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शेयर बाजार फिर दौड़ेगा

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सेबी ने पार्टिसिपेटरी नोट पर अपने दिशा निर्देशों का मसौदा सामने रखा और भारतीय शेयर बाजार आज औंधे मुंह गिरा। वित्‍त मंत्री पी चिदम्‍बरम ने भी शेयर बाजार में आई तगड़ी गिरावट के बाद ज्‍योंहि बयान दिया, शेयर बाजार सुधार की ओर मुड़ा। शेयर बाजार में आई भयानक गिरावट पर वित्त मंत्री का कहना है कि वे पार्टिसिपेटरी नोट को प्रतिबंधित करने के पक्ष में नहीं है और दिन चढने के साथ शेयर बाजार में फैली यह घबराहट दूर हो जाएगी। इस समय बीएसई सेंसेक्‍स तकरीबन 750 अंक नीचे है, हालांकि निवेशकों को बहुत सावधान रहने की जरुरत है। फिर भी हम निवेशकों से कहना चाहेंगे कि वे बुनियादी तौर पर मजबूत कंपनियों के शेयर कतई नहीं बेचें बल्कि कम भावों पर ऐसी कंपनियों के शेयर खरीदें जरुर। यदि आज आपने गौर किया है तो कई बेहतर कंपनियों के शेयर काफी घट गए थे लेकिन अब वापस वे कल के स्‍तर के आसपास दिख रही हैं यानी समझदारों ने इनमें खरीद का मौका देखा। पी नोट का यह है झंझट पुराना सेबी और रिजर्व बैंक ने इस बात पर जोर दिया है कि पी नोट्स के अंधाधुंध इस्‍तेमाल को रोकने की आवश्‍यकता है। हालांकि, पार्टिसिपेटरी नोट को रोकने के लिए यह पहली

शेयर बाजार का मार्च पॉस्‍ट

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भारतीय शेयर बाजार में सोमवार को खासा उछाल देखने को मिल सकता है। लेकिन परमाणु करार से कदम पीछे खींचने से बिजली कंपनियों के शेयरों को झटका लगने की आशंका है। कांग्रेस के परमाणु करार से अधिक सरकार को बचाए रखने की प्राथमिकता यह संकेत देती है कि कांग्रेस जो अब तक अपने आप को चुनाव के लिए तैयार बता रही थी, पहले गुजरात में लड़े जाने वाले मिनी चुनाव युद्ध का जायका लेना चाहती है। यदि गुजरात चुनाव में सही सफलता हाथ लगी तो ही केंद्र सरकार फरवरी-मार्च में लोकसभा चुनाव के बारे में सोच सकती है। इस तरह की सोच से पहले अगले आम बजट के संकेत भी साफतौर पर दिए जाएंगे कि बजट कैसा बनाने का मूड है और इस संबंध में देश के वित्‍त मंत्री पी चिदम्‍बरम ने कुछ बातें कही हैं। पेट्रोल डीजल की कीमतें मार्च से पहले न बढ़ाने की घोषणा और खाद्यान्‍नों के न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍यों को बढ़ाकर किसानों वोट बैंक की आ‍कर्षित करना, खाद्यान्‍नों की कीमतों पर नियंत्रण की बात कर आम आदमी को लुभाना भी इसी संदर्भ में देखा जाना चाहिए। परमाणु करार के बजाय सरकार बचाने को वरीयता देने के बाद यह तो साफ है कि शेयर बाजार में उछाल आएगा लेकिन हम आम

गोलमाल है भाई सब गोलमाल है....

