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दलाल स्‍ट्रीट: मंदडियों को कब्‍जा न करने देने का प्रयास

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भारतीय शेयर बाजार में अब मिड कैप और स्‍मॉल कैप शेयरों में तूफान देखने को मिल सकता है। वेबदुनिया में पिछले सप्‍ताह लिखे कॉलम में यह बात सच ठहरी। दलाल स्‍ट्रीट के तेजडियों की कोशिश 29 दिसंबर से शुरु हो रहे तीन दिवसीय सप्‍ताह में मंदडियों को हावी न होने देने की है। दलाल स्‍ट्रीट में आज मोहर्रम का अवकाश है जबकि 1 जनवरी को नए वर्ष की छुट्टी रहेगी। 31 दिसंबर गुरुवार को फ्यूचर एंड ऑप्‍शन की दिसंबर सीरिज का निपटान होगा जिससे तीन दिन के इस कारोबारी सप्‍ताह में अनपेक्षित उथल पुथल देखने को मिल सकती है। ऐसे में निवेशकों को सलाह है कि साल की विदाई आंशिक मुनाफावसूली से जरुर करें। चालू वर्ष में निफ्टी 2600 से 5200 और सेंसेक्‍स 8000 से 17000 पहुंच गया। शेयर बाजार की इस जोरदार चाल की उम्‍मीद ढेरों विश्‍लेषकों को नहीं थी। भारतीय कार्पोरेट जगत ने तीसरी तिमाही में 44 फीसदी अधिक यानी 48300 करोड़ रुपए अग्रिम कर के रुप में अदा किए हैं जिससे पता चलता है कि कार्पोरेट जगत तीसरी तिमाही के नतीजे बेहतर घोषित करेगा। वित्त मंत्री ने आठ फीसदी के करीब विकास दर के रहने और आने वाले वर्षों में इसमें बढ़ोतरी के साथ आम बज

मिड कैप, स्‍मॉल कैप शेयरों में तूफान संभव !

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भारतीय शेयर बाजार में अब मिड कैप और स्‍मॉल कैप शेयरों में तूफान देखने को मिल सकता है। 21 दिसंबर से शुरु हो रहा नया सप्‍ताह केवल चार दिन का है क्‍योंकि 25 दिसंबर शुक्रवार को क्रिसमस का अवकाश है। इसके बाद 28 दिसंबर सोमवार को मोहर्रम की छुट्टी है। फिर एक जनवरी को नए वर्ष का अवकाश है। छुट्टियों से भरे इन तीन सप्‍ताह के दौरान घरेलू शेयर बाजार से विदेशी संस्‍थागत निवेशक भी गायब रहेंगे, ऐसे में घरेलू खिलाडि़यों को मिड कैप और स्‍मॉल कैप शेयरों में अपनी मनमर्जी करने की छूट मिल जाएगी। दिसंबर अंत में ऐसा अधिकतर होता आया है और आम निवेशक इस उछाल के खेल में अपने शेयर बेच जरुर दें लेकिन नई खरीद से पूरी तरह बचें। वर्ष 2009 अनेक समझदार विश्‍लेषकों की समझ से परे तेजी के बीच विदाई ले रहा है। ये विश्‍लेषक मार्च महीने में भारतीय शेयर बाजार के पूरी तरह तलहटी में बैठ जाने की भविष्‍यवाणी कर रहे थे लेकिन बाजार ही सबसे ऊपर होता है और उसने करवट लेते हुए सभी के अनुमान एवं आशंकाएं झुठला दी। हालांकि, अभी तक बीएसई सेंसेक्‍स 18 हजार के स्‍तर को छू नहीं पाया है जिसकी प्रबल संभावना थी। लेकिन मार्च महीने के बाद जिन नि

