बीएसई सेंसेक्स का 6940 अंक के आसपास बनेगा बॉटम
दुनिया भर के शेयर बाजारों के निवेशकों के सामने इन दिनों एक ही सवाल है कि इस गिरते बाजार का बॉटम कहां हैं। क्या होगा सबसे निचला स्तर जहां से शेयर बाजार फिर ऊपर की ओर लौट सकता है। विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देश अमरीका से लेकर छोटी अर्थव्यवस्था वाला हर देश इन दिनों मंदी के दलदल में फंसता जा रहा है। अर्थव्यवस्थाओं के लिए एक के बाद एक आ रहे राहत पैकेज छोटे पड़ते जा रहे हैं। ऐसे में शेयर बाजारों के बॉटम की बात कौन करें।
दुनिया के विख्यात निवेशक जॉर्ज सोरोस का कहना है कि विश्व की वित्तीय प्रणाली पूरी तरह से बिखर चुकी है। उनकी राय में इस संकट से जल्द छुटकारा मिलने की कोई उम्मीद नहीं है। इस बार का संकट दूसरे विश्व युद्घ से पहले की महामंदी से भी गंभीर है। उन्होंने अभी के संकट की तुलना सोवियत संघ के पतन से की। निवेश बैंकर लीमैन ब्रदर्स के पिछले साल सितंबर में पतन को उन्होंने मौजूदा वित्तीय प्रणाली के लिए एक निर्णायक मोड बताया। कोलंबिया यूनिवर्सिटी में एक डिनर में उन्होंने कहा कि हमने वित्तीय प्रणाली को बिखरते देखा है। ये लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि संकट का सबसे बुरा दौर कब होगा और कहां से हालात में बेहतरी शुरू होगी, यह कहना मुश्किल है।
जॉजे सोरोस का कहना बेहद सही है और इस समय कोई भी बाजार का निचला स्तर नहीं जानता फिर भी निवेशकों के इस सवाल का जवाब ढूंढा जा रहा है कि वह निचला स्तर क्या होगा जहां से बाजार फिर से सुधार की ओर होंगे और उस स्तर पर निवेश करना एक बड़ा मौका होगा। भारतीय शेयर बाजार के संदर्भ में बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का यह स्तर 6940 अंक लगता है। बड़ी संभावना यही है कि शेयर बाजार इस स्तर को छूने के बाद फिर से ऊपर की ओर लौटने लगे। इस स्तर के बाद 6779 अंक वह दूसरा स्तर है जहां से तेजी की ओर बाजार मुड़ सकते हैं। बाजार को यह निचला स्तर पूर्वी यूरोप के बैंकिंग जगत से आने वाली बुरी खबरों की वजह से देखना पड़ेगा। पूर्वी यूरोप से बुरी खबरें आने के बाद वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं की हालत साफ हो जाएगी और उसके बाद सुधार के किए गए ठोस प्रयास धीरे धीरे अपना रंग दिखाने लगेंगे। ऐसे में हो सकता है चीन व भारत जैसे देशों की अर्थव्यवस्था से अमरीकी अर्थव्यवस्था से डिकपलिंग होती नजर आए। डिकपलिंग यानी दूसरी अर्थव्यवस्थाओं पर निर्भरता की समाप्ति। चीन और भारत दुनिया के बड़े उपभोक्ता देश हैं, ऐसे में हमें अपने उत्पादों की खपत की लिए दूसरे देशों पर निर्भर रहने की आवश्यकता नहीं है।
सूरत कॉमर्शियल कार्पोरेशन के इक्विटी विश्लेषक गोपाल मोदी का कहना है कि लंबी अवधि के निवेशक हरेक गिरावट पर 10 से 15 फीसदी निवेश करते रह सकते हैं। लेकिन मुख्य सवाल यह उठता है कि अल्प अवधि (शार्ट टर्म) के निवेशक कब निवेश करें....मेरा मानना है कि चौथी तिमाही और पहली तिमाही के नतीजे अत्यंत नकारात्मक आएंगे और उस समय निवेश का शानदार मौका मिलेगा। शेयर बाजार हमेशा भविष्य को वर्तमान में प्रदर्शित करता आया है। अत: जब गहरी नकारात्मकता बाजार में पैदा होगी तभी बाजार अपना बॉटम बनाएगा....कारण सीधा है कि कोई भी नेगेटिव नतीजे, कारक सामने आने वाले हैं और उन्हें देखकर ही बाजार इस समय गिर रहा है और जब यह नकारात्मकता सामने आएगी तब बाजार अपना बॉटम बनाएगा..।
