बिजली बनाएगी मालामाल
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ऊर्जा मंत्रालय ने एक कैबिनेट नोट जारी किया है। इसमें वित्तीय छूट की पात्रता रखने वाली पावर कंपनियों की प्रॉडक्शन कपैसिटी की सीमा कम की गई है। उम्मीद है कि इन तब्दीलियों को नई मेगा पावर पॉलिसी में शामिल किया जाएगा। फिलहाल इस पॉलिसी के रिव्यू का काम चल रहा है। प्रस्ताव के मुताबिक ऐसी पावर कंपनियों से कस्टम ड्यूटी नहीं ली जाएगी। साथ ही उन्हें 10 साल तक इनकम टैक्स नहीं देना होगा। अपनी स्थापना से 15 साल के बीच कंपनी किसी भी 10 साल के लिए इनकम टैक्स में छूट का फायदा ले सकती है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि हमें उम्मीद है कि मेगा पावर पॉलिसी में तब्दीली किए जाने से इलेक्ट्रिसिटी टैरिफ 12 से 15 पैसे तक की कमी आएगी। साथ ही छोटे पावर प्रोजेक्ट के लिए टैरिफ के लिहाज से की जाने वाली बिडिंग के लिए भी इस तब्दीली के बाद अच्छे ऑफर्स आएंगे।
जैसे ही इन परिवर्तनों की अधिसूचना जारी होगी, मेगा पावर प्रोजेक्ट्स द्वारा दूसरे राज्य को बिजली बेचने की कानूनी रूप से जरूरी अनिवार्यता खत्म हो जाएगी। यानी यदि किसी मेगा पावर प्रोजेक्ट को यह लगता है कि उसके द्वारा पैदा की जाने वाली पूरी बिजली का इस्तेमाल सिर्फ उसी राज्य में किया जा सकता है, जिसमें प्रोजेक्ट है, तो वह सिर्फ उसी राज्य के साथ पावर परचेज अग्रीमेंट कर सकता है। दूसरे राज्य को भी बिजली बेचना उसकी मजबूरी नहीं होगी। प्रस्ताव में यह भी कहा गया है कि बिजली खरीदने वाले राज्य को एक रेग्युलेटरी कमिशन बनाना होगा और ट्रांसमिशन व डिस्ट्रिब्यूशन लॉस को कम किए जाने के लिए अपनी प्रतिबद्धता दिखानी होगी।
यदि पावर पॉलिसी नए परिवर्तनों के साथ आती है तो लैंको, जयप्रकाश इंडस्ट्रीज, एस्सार पावर, बीपीएल पावर, टोरेंट पावर, एलएनजी भीलवाड़ा और जिंदल पावर जैसी कंपनियों के इस सेक्टर में नए सिरे से निवेश करने की उम्मीद है। यहां तक कि एईएस समेत कई विदेशी कंपनियां भी इस सेक्टर में निवेश कर सकती है।
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