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भारतीय शेयर बाजार पूरी तरह कंप्‍यूटरीकृत होने और सेबी की कड़ी नजर से शेयर बाजार में गोलमाल न होने की छवि रखने वाले आम निवेशक यह जान लें कि हरिदास मूंदडा, हर्षद मेहता और केतन पारेख से भले ही अब यह बाजार बचा हुआ हो लेकिन यहां अभी भी काफी कुछ गोलमाल है और यह गोलमाल हमेशा बना रहेगा। हम आपको बताते हैं कि शेयर बाजार में कैसे सांकेतिक भाषा में गोलमाल चलता है ताकि फोन रिकार्डिंग होने के बावजूद कोई पकड़ा नहीं जा सके। माहौल है--देश के एक विख्‍यात संस्‍थागत शेयर ब्रोकिंग हाउस के इक्विटी डिलिंग रुम का। जहां इसके एक सेल्‍स टीम सदस्‍य श्रीमान एक्‍स बैठे हैं जिन्‍हें एक विदेशी ग्राहक ने एनटीपीसी के दस लाख शेयर अमुक भाव पर खरीदने का ऑर्डर दिया है। इसके बाद श्रीमान एक्‍स के पास एक फोन आता है और इस फोन की आस पहले से ही श्रीमान एक्‍स को थी। बस अब बॉम्‍बे स्‍टॉक एक्‍सचेंज के खुलने में केवल दस मिनट बचे हैं। फोन पर श्रीमान एक्‍स से ग्राहक बाजार की सामान्‍य बातचीत करता है और पूछता है कि आज लंदन शेयर बाजार कैसा रहेगा। श्रीमान एक्‍स का जवाब है मेरे ख्‍याल से अच्‍छा रहेगा। सर, मैं इस समय व्‍यस्‍त हूं और आपसे इस

शेयर बाजार दौड़ा, छोटे निवेशक मुस्‍काते रहे, हाथ न आया धैला

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यूपीए और वामपंथियों की बैठक का नतीजा जीरो आने की भनक लगते ही शेयर बाजार के खिलाड़ी पूरी तरह रंग में आ गए जो पिछले शुक्रवार से भयभीत थे जिसकी वजह से कल सोमवार को बाजार का रंग फीका पड़ गया था। आज सुबह भी निवेशक इसी भय में खरीद टाल रहे थे कि कहीं वामपंथी उन्‍हें साफ न कर दें, लेकिन बैठक का नतीजा जीरो आने की भनक के साथ ही शेयर बाजार दौड़ने लगा और नीचे से 1040 अंक सुधरकर 18327 अंक तक जा पहुंचा। हालांकि, कुल बढ़त 789 अंक की रही और बीएसई सेंसेक्‍स बंद हुआ 18280 अंक पर। एक दिन में हजार अंक की निचले स्‍तर से बढ़त ऐतिहासिक बढ़त हो गई है। सेंसेक्‍स का अगला मुकाम 18 हजार ...देखें। हाथ नहीं आया धैला सेंसेक्‍स की उछाल से निवेशकों के चेहरों पर मुस्‍कान फैली हुई थी और ऐसी अनुभूति हो रही थी, मानो बड़ा गढ़ जीत लिया हो लेकिन आज भी यही सवाल सामने खड़ा है कि आम निवेशक की जेब में कितना मुनाफा आया क्‍योंकि जब शेयर बाजार ऊपर की दौड़ रहा था तब भी मिड कैप और स्‍मॉल कैप काउंटरों की हालत अच्‍छी नहीं थी। असली फायदा तो कुछ ही स्‍टॉक्‍स को हुआ। जैसे रिलायंस एनर्जी बढ़त 11.78%, रिलायंस कम्‍युनिकेशन 11.39%, रिलायंस

कार फाइनेंस पर भी करें रिसर्च

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कार खरीदने से पहले जितनी रिसर्च कार पर की जाती है, उतनी ही जांच-पड़ताल लोन को लेकर भी होनी चाहिए। ज्यादतर लोग लोन को उतनी गंभीरता से नहीं लेते, लेकिन अगर इसे गंभीरता से लिया जाए, तो डील सस्ती साबित हो सकती है। कार खरीदने से पहले तमाम लोग डीलरों और अपने दोस्तों-परिचितों से जरूरी जानकारी मालूम करते हैं और खुद ड्राइव कर हर तरह से निश्चिंत हो जाना चाहते हैं। इसके लिए ज्यादातर लोग रिसर्च करते हैं, प्राइस, फीचर्स, कलर्स, स्पेसिफिकेशन, सेफ्टी, क्वॉलिटी रेटिंग आदि से जुड़ी तमाम बातें मालूम करते हैं। लेकिन कम ही लोग ऐसे हैं, जो ऑटो फाइनैंस से जुड़ी इतनी तहकीकात करते हैं। अगर आप भी इन्हीं लोगों में से हैं, तो बेहतर डील के लिए आपको यह आदत बदलनी चाहिए। ज्यादातर मामलों में खरीदार लोन के लिए डीलर पर ही निर्भर होते हैं। खरीदारों की ओर से डीलर ही उनकी जरूरत और बजट के मुताबिक लोन ऑप्शन बता देते हैं और अमूमन खरीदार उसी आधार पर डील फाइनल कर लेते हैं। लेकिन डीलर के बताने से पहले आपको भी थोड़ी रिसर्च कर लेनी चाहिए। आपको उपलब्ध ऑप्शंस के बारे में जान लेना चाहिए और अपने लिए सही डील का अंदाज खुद लगाना चाहिए।

