संदेश

जनवरी, 2008 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

निवेश से पहले रियलटी को परखें

चित्र
भारतीय रिजर्व बैंक ने ब्‍याज दर में जो कटौती नहीं कि उससे सबसे ज्‍यादा कंसट्रक्‍शन कंपनियां निराश हुई हैं। इन कंपनियों को उम्‍मीद थी कि रिजर्व बैंक ने यदि ब्‍याज दर को 25 बेसिस अंक भी घटाया तो लोग उनके बने मकान, फ्लैट या व्‍यावसायिक जगह बैंकों से कर्ज लेकर खरीदेंगे क्‍योंकि उनके कुछ पैसे इसमें बचेंगे। लेकिन, रिजर्व बैंक ने इन कंपनियों के साथ उन लोगों के सपने को भी बिखेर दिया जो ब्‍याज दर में कमी की आस लगाए बैठे थे। हालांकि, भारतीय पूंजी बाजार में पिछले दो साल में रियालिटी या कंसट्रक्‍शन और इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर के नाम पर ढ़ेरों कंपनियां पूंजी बाजार में आई और निवेशकों को लैंड बैंक के साथ बढ़ती मांग के नाम पर खूब ऊंचे दामों में अपने शेयर बेचे हैं। इन कंपनियों के इश्‍यू की बाढ़ ने देश्‍ा के हर शहर, कस्‍बे में जमीन और मकानों की कीमतें रातों रात इतनी अधिक बढ़ा दी कि आम आदमी यही अफसोस कर रहा है कि काश, जिंदगी में एक छोटा सा मकान पेट काटकर पहले ले लिया होता तो अच्‍छा रहता। खैर! रियालिटी डेवलपरों का कहना है कि ब्‍याज दर महंगी होने की वजह से उनकी बिक्री प्रभावित हो रही है। खुद भारतीय रिजर्व बैंक क

शेयर वाले बाबा

चित्र
आज मन में इच्‍छा हुई कि चलो यह लोक तो सुधरा शेयर बाजार में कमाकर, गंवाकर, अब परलोक सुधार लिया जाए टीवी पर सुबह सुबह धार्मिक प्रवचन सुनकर। धर्म का धंधा खोले संतों की हमारे देखने से टीआरपी बढ़ जाएगी और सनातन धर्म की रक्षा भी हो जाएगी। आसाराम जी से लेकर रामदेव जी तक को सुनने के लिए, बस हम धोएं कान हुआ स्‍नान के अनुसार तैयार होकर टीवी के सामने। टीवी ऑन, मार्केट गॉन कल दलाल स्‍ट्रीट में घूम रहा दिगंबरी था एक चैनल पर। हमने सोचा दिन में तो यह दलाल स्‍ट्रीट के सांड की अराधना करता रहता है और सुबह सुबह यह टीवी पर अपनी अराधना करवा रहा है या शेयर टिप्‍स दे रहा है भगवा कपड़े पहनकर। बाजार में खुद के कपड़े तो उतरवा ही लिए, अब भक्‍तों के कपड़े उतरवाएगा क्‍या यह। खैर, अपनी जमात के दिगंबरी भाई को सुनने की इच्‍छा हो गई कि यह क्‍या बोलता है। जरा ठहरे। भक्‍तों, देश का सबसे बड़ा धाम दलाल स्‍ट्रीट खतरे में है। उस पर खतरा मंडराने का मतलब सनातन धर्म का संकट में फंसना है क्‍योंकि आज के जमाने में बगैर लक्ष्‍मी के कुछ नहीं हो सकता। इस जमाने में लक्ष्‍मी तो शेयर बाजार से ही आ रही हैं। पैसा न हो तो क्‍या सनातन धर्

शेयरों में निवेश पर मिलती है टैक्‍स में छूट

चित्र
शेयर बाजार में नियमित निवेश करने के बावजूद आप अक्सर हैरान होते होंगे कि मोटा मुनाफा होने के बाद भी आपके हाथ में मामूली रकम क्यों बचती है? आपके मुनाफे का बड़ा हिस्सा लेन-देन की लागत व टैक्स में चली जाती है। इस मुनाफे में से सरकार और ब्रोकर दोनों बड़ा हिस्सा खा जाते हैं। ब्रोकर के साथ अगर आपके संबंध अच्छे हैं तो वह दलाली का एक हिस्सा आपको लौटा भी सकता है। वहीं सरकार आपके सिक्यूरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स (एसटीटी) को शेयर बाजार के लाभ पर टैक्स से बराबर कर सकती है। आयकर अधिनियम के सेक्शन 88ई में उन लोगों को छूट हासिल है जो शेयर बाजार में सक्रिय ट्रेडर हैं, भले ही व्यक्ति, हिंदू अविभाजित परिवार (एचयूएफ), कंपनियां, फर्म, लोगों के संगठन या कोई और हो। प्रावधान: एक, आपकी कर योग्य आय वह आय होनी चाहिए जिस पर ‘प्राफिट एंड गेन्स ऑफ बिजनेस आर प्रोफेशन’ के तहत टैक्स लगता हो। दो, यह आय कर योग्य शेयर कारोबार से मिली पाजिटिव इनकम होनी चाहिए। पाजिटिव इनकम से मतलब है कि शेयरों के लेन-देन से कुछ आय हो। अगर आप इस मद में नुकसान दिखा रहे हैं तो सेक्शन 88ई के तहत कोई छूट नहीं मिलती। अगर शेयर कारोबार से आय नहीं होत

केईआई इंडस्‍ट्रीज: पैसे का केबल

चित्र
लो टेंशन और हाई टेंशन पावर केबल्‍स के उत्‍पादन से जुड़ी देश की मुख्‍य कंपनी केईआई इंडस्‍ट्रीज देश में बिजली क्षेत्र के हो रहे विकास के साथ तेज गति से आगे बढ़ रही है। लो टेंशन केबल्‍स में इसकी 37 हजार किलोमीटर और हाई टेंशन केबल्‍स में तीन हजार किलोमीटर सालाना उत्‍पादन क्षमता है। कंपनी ने अक्‍टूबर से दिसंबर 2007 की तिमाही के घोषित नतीजों में 233.5 करोड़ रुपए की आय पर 13.5 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया है। जबकि, पिछले साल समान अवधि में इसकी आय 160.5 करोड़ रुपए और शुद्ध लाभ 11 करोड़ रुपए था। वर्ष 2006/07 में कंपनी की आय 604.3 करोड़ रुपए और शुद्ध मुनाफा 40.1 करोड़ रुपए रहा। 31 मार्च 2008 को समाप्‍त होने वाले वित्‍त वर्ष में आय बढ़कर 885.1 करोड़ रुपए और शुद्ध लाभ 58 करोड़ रुपए होने का अनुमान है। केईआई इंडस्‍ट्रीज देश की दूसरी सबसे बड़ी पावर केबल उत्‍पादक कंपनी है और देश के शेयर बाजार में सूचीबद्ध सबसे बड़ी खिलाड़ी। कंपनी के चौपंकी स्थित नए संयंत्र में जनवरी के पहले सप्‍ताह से आंशिक उत्‍पादन आरंभ हो गया है। हालांकि, हाई टेंशन केबल्‍स इकाई का काम अंतिम चरण में है और इसके मई महीने से शुरु होने