एडवांस टैक्‍स के आंकड़ों पर दलाल स्‍ट्रीट की नजर

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भारतीय शेयर बाजार इस समय एक दायरे में घूम रहा है। औद्योगिक उत्‍पादन अक्‍टूबर महीने में 10।3 फीसदी रहा लेकिन यह उम्‍मीद से कम आया जिससे बाजार का मूड पिछले सप्‍ताह के अंत में बिगड़ गया। औद्योगिक उत्‍पादन की दर 12.5 से 14.5 फीसदी आंकी जा रही थी लेकिन ऐसा न हुआ। दलाल स्‍ट्रीट की नजर अब कार्पोरेट घरानों द्धारा एडवांस टैक्‍स अदा करने पर लगी है। यदि ये आंकड़े काफी अच्‍छे आते हैं तो बाजार में बढि़या बढ़त देखने को मिल सकती है अन्‍यथा निराशा बाजार को और नीरस कर सकती है। औद्योगिक उत्‍पादन में समूची दुनिया की नजर भारत और चीन पर लगी है लेकिन अक्‍टूबर महीने में हमारी औद्योगिक उत्‍पादन की दर उम्‍मीद के अनुरुप न आने से‍ बाजार को निराशा हुई है। अक्‍टूबर का महीना इस बार त्‍यौहारों का भरपूर महीना था और ऐसे में औद्योगिक उत्‍पादन के आंकड़ों में उछाल न आना आने वाले दिनों के लिए अच्‍छा संकेत नहीं है। भारतीय कार्पोरेट जगत, सरकारी बैंकों और कंपनियों ने पिछली बार अग्रिम कर यानी एडवांस टैक्‍स से सरकार की तिजोरी भर दी थी लेकिन अब 15 दिसंबर को समाप्‍त हो रहे तीसरे सप्‍ताह के आखिरी दिन यह पता चलेगा कि अग्रिम कर के

शेयर बाजार पहुंचा मजबूत स्थिति में

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भारतीय शेयर बाजार का सेंसेक्‍स अब 18 हजार अंक की ओर बढ़ने की तैयारी कर रहा है। पिछले सप्‍ताह वेबदुनिया के इस कॉलम में इस तैयारी का उल्‍लेख किया गया था, जिसके जल्‍दी ही फलीभूत होने की उम्‍मीद की जा सकती है। शेयर बाजार में मजबूती का यह ट्रेंड आम बजट तक बना रह सकता है। हालांकि, बीच बीच में कुछ करेक्‍शन आ सकता है लेकिन बाजार के पूरी तरह साफ होने का अंदेशा नहीं है। निवेशक सैक्‍टर के बजाय स्‍टॉक विशेष पर अधिक ध्‍यान दें जो उन्‍हें बेहतर कमाई दे सकता है। यथा सौर ऊर्जा आयोजन पर सरकारी घोषणा होने की उम्‍मीद से वेबेल एसएल एनर्जी में करंट की उम्‍मीद थी और इस कॉलम में पिछले सप्‍ताह निवेशकों को इस शेयर पर ध्‍यान देने की सलाह दी गई थी जो सच ठहरी एवं इस कंपनी के शेयरों ने नई ऊंचाई को छूआ। इसी तरह स्‍टॉक विशेष पर दिया गया ध्‍यान आपको समृद्ध बना सकता है लेकिन हरेक दांव सचेत रहकर खेलें एवं आंशिक मुनाफावसूली का मंत्र अपनाएं रखें। इस सप्‍ताह फ्यूचर एंड ऑप्‍शन के तहत नवंबर सीरिज का निपटान होगा। इस वजह से शेयर बाजार में काफी उतार चढ़ाव देखने को मिल सकता है। दो तरफा उतार चढ़ाव पोजीशन रोलओवर करने के लिए आम न

दलाल स्‍ट्रीट: सेंसेक्‍स की तैयारी 18 हजार की ओर जाने की !

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भारतीय शेयर बाजार के निवेशकों ने यदि पिछली मंदी के सबक से वाकई कुछ सीखा हो तो यह कहा जा सकता है ट्रेडिंग जोन में चल रहे बाजार में उन्‍होंने बीते चार महीनों में काफी कुछ कमाया होगा। यदि कुछ निवेशक यह मानते हैं कि उनके हाथ एक धैला भी नहीं लगा तो फिर उन्‍हें शेयर बाजार की एबीसीडी ठीक से सीखने की जरुरत है। बॉम्‍बे स्‍टॉक एक्‍सचेंज का सेंसेक्‍स 18 हजार अंक के ऊपर पहुंचने की तैयारी में है और जिन निवेशकों को अब तक निराशा हाथ लगी हो वे अपना गणित ठीक कर लें ताकि यह न हो कि वे अपना बैंक बेलैंस बढ़ाने में फिर नाकामयाब हो जाए। दलाल स्‍ट्रीट में मौजूदा तेजी के मद्देनजर एक बात साफ है कि यह पूरी तरह सटोरियों के नियंत्रण में है जिससे निवेशक अल्‍प अवधि के कारोबार पर ही ध्‍यान दें एवं मुनाफावसूली करते चले। यह समय लंबी अवधि के निवेश का नहीं है क्‍योंकि आर्थिक मोर्चे पर भारत सहित समूची दुनिया में कई बातें केवल पॉलिश कर पेश की जा रही है जिससे यह लगे कि सब कुछ चमक रहा है। अक्‍टूबर में हमारा औद्योगिक उत्‍पादन उम्‍मीद से अधिक बढ़कर 9.1 फीसदी रहा, सरकार ने भी एनटीपीसी, सेल और आरईसी सहित अनेक कंपनियों में अपनी

