सेंसेक्स का और टूटना बाकी
दुनिया की सबसे बड़ी 14 खबर डॉलर की अर्थव्यवस्था ने घुटने टेक दिए हैं...यह बात है अमरीकी अर्थव्यवस्था की जो समूची दुनिया में अपने डॉलर का डंका बजवा रही थी लेकिन इसे अब एक बार फिर 1929-30 की महामंदी जैसे हालात का सामना करना पड़ रहा है। 700 अरब डॉलर की अमरीकी वित्तीय बचाव योजना भी मंदी के इस तूफान में ऊंट के मुंह में जीरा साबित होती नजर आ रही है। दुनिया भर के आर्थिक ज्ञानी तो यह मानते हैं कि 1930 के ग्रेस डिप्रेशन के बाद यह सबसे बड़ा वित्तीय झटका है। लिक्विडिटी इन्फयूजन से लेकर अधिग्रहण तक, जो कुछ भी संभव है किया जा रहा है। इससे वित्तीय बाजारों में कुछ स्थिरता की उम्मीद की जा सकती है लेकिन पहले जैसी गर्मी लौट पाएगी, यह कठिन लग रहा है। आईएमएफ के फर्स्ट डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर जॉन लिप्स्की का कहना है कि वित्तीय क्षेत्र में घट रही घटनाओं से आने वाले कुछ महीनों तक अनिश्चितता का माहौल बना रहेगा। वित्त क्षेत्र में बड़े संकट की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। रिलायंस कैपिटल के अध्यक्ष अनिल अंबानी ने पिछले दिनों कंपनी की सालाना आम बैठक में शेयरधारकों से कहा था कि अंतरराष्ट्रीय अर्थव्