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जयपुर: जमीन-जायदाद के धंधे में काला धन

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राजस्‍थान की राजधानी जयपुर में यदि आयकर विभाग बड़ी मात्रा में काला धन पकड़ना चाहता हो तो जमीन-जायदाद से बेहतर शायद ही कोई स्‍त्रोत हो। यूं तो सरकार की नजर स्विटजरलैंड सहित अनेक देशों में भारतीयों के जमा काले धन पर लगी है लेकिन देश में ही अभी इतना काला धन है, जिसके बाहर आने से सरकार को काफी बड़ा फायदा हो सकता है। जयपुर में यदि आप कोई मकान, प्‍लाट, फ्लैट, कॉमर्शियल प्रॉपर्टी खरीदना चाहते हैं और आपके पास पूरी कीमत नकद में है तब तो आपको शायद ही कोई दिक्‍कत हो और आप जमीन जायदाद आराम से खरीद सकते हैं। हालांकि, इसके तहत प्रॉपर्टी की जो रजिस्‍ट्री होगी वह डीएलसी दर से ज्‍यादा की नहीं होगी, भले ही आपने प्रॉपर्टी इस दर से कितनी ही ऊंची दर पर ली हो। मसलन आप जो घर खरीद रहे हैं मान लीजिए उसकी कीमत 50 लाख रुपए है तो आपको इसका तकरीबन 50 फीसदी हिस्‍सा काले धन के रुप में चुकाना होगा। डीएलसी दर से ज्‍यादा की रजिस्‍ट्री कराने को कोई भी बिकवाल वहां तैयार नहीं है। आप जिस प्रॉपर्टी को खरीदना चाहते हैं उसकी सारी राशि एक नंबर यानी चैक पेमेंट की बात करें तो प्रॉपर्टी डीलर और बिकवाल दोनों उखड़ जाएंगे। वे आपसे

सेबी को मीडिया की भूमिका की भी जांच करनी चाहिए

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भारतीय शेयर बाजार में आई तीन हजार अंकों की गिरावट के पीछे क्‍या क्‍या कारण थे, इनकी जांच करने का जिम्‍मा सेबी निभाएगी। सेबी का मानना है कि ताजा गिरावट के पीछे कुछ न कुछ गड़बड़ी है। खबरों के मुताबिक सेबी ब्रोकरेज कंपनियों, विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) और म्युचुअल फंड जैसी 25 फर्मों की जांच कर रहा है। शुरूआती जांच से मंदडि़यों के बीच साठगांठ के कम-से-कम तीन मामलों का पता चला है। इकानॉमिक टाइम्‍स की खबर के मुताबिक मंदडि़या आपस में मिलकर कुछ शेयरों का बाजार तोड़ते हैं। यह काम वे या तो खुद उन शेयरों को शेयरों की लिवाली के लिए या फिर कंपनी के व्यावसायिक प्रतिद्वंद्वियों के इशारे पर करते हैं। उल्लेखनीय है कि पांच नवंबर को बॉम्‍बे स्‍टॉक एक्‍सचेंज का सेंसेक्स 21004 अंक की रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचने के बाद से यह तीन हजार से अधिक अंक या 15 फीसदी नीचे आ गया है। सेबी ने जो कदम उठाया है वह प्रशंसा के योग्‍य है। शेयर बाजार के दो प्रमुख प्‍लेयर तेजडि़यों और मंदडि़यों की जांच के अलावा एक और पक्ष मीडिया की भी जांच की जानी चाहिए। यह सही है कि बाजार में पिछले कुछ दिनों से काफी नकारात्‍मक खबरों की बा

शेयर बाजार के लौटेंगे अच्‍छे दिन

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भारतीय शेयर बाजार के लिए वर्ष 2011 अब तक काफी खराब रहा है। लेकिन अब बाजार के लिए फिर से सकारात्‍मक खबरों की शुरुआत हो चुकी है। खाद्य महंगाई दर कम होने एवं कृषि उत्‍पादन बढ़ने से इसका आरंभ हुआ है। हालांकि, कुछ कठिनाइयों से अभी भी इनकार नहीं किया जा सकता। केवल आज सप्‍ताह के आखिरी दिन की बढ़त से पूरा मानस नहीं बदला है लेकिन बेहतर होने की शुरुआत हो गई है। यह तो तय है कि शेयर बाजार की मौजूदा मंदी निवेशकों को भारी पड़ी है। इस साल हरेक मिनट निवेशक 100 करोड़ रुपए खोए हैं। वर्ष 2011 की शुरुआत से अब तक शेयर बाजार की सम्‍पदा 11 लाख करोड़ रुपए साफ हो चुकी है। जबकि, सेंसेक्‍स तीन हजार अंक नीचे आ चुका है। घरेलू शेयर बाजार में एक करोड़ से कुछ अधिक निवेशक हैं। इस राशि को इनमें बांटा जाए तो पता चलता है कि हरेक निवेशक ने औसतन दस लाख रुपए का नुकसान खाया है। भारतीय बाजार किन-किन कारणों से अब बढ़ेगा और हमारे लिए क्‍या क्‍या पॉजिटिव होने जा रहा है, यह आपको लेखों की एक श्रृंखला के तहत बताया जाएगा। इसके तहत सबसे पहले होगा कृषि क्षेत्र। ताजा आंकडों पर नजर डालिए: मुख्‍य फसलों का उत्‍पादन अनुमान वर्ष 2010-11---