दलाल स्‍ट्रीट में भय के बीच तेजी की उम्‍मीद

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भारतीय शेयर बाजार के निवेशक कुछ समय पहले तक इस भंवर में फंसे हुए थे कि बाजार में काफी बढ़त आ चुकी है, अब करेक्‍शन तय है। लेकिन इतने दिनों में हुआ क्‍या....सेंसेक्‍स 17 हजार अंक को पार कर गया और निफ्टी पांच हजार अंक के ऊपर। हमने कहा था कि शेयर बाजार के लिए दिन और सुधरेंगे...यही हुआ भी। हालांकि, कुछ विश्‍लेषक अब भी निवेशकों को डराने का कार्य कर रहे हैं कि डॉव जोंस के गिरने से भारतीय शेयर बाजार में जबरदस्‍त करेक्‍शन देखने को मिलेगा और यह दिवाली बिगड़ सकती है लेकिन ऑपरेटरों के मन को पढ़ा जाए तो दिवाली तभी बिगड़ सकती है जब सेंसेक्‍स 16700 अंक के नीचे आ जाए। भारतीय शेयर बाजार के 1 अक्‍टूबर को समाप्‍त छोटा सप्‍ताह काफी फायदेमंद साबित हुआ और जो विश्‍लेषक यह राग अलाप रहे थे कि इस छोटे सप्‍ताह में बाजार बुरी तरह गिर जाएगा वे इस आंकडें पर गौर फरमाए कि विदेशी संस्‍थागत निवेशकों ने तीन दिन के इस सप्‍ताह में दो दिन में 2700 करोड़ रुपए के शेयर खरीदें। विदेशियों को भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था और बाजार में भरोसा है लेकिन हमें नहीं। विदेशी संस्‍थागत निवेशकों ने चालू कैलेंडर वर्ष के पहले नौ महीनों में 60 हजार

शेयर बाजार के दिन और सुधरेंगे

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भारतीय शेयर बाजार के निवेशक भले ही अब भी बड़े सुधार के बाद भंवर में फंसे हुए हो लेकिन आने वाले दिन और राहत भरे हो सकते हैं। हालांकि, जो निवेशक जल्‍दबाजी में हैं कि यह सुधार बेहद तेज होना चाहिए, उन्‍हें सेंसेक्‍स के फटाफट 21 हजार पहुंचने के बाद जो मंदी आई थी, उसे याद करना चाहिए। अतिरेक और जल्‍दबाजी दोनों हमेशा घातक होती है। अमरीका के बाद जर्मनी और फ्रांस की अर्थव्‍यवस्‍था में मिले सुधार के संकेत दुनिया भर के शेयर बाजारों के लिए शुभ समाचार हैं। हालांकि, अमरीका में को‍लोनियल बैंक का दिवालिया होना यह बताता है कि पूरे सिस्‍टम को ठीक होने में साल भर की अवधि और बीत सकती है। यूरोप से अच्‍छे समाचार आने के साथ अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) द्धारा अपने सदस्य देशों को मंदी की चपेट से निकालने और सिस्टम में नकदी बढ़ाने के लिए 250 अरब अमरीकी डॉलर के बराबर स्पेशल ड्राइंग राइट्स (एसडीआर) देने की घोषणा एक सुखद समाचार है। इसमें से भारत को 478 करोड़ अमरीकी डॉलर मिलेंगे। आईएमएफ के निदेशक मंडल ने इसकी मंजूरी दी। यह फंड 28 अगस्त को जारी होगा। कमजोर मानसून और स्‍वाइन फ्लू के नाम पर निवेशकों में जो डर बैठा

