शेयर बाजार में अगली गिरावट से पहले पुलबैक रैली संभव
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आर्थिक विकास की दर को नौ से आठ और फिर सात फीसदी बताने वाले अर्थशास्त्री अब स्वीकार कर रहे हैं कि यह 5.3 से 5 फीसदी ही रह सकती है। आम उपभोक्ता वस्तुओं की मांग घटने से ही महंगाई दर 3.36 फीसदी पहुंची हैं। जबकि हकीकत में जीवन की जरुरत वाली वस्तुओं के दाम वाकई उतने नहीं घटे हैं जितनी महंगाई दर का कम होना बताया जा रहा है। औद्योगिक उत्पादन के साथ अब कृषि क्षेत्र भी विकास दर में गिरावट दिखा रहा है। ऐसे में लोकसभा चुनाव जीतने के लिए मौजूदा यूपीए सरकार ने सरकारी तिजोरी पूरी तरह खोल दी है और देश का कीमती विदेशी मुद्रा भंडार साफ हो रहा है। केंद्र सरकार की देखादेखी जिन राज्यों में कांग्रेस की सरकारें नहीं है वे भी आम आदमी का वोट हासिल करने के लिए दानवीर बनती जा रही हैं।
सरकारी दानवीरता के अलावा विदेशी निवेशकों की बिकवाली से भी विदेशी मुद्रा भंडार तेजी से घट रहा है जिससे भावी खतरे को भांपते हुए स्टैंडर्ड एंड पुअर ने देश की रेटिंग को स्थिर से नकारात्मक कर दिया है। इस एजेंसी ने भारतीय बाजार और कार्पोरेट सैक्टर में निवेश न करने की सलाह दी है। विदेश में रह रहे भारतीय बेरोजगार होकर देश लौटने लगे हैं। इन नकारात्मक कारकों को देखते हुए यदि चालू तिमाही के बाद आर्थिक रिकवरी के संकेत नहीं मिलते हैं तो हमें और बुरे माहौल से गुजरने के लिए तैयार रहना होगा।
अमरीका और यूरोप में कार्पोरेट सैक्टर तगड़े परिवर्तन कर कंसोलिडेशन की तैयारी की जा रही है। निजी उद्योगों का राष्ट्रीयकरण किया जा रहा है। ऐसे में हमारे घरेलू कार्पोरेट सैक्टर को भी अपने आपको कसने की तैयारी करनी होगी। निवेशक अब वही कंपनियों को निवेश के लिए चुनें जिनकी भावी योजनाएं और भविष्य वास्तविकता पर आधारित हों। भारी भरकम सम्पदा और कारोबारी अवसर जिन कंपनियों के पास हों, उन्हें प्राथमिकता दे। साथ ही यह निवेश ऐसी कंपनियों के शेयरों का भाव वास्तविक होने पर करें क्योंकि बाजार कभी भी भागकर नहीं जाता।
सप्ताह का पहला दिन शेयर बाजार के लिए खास रहेगा क्योंकि रिलायंस इंडस्ट्रीज और रिलायंस पेट्रोलियम के निदेशक मंडलों की बैठक होगी जिसमें रिलायंस पेट्रोलियम के विलय का फैसला होगा। आने वाले दिनों में रिलायंस इंडस्ट्रीज और रिलायंस पेट्रोलियम के शेयरों में खासी हलचल देखने को मिल सकती है। निवेशकों को रिलायंस पेट्रोलियम के शेयरों से दूर रहना चाहिए क्योंकि इस विलय से जो भी फायदा होगा वह रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयरधारकों को होगा।
2 मार्च से शुरु हो रहे नए सप्ताह में बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) के सेंसेक्स का रेसीसटेंस 9095 अंक। सेंसेक्स के 8595 अंक टूटने पर 8345 आने के आसार। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) के निफ्टी का रेसीसटेंस 2826 अंक। निफ्टी के 2676 अंक से टूटने पर 2585 अंक जाने के आसार हैं।
सूरत कॉमर्शियल कार्पोरेशन के इक्विटी विश्लेषक गोपाल मोदी का कहना है कि 2 मार्च से शुरु हो रहे सप्ताह में 8925 के ऊपर तेजी का कारोबार करें जबकि 8746 के नीचे मंदी का कारोबार करने की सलाह। 8925 के ऊपर तेजी का कारोबार करते समय स्टॉप लॉस 8835 का रखें। इसके ऊपर में 9074-9125 तक जाने की संभावना। इससे ऊपर जाने पर 9215 तक पहुंचने के आसार। सेंसेक्स के 8746 अंक से टूटने पर 8602-8546 के बीच पहला सपोर्ट। 8546 का स्तर टूटने पर 8454-8401 अंक देखने को मिल सकते हैं। ऐसे में 8746 का स्तर टूटने पर तेजी का कारोबार करना जोखिमी हो सकता है।
मोदी का कहना है कि 9070 तक पहुंचने से पहले यदि सेंसेक्स 8870 के नीचे बंद होता है या बंद होने के आसार दिखाता है तो यह 8746 तक करेक्शन कर सकता है। इस स्तर के टूटने की स्थिति में भारी गिरावट की आशंका है। इस तरह जोन और स्तर का अध्ययन यह बताता है कि अगले सप्ताह शेयर बाजार दो तरफा घटबढ़ करेगा।
तकनीकी विश्लेषक हितेंद्र वासुदेव का कहना है कि शेयर बाजार में और गिरावट से पहले पुलबैक दिखाई देगा। वे कहते हैं कि बीएसई सेंसेक्स को 8631-8619 पर काफी कठिन सपोर्ट मिलने के आसार हैं। यदि सेंसेक्स इस स्तर से नीचे आता है तो यह बुरी तरह टूट सकता है। जब तक सेंसेक्स 8631 के ऊपर है, इसमें 9725-8600 के बीच उतार चढाव दिखता रहेगा। साप्ताहिक रेंसीसटेंस 9053 और 9433 पर देखने को मिल सकता है। सेंसेक्स गिरकर 8600 के नीचे आता है तो यह कम से कम 8295 तक आएगा।
इस सप्ताह निवेशक ग्लेक्सोस्मिथक्लाइन कंज्यूमर, एनटीपीसी, हिंदुस्तान डोर ओलिवर, गोदरेज कंज्यूमर प्रॉडक्टस, बैंक ऑफ बड़ौदा, गुजरात स्टेट पेट्रो, जी न्यूज, रिलायंस नैचुरल रिसोसर्स, भारत अर्थ मूवर्स और हिंदुस्तान यूनिलीवर पर ध्यान दे सकते हैं।
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