आया शेयर बाजार नीचे, खरीद के लिए रहो तैयार

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भारतीय शेयर बाजार में आज वही हुआ जिसकी पहले से ही आशंका थी। बीएसई सेंसेक्‍स आज 282 अंक गिरकर 17491 पर बंद हुआ, हालांकि यह नीचे में 17322 तक चला गया था, जहां अधिकतर निवेशकों की धड़कनें बढ़ गई थी। शेयर बाजार में आई गिरावट के लिए कांग्रेस और वामपंथियों के बीच चल रही शब्‍द लड़ाई को माना जा रहा है। यदि देश मध्‍यावधि चुनाव की ओर मुड़ता है तो साफ है शेयर बाजार को तगड़ी नजर लगेगी। विश्‍लेषकों की बातों पर भरोसा किया जाए तो आज की गिरावट जारी रहेगी। यह अलग बात है कि सेंसेक्‍स को हल्‍के झटके लगे या तगड़े। फिर भी बीएसई सेंसेक्‍स के दो हजार अंक तक घटने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। वाह मनी के पाठक जानते हैं कि हमने दो काफी दिन पहले ही दो स्‍टोरी इस बात पर दी थी कि शेयर बाजार में गिरावट आएगी और आज आठ अक्‍टूबर है और भविष्‍यवाणी सच हुई। हम एक बात और साफ कर देना चाहते हैं कि शेयर बाजार में भले ही भयंकर गिरावट न आए लेकिन मिड कैप और स्‍मॉल कैप में आई ताकत को केवल चार दिन में साफ किया जा सकता है। मध्‍यावधि चुनाव अब कमान बसु के हाथ कांग्रेस और वामपंथियों के बीच चल रहे शब्‍द युद्ध की कमान अब बूढ़े म

शेयर बाजार को गिराने का इंतजाम कर रहे हैं वामपंथी

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भारत-अमरीका परमाणु करार पर यूपीए के साथ अपनी बैठक से चंद घंटे पहले ही वाम दलों ने एक बार फिर साफ किया कि यदि सरकार करार को लागू करने की दिशा में आगे बढ़ी तो उससे समर्थन वापस ले लिया जाएगा। बस यही बयान आज भारतीय शेयर बाजार के लिए कारोबार के आखिर समय में घातक हुआ और सेंसेक्‍स गिरकर बंद हुआ। इस बयान से यह तय है कि आने वाले दिन शेयर बाजार के कठिन हो सकते हैं और सेंसेक्‍स नरम पड़ सकता है। इससे पहले भी परमाणु करार पर बवाल मचाकर वामपंथी शेयर बाजार को तगड़ा झटका दे चुके हैं। निवेशकों को हमारी राय है कि यदि वे लांग टर्म निवेशक हैं तो घबराएं नहीं और यदि शार्ट टर्म निवेशक या इंट्रा डे ट्रेडिंग करते हैं तो पूरी तरह सचेत रहें एवं अपने पोर्टफोलियो को हल्‍का करते रहे। एक बड़ी गिरावट के बाद वापस उम्‍दा कंपनियों के शेयर खरीद लें। वाह मनी का मानना है कि वर्ष 2008 की दिवाली के आसपास बीएसई सेंसेक्‍स 25 हजार अंक दिखाई दे तो अचरज नहीं होना चाहिए। सीताराम येचुरी का कहना है कि सवाल यह है कि क्या भारत परमाणु करार को लागू करने की दिशा में आगे बढ़ता है। तब हमें देखना पड़ेगा। यदि सरकार आगे कदम बढ़ाती है तो हम पह