दलाल स्‍ट्रीट: उतार चढ़ाव के भंवर में फंसे निवेशक

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दलाल स्‍ट्रीट के निवेशक इन दिनों एक जबरदस्‍त भंवर में फंसे हुए हैं कि वे सेंसेक्‍स के मौजूदा स्‍तर पर निवेश करें या नहीं। कुछ समय ठहर कर निवेश करें या बाजार से पूरी तरह दूर रहने में भलाई है अथवा अगले कुछ महीनों के अनुमान के आधार पर निवेश कर डाले। असल में होता यह है कि सही समय सही कंपनियों का चुनाव और उनमें किया गया निवेश लांग टर्म में ही बड़ा फायदा दिलाता है। लेकिन आम निवेशक छोटी सी कमाई के चक्‍कर में बड़ी कमाई खो देता है। मेरे एक शेयर ब्रोकर मित्र पिछले दिनों बता रहे थे कि 20 साल पहले उन्‍होंने झंडु फार्मा के केवल 20 शेयर 12 हजार रुपए में लिए थे और ईमामी द्धारा इसके अधिग्रहण से पहले उन्‍होंने तकरीबन 380 शेयर बेचकर कुल 84 लाख रुपए कमाएं। झंडु फार्मा ने इन 20 सालों में जो बोनस और राइट शेयर दिए उससे यह शेयर संख्‍या बढ़ी और इतना तगड़ा मुनाफा जिसकी हर निवेशक कल्‍पना नहीं कर पाता। इस एक घटना का जिक्र इसलिए किया गया ताकि खुद निवेशक तय करें कि उन्‍हें पांच-पच्‍चीस हजार कमाने हैं या समूची माली हालात पलट देने वाली राशि। समूची दुनिया में अर्थव्‍यवस्‍था के मोर्चे पर अब सुधार होता दिखाई दे रहा है।

दलाल स्‍ट्रीट में नई ऊंचाई पर जरुर करें प्रॉफिट बुक

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दलाल स्‍ट्रीट ने सावन के इस अहम महीने में इस साल की ऊंचाई को छू लिया है और सेंसेक्‍स ने 15670 अंक तक का सफर तय कर लिया है। शेयर बाजार की मौजूदा स्थिति में इस सेंसेक्‍स के 16500 से 17000 अंक तक पहुंचने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता लेकिन समझदार निवेशक हर ऊंचाई पर आंशिक मुनाफावसूली कर रहे हैं। पिछले सबक से कई निवेशकों ने यह सीखा है लेकिन अधिक लालची निवेशकों के लिए कोई भी सबक काम नहीं आता। कहावत है पेड़ चाहे कितना लंबा हो जाए, लेकिन वह आकाश को छू नहीं सकता। वैश्विक अर्थव्‍यवस्‍था के रिकवर होने की खबरों ने दुनिया भर के शेयर बाजारों खासकर उभरते शेयर बाजारों को सबसे पहले आसमान की ओर बढ़ाया है लेकिन अर्थव्‍यवस्‍था के मोर्चे पर अभी भी कोई यह पूरे दावे के साथ नहीं कह सकता कि हम मंदी से उबर रहे हैं। सब कुछ कयास पर है। अमरीका में ताजा ताजा पांच और बैंकों के दरवाजे हमेशा के लिए बंद हो गए हैं। इन बैंकों को मिलाकर इस साल अमरीका में 69 बैंक बंद हो चुके हैं। पिछले सप्‍ताह ही हमने देखा कि चीन की एक हलचल ने बाजारों को तारे दिखा दिए। इसलिए अभी यह दावे के साथ कहना कि हां, मंदी खत्‍म हो रही है, गल

दलाल स्‍ट्रीट में मुनाफावसूली से हिचके नहीं

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भारतीय शेयर बाजार में एक बार फिर रौनक है। सरकारी कंपनियों के विनिवेश और समूचे भारत में मानसून की शुरुआत ने दलाल स्‍ट्रीट के निवेशकों को एक बार फिर जोश में ला दिया है। लेकिन निवेशक बेहद सावधानी से कारोबार करें क्‍योंकि जोश की यह सवारी कहीं उन्‍हें फिर ने नीचे ना ला पटके। आम बजट से निराश दलाल स्‍ट्रीट को अब हर महीने बेहतर खबरें मिलती रहेंगी। जैसा हमने पिछली बार कहा था कि इस सरकार की मजबूरी अपने आम बजट को राज्‍यसभा में पारित कराने की है और इस मजबूरी ने ही उसे फीका बजट पेश करने पर विवश किया है। शेयर बाजार के लिए ट्रिगर साबित होने वाली इसी तरह की अनेक घोषणाएं हर महीने सुनने को मिल सकती हैं। अतत: देश के अधिकांश हिस्‍सों में मानूसन का पहुंचना शुरु हो गया है। मानसून का पहला दौर काफी खराब रहा है लेकिन अब दूसरे दौर से यह कमी काफी पूरी होने की उम्‍मीद है। इस बारिश से आम आदमी के साथ किसानों ने राहत की सांस ली है। हमारी सकल घरेलू विकास दर में मानूसन एवं कृषि की हिस्‍सेदारी 20 फीसदी है लेकिन मानूसन के विफल रहने की स्थिति में बेशक नुकसान ज्‍यादा होता है। मानसून की इस साल की स्थिति ने आम आदमी और प्रश

