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रेटिंग कंपनियों ने लगवाया चूना !

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शेयर बाजार की ताजा तगड़ी गिरावट के कारण कुछ भी रहे हो लेकिन एक सवाल सभी के सामने है कि पब्लिक इश्‍यू यानी आईपीओ को रेटिंग देने वाली रेटिंग कंपनियों की भूमिका पर कड़ी नजर रखी जाना जरुरी है। जब से रेटिंग कंपनियों को आईपीओ की रेटिंग करने को कहा गया है वे ज्‍यादातर कंपनियों को बढि़या रेटिंग दे रही हैं लेकिन लिस्टिंग और चलते इश्‍यू के समय इनके फेल हो जाने से रेटिंग कंपनियों की भूमिका भी शंका के घेरे में आ गई हैं। हालांकि, रेटिंग कंपनियां उनकी रेटिंग की गई कंपनियों के शेयरों के दाम प्राइस बैंड से नीचे जाने के अनेक कारण गिनवा देंगी और अपनी खाल बचाने में कामयाब हो जाएंगी। लेकिन इनसे यह तो पूछा जाना चाहिए कि जब आपने रिलायंस पावर को बढि़या रेटिंग दी तो क्‍या आपने ऐसी दूसरी पावर कंपनियों को ध्‍यान में रखा था जो देश या विदेश में शानदार कार्य कर रही हैं। एनटीपीसी देश की सबसे बढि़या बिजली उत्‍पादक कंपनी है। इसके शेयर का दाम आज तक तीन सौ रुपए को पार नहीं कर सका, लेकिन केवल कागजों पर मौजूद रिलायंस पावर का प्राइस बैंड 450 रुपए को इन रेटिंग कंपनियों ने उचित बताया। र...

दो हाई प्रोफाइल मौत !

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भारतीय शेयर बाजार में डेढ़ साल बाद दो हाई प्रोफाइल कंपनियों के आईपीओ की मौत हुई है। शेयर बाजार में चल रही ताजा गिरावट ने पहले वोकहार्ट हॉस्पिटल और अब रीयल इस्‍टेट की दिग्‍गज कंपनी एमार एमजीएफ को पब्लिक इश्‍यू यानी आईपीओ वापस लेने पर मजबूर कर दिया। इन कंपनियों को अपने शेयर खरीदने वाले ही नहीं मिले। यहां सवाल यह उठता है कि आखिर ऐसा क्‍यों हुआ, शेयर बाजार में मंदी ही इनके आईपीओ की मौत के लिए जिम्‍मेदार है। शेयर बाजार में अभी पहली बार मंदी आई हो, ऐसी बात नहीं है। मंदी और तेजी का चक्र चलता रहता है। लेकिन जिस तरह इन कंपनियों ने अपने आईपीओ की प्राइस बैंड यानी निवेशकों को अपने शेयर बेचने की कीमत रखी वह सही नहीं थी, नतीजन निवेशकों ने इन्‍हें खारिज कर दिया। वोकहार्ट हॉस्पिटल के आईपीओ को केवल 20 फीसदी ही समर्थन मिला। रीयल इस्‍टेट दिग्गज कंपनी एमार एमजीएफ को भी यह समर्थन 38 फीसदी रहा। निवेशकों के इतने कमजोर समर्थन ने इन दोनों कंपनियों के लीड मैनेजरों को आईपीओ वापस लेने पर मजबूर कर दिया। फर्स्ट ग्लोबल के शंकर शर्मा का कहना है कि निवेशकों को डर है कि आईपीओ...