रिजर्व बैंक ने किया निराश

चित्र
भारतीय रिजर्व बैंक ने ब्याज दरों में नरमी लाने की सभी अटकलबाजियों को खाजिर करते हुए बैंक दर, रेपो दर और रिवर्स रेपो दरों को पहले के स्तर पर ही बनाए रखा है। जबकि, बाजार और उद्योग जगत ने उम्‍मीदों से भरी नजरें रिजर्व बैंक पर लगा रखी थीं। रिजर्व बैंक गवर्नर वाई।वी.रेड्डी ने 2007-08 की ऋण एवं मौद्रिक नीति की तीसरी तिमाही की समीक्षा रिपोर्ट जारी करते हुए कहा कि बैंक जरुरत पड़ने पर ब्याज दरों में बीच में भी बदलाव कर सकता है। अमरीका के फैड रिजर्व बैंक ने पिछले सप्ताह ब्याज दरों में पौना फीसदी की कटौती किए जाने के बाद यह अटकलें जोरों पर थी कि रिजर्व बैंक भी ब्याज दरों में कमी कर सकता है। बैंक ने बाजार में वित्तीय तरलता की स्थिति को देखते हुए नकद सुरक्षित अनुपात (सीआरआर) में भी कोई बदलाव नहीं किया है। रिजर्व बैंक की तिमाही समीक्षा रिपोर्ट जारी होते ही शेयर बाजार में बैंकों के शेयरों में गिरावट का रुझान देखा गया। घोषणा के तुरंत बाद बीएसई के बैंकिंग क्षेत्र के सूचकांक में चार प्रतिशत की गिरावट आई। समीक्षा में रेपो दर को पौने आठ प्रतिशत, रिवर्स रिपो और बैंक दर प्रत्येक को छह फीसदी पर बनाए रखा गया

रुचि सोया : सॉलिड स्‍टॉक

चित्र
घरेलू खाद्य तेल कंपनी के शेयरों में जब निवेश की बात आती है तो सभी निवेशकों के दिमाग में रुचि सोया का नाम सबसे पहले उभर आता है। इस कंपनी के कार्य प्रदर्शन और सही योजना ने निवेशकों को हमेशा अपनी ओर खींचा है। रुचि सोया ने हाल में अपने तिमाही नतीजे घोषित किए हैं। अक्‍टूबर से दिसंबर 2008 की तिमाही में कंपनी की शुद्ध बिक्री 3196.6 करोड़ रुपए रही जिस पर शुद्ध लाभ 59.5 करोड़ रुपए रहा। जबकि, अक्‍टूबर से दिसंबर 2007 की तिमाही में शुद्ध लाभ 37.5 करोड़ रुपए और शुद्ध बिक्री 2853.4 करोड़ रुपए थी। यानी चालू तिमाही में शुद्ध बिक्री में पिछली समान तिमाही की तुलना में 12 फीसदी और शुद्ध मुनाफे में 59 फीसदी की बढ़ोतरी। जबकि, इन नतीजों को अप्रैल से दिसंबर 2007 के नौ महीनों में संदर्भ में देखें तो शुद्ध बिक्री 7519.2 करोड़ रुपए और शुद्ध लाभ 119.7 करोड़ रुपए रहा। जबकि, पिछले साल समान अवधि में शुद्ध बिक्री 5536 करोड़ रुपए एवं शुद्ध लाभ 66.5 करोड़ रुपए था। नौ महीनों में शुद्ध बिक्री 36 फीसदी एवं शुद्ध लाभ में 80 फीसदी का इजाफा हुआ है। रुचि सोया ने सरसों, बिनौला और राइस ब्रान तेलों के रिटेल बाजार में बड़े पैमा

शेयर बाजार में सब कुछ नेगेटिव नहीं

चित्र
भारतीय शेयर बाजार जिस मंदी की मार झेल रहे हैं वह खतरा अभी पूरी तरह खत्‍म नहीं हुआ है। अमरीकी फैड रिजर्व ने आनन फानन में ब्‍याज दरों में कटौती कर शेयर बाजार को बुरी तरह टूटने से थामने की कोशिश जरुर की लेकिन सबप्राइम के नतीजों पर इससे वास्‍तव में ब्रेक नहीं लगाया जा सकता। भारतीय रिजर्व बैंक की इस सप्‍ताह मौद्रिक नीति पर बैठक होने जा रही है और उम्‍मीद है कि 25 बेसिक अंक की ब्‍याज दर में कमी की जा सकती है। यह कमी होती है तो भारतीय शेयर बाजार के लिए यह एक अच्‍छी खबर होगी। भारतीय शेयर बाजार में बीते सप्‍ताह जो मंदी के झटके लगे, उसके बारे में हमने दिसंबर में ही कह दिया था कि विदेशी संस्‍थागत निवेशक अब पहले से अधिक समझदार है और जो निवेशक यह मानते हैं कि जनवरी में नया पैसा लाकर विदेशी निवेशक हमसे महंगे स्‍टॉक खरीद लेंगे, गलत साबित होंगे और बाजार जनवरी को दूसरे सप्‍ताह में ढ़ेर हो जाएगा। शेयर बाजार की मौजूदा मंदी अमरीका में सबप्राइम का असली नतीजा है। इससे यह तो साफ है कि अंतरराष्‍ट्रीय बाजार में घटने वाली हर घटना का हमारे शेयर बाजार पर असर जरुर पड़ेगा। यही वजह रही कि 21 और 22 जनवरी की गिरावट ने

शेयर बाजार की नजरें रिजर्व बैंक पर

चित्र
शेयर बाजार के खिलाडि़यों की नजरें अब भारतीय रिजर्व बेंक पर लगी हैं। भारतीय रिजर्व बैंक कल यानी 29 जनवरी 2008 को अपनी मौद्रिक नीति घोषित करेगा। इस नीति में उम्‍मीद की जा रही है कि बैंक ब्‍याज दरों में 25 से 50 बेसिस अंक की कमी करें। इस कदम से न केवल वैश्विवक मंदी के माहौल में हालात अच्‍छे करने का मौका मिलेगा बल्कि घरेलू मांग में बढ़ावा होगा। भारतीय रिजर्व बैंक ने रेपो दर और कर्ज दरों में आखिरी कटौती मार्च 2004 में की थी। जबकि बैंक जून 2006 से पिछले मार्च तक पांच बार इसमें बढ़ोतरी कर चुका है। कारोबारियों का कहना है कि ब्‍याज दरें अपने उच्‍च स्‍तर पर पहुंच चुकी हैं और इससे औद्योगिक विकास पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। सकल घरेलू विकास दर को 8.6 फीसदी बनाए रखने के लिए अर्थव्‍यवस्‍था को मौद्रिक नीति के स्‍पोर्ट की जरुरत है। उल्‍लेखनीय है कि अमरीकी फैड रिजर्व बैंक 22 जनवरी को आनन फानन में ब्‍याज दरों में 75 बेसिस अंकों की कमी कर चुका है और यह माना जा रहा है कि 29-30 जनवरी को होने वाली बैठक में अर्थवयवस्‍था में कमजोरी दिखने पर ब्‍याज दर में और कटौती कर सकता है। ब्‍याज दर में कटौती को लेकर कोई भी