फीका बजट और सूखा भारी पड़ा शेयर बाजार पर

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भारतीय शेयर बाजार के निवेशकों को नई सरकार के गठन के समय जो खुशी हुई थी वह आम बजट के साथ पूरी तरह धुल गई। हालांकि, इससे पहले पेश हुए आर्थिक सर्वे और रेल बजट ने निवेशकों को दलाल स्‍ट्रीट में थामे रखा लेकिन प्रणब मुखर्जी का ब्रीफकेस खुलते ही निवेशकों ने जमकर पैसा खोया। इस गिरावट में कमजोर मानूसन की भूमिका भी अहम रही। मानसून में देरी और उत्तर भारत में का पहला दौर बेहद कमजोर रहने का दलाल स्‍ट्रीट में विपरीत असर देखा गया। प्रणब मुखर्जी से अनेक राहतों, प्रोजेत्‍साहन और रियायतों की उम्‍मीद लिए बैठे विदेशी संस्‍थागत निवेशक, हाई नेटवर्थ समूह ने निराश होते ही जमकर बिकवाली की जिससे एक सप्‍ताह में सेंसेक्‍स 1400 अंक लुढ़क गया और इस नरमी के अभी रुकने के आसार कम ही है। 13 जुलाई से शुरु हो रहे नए सप्‍ताह में बॉम्‍बे स्‍टॉक एक्‍सचेंज (बीएसई) का सेंसेक्‍स 13888 से 12888 के बीच घूमता रहेगा। जबकि, नेशनल स्‍टॉक एक्‍सचेंज (एनएसई) का निफ्टी 4122 से 3788 के बीच रहेगा। तकनीकी विश्‍लेषक हितेंद्र वासुदेव का कहना है कि बॉम्‍बे स्‍टॉक एक्‍सचेंज का सेंसेक्‍स 14000 अंक के नीचे बंद होने पर 12717-11825-10932 तक जा सकत

आम बजट तय करेगा शेयर बाजार की चाल

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भारतीय शेयर बाजार के लिए सोमवार 6 जुलाई का दिन बेहद अहम है। आम बजट वाला यह दिन घरेलू शेयर बाजार की अगली चाल तय करेगा और यह भी पता चल जाएगा कि यदि तेजी की चाल आती है तो कौन-कौन से सैक्‍टर निवेशकों के लिए मध्‍यम से लंबी अवधि के लिए फायदेमंद साबित होंगे और यदि बाजार गिरता है तो किन सैक्‍टरों से बचना चाहिए। हालांकि, लंबी अवधि की दृष्टि से देखें तो आज किए जाने वाले कड़े निर्णय भी मीठे साबित हो सकते हैं। देश की अर्थव्‍यवस्‍था को बचाने और उसे गति देने के लिए काफी कुछ मरम्‍मत की जरुरत पड़ेगी। वेबदुनिया में पिछले दिनों शेयर बाजार की रिपोर्ट में भारतीय उपमहाद्धीप की बदल रही स्थिति का जिक्र किया था कि श्रीलंका, पाकिस्‍तान और भारत में ऐसे कारक बन रहे हैं कि आने वाले वर्ष भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था के होंगे। उसमें से सभी बातें सच साबित हुई हैं। हमने कहा था कि श्रीलंका में तमिल चीतों का दम निकल जाएगा, वह हो चुका है। पाकिस्‍तान में तालिबान को घेरकर मारे जाने की योजना पर इन दिनों स्‍वात घाटी में जोरशोर से काम चल जा रहा है। तीसरा, भारत में लोकसभा चुनाव के तहत एक मजबूत सरकार बगैर वामदलों के आई जिससे मध्‍यावध

