एबीसी बियरिंग्स में निवेश कर लूटो मजा
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बियरिंग उद्योग का विकास तकनीकी पर निर्भर करता है और इसके लिए भारी भरकम पूंजीगत खर्चा भी करना होता है। एबीसी के संबंध जापानी कंपनी एनएसके के साथ हैं, जो कि तकनीकी की दृष्टि से दुनिया में सबसे बड़ी बियरिंग निर्माता कंपनियों में से एक है। यह सहयोग एबीसी को अपनी विस्तार योजना में मददगार होगा। यह कंपनी अपने विस्तार के तहत वर्ष 2010 तक 80 करोड़ रूपए से अपनी बियरिंग क्षमता को 65 लाख से बढ़ाकर 120 लाख बियरिंग करने जा रही है। यह विस्तार कंपनी व्यावसायिक वाहन, औद्योगिक बियरिंग सेगमेंट में अपनी बाजार हिस्सेदारी को बरकरार रखने के लिए कर रही है। साथ ही इससे कंपनी को अपना निर्यात बढ़ाने में मदद मिलेगी। कंपनी ने अपनी लागत को काबू में करने के लिए पिछले तीन साल में अनेक कदम उठाए हैं और अपनी गैरउत्पादक इकाई लोनावाला को बंद कर इसे भरुच में शिफ्ट कर दिया है। साथ ही भारी ब्याज वाले कर्ज को चुकाकर अपने लाभ को बढ़ाने का कार्य किया है।
भारतीय बियरिंग उद्योग की बात करें तो यह 32 अरब रुपए का उद्योग है जिसमें लगभग 30 फीसदी हिस्सा आयातित बियरिंग का है। बियरिंग का उपयोग विभिन्न उद्योगों मसलन ऑटोमोबाइल्स, जनरल इंजीनियरिंग, रेलवे, इलेक्ट्रिल अप्लायंसेस, पम्पस, फैन्स और कृषि उपकरणों में काम आते हैं। हालांकि, ऑटोमोबाइल क्षेत्र से इस उद्योग को तकरीबन 45 फीसदी आय मिलती है। संगठित बियरिंग बाजार को असंगठित क्षेत्र से गलाकाट प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है जिसका कुल बियरिंग बाजार पर 50 फीसदी कब्जा है। बियरिंग कई प्रकार के होते हैं जिनमें बॉल बियरिंग, टेपर हैड बियरिंग, सिलेंडरिकल बियरिंग, स्पेहयर बियरिंग और निडल बियरिंग हैं। एसकेएफ- बियरिंग जहां बॉल बियरिंग में प्रमुख हैं वहीं एबीसी- बियरिंग टैपर हैड बियरिंग, फैग- सिलेंडरिकल बियरिंग और टिमकैन कंपनी इस उद्योग की अगुआ कंपनियों में हैं। ऑटोमेटिव बियरिंग में तगड़ी प्रतिस्पर्धा है और फैग एवं एसकेएफ का 55 फीसदी बाजार पर कब्जा है, जबकि एबीसी बियरिंग्स का संगठित बाजार में आठ प्रतिशत हिस्सा है। इस कंपनी के मुख्य ग्राहकों में टेल्को, महिंद्रा एंड महिंद्रा, अशोक लेलैंड, स्वराज मजदा, आयशर मोटर्स, टोयटो किर्लोस्कर मोटर्स आदि हैं।
हमारे अनुमान में कंपनी की शुद्ध बिक्री वर्ष 2007 में 182 करोड़ रुपए और शुद्ध लाभ 23 करोड़ रुपए रहना चाहिए, जबकि वर्ष 2008 में शुद्ध बिक्री 224 करोड़ रुपए और शुद्ध लाभ 26 करोड़ रुपए और वर्ष 2009 में शुद्ध बिक्री 257 करोड़ रुपए और शुद्ध मुनाफा 31 करोड़ रुपए रहने की आस है। वर्ष 2007 में प्रति शेयर आय यानी ईपीएस 19.6 रुपए, वर्ष 2008 में 22.3 रुपए और वर्ष 2009 में 26.8 रुपए रहने की उम्मीद है।
कंपनी के प्रमोटर के पास 31.3 फीसदी, भारतीय जनता के पास 32.2 फीसदी, एफआईआई के पास 27 फीसदी और बैंक, म्युच्युअल फंडों के पास 9.5 फीसदी शेयर हैं। इस कंपनी का शेयर इस समय 147 रुपए के आसपास मिल रहा है और निकट भविष्य में यह आपको 200 रुपए के पार दिखाई दे तो अचरज नहीं होना चाहिए। पिछले 52 सप्ताह में इसका अधिकतम भाव 190 रुपए और निम्नतम भाव 90 रुपए था।
टिप्पणियाँ
जमीन पर पडे हैं और उनके उठने की आगे संभावना हो.