दलाल स्‍ट्रीट में नागा साधुओं का शाही स्‍नान

चित्र
मेरा भारत महान के सबसे बड़े शेयर बाजार की बिल्डिंग के एक दरवाजे पर लगे भोलेनाथ के नंदी यानी लोकल भाषा के सांड को जब से हटाने की मांग हो रही है, हम भी अंतिम दर्शन करने वहां पहुंच गए कि ऐसा क्‍या खास है कि इस नंदी महाराज में कि शेयर बाजार के गेट पर खड़े होते ही सुपरसोनिक विमान पर बैठी तेजी को जमीन सूंघा दी। तेजी के सारे तारों ने जैसी ही जमीन सूंघी, सारे निवेशकों को भी नंदी महाराज के मालिक भोलेनाथ का सांप सूंघ गया। नंदी महाराज के अंतिम दर्शन करने हम उनके पास पहुंचे। शीश नवाया कि हे सांड महाराज हमारे शेयरों पर अपने सींग मत मार देना नहीं तो हम कहीं मुंह दिखाने लायक नहीं बचेंगे। जिस बैंक से पर्सनल लोन लिया है, जिन पहचान वालों से एक का दो करने के बहाने रोकड़ा लेकर कमीशन देने का वादा किया है, वे हमारी बनियान और चड्डी तक उतार लेंगे। यह प्रार्थना कर ही रहे थे कि देखा तेजी तो दलाल स्‍ट्रीट में पानी बगैर मछली की तरह छटपटा रही थी और नंदी महाराज दे सींग पर सींग मारे जा रहे थे। हमने कहा बम भोले...ये क्‍या कर दिया नंदी महाराज। आपकी पहचान तो इस तेजी से है और आपने तो इसे ही हलाल कर दिया। नंदी महाराज चु

रिलांयस 10 रुपए और डॉ. रेड्डी सात रुपए में !

चित्र
शेयर बाजार में आई ताजा तेज गिरावट ने अधिकतर निवेशकों को पूरी तरह हिलाकर रख दिया। कुछ निवेशक तो इस कदर साफ हो गए कि अब वे शायद ही आपको शेयर बाजार में फिर कभी दिखाई दे और कुछ अब अपना पैसा निकालकर बाहर हो जाएंगे क्‍योंकि वे मानते हैं कि यहां लगने वाले झटके जमकर हिला देते हैं। हालांकि, एक बात सामने जरुर आई है कि हमारी अर्थव्‍यवस्‍था बुनियादी तौर पर मजबूत है और ताजा गिरावट बीते दिनों की बात बन जाएगी एवं जल्‍दी ही शेयर बाजार नई ऊंचाई की तरफ बढ़ेगा। हिंदू समूह के बिजनैसलाइन अखबार में आज एक ऐसी ही मजेदार स्‍टोरी है। जिसमें मद्रास स्‍टॉक एक्‍सचेंज के पूर्व ब्रोकर महेंद्र शाह ने अपने अनुभव बताए हैं। वाह मनी के पाठक भी इस स्‍टोरी का आनंद लें। शाह कहते हैं कि उनके पास रिलायंस इंडस्‍ट्रीज के आईपीओ में मिले तीन सौ शेयर आज तक हैं, जो उन्‍हें प्रति शेयर दस रुपए की कीमत पर मिले थे। जबकि डॉ. रेड्डी के का हर शेयर तो उन्‍हें अपने इश्‍यू भाव से भी कम यानी सात रुपए पर मिला था। लेकिन आज इन दोनों कंपनियों के शेयर आसमान पर हैं। इतने वर्षों में राइट, बोनस और लाभांश मिला सो अलग। शेयर बाजार में तीन दशक का अनुभव

बड़ी बिल्डिंग गिराती है शेयर बाजार !

चित्र
शेयर बाजार में जब भी बड़ी गिरावट आती है तो ऑपरेटर, पंटर, निवेशक और ज्‍योतिष सभी इसके अलग अलग कारण देने लग जाते हैं। भले ही गिरावट के वास्‍तविक कारण दूसरे ही हों। दुनिया भर के शेयर बाजारों में आई नरमी से क्‍या मनुष्‍य का अहम या अभिमान जुड़ा हुआ है। यह कारण सत्‍य है या नहीं लेकिन जर्मनी के डयूश बैंक ने अपनी एक रिसर्च रिपोर्ट में कुछ इसी तरह की बात कही है। इस बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक जब भी दुनिया में सबसे ऊंची बिल्डिंग बनाई जाती है, शेयर बाजार औंधे मुंह आ गिरते हैं। वर्ष 1929 में अमरीका में आई महामंदी से कुछ दिन पहले ही वहां गगनचुंबी इमारत एम्‍पयार इस्‍टेट बनाई गई थी। इसके बाद 1974 की मंदी से पहले शिकागो में सीएर्स टावर और न्‍यूयार्क का वर्ल्‍ड ट्रेड सेंटर बना। वर्ष 1997 में मलेशिया में पेट्रोनॉस टावर का निर्माण कार्य पूरा हुआ और इसी के साथ एशियाई शेयर बाजार ढह गए। ईश्‍वर जिसका संहार करना चाहता है उससे पहले उसे अभिमानी बना देता है। ग्रीक नाटय लेखक यूरिपिडी ने कई सदियों पहले यह बात कही थी। हो सकता है उन्‍होंने यह बात भविष्‍य के कारोबारियों को ध्‍यान में रखकर कही हो। दुबई में पिछले दो सा

