हताशा से उबरो पार्थ
दुनिया भर के शेयर बाजारों में चल रही तगड़ी गिरावट से काफी निवेशक हताश हो चुके हैं। कल एक ही दिन में हैज फंडों की बिकवाली से निवेशकों के एक लाख 70 हजार करोड़ रूपए साफ हो गए। मैंने कई निवेशकों के उतरे हुए चेहरे, दुखी चेहरे और आंसूओं से भीगी पलकें देखी है। इस विषम स्थिति में हम फिर से कहना चाहेंगे कि धैर्य रखें और यदि आप डिलीवरी आधारित कारोबार करने वाले निवेशक हैं तो निराश न हो क्योंकि शेयर बाजार अगले छह महीने में बेहतर स्थिति में होगा। भारतीय अर्थव्यवस्था के न तो फंडामेंटल खराब हुए हैं और न ही उनमें कोई बड़ा बदलाव हुआ है। यह सही है कि अमरीका, जापान में जो हालात बिगड़े हैं उनका असर दुनिया भर में पड़ा है क्योंकि डॉलर के प्रभाव से कोई बच नहीं सकता।
निवेशकों को हमारी सलाह है कि जहां भी हल्के सुधार के साथ उन्हें जिन कंपनियों के शेयरों में मुनाफा मिल रहा हो, उसे वसूल लें। जिन कंपनियों के निवेश में बड़ा घाटा हो रहा हो, उनमें प्राइस एवरेज करने के लिए नई खरीद अभी नहीं करे, बल्कि दो सप्ताह प्रतीक्षा करें। प्राइस एवरेज के लिए की जाने वाली नई खरीद में शेयरों की लेवाली बेहद छोटी छोटी मात्रा में करें क्योंकि आपकी एक बड़ी खरीद बाजार पर सकारात्मक असर नहीं डाल सकती। ध्यान रखें कि आप दुनिया के बड़े ऑपरेटर नहीं हैं। आप एक छोटे से निवेशक हैं या बड़े बड़े ऑपरेटरों की छोड़ी गई मलाई की मामूली सी परत खाने के साझीदार हैं।
बीएसई सेंसेक्स में इस बात को ध्यान रखें कि यदि यह 13700 का स्तर तोड़ता है और इससे नीचे आता है तो नई खरीद बिल्कुल न करें क्योंकि इसके बाद शेयर बाजार का बड़ा बंटाढार तय है। लेकिन विजेता वही होगा जो धैर्य को नहीं छोड़ेगा। कहावत है धैर्य के माध्यम से बड़ी बड़ी मुसीबतों से पार पाया जा सकता है। शेयर बाजार के बटाढांर पर लंबी अवधि के लिए अपने पोर्टफोलियो को रखें। 24 साल के अनुभव के बाद हम आप से कह सकते हैं कि अच्छे दिन लौटते हैं और बुरे तरह से टूट चुकी कंपनी, लेकिन बेहतर प्रबंधन और कार्य कर रही कंपनी के शेयर दिन लौटने पर आसमान पर होते हैं। महासागर में भयंकर तूफानी लहरें उठती हैं तो छोटी मोटी नौकाएं डूब जाती हैं। ऐसे में केवल कोलम्बस और वास्कोडिगामा जैसे नाविक ही सफल हो पाते हैं और आप ऐसे ही नाविक हैं तभी तो अमरीका एवं भारत जैसे महादेशों की खोज कर पाएंगे।
निवेशकों को हमारी सलाह है कि जहां भी हल्के सुधार के साथ उन्हें जिन कंपनियों के शेयरों में मुनाफा मिल रहा हो, उसे वसूल लें। जिन कंपनियों के निवेश में बड़ा घाटा हो रहा हो, उनमें प्राइस एवरेज करने के लिए नई खरीद अभी नहीं करे, बल्कि दो सप्ताह प्रतीक्षा करें। प्राइस एवरेज के लिए की जाने वाली नई खरीद में शेयरों की लेवाली बेहद छोटी छोटी मात्रा में करें क्योंकि आपकी एक बड़ी खरीद बाजार पर सकारात्मक असर नहीं डाल सकती। ध्यान रखें कि आप दुनिया के बड़े ऑपरेटर नहीं हैं। आप एक छोटे से निवेशक हैं या बड़े बड़े ऑपरेटरों की छोड़ी गई मलाई की मामूली सी परत खाने के साझीदार हैं।
बीएसई सेंसेक्स में इस बात को ध्यान रखें कि यदि यह 13700 का स्तर तोड़ता है और इससे नीचे आता है तो नई खरीद बिल्कुल न करें क्योंकि इसके बाद शेयर बाजार का बड़ा बंटाढार तय है। लेकिन विजेता वही होगा जो धैर्य को नहीं छोड़ेगा। कहावत है धैर्य के माध्यम से बड़ी बड़ी मुसीबतों से पार पाया जा सकता है। शेयर बाजार के बटाढांर पर लंबी अवधि के लिए अपने पोर्टफोलियो को रखें। 24 साल के अनुभव के बाद हम आप से कह सकते हैं कि अच्छे दिन लौटते हैं और बुरे तरह से टूट चुकी कंपनी, लेकिन बेहतर प्रबंधन और कार्य कर रही कंपनी के शेयर दिन लौटने पर आसमान पर होते हैं। महासागर में भयंकर तूफानी लहरें उठती हैं तो छोटी मोटी नौकाएं डूब जाती हैं। ऐसे में केवल कोलम्बस और वास्कोडिगामा जैसे नाविक ही सफल हो पाते हैं और आप ऐसे ही नाविक हैं तभी तो अमरीका एवं भारत जैसे महादेशों की खोज कर पाएंगे।
टिप्पणियाँ
is imp jankari ke liye..bhagwan kare ki market aur niche aaye taki hamare jese chote chote nivesak bazaar me kadam rakh sake.............
baat to aapki sahi hain..lekin kya yeh bade nivesak chote nivesako ke baare me sochate hain..nahi..yeh kewal apna fayada jante hain..eshe me yadi market down hoga to kai aam aadami isme nives kar sakate hain..
समस्या यह है कि सबप्राइम की मार चौतरफा है। शुक्रवार को न्यूयार्क में सोना 646 डालर प्रति ट्राय औंस तक गिर गया जो 28 जून के बाद का सबसे निचला स्तर है। इस गिरावट की आंधी में कल दिल्ली ही नहीं पूरे देश के सर्राफा बाजार औधे मुंह गिर पड़े। दिल्ली में कल सोना 80 रूपए और चांदी 1050 रूपए प्रति किलो टूट गयी। चांदी में यह एक साल में सबसे बड़ी गिरावट है। सोने के निवेशकों ही नहीं कारोबारियों को भी सांप सूंघ गया है।
ये तो अच्छी बात है कि भारत के बैंक अभी जोखिम वाले रिण यानी सबप्राइम कर्ज उतना नहीं देते लेकिन भारतीय बैंकों ने इस पर गंभीरता से सोचना शुरू कर दिया है। सुना है इंडियन बैंक एसोसिशन ने इस पर पहल शुरू कर दी है।
मैं इस आपकी इस बात से सहमत हूं कि फिलहाल छोटे निवेशकों को शेयर बाजार से कुछ दिनों के लिये दूर ही रहना चाहिये। उनकी छोटी मोटी खरीदारियों से कुछ खास बनना बिगड़ने वाला नहीं है।