परदेसी ने छोड़ा साथ, बाजार का हुआ सत्‍यानाश

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तुम तो ठहरे परदेसी...साथ क्‍या निभाओगे..यह गाना इस समय शेयर बाजार पर सटीक बैठ रहा है। शेयर बाजार के फंडामेंटल और तकनीकी विश्‍लेषकों के साथ सरकारी एजेंसियों के कर्ता धर्ता भी यह कहते रहे कि इंडिया ग्रोथ स्‍टोरी, इंडिया शाइनिंग, मेरा भारत महान...आप देखते जाइए कि विदेशी निवेशक यहां से भाग नहीं पाएंगे। विदेशी पैसे के आगमन को लेकर निवेशक चिंता न करें, पैसा लगातार आता रहेगा। निवेशक चैन की नींद सोएं। लेकिन ताजा आंकडें देखिए...इन्‍हीं निवेशकों ने भारत सहित सभी उभरते बाजारों का सत्‍यानाश कर दिया। ताजा आंकडे देखिए...2 फरवरी 2011 को समाप्‍त सप्‍ताह में इन निवेशकों ने सात अरब डॉलर निकाल लिए। बीते तीन सालों में बाजार से निकाली गई यह सबसे ज्‍यादा रकम है। इस राशि में 4.6 अरब डॉलर की राशि एक्‍सचेंज-ट्रेडेड फंड से निकाली गई रकम है। भारतीय बाजार से इन निवेशकों ने 20.7 करोड़ डॉलर की राशि निकाली है जो जून 2010 के बाद सबसे अधिक है। अभी यह निकलती राशि थमने का नाम नहीं ले रही है। 2 फरवरी के बाद भी बाजार लगातार गिरते जा रहा है। गिरावट जहां जाकर थमेगी, वहां पता चलेगा कि भारत सहित उभरते बाजारों से परदेसियों ने

दलाल स्‍ट्रीट: रिटेल इनवेस्‍टर है कौन

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दलाल स्‍ट्रीट के बारे में 4 फरवरी 2011 को पोस्‍ट में लिखा था कि दलाल स्‍ट्रीट: डे ऑफ डिपार्चर...। दलाल स्‍ट्रीट में चल रही गिरावट पर रोज जो खबरें आती हैं उनमें यह होता कि फंडों के साथ रिटेल इनवेस्‍टर शेयरों को बेच रहे हैं जिससे यह गिरावट थमने का नाम नहीं ले रही। हालांकि, जब बाजार में हर रोज सकारात्‍मक खबरें आ रही थीं तब भी रिटेल इनवेस्‍टरों की कोई बड़ी खरीद नहीं थी। रिटेल इनवेस्‍टर रिलायंस पावर के आईपीओ के बाद हुई पिटाई को आज तक भूल नहीं पाए हैं जिसकी वजह से इन इनवेस्‍टरों ने मंदी के उबरने के बाद आई तेजी में न तो ज्‍यादा शेयर खरीदें और न ही इन्‍हें अब तक रख पाए। ये निवेशक तो सेंसेक्‍स के 19 हजार के बाद और 21 हजार पहुंचने से पहले ही अपने शेयर बेच चुके थे और केवल तमाशाबीन बने हुए थे। केवल सेंसेक्‍स के बढ़ने और घटने का आनंद ले रहे थे इस अफसोस के साथ कि वे पैसा कमा न सके। लेकिन अब जब बाजार रोज पीट रहा है वे खुश हैं कि अच्‍छा हुआ बच गए। पिछली पिटाई से अब तक की बढ़त में कितने करोड़ों के शेयर रिटलेरों ने खरीदे, यह जानना सेबी के लिए कोई कठिन काम नहीं है। इन निवेशकों से पूछो तो पता चलेगा कि उनक