खेल खत्‍म पैसा हजम यानी एचएफसीएल

चित्र
दुनिया में जब तक लालची जिंदा है, समझदार भूखे नहीं मरेंगे। शेयर बाजार में दो रुपए के बीस रुपए बनाने के लालच में लोगों ने घटिया कंपनियों के शेयर खरीदे और पछता रहे हैं। वाह मनी हमेशा से कहता आया है कि बेहतर नतीजों, उम्‍दा प्रबंधन और शानदार लाभांश देने वाली कंपनियों में ही निवेश करना चाहिए। मंदी हो या तेजी बेहतर कंपनियां ही फायदेमंद रहती हैं। कहावत है महंगा रोए एक बार, सस्‍ता रोए बार बार। शेयर बाजार में ऐसी अनेक कंपनियां हैं जो किसी भी हिसाब यानी नतीजों, प्रबंधन से उम्‍दा नहीं है लेकिन उनके शेयर बढ़े जा रहे हैं, लोग निवेश पर निवेश किए जा रहे हैं कि वे एक दिन करोड़पति बन जाएंगे। इन कंपनियों के बारे में बाजार में ऐसी ऐसी सूचनाएं फैलाई जाती है कि आम निवेशक तो यह समझ ही नहीं पाता कि यह खबर है या मक्‍कारी। शेयर बाजार में एक समय अपना डंका बजवा चुकी हिमाचल फ्युच्‍युरिस्टिक कम्‍युनिकेशंस लिमिटेड यानी एचएफसीएल अब भी निवेशकों के बीच नई नई खबरों के साथ छाई हुई है। कभी इसमें खबर आती है कि इस कंपनी को अनिल या मुकेश अंबानी में से कोई खरीद लेगा, इस कंपनी के पास चेन्‍नई में 1200 करोड़ की जमीन है जिसे यह

बंदरों का सौदागर वापस आएगा !

चित्र
एक जंगल के किनारे एक गांव बसा हुआ था वहां के लोग खेती करते और अपना जीविकोपार्जन करते थे। एक दिन वहां शहर से एक सौदागर आया उसने लोगों से कहा कि उसे बंदर चाहिए लेकिन किसी ने उसकी सुनी नहीं सब अपने काम में लगे रहे फिर उसने कहा कि वह एक बंदर के बदले सौ रुपए देगा। गांव के लोगों ने पास के जंगल से खूब सारे बंदर पकडे और सौदागर को सौंप दिए सौदागर ने लोगों को सौ-सौ रुपए दिए।उसने कहा उसे और बंदर चाहिए लोगों का रुझान कम हो गया था क्योंकि बंदर आसानी से नहीं मिल रहे थे अब उसने कहा कि वह एक बंदर के बदले पांच सौ रुपए देगा। लोगों ने अपना काम छोडकर बंदर ढूंढे और सौदागर को दिए जल्दी की बंदरों की दूसरी खेप भी आनी बंद हो गई। अब सौदागर ने कहा कि मैं एक बंदर के बदले एक हजार रुपए दूंगा लोगों ने अपना खेती बाडी का काम छोडकर घने जंगल में जाकर बंदर पकडेऔर उन्हें सौदागर को सौंप दिया जल्दी ही बंदरों की और आवक बंद हुई।सौदागर ने कहा कि शहर से मांग आई है कि और बंदर चाहिए मैं अभी शहर जा रहा हूंवापस आकर और बंदर खरीदूंगा और एक बंदर के बदले दो हजार रुपए दूंगा। गांव के लोग परेशान थे कि जंगल में बंदर खत्म हो चुके हैं। गांव

अंबानी खरीद सकते हैं पाकिस्‍तानी शेयर बाजार !

चित्र
भारत और पाकिस्तान के लोग एक ही पूर्वजों के वंशज हैं। दोनों देशों के लोगों का डीएनए भी एक ही है। अब देखिए भारत में क्या हो रहा है। भारत के मुकेश और अनिल अंबानी चाहें तो कराची के शेयर बाज़ार (कराची स्टॉक एक्स्चेंज –केएसई) में सूचीबद्ध सभी कंपनियों को खरीद सकते हैं और इससे बावजूद उनके पास 30 अरब डॉलर बचे रहेंगे। अगर भारत के चार रईस चाहें तो एक साल के लिए पाकिस्तान के 16 करोड़ 90 लाख पाकिस्तानियों द्वारा एक साल में उपयोग की जाने वाली सारी उपभोक्ता सामग्री और खाद्य सामग्री खरीद सकते हैं और इसके बावजूद उनके पास 60 अरब डॉलर बचे रहेंगे। भारत के चार सबसे बड़े अरबपतियों के पास चीन के 40 सबसे बड़े अकबपतियों के मुकाबले ज्यादा पैसा है। नवंबर, 2007 में बाम्‍बे स्टॉक एक्स्चेंज का सेंसेक्‍स 20 हजार अंक तक पहुंच गया। मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज़ 100 अरब डॉलर की कंपनी हो गई (जबकि पूरा कराची स्टॉक एक्स्चेंज की सकल पूंजी 65 अरब डॉलर है), मुकेश अंबानी का रिलांयस के 48 प्रतिशत हिस्से पर कब्जा है। नवंबर में मुकेश अंबानी ने अपनी पत्नी नीता अंबानी को उनके 43वें जन्म दिन पर देखिए क्या उपहार दिया...! 60

अशुभ है यह अमरीकी सांड

चित्र
देश के सबसे बड़े शेयर बाजार बॉम्‍बे स्‍टॉक एक्‍सचेंज में पिछले दिनों से जो गिरावट आ रही है उसके पीछे एक वास्‍तुशास्‍त्र का कारण भी हो सकता है या महज एक संयोग। लेकिन 12 जनवरी 2008 को बीएसई के बाहर सांड की एक कांस्‍य प्रतिमा लगाई गई है जिसे तेजी का प्रतीक माना जाता है लेकिन सब उल्‍टा हुआ। क्‍यों मालूम है यह सांड न्‍यूयार्क के बाउलिंग ग्रीन पार्क में लगे तीन टन वजन के सांड की नकल पर है। यानी अमरीकी नकल का सांड भारतीय शेयर बाजार के लिए अशुभ साबित हुआ है। बीएसई के दरवाजे पर लगे इस सांड को महाराष्‍ट्र के शहर सोलापुर के कारीगर भगवान रामपुरे न बनाया है और एक टन वजन का है। यह सांड पांच फीट ऊंचा और आठ फीट लंबा है। बीएसई के बाहर खड़े ढेरों निवेशकों का कहना है कि जब से यह सांड यहां आया है, शेयर बाजार का बंटाढार हो गया है। अमरीकी खुद तो मंदी में डूब रहे हैं, हम भारतीयों का भी नुकसान कर रहे हैं। इस सांड को जितना जल्‍दी हो यहां से हटा देना चाहिए। बीएसई के एक दरवाजे के बीचोंबीच खड़ा यह सांड सही नहीं है। लीजिए यह नई खबर जिसमें मंदी के लिए सांड को दोषी माना जा रहा है।