मोदी कहते हैं कि इस बात को तकनीकी तौर पर समझें तो सितंबर 2001 में बॉटम बनाकर सुधार की ओर आगे बढ़े बाजार ने केवल एक बार साप्ताहिक आधार पर गेप ओपनिंग के साथ शुरुआत की है। और यह गेप ओपनिंग 24 जून 2005 को 6940 के स्तर पर देखने को मिला है। इसी तरह जनवरी 2008 में 18970 के स्तर के पास डाउन गेप ओपनिंग देखने को मिला....इन दोनों गेप में सुधार और गिरावट असामान्य रुप से देखने को मिली। मेरा मानना है कि बाजार मौजूदा गिरावट की चाल में वर्ष 2005 के स्तर पर आएगा और यहां मंदी का दौर पूरा होने की संभावना है।
वर्ष 2009 की पहली तिमाही में 8883 अंक के नीचे सेंसेक्स बारबार जा चुका है। यह 8883 का स्तर डाउन साइड ट्रिगर है। सेंसेक्स 9686 अंक से ऊपर बंद नहीं होता है तो मंदी का कारोबार किया जा सकता है। मार्च अंत तक सेंसेक्स के 6779 अंक आने की संभावना है। 24 फरवरी से शुरु हो रहे सप्ताह में बीएसई सेंसेक्स 9198 से 8488 अंक और एनएसई निफ्टी 2848 से 2628 के बीच घूमता रहेगा।
तकनीकी विश्लेषक हितेंद्र वासुदेव का कहना है कि बीएसई सेंसेक्स का अगले सप्ताह अहम सपोर्ट स्तर 8631 है। बाजार में 9725-8631 के बीच उतार चढ़ाव बना रहेगा। साप्ताहिक रेसीसटेंस 9080-9395-9275 है। साप्ताहिक निचला स्तर 8631-8524 और 7650 है।
इस सप्ताह निवेशक पिरामल हैल्थकेयर, कंटेनर कार्पोरेशन, रिलायंस कम्युनिकेशन, सेसा गोवा, बारटोनिक्स, टोरेंट पावर, ईआईडी पैरी, जीएमआर इंफ्रा, एल एंड टी और मुंजाल ऑटो पर ध्यान दे सकते हैं।
दुनिया के विख्यात निवेशक जॉर्ज सोरोस का कहना है कि विश्व की वित्तीय प्रणाली पूरी तरह से बिखर चुकी है। उनकी राय में इस संकट से जल्द छुटकारा मिलने की कोई उम्मीद नहीं है। इस बार का संकट दूसरे विश्व युद्घ से पहले की महामंदी से भी गंभीर है। उन्होंने अभी के संकट की तुलना सोवियत संघ के पतन से की। निवेश बैंकर लीमैन ब्रदर्स के पिछले साल सितंबर में पतन को उन्होंने मौजूदा वित्तीय प्रणाली के लिए एक निर्णायक मोड बताया। कोलंबिया यूनिवर्सिटी में एक डिनर में उन्होंने कहा कि हमने वित्तीय प्रणाली को बिखरते देखा है। ये लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि संकट का सबसे बुरा दौर कब होगा और कहां से हालात में बेहतरी शुरू होगी, यह कहना मुश्किल है।
जॉजे सोरोस का कहना बेहद सही है और इस समय कोई भी बाजार का निचला स्तर नहीं जानता फिर भी निवेशकों के इस सवाल का जवाब ढूंढा जा रहा है कि वह निचला स्तर क्या होगा जहां से बाजार फिर से सुधार की ओर होंगे और उस स्तर पर निवेश करना एक बड़ा मौका होगा। भारतीय शेयर बाजार के संदर्भ में बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का यह स्तर 6940 अंक लगता है। बड़ी संभावना यही है कि शेयर बाजार इस स्तर को छूने के बाद फिर से ऊपर की ओर लौटने लगे। इस