दलाल स्‍ट्रीट: डे ऑफ डिपार्चर

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इजिप्‍त (मिस्त्र) में 30 साल से शासन में जमे होस्‍नी मुबारक के खिलाफ जनता का डे ऑफ डिपार्चर शुरु हो गया है। यमन, सीरिया के भी हालात ठीक नहीं है। टयूनिशिया से शुरु हुई चिंगारी ने दस देशों की जनता को जगा दिया है। भारत की जनता अभी जागी नहीं है लेकिन दलाल स्‍ट्रीट जाग गई है। इजिप्‍त और सीरिया की गंभीर स्थिति को समझते हुए दलाल स्‍ट्रीट में आज आई जोरदार बिकवाली ने भारतीय शेयर बाजार के रिकॉर्ड में दर्ज ब्‍लैक फ्राइडे में एक और शुक्रवार को जोड़ दिया। बॉम्‍बे स्‍टॉक एक्‍सचेंज का सेंसेक्‍स आज 18450.07 अंक पर खुला और ऊपर में 18542.20 अंक आया। यह नीचे में 17926.98 अंक गया। यह अंत में 441.16 अंक गिरकर 17926.98 अंक पर बंद हुआ। बीएसई मिडकैप इंडेक्‍स 93.35 अंक घटकर 6734.52 अंक पर निपटा। बीएसई स्‍मॉल कैप इंडेक्‍स 132.80 अंक कमजोर पड़कर 8331.20 अंक पर बंद हुआ। नेशनल स्‍टॉक एक्‍सचेंज की निफ्टी 137.80 अंक फिसलकर 5388.95 अंक पर बंद हुई। जागी जनता शुक्रवार, शनिवार और रविवार को इजिप्‍त, सीरिया में क्‍या गुल खिला देगी, कोई नहीं जानता। यदि यहां अशांति बढ़ी तो शेयर बाजार की परेशानियां कम नहीं होगी लेकिन इजिप्‍

भ्रष्‍टाचार, भूख ने हिलाए दस देशों के सिंहासन

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हाउस ऑफ साउद लोकतंत्र के इस दौर में क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि कोई राजपरिवार 100 सालों तक सत्ता पर काबिज रहे। दुनिया के 25 फीसदी तेल स्रोतों पर कब्जा रखने वाले सऊदी अरब में ऎसा ही है। इस राजपरिवार में तकरीबन सात हजार हजार सदस्य हैं। लेकिन देश के हालात हर दिन बदतर होते जा रहे हैं। आंकड़ों के मुताबिक यहां हर साल 10 फीसदी की दर से बेरोजगार बढ़ रही है। सात में में एक नौजवान निरक्षर है। सबसे बुरी हालत तो महिलाओं की है जो तमाम तरह की पाबंदियों में जिंदा रहती हैं। यहां भी कुछ हलकों से आजादी और सुशासन की मांगें उठनी शुरू हो चुकी हैं। अब्देलअजीज ये 1999 से अल्जीरिया में राज कर रहे हैं। अपने खिलाफ हर आवाज दबा देने में माहिर। इज्पित के जनआंदोलन से प्रेरणा लेकर जनता उतरी सड़कों पर। होस्नी मुबारक इजिप्‍त के बेहद शक्तिशाली और पिछले 31 सालों से सत्ता पर काबिज राष्ट्रपति मुबारक के खिलाफ भड़का विद्रोह अब कभी भी निर्णायक रूप ले सकता है। किम जोंग इल उत्तर कोरिया का क्रूर शासक। शासनकाल में दो लाख लोग मारे और इतने ही जेलों में ठूंस दिए गए। अब किम के खिलाफ आवाजें उठनें लगी हैं। पुत्र मोह के आरोप भी। हसन

जनविद्रोह की चिंगारी ज्‍वाला बनने की तैयारी में

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भूखे भजन न होय गोपाला....भारत में यह कहावत बरसों से चली आ रही है। इसी भूख, महंगाई, गरीबी, भ्रष्‍टाचार और बेरोजगारी की वजह से टयूनिशिया के बरसों से जमे राष्‍ट्रपति को जान बचाकर भागना पड़ा, वही यह चिंगारी अब इज्पित में ज्‍वाला बन रही है। 30 साल से कुर्सी से चिपके राष्‍ट्रपति होस्‍नी मुबारक अंतिम दांव खेल रहे हैं कि सेना और अमरीका के सहयोग या फिर इजरायल के दबाव से वे सत्ता में बने रह जाएं लेकिन सभी सत्ताओं से ऊपर जनता ने उनको अल्‍टीमेटम दे दिया है कि खैर चाहते हो तो चुपचाप हट जाओ वरना सिर, आंख पर बैठाने वाली जनता को तुम्‍हें नीचे उतारना भी आता है। संभवत: मुबारक इजिप्‍त से भागने के बाद किस देश में रहेंगे, की भी संभावना तलाश रहे हैं। टयूनिशिया में एक जवान छोकरे ने जो चिंगारी पैदा की वह अब इजिप्‍त के अलावा अलजीरिया, जार्डन, यमन, लीबिया को भी अपनी चपेट में लेने जा रही है। इन मुस्लिम शासक देशों में बरसों से डंडे का शासन चला आ रहा है लेकिन कारण केवल शासन नहीं है, बल्कि आम जनता का जबरदस्‍त त्रस्‍त होना है। जनता को शांति से जीने नहीं‍ दिया जा रहा। महंगाई, बेरोजगारी को रोकने में ये शासक नाकाम रहे