शेयर बाजार : पर्दे के पीछे का खेल

चित्र
शेयर बाजार में आज जो तगड़ी गिरावट आई उसके संबंध में सभी को पता है। लेकिन इस गिरावट के मंच पर जो पर्दा है उसके पीछे के गेम के बारे में हर किसी को जानकारी नहीं है। वाह मनी को संपर्क सूत्रों से पर्दे के पीछे के गेम के बारे में जो जानकारी मिली है वह आप भी जानिए। विदेशी संस्‍थागत निवेशक जनवरी में नया निवेश करेंगे, यह कहानी इन संस्‍थागत निवेशकों के साथ, उन घरेलू ऑपरेटरों ने फैलाई जो केवल इन निवेशकों के लिए लेनदेन करते हैं। ये ऑपरेटर मास साइक्‍लोजी को पढ़ते हैं और बाजार में गलत ढंग से ऐसी पिक्‍चर खड़ी करते हैं कि आम निवेशक इनके झांसे में आ जाता है। सबप्राइम की वजह से विदेशी संस्‍थागत निवेशकों को निवेश के लिए उतना नया पैसा नहीं मिला जितना अखबारों, टीवी और फाइनेंशियल एनालिस्‍टों ने फैलाया। टेक्निकल एनालिस्‍ट आज कह रहे थे कि वे तो पहले ही बता रहे थे कि शेयर बाजार में गिरावट आएगी, जबकि यह झूठ है। ज्‍यादातर विश्‍लेषकों को कहना था कि शेयर बाजार सूचकांक बढ़कर इसी महीने 24 हजार अंक पहुंच जाएगा। कई विश्‍लेषक भी विदेशी संस्‍थागत निवेशकों के लिए काम करते हैं। आम निवेशक से महीने के दो से पांच हजार रुपए

छोटा कांट्रैक्‍ट, बड़ा नॉनसेंस

चित्र
भारतीय शेयर बाजार में आज जो तूफानी गिरावट आई उसमें क्‍या बड़ा और क्‍या छोटा, कोई भी निवेशक समझ पाता, संभल पाता, पूरी तरह साफ हो गया। हालांकि, शेयर बाजार में अंत में नरमी कुछ कम पड़ी, कई कंपनियों के शेयरों में लगा उल्‍टा सर्किट खुला लेकिन अभी मुसीबत कम नहीं हुई है। विदेशी संस्‍थागत निवेशक अपने पूरे घाटे को भारतीय शेयर बाजार से पूरा करने में लगे हैं क्‍योंकि यहां उन्‍होंने कौडि़यों के मोल जो शेयर खरीदे थे वे उन्‍हें खासा मुनाफा दे रहे हैं। भारतीय शेयर बाजार में आज एक दिन में निवेशकों को 6.64 लाख करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। वाह मनी ने हमेशा से दो बातें निवेशकों के सामने रखीं। पहली-शेयर बाजार में मुनाफा अपनी जेब में लेते चले। यानी ऊंचे भाव पर बिकवाली और निचले भाव पर खरीद। जो मुनाफा आज आप की जेब में जा रहा है वह कल किसी और का हो सकता है। दूसरी-भूलकर भी फ्यूचर एंड ऑप्‍शन यानी एफएंडओ मत खेलो। देश्‍ा के शेयर बाजारों में आम निवेशक जो बड़े कांट्रैक्‍ट की सीमा से परे जा चुके थे, को लालच में लपेटने के लिए छोटे कांट्रैक्‍ट जारी किए। आम निवेशक इनमें फंसे और जल्‍द से जल्‍द करोड़पति बनने के लालच में

बेहतर स्‍टॉक खरीदने का मौका

चित्र
भारतीय शेयर बाजार के लिए बीता सप्‍ताह तगडी मंदी का रहा जिसमें बीएसई सेंसेक्‍स 1795 अंक लुढ़का। लगातार तेजी पर सवार भारतीय शेयर बाजार अंतरराष्‍ट्रीय शेयर बाजारों में घट रही घटनाओं को नजरअंदाज कर रहा था लेकिन जब अमरीकी सबप्राइम के वास्‍तविक नतीजे दिखने लगे तो भारतीय शेयर बाजार भी ढ़ेर हो गया। सिटीग्रुप, यूबीएस और मेरिल लिंच की बिगड़ी आर्थिक स्थिति ने अधिकतर विदेशी संस्‍थागत निवेशकों को अमरीका में हुए घाटे को पूरा करने के लिए यहां बिकवाल बनने पर मजबूर कर दिया। आज 21 जनवरी से शुरु हो रहे नए सप्‍ताह में भी शेयर बाजार में बढ़त की बड़ी उम्‍मीद कम ही रखनी चाहिए क्‍योंकि विदेशी संस्‍थागत निवेशक भारतीय शेयर बाजार में सस्‍ते में लिए गए शेयर अब बेचकर अपने घाटे को पूरा करना जारी रखेंगे। पिछले सप्‍ताह विदेशी निवेशक हर रोज दो हजार करोड़ रुपए से ज्‍यादा के शेयर नगद बाजार में बेच रहे थे। हालांकि यह तय है कि शेयर बाजार में जो रिटर्न भारत और चीन में मिल रहा है उसे देखते हुए विदेशी संस्‍थागत निवेशक यहां से नहीं जाएंगे। अपने घाटे की काफी पूर्ति करने के बाद वे एशिया के इन्‍हीं दो शेयर बाजारों में पैसा लगाए

डॉलर एंड डंडा

चित्र
मुंबई नगरिया की फैमस होटल ताज के सामने खड़े होकर गेटवे ऑफ इंडिया का जायजा ले रहे थे कि कैसे इंग्लिश मैन यहां से मुंबई में घुसे थे। तभी एक गोरी चमड़ी वाला मेरे पास आया और हल्‍का मुस्‍काया। हमने सोचा इस गेट पर खड़े होकर इनका स्‍वागत करना हम हिंदुस्‍तानियों का फर्ज है या‍ फिर बाप दादाओं पर चढ़ा कोई कर्ज, जिसे पूरा करना होगा। हम भी मुस्‍काएं और चाल ढाल से साफ पता चला तो सीधा पूछा यू ऑर कमिंग फ्रोर्म यूएसए...। यस...यस...हमारा अगला सवाल सपाट...वॉट इज न्‍यू विद बुश। वह बोला....डॉलर एंड डंडा। हम चौके यह डंडा कब लंदन से वाशिंग्‍टन पहुंच गया क्‍योंकि अंग्रेजी तो हम पर डंडा खूब यूज करते थे। यह तो हिंदी का डंडा है...वह बोला नो...इट इज अमरीकन डंडा। खूब उत्‍सुकता जगी तो पूछा यार सीधे सीधे बताओं यह है क्‍या। वह बोला यार बोला तो सुना..हम अमरीकनों के जो यार हैं वहां डॉलर चलता है जो हमारे डॉलर के दुश्‍मन वहां डंडा। यूं तो कहा जाता है कि सारी दुनिया में डॉलर चलता है लेकिन अब कुछ बदमाश डॉलर को चलने नहीं दे रहे सो हमने नई नीति में डंडा अपना लिया। अब चाहे कोई देश हो वियतनाम या इराक, अफगानिस्‍तान अथवा ईरान।

यही होता है लालच का अंजाम !

