वाह मनी ब्लॉग का आज पहला जन्मदिन है। इस ब्लॉग के नियमित पाठक और मित्र अरबिंद सोलंकी ने वाह मनी की पहली वर्षगांठ पर विशेष रुप से यह लेख भेजा है जिसमें उन्होंने शेयर बाजार के खिलाडि़यों को चेताया है कि मौजूदा हालात इक्विटी बाजार में बड़ी तबाही की दस्तक है। कबीरा खड़ा बाजार में लिए लुकाटी हाथ, जो घर फूंके आपना चले हमारे साथ। कबीर को भी पता नहीं क्या हो जाता था, जब चाहे बाजार में खड़े हो जाते थे। किसी की खैर मांगेंगे तो बाजार में खड़े होकर और किसी को घर फूंक अपने साथ चलने को कहेंगे तो बाजार में खड़े होकर। कबीर का बाजार में खड़े होने का प्रेम समझ से परे है। अपने फक्कड़पन या विचारधारा के कारण कबीर, कम्युनिस्ट किस्म के लोगों में काफी लोकप्रिय हैं लेकिन जिस तरह से वे जब तब बाजार में खड़े हो जाते हैं या थे वे मुझे खांटी कैपिटिल्सिट लगते हैं। खैर! कबीर बाजार में खड़े हों या किसी मैदान में हमें ? दरअसल इस लेख का कबीर से या उनके बाजार में खड़े होने से कोई संबंध नहीं है। यह लेख तो शेयर बाजार में खड़े लोगों के लिए है जो मक्खी की तरह पूरा गुड़ चट करने की कोशिश में हैं। उन्हें लग रहा है ...
भारतीय शेयर बाजारों में इस समय जो उथल पुथल मची है उसका आम निवेशक कोई कारण नहीं ढूंढ पा रहा है। हर कोई विश्लेषक यह कह रहा है कि बाजार में गिरावट की कोई वजह नहीं है। यह ऊपरी स्तर पर मुनाफा वसूली आने से छाई नरमी है। इक्विटी बाजार के बड़े बड़े धुरंधरों ने यह जो वजह बताई है वह अपने में सही है लेकिन क्या आप जानते हैं कि अब आम निवेशक का लालच बढ़ता जा रहा है और उसे यह डर कतई नहीं सता रहा कि शेयर बाजार में गिरावट आएगी। यही स्थिति रही तो आने वाले दिनों में निवेशक यह तक कह सकते हैं कि गिरावट या करेक्शन....यह क्या बला होती है। भारतीय निवेशक यह मान चुके थे कि नवंबर और दिसंबर 2007 में विदेशी संस्थागत निवेशक काफी बिकवाली कर चुके हैं और आगे जाकर वे ऐसा नहीं करेंगे। बल्कि जनवरी में उन्हें निवेश के लिए जो नया पैसा मिलेगा, उसे भारतीय शेयर बाजार में हर भाव पर झौंक देंगे। इसी लालच में भारतीय निवेशकों ने हर बेहतर, अच्छी और घटिया कंपनियों के शेयर खरीदें। बाजार में केवल एक ही शोर था....लाओं...लाओं.....पकड़ लो। जनवरी में विदेशी संस्थागत निवेशक नया पैसा लेकर आ रहे हैं उन्हें ऊंचे में टिका देना। चांदी...
दुनिया भर के शेयर बाजारों में चल रही तगड़ी गिरावट से काफी निवेशक हताश हो चुके हैं। कल एक ही दिन में हैज फंडों की बिकवाली से निवेशकों के एक लाख 70 हजार करोड़ रूपए साफ हो गए। मैंने कई निवेशकों के उतरे हुए चेहरे, दुखी चेहरे और आंसूओं से भीगी पलकें देखी है। इस विषम स्थिति में हम फिर से कहना चाहेंगे कि धैर्य रखें और यदि आप डिलीवरी आधारित कारोबार करने वाले निवेशक हैं तो निराश न हो क्योंकि शेयर बाजार अगले छह महीने में बेहतर स्थिति में होगा। भारतीय अर्थव्यवस्था के न तो फंडामेंटल खराब हुए हैं और न ही उनमें कोई बड़ा बदलाव हुआ है। यह सही है कि अमरीका, जापान में जो हालात बिगड़े हैं उनका असर दुनिया भर में पड़ा है क्योंकि डॉलर के प्रभाव से कोई बच नहीं सकता। निवेशकों को हमारी सलाह है कि जहां भी हल्के सुधार के साथ उन्हें जिन कंपनियों के शेयरों में मुनाफा मिल रहा हो, उसे वसूल लें। जिन कंपनियों के निवेश में बड़ा घाटा हो रहा हो, उनमें प्राइस एवरेज करने के लिए नई खरीद अभी नहीं करे, बल्कि दो सप्ताह प्रतीक्षा करें। प्राइस एवरेज के लिए की जाने वाली नई खरीद में शेयरों की लेवाली बेहद छोटी छोटी मात्रा मे...
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