शेयर बाजार की दिशा का अहम समय

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भारतीय शेयर बाजार के लिए चार मई से शुरु हो रहा सप्‍ताह बेहद अहम है और 16 मई तक शेयर बाजार अनेक उतार चढ़ाव का सामना करता रहेगा। स्‍वाइन फ्लू और राजनीतिक जोड़तोड़ इन दो सप्‍ताहों में शेयर बाजार की अगली दिशा तय कर देंगे। हालांकि, लोकसभा के नतीजों से ही यह पता चल सकेगा कि दिल्‍ली में किस दल के हाथ कुर्सी लगेगी और उसके मित्र दल कौन कौन होंगे लेकिन नतीजों से पहले ही जिस तरह की हलचल राजनीतिक गलियारों में हो रही हैं उसका आम जनता से मिले वोट से कोई सारोकार नहीं है। केवल व्‍यक्तिगत स्‍वार्थ को सर्वोपरि रखा जा रहा है क्‍योंकि जनता से तो अब पांच साल बाद मिलना है। शेयर बाजार की इस रिपोर्ट में पिछली बार भारतीय उपमहाद्धीप की बदल रही स्थिति का जिक्र किया था कि श्रीलंका, पाकिस्‍तान और भारत में ऐसे कारक बन रहे हैं कि आने वाले वर्ष भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था के होंगे। श्रीलंका में तमिल चीतों का काफी दम निकल गया है, जबकि पाकिस्‍तान में ओबामा प्रशासन ने जरदारी को कमजोर खिलाड़ी मानते हुए नवाज शरीफ से पींगे बढ़ाना शुरु कर दिया है ताकि उन्‍हें कुर्सी का आनंद देने की एवज में तालिबान को पाकिस्‍तान में घेरकर मारा जा

भारतीय शेयर बाजार नई तेजी की ओर

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अंतरराष्‍ट्रीय इक्विटी विश्‍लेषक फर्म इलियटवेव ने जब यह कहा कि भारतीय शेयर बाजार का सेंसेक्‍स अगले 15 साल में एक लाख अंक पर पहुंच जाएगा तो अनेक निवेशकों और विश्‍लेषकों ने इसे हसंने के अंदाज में लिया कि आज क्‍या होगा, यह बताओं, 15 साल किसने देखें। लेकिन एशियाई बाजारों में आने वाले दिन भारतीय शेयर बाजार के होंगे। हो सकता है घरेलू शेयर बाजार चीन जैसे बाजार को भी पीछे छोड़ दें। भारतीय शेयर बाजार के बेहद मजबूत बनने के अनेक कारक अब पैदा होते जा रहे हैं जिसमें अति धैर्यवान निवेशक भारी भरकम मुनाफा कमाने की स्थिति में होंगे। लेकिन इस खजाने को हासिल करने के‍ लिए आज किए गए निवेश पर धैर्य रखना होगा। यहां धैर्य रखने की समय सीमा पर एक बात साफ कर दूं कि धैर्य का मतलब यह कदापी नहीं हैं कि आज शेयर खरीदें और अगले 15 साल तक उन्‍हें न देखें। अपने निवेश पर बीच बीच में मुनाफावसूली करते रहें और हर गिरावट पर फिर से खरीद जरुर करते रहें। यह न तो इंट्रा डे ट्रेडिंग है और ना ही चुपचाप बैठने वाली सलाह। भारतीय उपमहाद्धीप में हमारे शेयर बाजार के लिए जो सकारात्‍मक कारक पैदा हो रहे हैं वे भौगोलिक हैं। श्रीलंका में पिछल

शेयर बाजार में अगली गिरावट से पहले पुलबैक रैली संभव

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‘अवर इकॉनामी आर लैस इफेक्‍टेड देन अदर्स...’ भारत दुनिया भर की मंदी से अलग है, देश की आर्थिक विकास दर को कोई आंच नहीं आएगी, भारतीय अर्थव्‍यवस्‍‍था स्‍थानीय मांग पर आधारित है...जैसी बात कहकर आम जनता और निवेशकों को भ्रम में रखने वाले हमारे अर्थशास्‍त्री नेताओं और ब्‍यूरोक्रेटस को अब पता चलने लगा है कि वाकई अमरीकी व यूरोपीय मंदी हमारी तरफ तेजी से बढ़ रही है। शेयर बाजारों में बड़ी गिरावट से पहले केवल आम चुनाव तक एक पुलबैक रैली की संभावना है जिसे हमारे यहां सुधार की संज्ञा दी जा रही है लेकिन स्थिति खराब होने के आसार अधिक है। आर्थिक विकास की दर को नौ से आठ और फिर सात फीसदी बताने वाले अर्थशास्‍त्री अब स्‍वीकार कर रहे हैं कि यह 5.3 से 5 फीसदी ही रह सकती है। आम उपभोक्‍ता वस्‍तुओं की मांग घटने से ही महंगाई दर 3.36 फीसदी पहुंची हैं। जबकि हकीकत में जीवन की जरुरत वाली वस्‍तुओं के दाम वाकई उतने नहीं घटे हैं जितनी महंगाई दर का कम होना बताया जा रहा है। औद्योगिक उत्‍पादन के साथ अब कृषि क्षेत्र भी विकास दर में गिरावट दिखा रहा है। ऐसे में लोकसभा चुनाव जीतने के लिए मौजूदा यूपीए सरकार ने सरकारी तिजोरी पूरी