चित्र
बॉम्‍बे स्‍टॉक एक्‍सचेंज में आज जिस तरह फ्री फ्लो गिरावट आ रही थी उसने यह तो साफ कर दिया कि अंतरराष्‍ट्रीय बाजार से मिल रहे मंदी के संकेत के बावजूद तेजी का खेल खेलना कितना खतरनाक हो सकता है। वाह मनी ने 11 जनवरी 2008 को अपनी पोस्‍ट डर पर हावी लालच में काफी कुछ चेता दिया था। इसके अलावा 24 दिसंबर 2007 को अपनी पोस्‍ट शेयर बाजार में अगले साल तगड़ी चंचलता ..में भी यह बताया था कि निवेशक मुनाफावसूली करते रहें और हर बड़ी गिरावट पर छोटी छोटी मात्रा में बेहतर स्‍टॉक की खरीद। मुनाफावसूली और बिकवाली में अंतर होता है। हर ऊपरी स्‍तर पर बिकवाली कर निचले स्‍तर पर खरीद करना ही फायदे का सौदा होता है। वाह मनी शेयर बाजार में मंदी की बात नहीं कर रहा है लेकिन अमरीका में सबप्राइम के जो नतीजे सामने आ रहे हैं उससे यह तो साफ हैं कि अंतरराष्‍ट्रीय बाजार में घटने वाली हर घटना का हमारे शेयर बाजार पर असर जरुर पड़ेगा। हम अपनी इस राय पर पहले की तरह कायम है कि दिवाली 2008 तक बीएसई का सेंसेक्‍स 25 हजार अंक की ऊंचाई को छू लेगा। आप इसे इस तरह भी ले सकते हैं कि जब हम एक ट्रेन से यात्रा करते हैं तो जरुरी नहीं कि वह जगह एक

बेहतर रिटर्न देगा अपोलो टायर्स

चित्र
अपोलो टायर्स ने अक्‍टूबर से दिसंबर 2007 की तिमाही के जो नतीजे पेश किए हैं, वे बाजार की उम्‍मीद से कहीं बेहतर है। कंपनी के शानदार नतीजे और विस्‍तार योजनाओं से पता चलता है कि 32 साल की यात्रा में इस कंपनी ने टायर उद्योग में अपना मुकाम खुद बनाया है। कंपनी की शुद्ध बिक्री चालू वित्‍त वर्ष की तीसरी तिमाही में 974.1 करोड़ रुपए पहुंच गई, जो पिछले साल की इसी तिमाही में 857.5 करोड़ रुपए थी। इसी तरह शुद्ध लाभ भी 35.1 करोड़ रुपए से बढ़कर 62.2 करोड़ रुपए पहुंच गया। कंपनी की आय में यह बढ़ोतरी ओरिजनल इक्विपमेंट मैन्‍युफैक्‍चरर्स (ओईएम) की मांग में सुस्‍ती के बावजूद देखने को मिली है। अपोलो टायर्स की बिक्री में रिप्‍लेसमेंट मांग की भूमिका 70 फीसदी रही जो पिछले साल समान तिमाही में 65 फीसदी थी। कच्‍चे माल की लागत में बढ़त के बावजूद कंपनी का ऑपरेटिंग लाभ मार्जिन सुधरा है। अपोलो टायर्स 220 करोड़ रुपए के पूंजीगत खर्च से अपना विस्‍तार करने जा रही है। इस विस्‍तार के तहत चेन्‍नई के समीप एक ग्रीनफील्‍ड रेडियल सुविधाएं खड़ी करना है। इस परियोजना के पहले चरण का कार्य अगले 18 महीनों में पूरा होने की संभावना है। इ

शेयर बाजार : अंधेरे के बाद ही उजाला

चित्र
भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था के बैरोमीटर बॉम्‍बे स्‍टॉक एक्‍सचेंज का सेंसेक्‍स पिछले दो दिन में एक हजार अंक गिर चुका है और निवेशकों में बेचैनी छा गई है। निवेशकों के मुरझाएं चेहरों पर एक ही सवाल है कि सेंसेक्‍स और शेयर बाजार में आगे क्‍या होगा। क्‍या यह मंदी और बढ़ेगी या फिर मार्केट की रौनक लौट आएगी। हर निवेशक को यह जान लेना चाहिए शेयर बाजार में न तो सब कुछ मिटने जा रहा है और न ही बड़ी तेजी आएगी। लेकिन यह बात ध्‍यान रखनी चाहिए कि हर तगड़ी तेजी के बाद कुछ करेक्‍शन आता ही है लेकिन ऐसे करेक्‍शन स्‍थाई नहीं हैं और शेयर बाजार नई बुलंदियों को छूता रहेगा। बीएसई सेंसेक्‍स जब पांच हजार अंक था और आठ हजार अंक पर आया तब भी यही बातें होती थी कि अब बहुत बढ़ गया बाजार, कभी भी औंधे मुंह गिरेगा। आठ से 15 हजार अंक पहुंचा तब भी इसी तरह की बातें होती थी और आज भी हो रही है। इस तरह की बातों को सोचने के पीछे हमारी गलती नहीं है, बल्कि हमारी मानसिकता आड़े आ जाती है क्‍योंकि हम तगड़ी तेजी देखने के आदी नहीं रहे और पहली बार बाजार में आग लगते हुए देख रहे हैं लेकिन एक गिरावट ब्‍लड प्रेशर गड़बड़ा देती है। यदि इतिहास देखा ज

मास साइक्‍लोजी का गेम है यह पावर

चित्र
रिलायंस पावर लिमिटेड के पब्लिक इश्‍यू को खुलते ही जो 11 गुना ओवरसब्‍सक्राइब्‍ड का प्रतिसाद मिला वह असल में रिटेल निवेशकों से अधिक संस्‍थागत निवेशकों की देन है जिन्‍होंने काफी पहले ही यह तैयारी कर रखी थी कि ज्‍योंहि यह इश्‍यू खुलेगा, आवेदन जमा हो जाना चाहिए। आपका आवेदन पहले जमा हो या बाद में उससे कोई फर्क नहीं पड़ता। यहां ऐसा नहीं है कि पहले आओ और पहले पाओ। असल में जब इस इश्‍यू में जमकर पैसा आने की खबर बाजार में फैली तो आम निवेशक भी पावर ऑन, इ‍ंडिया ऑन के जोश में आ गया और लोग अपने बेहतर स्‍टॉक बेचकर इस आईपीओ के लिए पैसे की जुगत में लग गए। यही वजह रही कि कल शेयर बाजार ने विपरीत दिशा में रुख किया, वह इस समय तक कायम है। पूरा शेयर बाजार लाल॥लाल दिखाई दे रहा है। बढ़ने वाले शेयरों को ढूंढा जा रहा है कि कौनसे शेयर बढ़े हैं। रिलायंस पावर का आईपीओ तो निवेशकों की शेयर बिकवाली और यहां हुए निवेश से ऑन हो गया लेकिन शेयर बाजार खुद ऑफ हो गया। रिलायंस पावर में यह तय है कि किसी भी आम निवेशक को इतनी बड़ी संख्‍या में शेयर नहीं मिलेंगे कि उनकी माली हालत 20 से 25 दिन में पूरी तरह बदल जाएगी। रिलायंस पावर के

