नेशनल स्टॉक एक्सचेंज की एफएंडओ लिस्ट में 14 और कंपनियां जुड़ गई हैं। यानी अब इन कंपनियों में कोई सर्किट सीमा नहीं होगी और वायदा खेला जा सकेगा। कंपनियों के नाम इस तरह हैं :
3 आई इंफोटेक एप्टेक भूषण स्टील बायोकॉन सीएमसी हवील्स इंडिया लक्ष्मी मशींस निट टेक्नालॉजिस न्युक्लियस सॉफ्टवेयर सासकेन कम्युनिकेशन टेक महिंद्रा तुलीप आईटी सर्विसेज वेल्सपन गुजरात यस बैंक
वाह मनी ब्लॉग का आज पहला जन्मदिन है। इस ब्लॉग के नियमित पाठक और मित्र अरबिंद सोलंकी ने वाह मनी की पहली वर्षगांठ पर विशेष रुप से यह लेख भेजा है जिसमें उन्होंने शेयर बाजार के खिलाडि़यों को चेताया है कि मौजूदा हालात इक्विटी बाजार में बड़ी तबाही की दस्तक है। कबीरा खड़ा बाजार में लिए लुकाटी हाथ, जो घर फूंके आपना चले हमारे साथ। कबीर को भी पता नहीं क्या हो जाता था, जब चाहे बाजार में खड़े हो जाते थे। किसी की खैर मांगेंगे तो बाजार में खड़े होकर और किसी को घर फूंक अपने साथ चलने को कहेंगे तो बाजार में खड़े होकर। कबीर का बाजार में खड़े होने का प्रेम समझ से परे है। अपने फक्कड़पन या विचारधारा के कारण कबीर, कम्युनिस्ट किस्म के लोगों में काफी लोकप्रिय हैं लेकिन जिस तरह से वे जब तब बाजार में खड़े हो जाते हैं या थे वे मुझे खांटी कैपिटिल्सिट लगते हैं। खैर! कबीर बाजार में खड़े हों या किसी मैदान में हमें ? दरअसल इस लेख का कबीर से या उनके बाजार में खड़े होने से कोई संबंध नहीं है। यह लेख तो शेयर बाजार में खड़े लोगों के लिए है जो मक्खी की तरह पूरा गुड़ चट करने की कोशिश में हैं। उन्हें लग रहा है ...
दुनिया भर के शेयर बाजारों में चल रही तगड़ी गिरावट से काफी निवेशक हताश हो चुके हैं। कल एक ही दिन में हैज फंडों की बिकवाली से निवेशकों के एक लाख 70 हजार करोड़ रूपए साफ हो गए। मैंने कई निवेशकों के उतरे हुए चेहरे, दुखी चेहरे और आंसूओं से भीगी पलकें देखी है। इस विषम स्थिति में हम फिर से कहना चाहेंगे कि धैर्य रखें और यदि आप डिलीवरी आधारित कारोबार करने वाले निवेशक हैं तो निराश न हो क्योंकि शेयर बाजार अगले छह महीने में बेहतर स्थिति में होगा। भारतीय अर्थव्यवस्था के न तो फंडामेंटल खराब हुए हैं और न ही उनमें कोई बड़ा बदलाव हुआ है। यह सही है कि अमरीका, जापान में जो हालात बिगड़े हैं उनका असर दुनिया भर में पड़ा है क्योंकि डॉलर के प्रभाव से कोई बच नहीं सकता। निवेशकों को हमारी सलाह है कि जहां भी हल्के सुधार के साथ उन्हें जिन कंपनियों के शेयरों में मुनाफा मिल रहा हो, उसे वसूल लें। जिन कंपनियों के निवेश में बड़ा घाटा हो रहा हो, उनमें प्राइस एवरेज करने के लिए नई खरीद अभी नहीं करे, बल्कि दो सप्ताह प्रतीक्षा करें। प्राइस एवरेज के लिए की जाने वाली नई खरीद में शेयरों की लेवाली बेहद छोटी छोटी मात्रा मे...
देश के सबसे बड़े शेयर बाजार बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में पिछले दिनों से जो गिरावट आ रही है उसके पीछे एक वास्तुशास्त्र का कारण भी हो सकता है या महज एक संयोग। लेकिन 12 जनवरी 2008 को बीएसई के बाहर सांड की एक कांस्य प्रतिमा लगाई गई है जिसे तेजी का प्रतीक माना जाता है लेकिन सब उल्टा हुआ। क्यों मालूम है यह सांड न्यूयार्क के बाउलिंग ग्रीन पार्क में लगे तीन टन वजन के सांड की नकल पर है। यानी अमरीकी नकल का सांड भारतीय शेयर बाजार के लिए अशुभ साबित हुआ है। बीएसई के दरवाजे पर लगे इस सांड को महाराष्ट्र के शहर सोलापुर के कारीगर भगवान रामपुरे न बनाया है और एक टन वजन का है। यह सांड पांच फीट ऊंचा और आठ फीट लंबा है। बीएसई के बाहर खड़े ढेरों निवेशकों का कहना है कि जब से यह सांड यहां आया है, शेयर बाजार का बंटाढार हो गया है। अमरीकी खुद तो मंदी में डूब रहे हैं, हम भारतीयों का भी नुकसान कर रहे हैं। इस सांड को जितना जल्दी हो यहां से हटा देना चाहिए। बीएसई के एक दरवाजे के बीचोंबीच खड़ा यह सांड सही नहीं है। लीजिए यह नई खबर जिसमें मंदी के लिए सांड को दोषी माना जा रहा है।
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