बीएसई सेंसेक्‍स का 6940 अंक के आसपास बनेगा बॉटम

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दुनिया भर के शेयर बाजारों के निवेशकों के सामने इन दिनों एक ही सवाल है कि इस गिरते बाजार का बॉटम कहां हैं। क्‍या होगा सबसे निचला स्‍तर जहां से शेयर बाजार फिर ऊपर की ओर लौट सकता है। विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्‍यवस्‍था वाले देश अमरीका से लेकर छोटी अर्थव्‍यवस्‍था वाला हर देश इन दिनों मंदी के दलदल में फंसता जा रहा है। अर्थव्‍यवस्‍थाओं के लिए एक के बाद एक आ रहे राहत पैकेज छोटे पड़ते जा रहे हैं। ऐसे में शेयर बाजारों के बॉटम की बात कौन करें। दुनिया के विख्‍यात निवेशक जॉर्ज सोरोस का कहना है कि विश्व की वित्तीय प्रणाली पूरी तरह से बिखर चुकी है। उनकी राय में इस संकट से जल्द छुटकारा मिलने की कोई उम्मीद नहीं है। इस बार का संकट दूसरे विश्व युद्घ से पहले की महामंदी से भी गंभीर है। उन्होंने अभी के संकट की तुलना सोवियत संघ के पतन से की। निवेश बैंकर लीमैन ब्रदर्स के पिछले साल सितंबर में पतन को उन्होंने मौजूदा वित्तीय प्रणाली के लिए एक निर्णायक मोड बताया। कोलंबिया यूनिवर्सिटी में एक डिनर में उन्होंने कहा कि हमने वित्तीय प्रणाली को बिखरते देखा है। ये लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि संक

शेयर बाजार के लिए बड़ी हलचल का है यह सप्‍ताह

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कार्पोरेट नतीजों के इस मौसम में भारतीय बैंकिंग क्षेत्र के बेहतर कार्य नतीजों और देश की निजी क्षेत्र की सबसे बड़ी कंपनी रिलायंस इंडस्‍ट्रीज का प्रदर्शन आशंका से कम खराब आने की वजह से निवेशकों ने शेयर बाजार में अपने निवेश को बनाए रखा हैं। भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था की कई बुनियादी बातों ने निवेशकों के मन में यह विश्‍वास बैठा रखा है कि शेयर बाजार में तेजी की किरण जल्‍दी दिखाई देगी। हालांकि, दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्‍यवस्‍था अमरीका में नए राष्‍ट्रपति बराक ओबामा के आने से पूर्व राष्‍ट्रपति रुजवेल्‍ट जैसे चमत्‍कार की उम्‍मीद की जा रही है। लेकिन ओबामा के लिए मंदी की चपेट में आई अमरीकी अर्थव्‍यवस्‍था को उबारने की कोई जादूई छड़ी नहीं है। लेकिन वे 1929 की महामंदी से उबारने के रुजवेल्‍ट के किए गए प्रयासों से कई पाठ सीख सकते हैं। यदि ओबामा अमरीका को मंदी से उबार ले जाते हैं तो वे इस सदी के महानायक बनकर उभर जाएंगे। अमरीका और यूरोप में बैंकिंग जगत को अपना अस्तित्‍व टिकाए रखना मुश्किल नजर आ रहा है। यहां पैदा हुई बैंकिंग जगत की मुश्किलों ने दुनिया के सभी देशों पर प्रतिकूल असर डाला है, हालांकि भारत में भारती

अगले वर्ष निफ्टी 2333-4888 के बीच रहेगा

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वर्ष 2008 अमरीका में सब प्राइम, मार्गेज संकट में खरबों डॉलर की एसेटस की धुलाई, अमरीकी वित्तीय प्रणाली के आधार स्‍तंभ सिटी ग्रुप, मेरिल लिंच, मार्गन स्‍टेनली, एआईजी सहित अनेक संस्‍थाओं को हिलाकर रख देने एवं पश्चिमी देशों की वित्तीय प्रणाली खोखली साबित करने के साथ विदा ले रहा है। वर्ष 2008 में दुनिया भर के शेयर बाजारो ने अपना उच्‍च स्‍तर और निम्‍न स्‍तर तो देखा ही, वित्त एवं इक्विटी क्षेत्र के बड़े बड़े खिलाड़ी बाजार की चाल को जानने में नाकामयाब रहे। दुनिया भर में 1929 जैसी महामंदी होने के बावजूद भारत की वित्तीय प्रणाली जिसमें अभी भी काफी कुछ सरकारी नियंत्रण के तहत है, पर इसकी आंच कम आई। आर्थिक महामंदी को रोकने के लिए दुनिया के लगभग सभी देश जोरदार कोशिश कर रहे हैं। इस कोशिश के तहत उद्योगों, वित्त बाजारों को प्रोत्‍साहन एवं राहत देने के लिए स्‍टीम्‍युलस पैकेज घोषित किए जा रहे हैं लेकिन ये पैकेज असरकारक नहीं दिख रहे। अमरीका, ब्रिटेन, जापान सहित अनेक देशों में ब्‍याज दर शून्‍य के करीब आ गई है लेकिन अर्थव्‍यवस्‍थाएं पटरी पर आने का नाम ही नहीं ले रहीं। अब कार्पोरेट जगत ने अपनी विस्‍तार, विवि