स्‍टील की मजबूती है गेलेन्‍ट मेटल में

चित्र
गुजरात स्थित इंटीग्रेटेड स्‍टील उत्‍पादक कंपनी गेलेन्‍ट मेटल स्‍पोंज ऑयरन, एमएम बिलेट्स, रि रोल्‍ड उत्‍पादक (टीएमटी बार्स) के उत्‍पादन से जुड़ी हुई कंपनी है। कंपनी समूचे बिलेट्स का रोलिंग उत्‍पादकों के लिए खुद ही खपत करती है। कंपनी के रिरोल्‍ड उत्‍पादों को बनाने में एमएस बिलेट्स मुख्‍य कच्‍चा माल है। कंपनी के पास स्‍वयं के उपयोग के लिए बिजली संयंत्र भी है जिसमें 18 मेगावाट बिजली का उत्‍पादन किया जाता है। कंपनी ने अपनी परियोजना के दूसरे चरण के तहत मार्च 2007 में 25 मेगावाट का निजी बिजली संयंत्र स्‍थापित किया। शानदार आर्थिक विकास दर, इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर डेवलपमेंट, और ग्रामीण विकास पर ध्‍यान देने की नीति से स्‍टील उद्योग पर सकारात्‍मक असर देखने को मिलेगा। पश्चिम क्षेत्र में स्‍टील की मांग व आपूर्ति में अंतर का लाभ भी इस कंपनी को मिलेगा। साथ ही कंपनी ने गुजरात व महाराष्‍ट्र के हर बाजार में अपनी उपस्थिति बनाना शुरु कर दिया है। इस कंपनी ने अब अलॉय और स्‍पेशल स्‍टील के उत्‍पादन में उतरने का इरादा जताया है। साथ ही अपनी उत्‍पादन क्षमता में बढ़ोतरी और यूरोप व चीन के बाजार में निर्यात के माध्‍यम स

पैसे तो जमीन में गड़े हैं पेन्निसुला

चित्र
पुराने जमाने के कई बड़े बुजूर्ग आज भी ऐसे ढ़ेरों किस्‍से सुनाते हैं जिनसे पता चलता है कि पहले कई धन्‍ना सेठ या आम आदमी पैसे जमीन में गाड़कर रखते थे। अब नए जमाने में लोग जमीन की खरीद फरोख्‍त का काम कर पैसा कमाते हैं लेकिन इक्विटी कल्‍चर वाले जानते हैं कि जितने पैसों में महंगी जमीन खरीदेंगे उससे कम दाम में बेहतरीन रियल्‍टी स्‍टॉक खरीद कर कम समय में मोटा मुनाफा बैंक में जमा कर लेंगे। यदि आप इस समय बेहतरीन रियल्‍टी स्‍टॉक की तलाश कर रहे हैं तो अशोक पिरामल समूह की कंपनी पेन्निसुला लैंड से उम्‍दा कोई नहीं, जहां आने वाले समय में मोटे मुनाफे की बड़ी संभावना छिपी हुई है। पिरामल होल्डिंग्‍स लिमिटेड और मोरारजी रियॉल्टीज लिमिटेड के वर्ष 2005 में हुए विलय से पेन्निसुला लैंड अस्तित्‍व में आई। मुंबई स्थित यह रियल इस्‍टेट डेवलपर, नॉन लैंड बैंक अवधारणा वाली यह कंपनी अब मुंबई के अलावा दक्षिण व पश्चिम भारत में अपने पैर पसार रही है। इस कंपनी का उसूल है मौजूदा जरुरत के मुताबिक जमीन खरीदो और इसे विकसित करो। कंपनी अब तक मुंबई में 22 लाख वर्ग फीट रियल इस्‍टेट विकसित कर चुकी है जिसमें 38 फीसदी आवासीय परियोज

शेयरों में घटबढ़ सीमित रेंज में

चित्र
नए साल के पहले सप्‍ताह ने शेयर बाजार और निवेशकों में तेजी का नया जोश भरा लेकिन पिछले सप्‍ताह जिस तरह से विदेशी संस्‍थागत निवेशकों ने जमकर बिकवाली की उससे अधिकतर निवेशकों में बेचैनी छा गई। 14 जनवरी से शुरु होने वाले नए सप्‍ताह में भी शेयर बाजार के एक सीमित रेंज में ही रहने की उम्‍मीद है। वैसे भी इस सप्‍ताह रिलायंस पावर का पब्लिक इश्‍यू खुल रहा है जिसमें देश के ज्‍यादातर निवेशकों ने पैसा लगाने की तैयारी कर रखी है। आज से शुरु हो रहे नए सप्‍ताह में बॉम्‍बे स्‍टॉक एक्‍सचेंज यानी बीएसई सेंसेक्‍स के 21443 से 20168 अंक के बीच रहने की प्रबल संभावना है। जबकि निफ्टी 6348 से 6066 अंक के बीच घूमता रहेगा। तकनीकी विश्‍लेषक हितेंद्र वासुदेव का मानना है कि शेयर बाजार में तेजी के लिए बीएसई सेंसेक्‍स के 20210 से ऊपर बने रहना जरुरी है। तकनीकी विश्‍लेषक मार्टिन प्रिंग मानते हैं कि सेंसेक्‍स को 19600 पर मजबूत स्‍पोर्ट मिलेगा। सेंसेक्‍स 21 हजार अंक के लेवल को पार करता है तो यह 23 हजार तक पहुंच जाएगा। इस सप्‍ताह देश की अनेक प्रमुख कंपनियों के तिमाही नतीजे आने जा रहे हैं। यदि जो बेहतर नतीजे समाने रखती हैं तो

