्यार से दिया जाता है....यानी 80/100/150 अंक की रोज रोज गिरावट एवं आम निवेशक यह सोचता रहता है कि आज गिरा है, कल बाजार उठेगा। परसों तो दम आएगा ही....लेकिन ऐसा नहीं होता और पता चलता है कि बाजार तो डेढ़ हजार अंक का गोता लगा गया।
यह ध्यान रखें पैसा कमाने के लिए धैर्य जरुरी है और घबराहट के किसी भी कारण के समय आत्मचिंतन जरुर करें अन्यथा आप गेनर के बजाय लूजर बन सकते हैं। भेड़चाल का हिस्सा न बनते हुए किसी भी कंपनी के शेयर खरीदते और बेचते समय यह जरुर सोचें कि यह खरीद कितने समय के लिए है और यदि शेयर बेच रहे हैं तो यह देखें कि जिस भाव पर आप शेयर बेच रहे हैं क्या उसके बाद इसमें बढ़ोतरी की बड़ी गुंजाइश नहीं बची है। यदि गुंजाइश है तो शेयर बेचने का आपका फैसला गलत हो सकता है।
सच्चा खिलाड़ी वह है जो हर बड़ी गिरावट में बेहतर शेयर छोटी छोटी मात्रा में खरीदता है। आपको कई बार यह लगता है कि मैंने अमुक कंपनी के शेयर नहीं लिए या चूक गया...लेकिन ऐसी गिरावट आपको बेहतर कंपनियों या अपनी पसंदीदा कंपनियों के शेयर खरीदने के मौके देती है। गिरावट के समय जो सबसे बड़ा मंत्र है, पहले आप शांत मन से अपनी पसंदीदा कंपनियों की सूची का विश्लेषण करें और यह देखें कि जिन कंपनियों के शेयर आप खरीदना चाहते हैं उनके नतीजे पिछले तीन सालों में किस तरह के आए हैं, प्रबंधन कैसा है, जिस क्षेत्र से कंपनी जुड़ी हैं, उस उद्योग का भविष्य कैसा है। शेयर खरीदने के बाद आपकी होल्डिंग क्षमता कैसी है। इस तरह के अनेक कारक हैं जिन पर आप विचार कर हर गिरावट में बेस्ट कंपनियों के शेयर ले सकते हैं, लेकिन याद रखिए आपकी यह खरीद छोटी छोटी मात्रा में होनी चाहिए ताकि अगली गिरावट पर भी आपके पास लिक्विडीटी बनी रहे।
बीएसई सेंसेक्स जब पांच हजार अंक था और आठ हजार अंक पर आया तब भी यही बातें होती थी कि अब बहुत बढ़ गया बाजार, कभी भी औंधे मुंह गिरेगा। आठ से 15 हजार अंक पहुंचा तब भी इसी तरह की बातें होती थी और आज भी हो रही है। इस तरह की बातों को सोचने के पीछे हमारी गलती नहीं है, बल्कि हमारी मानसिकता आड़े आ जाती है क्योंकि हम तगड़ी तेजी देखने के आदी नहीं रहे और पहली बार बाजार में आग लगते हुए देख रहे हैं लेकिन एक गिरावट ब्लड प्रेशर गड़बड़ा देती है। यदि इतिहास देखा जाए तो सेंसेक्स ने जब भी बड़ा गोता लगाया, वह अगली बार दुगुने जोश से आगे बढ़ा है। इस समय की मंदी की बड़ी वजह निवेशकों की नए पब्लिक इश्यू में पैसा लगाने के लिए निकली बिकवाली है। आम निवेशक को चिंतित होने की जरुरत नहीं है। सेंसेक्स को अभी बड़ी मंजिल तय करनी है।
हर निवेशक से कहना है कि यदि आपने देश की क्रीम कंपनियों में निवेश किया है तो बिल्कुल न घबराएं, चाहे सेंसेक्स किसी भी स्तर पर दिखें। साथ ही ऐसी कंपनियों के शेयर छोटे मोटे लाभ के लिए न बेंचे, बल्कि लांग टर्म के आधार पर अपने निवेश को बनाए रखें। हालांकि, बाजार पर बुरा असर डालने वाली कोई बड़ी खबर आ रही हो तो आप कुछ समय के लिए अपने शेयर बेच सकते हैं लेकिन उन्हें घटे स्तर पर खरीदने की तैयारी भी रखें। यदि आप ऑपरेटरों और पंटरों के मन को पढ़ सकते हैं तो यह जान लें कि जब बाजार में चौतरफा यह तय हो जाता है कि बाजार में अब गिरावट नहीं आएगी और यह उठता ही रहेगा तभी इतना तगड़ा झटका दिया जाता है कि निवेशकों की बड़ी संख्या संभल ही नहीं पाती। कई बार यह धक्का प्यार से दिया जाता है....यानी 80/100/150 अंक की रोज रोज गिरावट एवं आम निवेशक यह सोचता रहता है कि आज गिरा है, कल बाजार उठेगा। परसों तो दम आएगा ही....लेकिन ऐसा नहीं होता और पता चलता है कि बाजार तो डेढ़ हजार अंक का गोता लगा गया।
यह ध्यान रखें पैसा कमाने के लिए धैर्य जरुरी है और घबराहट के किसी भी कारण के समय आत्मचिंतन जरुर करें अन्यथा आप गेनर के बजाय लूजर बन सकते हैं। भेड़चाल का हिस्सा न बनते हुए किसी भी कंपनी के शेयर खरीदते और बेचते समय यह जरुर सोचें कि यह खरीद कितने समय के लिए है और यदि शेयर बेच रहे हैं तो यह देखें कि जिस भाव पर आप शेयर बेच रहे हैं क्या उसके बाद इसमें बढ़ोतरी की बड़ी गुंजाइश नहीं बची है। यदि गुंजाइश है तो शेयर बेचने का आपका फैसला गलत हो सकता है।
सच्चा खिलाड़ी वह है जो हर बड़ी गिरावट में बेहतर शेयर छोटी छोटी मात्रा में खरीदता है। आपको कई बार यह लगता है कि मैंने अमुक कंपनी के शेयर नहीं लिए या चूक गया...लेकिन ऐसी गिरावट आपको बेहतर कंपनियों या अपनी पसंदीदा कंपनियों के शेयर खरीदने के मौके देती है। गिरावट के समय जो सबसे बड़ा मंत्र है, पहले आप शांत मन से अपनी पसंदीदा कंपनियों की सूची का विश्लेषण करें और यह देखें कि जिन कंपनियों के शेयर आप खरीदना चाहते हैं उनके नतीजे पिछले तीन सालों में किस तरह के आए हैं, प्रबंधन कैसा है, जिस क्षेत्र से कंपनी जुड़ी हैं, उस उद्योग का भविष्य कैसा है। शेयर खरीदने के बाद आपकी होल्डिंग क्षमता कैसी है। इस तरह के अनेक कारक हैं जिन पर आप विचार कर हर गिरावट में बेस्ट कंपनियों के शेयर ले सकते हैं, लेकिन याद रखिए आपकी यह खरीद छोटी छोटी मात्रा में होनी चाहिए ताकि अगली गिरावट पर भी आपके पास लिक्विडीटी बनी रहे।
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अगली बार फिर गिरावट पर