पैकेज की ऑक्‍सीजन से शेयर बाजार को उठाने की कोशिश

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भारतीय शेयर बाजार पिछले साल इन्‍हीं दिनों भारी ऊफान पर थे और बीएसई सेंसेक्‍स के जल्‍दी ही 30 हजार, 35 हजार तक पहुंचने जाने की गर्मा गर्म चर्चाएं हर निवेशकों के बीच हो रही थी लेकिन इस साल बातें केवल यह हो रही है कि अब क्‍या लगता है। इस क्‍या लगता है के लिए अमरीका के नवनिर्वाचित उपराष्ट्रपति बिडेन का कहना है कि देश की इकॉनमी पर पूरी तरह धराशायी होने का खतरा मंडरा रहा है। 'देश की इकॉनमी हमारी सोच से कहीं ज्यादा बुरी हालत में 600 से 700 अरब डॉलर के एक प्रोत्साहन पैकेज की जरुरत है। इकॉनमी को पूरी तरह धराशायी होने से बचाने का इसके अलावा कोई तरीका नहीं है। बिडेन के इस बयान को समझे तो शेयर बाजार के हालात जल्‍दी अच्‍छे होने के संकेत नहीं है। अमरीका और कई देशों में अर्थव्‍यवस्‍था को फिर से खड़ा करने के लिए वित्तीय पैकेज दिए जा रहे हैं। अलग अलग उद्योगों के लिए पैकेज दर पैकेज आ रहे हैं। भारत में भी अर्थव्‍यवस्‍था को खड़ा करने के लिए इसी कदम का अनुसरण किया जा रहा है। पहले 30700 करोड़ रुपए के पैकेज के बाद सरकारी बैंकों का सस्‍ता होम लोन पैकेज आया। अब निजी बैंक भी सस्‍ते होम लोन के पैकेज ला रहे

शेयर बाजार में गर्मी लाने के प्रयास

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वैश्विक आर्थिक मंदी के बीच मुंबई में हुए आतंकी हमले के बाद सहमे और कमजोर मानसिकता वाले शेयर बाजार में सरकार जान डालने के प्रयास में जुट गई हैं। भारतीय रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में कमी की है ताकि सस्‍ते कर्ज उपलब्‍ध हो सके ताकि कार्पोरेट क्षेत्र और आम आदमी इसका लाभ उठा सके और सुस्‍त पड़ी अर्थव्‍यवस्‍था में जान आ सके। साथ ही केंद्र सरकार ने 20 हजार करोड़ रुपए का एक खास पैकेज अर्थव्‍यवस्‍था के अलग अलग सेक्‍टरों के लिए घोषित किया है, जो शेयर बाजार सहित समूची अर्थव्‍यवस्‍था को गति देगा। बॉम्‍बे स्‍टॉक एक्‍सचेंज यानी बीएसई सेंसेक्‍स 8 दिसंबर से शुरु हो रहे नए सप्‍ताह में 9444 अंक से 8644 अंक के बीच घूमता रहेगा। जबकि नेशनल स्‍टॉक एक्‍सचेंज यानी एनएसई का निफ्टी 2844 अंक से 2589 के बीच कारोबार करेगा। तकनीकी विश्‍लेषक हितेंद्र वासुदेव का कहना है कि बीएसई सेंसेक्‍स में पुलबैक अभी बना हुआ है, हालांकि, इसकी प्रकृति इस समय ढुलमुल है जो पुलबैक का ही एक हिस्‍सा होता है। सेंसेक्‍स को तत्‍काल 8649-8316 पर सपोर्ट मिलेगा। यदि सेंसेक्‍स 8316 अंक के नीचे बंद होता है तो इसकी परीक्षा 7697 अंक पर होगी और यहां