दलाल स्ट्रीट: रिटेल इनवेस्टर है कौन
दलाल स्ट्रीट के बारे में 4 फरवरी 2011 को पोस्ट में लिखा था कि दलाल स्ट्रीट: डे ऑफ डिपार्चर...। दलाल स्ट्रीट में चल रही गिरावट पर रोज जो खबरें आती हैं उनमें यह होता कि फंडों के साथ रिटेल इनवेस्टर शेयरों को बेच रहे हैं जिससे यह गिरावट थमने का नाम नहीं ले रही। हालांकि, जब बाजार में हर रोज सकारात्मक खबरें आ रही थीं तब भी रिटेल इनवेस्टरों की कोई बड़ी खरीद नहीं थी।
रिटेल इनवेस्टर रिलायंस पावर के आईपीओ के बाद हुई पिटाई को आज तक भूल नहीं पाए हैं जिसकी वजह से इन इनवेस्टरों ने मंदी के उबरने के बाद आई तेजी में न तो ज्यादा शेयर खरीदें और न ही इन्हें अब तक रख पाए। ये निवेशक तो सेंसेक्स के 19 हजार के बाद और 21 हजार पहुंचने से पहले ही अपने शेयर बेच चुके थे और केवल तमाशाबीन बने हुए थे। केवल सेंसेक्स के बढ़ने और घटने का आनंद ले रहे थे इस अफसोस के साथ कि वे पैसा कमा न सके। लेकिन अब जब बाजार रोज पीट रहा है वे खुश हैं कि अच्छा हुआ बच गए। पिछली पिटाई से अब तक की बढ़त में कितने करोड़ों के शेयर रिटलेरों ने खरीदे, यह जानना सेबी के लिए कोई कठिन काम नहीं है।
इन निवेशकों से पूछो तो पता चलेगा कि उनके पास काफी कम संख्या में शेयर हैं जिसे वे या तो बेचना नहीं चाहते या कहते हैं कि पड़े भी रहेंगे तो अफसोस नहीं है। लेकिन अब सवाल यह उठता है कि आखिर ये रिटेल निवेशक हैं कौन। दलाल स्ट्रीट में चल रही चर्चा को सुने तो यह अटकल भी हो सकती है और सच्चाई भी। जो जांच का विषय है...इन छोटे और कम ज्ञानी निवेशकों से यह पूछो कि रिटेल निवेशक बेच रहे हैं तो कहेंगे अपने देश के नेता और जिन ब्यूरोक्रेट का दो नबंर का पैसा लगा है वे शेयर बेच रहे हैं। साब हमारे पास शेयर हैं कहां जो बेचें। सरकार काले धन के पीछे पड़ रही है, विरोधी दल भी इस मुद्दे पर कमर कस रहे हैं। मीडिया में काले धन वालों के नाम आने लगे हैं। ऐसे में जिन लोगों ने काला धन शेयर बाजार में लगा रखा है कि वे कुछ होने से पहले अपना माल निकाल लेना चाहते हैं।
सरकार पहले भी कई बार यह आशंका जता चुकी है कि आतंककारियों का भी पैसा शेयर बाजार में आया है लेकिन इसके कोई पुख्ता सबूत नहीं मिले और न ही कार्रवाई हुई। सेबी को हर रोज के बिकवाली डॉटा में यह देखना चाहिए कि विदेशी संस्थागत निवेशकों, घरेलू संस्थागत निवेशकों और म्युचुअल फंडों के अलावा रिटेल के नाम पर जो बिकवाली हो रही है, वे वाकई कौन हैं। उनके धन का स्त्रोत क्या है। रिटेल इनवेस्टरों के नाम पर लाभ उठाने वाला असली खिलाड़ी कोई और तो नहीं है। ऐसे कई किस्से बाजार में चलते हैं कि आप अपना डिमैट खाता, चैक बुक दूसरों को यूज करने दीजिए, यूज करने वाला ही सारे चार्ज अदा करेगा। आप पर्दे के आगे और पर्दे के पीछे दूसरा खिलाड़ी। कई लोगों का स्थाई पता ठिकाना नहीं होता, मुंबई जैसे महानगर में झोपड़े में रह रहे हैं लेकिन उनके खाते यूज कर प्लेयर सारा गेम प्ले कर रहे हैं और झोपड़ावासी बगैर मेहनत के तथाकथित रिटेलर हैं।
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