शेयर बाजार को मजबूती की जरुरत

चित्र
हितेंद्र वासुदेव भारतीय शेयर बाजार बॉम्‍बे स्‍टॉक एक्‍सचेंज के सेंसेक्‍स ने दो सप्‍ताह पहले ब्रेकआउट किया लेकिन भविष्‍य के लिए यह ब्रेकआउट ही पर्याप्‍त नहीं है बल्कि इसमें लगातार बढ़ोतरी होना जरुरी है। सप्‍ताह दर सप्‍ताह शेयर सेंसेक्‍स बढ़ रहा है लेकिन यह बढ़ोतरी टिक नहीं पा रही और उठापटक भरी है। बीएसई का सेंसेक्‍स पिछले सप्‍ताह 20637.21 अंक पर खुला और नीचे में 20438.19 अंक तक गया। ऊपर में यह 21206.77 अंक तक गया लेकिन अंत में साप्‍ताहिक आधार पर 104 अंक बढ़कर 20827.45 अंक पर बंद हुआ। सेंसेक्‍स में यह लगातार तीसरे सप्‍ताह बढ़ोतरी दिखाई दे रही है। साप्‍ताहिक रुझान बढ़त का दिख रहा है लेकिन यह तभी उल्‍ट सकता है जब सेंसेक्‍स 20 हजार अंक के नीचे बंद हो। सेंसेक्‍स में साप्‍ताहिक आधार पर ब्रेकआउट इसके 21210 से ऊपर बंद होने पर होगा और यह नई ऊंचाई की ओर बढ़ेगा। मौजूदा समय में ऊपरी स्‍तर पर दबाव देखा जा रहा है। उच्‍च स्‍तर पर पर्याप्‍त मुनाफा वसूली देखने को मिल रही है। सेंसेक्‍स के लिए दो मीडियम टर्म स्‍पोर्ट अंक 18800 और 18100 हैं। सेंसेक्‍स यदि इन दोनों स्‍तरों से नीचे बंद होने पर पूरी तरह टूट

डर पर हावी लालच

चित्र
भारतीय शेयर बाजारों में इस समय जो उथल पुथल मची है उसका आम निवेशक कोई कारण नहीं ढूंढ पा रहा है। हर कोई विश्‍लेषक यह कह रहा है कि बाजार में गिरावट की कोई वजह नहीं है। यह ऊपरी स्‍तर पर मुनाफा वसूली आने से छाई नरमी है। इक्विटी बाजार के बड़े बड़े धुरंधरों ने यह जो वजह बताई है वह अपने में सही है लेकिन क्‍या आप जानते हैं कि अब आम निवेशक का लालच बढ़ता जा रहा है और उसे यह डर कतई नहीं सता रहा कि शेयर बाजार में गिरावट आएगी। यही स्थिति रही तो आने वाले दिनों में निवेशक यह तक कह सकते हैं कि गिरावट या करेक्‍शन....यह क्‍या बला होती है। भारतीय निवेशक यह मान चुके थे कि नवंबर और दिसंबर 2007 में विदेशी संस्‍थागत निवेशक काफी बिकवाली कर चुके हैं और आगे जाकर वे ऐसा नहीं करेंगे। बल्कि जनवरी में उन्‍हें निवेश के लिए जो नया पैसा मिलेगा, उसे भारतीय शेयर बाजार में हर भाव पर झौंक देंगे। इसी लालच में भारतीय निवेशकों ने हर बेहतर, अच्‍छी और घटिया कंपनियों के शेयर खरीदें। बाजार में केवल एक ही शोर था....लाओं...लाओं.....पकड़ लो। जनवरी में विदेशी संस्‍थागत निवेशक नया पैसा लेकर आ रहे हैं उन्‍हें ऊंचे में टिका देना। चांदी

सस्‍ती, सुंदर सुमेधा

चित्र
वाह मनी से अनेक निवेशकों ने यह पूछा है कि उन्‍हें कोई सस्‍ता शेयर बताया जाए जिसमें बड़ी मात्रा में निवेश किया जाए जिसकी लागत भी कम हो और रिटर्न बेहतर मिले। यानी सस्‍ता और सुंदर शेयर। शेयर बाजार में आई जोरदार तेजी के बीच सभी ब्रो‍किंग कंपनियों के शेयर दौड़ रहे हैं। ऐसे में इसी क्षेत्र की कंपनी सुमेधा फिस्‍कल सर्विसेस एक बेहतर शेयर है जो अन्‍य सभी ब्रोकिंग कंपनियों की तुलना में सस्‍ता मिल रहा है। सुमेधा फिस्‍कल सर्विसेस पूंजी बाजार और एफएनओ सेगमेंट में नेशनल स्‍टॉक एक्‍सचेंज की सदस्‍य है। इस कंपनी का बाजार पूंजीकरण 14 करोड़ रुपए है और संभवत: यह ब्रोकिंग कंपनियों के शेयरों के बीच बीएसई पर सबसे सस्‍ते में मिल रहा है। वर्ष 2007 में कंपनी को केवल 85 लाख रुपए का लाभ हुआ जबकि वर्ष 2008 की पहली छमाही में इसने कर पश्‍चात लाभ 85 लाख रुपए कमाया। कंपनी ने वर्ष 2007 में लाभांश दिया जो पांच फीसदी था लेकिन वर्ष 2008 में इस लाभांश के बढ़ने की उम्‍मीद है। सुमेधा फिस्‍कल के ऑफिस कोलकाता में है। इसके अलावा आठ शाखाएं हैं। कंपनी के प्रमोटर चार्टर्ड एकाउंटेंट्स हैं और 6.6 करोड़ रुपए की इक्विटी में 53 फीसदी

डार्क हॉर्स है गुजरात स्‍टेट पेट्रोनेट

चित्र
गुजरात स्‍टेट पेट्रोनेट लिमिटेड (जीएसपीएल) ने वित्‍त वर्ष 2007 में अपनी पाइपलाइन नेटवर्क को 1130 किलोमीटर कर दिया, जो वित्‍त वर्ष 2006 में केवल 510 किलोमीटर थी। यानी एक ही साल में पाइपलाइन नेटवर्क दुगुना। यह कंपनी पाइपलाइन के निर्माण और इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर स्‍थापित करने के लिए पहले ही दो अरब रुपए निवेश कर चुकी है। कंपनी ने जामनगर और हलोल के इलाके को जोड़ने के लिए दो अरब रुपए का अतिरिक्‍त पूंजीगत खर्च करने की योजना बनाई है। कंपनी मोरबी से मुंद्रा पोर्ट और पीपावाव पोर्ट से जामनगर के इलाके को कवर करने के लिए पाइपलाइन गैस ग्रिड स्‍थापित करने की भी योजना बना रही है। पूंजीगत खर्च के लिए आईएफसी ने लगभग 123 करोड़ रुपए का इक्विटी निवेश किया है और 338 करोड़ रुपए का कर्ज दिया है। जीएसपीएल शुद्ध रुप से गैस ट्रांसमीशन कंपनी है और मौजूदा समय में यह अपने ग्राहकों को लगभग 18 एमएमएससीएमडी गैस सप्‍लाई कर रही है। वर्ष 2009 तक कंपनी चरणबद्ध रुप से अपने इस वोल्‍यूम को बढाएगी। वर्ष 2009 की चौथी तिमाही से कंपनी का रिलायंस इंडस्‍ट्रीज के साथ भरुच से जामनगर के बीच 11 एमएमएससीएमडी गैस के ट्रांसपोर्टेशन का 15 साल