इक्विटी बाजार में बड़ी तबाही की दस्तक !
वाह मनी ब्लॉग का आज पहला जन्मदिन है। इस ब्लॉग के नियमित पाठक और मित्र अरबिंद सोलंकी ने वाह मनी की पहली वर्षगांठ पर विशेष रुप से यह लेख भेजा है जिसमें उन्होंने शेयर बाजार के खिलाडि़यों को चेताया है कि मौजूदा हालात इक्विटी बाजार में बड़ी तबाही की दस्तक है। कबीरा खड़ा बाजार में लिए लुकाटी हाथ, जो घर फूंके आपना चले हमारे साथ। कबीर को भी पता नहीं क्या हो जाता था, जब चाहे बाजार में खड़े हो जाते थे। किसी की खैर मांगेंगे तो बाजार में खड़े होकर और किसी को घर फूंक अपने साथ चलने को कहेंगे तो बाजार में खड़े होकर। कबीर का बाजार में खड़े होने का प्रेम समझ से परे है। अपने फक्कड़पन या विचारधारा के कारण कबीर, कम्युनिस्ट किस्म के लोगों में काफी लोकप्रिय हैं लेकिन जिस तरह से वे जब तब बाजार में खड़े हो जाते हैं या थे वे मुझे खांटी कैपिटिल्सिट लगते हैं। खैर! कबीर बाजार में खड़े हों या किसी मैदान में हमें ?
दरअसल इस लेख का कबीर से या उनके बाजार में खड़े होने से कोई संबंध नहीं है। यह लेख तो शेयर बाजार में खड़े लोगों के लिए है जो मक्खी की तरह पूरा गुड़ चट करने की कोशिश में हैं। उन्हें लग रहा है कि अनंतकाल तक गुड़ आता जाएगा, वे चट करते जाएंगे और उसमें चिपकेंगे नहीं। मै क्या, शायद कबीर भी बाजार में खड़े होकर ऐसे लोगों की खैर नहीं मांगते।
पिछले कुछ दिनों में हमने दुनिया भर के शेयर बाजारों में जोरदार गिरावट देखी है लेकिन लोग इन झटकों से सहमें नहीं हैं। सबको सब कुछ हरा हरा दिख रहा है, लो्ग अब भी रोज चांदी काटने की उम्मीद कर रहे हैं। वित्त मंत्री से लेकर बाजार के अधिकतर जानकार अर्थव्यवस्था के साथ साथ शेयर बाजार में गरमी के हामी हैं और लगातार हर गिरावट पर खरीद की सलाह दे रहे हैं। लेकिन यहां सवाल उठता है कि क्या गिरावट वास्तव में खरीद का सुनहरा अवसर है या यह भारी तबाही से पहले लगने वाला ?
मार्क फैबर की मानें तो यह तो भारी गिरावट की शुरुआत है। डिकपलिंग की थ्यौरी को नकारते हुए वे अमरीकी बाजार की हलचल का असर भारत और चीन के उभरते बाजारों पर पड़ने की बात करते हैं और अमरीकी बाजार के संबंध में फैबर का कहना है कि शेयर बाजार ओवर सोल्ड है इसलिए राहत देने के लिए एक रैली आ सकती है लेकिन यह रैली खरीद के लिए नहीं बल्कि अपनी पोजीशन काटने का अच्छा अवसर होगा।
फैबर अमरीका में 1973/74 की मंदी की बात करते हुए कहते हैं कि उस समय सभी ब्रोकर गिरावट के बावजूद तेजी में बने रहे लेकिन जब 1974 के अंत में मंदी ने पूरी तरह बाजार को ढक लिया तो कई ब्रोकरेज फर्म बाजार से बाहर हो गई और न्यूयार्क में कई ब्रोकरों को जीवनयापन के लिए टैक्सी ड्राइवर बनना पड़ा। उनका मानना है कि एक बार फिर वही समय आ रहा है।
मार्क फैबर का मानना है कि अधिकत लोग हाल की गिरावट के समय पूरी तरह निवेशित थे इसलिए वे पैसा गंवा चुके थे। अब बाजार को उबारने के लिए उनके पास पैसा नहीं हे। उनका कहना है कि हाल की गिरावट मार्केट इवेंट नहीं बल्कि एक इकॉनामिक इवेंट है। इस बारे में वे एक अन्य दिग्गज जॉर्ज सोरॉस से सहमत है। जिनका मानना है कि अमरीका में हालिया संकट मात्र हाउसिंग बूम के बाद आई गिरावट नहीं है बल्कि यह 60 साल से जारी क्रेडिट एक्सपेंशन (विस्तार) का अंत है जो कि डॉलर को रिजर्व करेंसी मानकर किया गया था।
फैबर के मुताबिक अमरीका की स्थिति काफी गंभीर है। पिछले कुछ दशकों की बात करें तो अमरीकी अर्थव्यवस्था ने 1974, 1981/82, 1987, 1990, 1998 और 2001 में मंदी के दौर देखे हैं। लेकिन कभी भी डिस्पोजेबल इनकम के प्रतिशत के रुप में हाउस होल्ड रियल इस्टेट असेट और हाउसहोल्ड इक्विटी असेट के मूल्य में एक साथ कमी नहीं आई थी इसलिए बाजार को कुशन मिलता रहा। लेकिन आज कहानी अलग है शेयर और हाउसिंग, दोनों क्षेत्रों के टूटने से घरेलू संपत्ति पर दबाव पड़ा है। इस तरह की मंदी पहले नहीं देखी गई और इस स्तर पर तो कभी नहीं।
टिप्पणियाँ
बार बार
लगातार
बिना लगाये
तार
हो मुबारक
बारम्बार
वाह मनी
बने
वाह वाह मनी
कमल की
पखुडियां
सदा सर्वदा
रहें खिलीं.
बोल हल्ला
shubhkamyein.
pankaj,cwa.
अगर आपके आंकलन को सही माने कि तो इन techno शेऐरों जैसे infosys , wipro का क्या किया जाये , रखें कि बेचें ।
एक साल तक लगातार बिना रुके बिना थके बिना पीछे देखे आगे बढते जाने की फितरत को सलाम करते हुए देखता हूं कि आपके यहां के लखों में दिलचस्पी बढती जा रही है ऐसे में मैं मेरा ब्लॉग लिखते हुए आपका ब्लॉग पढते हुए और भडास के भडासियों का संयम देखते हुए आपके ब्लॉग से ढेर सारा ज्ञान हासिल करते हुए आपको एक बार फिर बधाई देता हं और ब्राह्मण होते हुए ई-मिठाई की मांग करते हुए और ज्ञान मांगता हूं