स्तर के बाद 6779 अंक वह दूसरा स्तर है जहां से तेजी की ओर बाजार मुड़ सकते हैं। बाजार को यह निचला स्तर पूर्वी यूरोप के बैंकिंग जगत से आने वाली बुरी खबरों की वजह से देखना पड़ेगा। पूर्वी यूरोप से बुरी खबरें आने के बाद वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं की हालत साफ हो जाएगी और उसके बाद सुधार के किए गए ठोस प्रयास धीरे धीरे अपना रंग दिखाने लगेंगे। ऐसे में हो सकता है चीन व भारत जैसे देशों की अर्थव्यवस्था से अमरीकी अर्थव्यवस्था से डिकपलिंग होती नजर आए। डिकपलिंग यानी दूसरी अर्थव्यवस्थाओं पर निर्भरता की समाप्ति। चीन और भारत दुनिया के बड़े उपभोक्ता देश हैं, ऐसे में हमें अपने उत्पादों की खपत की लिए दूसरे देशों पर निर्भर रहने की आवश्यकता नहीं है।
सूरत कॉमर्शियल कार्पोरेशन के इक्विटी विश्लेषक गोपाल मोदी का कहना है कि लंबी अवधि के निवेशक हरेक गिरावट पर 10 से 15 फीसदी निवेश करते रह सकते हैं। लेकिन मुख्य सवाल यह उठता है कि अल्प अवधि (शार्ट टर्म) के निवेशक कब निवेश करें....मेरा मानना है कि चौथी तिमाही और पहली तिमाही के नतीजे अत्यंत नकारात्मक आएंगे और उस समय निवेश का शानदार मौका मिलेगा। शेयर बाजार हमेशा भविष्य को वर्तमान में प्रदर्शित करता आया है। अत: जब गहरी नकारात्मकता बाजार में पैदा होगी तभी बाजार अपना बॉटम बनाएगा....कारण सीधा है कि कोई भी नेगेटिव नतीजे, कारक सामने आने वाले हैं और उन्हें देखकर ही बाजार इस समय गिर रहा है और जब यह नकारात्मकता सामने आएगी तब बाजार अपना बॉटम बनाएगा..।
मोदी कहते हैं कि इस बात को तकनीकी तौर पर समझें तो सितंबर 2001 में बॉटम बनाकर सुधार की ओर आगे बढ़े बाजार ने केवल एक बार साप्ताहिक आधार पर गेप ओपनिंग के साथ शुरुआत की है। और यह गेप ओपनिंग 24 जून 2005 को 6940 के स्तर पर देखने को मिला है। इसी तरह जनवरी 2008 में 18970 के स्तर के पास डाउन गेप ओपनिंग देखने को मिला....इन दोनों गेप में सुधार और गिरावट असामान्य रुप से देखने को मिली। मेरा मानना है कि बाजार मौजूदा गिरावट की चाल में वर्ष 2005 के स्तर पर आएगा और यहां मंदी का दौर पूरा होने की संभावना है।
वर्ष 2009 की पहली तिमाही में 8883 अंक के नीचे सेंसेक्स बारबार जा चुका है। यह 8883 का स्तर डाउन साइड ट्रिगर है। सेंसेक्स 9686 अंक से ऊपर बंद नहीं होता है तो मंदी का कारोबार किया जा सकता है। मार्च अंत तक सेंसेक्स के 6779 अंक आने की संभावना है। 24 फरवरी से शुरु हो रहे सप्ताह में बीएसई सेंसेक्स 9198 से 8488 अंक और एनएसई निफ्टी 2848 से 2628 के बीच घूमता रहेगा।
तकनीकी विश्लेषक हितेंद्र वासुदेव का कहना है कि बीएसई सेंसेक्स का अगले सप्ताह अहम सपोर्ट स्तर 8631 है। बाजार में 9725-8631 के बीच उतार चढ़ाव बना रहेगा। साप्ताहिक रेसीसटेंस 9080-9395-9275 है। साप्ताहिक निचला स्तर 8631-8524 और 7650 है।
इस सप्ताह निवेशक पिरामल हैल्थकेयर, कंटेनर कार्पोरेशन, रिलायंस कम्युनिकेशन, सेसा गोवा, बारटोनिक्स, टोरेंट पावर, ईआईडी पैरी, जीएमआर इंफ्रा, एल एंड टी और मुंजाल ऑटो पर ध्यान दे सकते हैं।
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