शेयर बाजार की नजरें रिजर्व बैंक पर
शेयर बाजार के खिलाडि़यों की नजरें अब भारतीय रिजर्व बेंक पर लगी हैं। भारतीय रिजर्व बैंक कल यानी 29 जनवरी 2008 को अपनी मौद्रिक नीति घोषित करेगा। इस नीति में उम्मीद की जा रही है कि बैंक ब्याज दरों में 25 से 50 बेसिस अंक की कमी करें। इस कदम से न केवल वैश्विवक मंदी के माहौल में हालात अच्छे करने का मौका मिलेगा बल्कि घरेलू मांग में बढ़ावा होगा। भारतीय रिजर्व बैंक ने रेपो दर और कर्ज दरों में आखिरी कटौती मार्च 2004 में की थी। जबकि बैंक जून 2006 से पिछले मार्च तक पांच बार इसमें बढ़ोतरी कर चुका है। कारोबारियों का कहना है कि ब्याज दरें अपने उच्च स्तर पर पहुंच चुकी हैं और इससे औद्योगिक विकास पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। सकल घरेलू विकास दर को 8.6 फीसदी बनाए रखने के लिए अर्थव्यवस्था को मौद्रिक नीति के स्पोर्ट की जरुरत है। उल्लेखनीय है कि अमरीकी फैड रिजर्व बैंक 22 जनवरी को आनन फानन में ब्याज दरों में 75 बेसिस अंकों की कमी कर चुका है और यह माना जा रहा है कि 29-30 जनवरी को होने वाली बैठक में अर्थवयवस्था में कमजोरी दिखने पर ब्याज दर में और कटौती कर सकता है।
ब्याज दर में कटौती को लेकर कोई भी निश्चित रुप से कुछ नहीं कह पा रहा है। भारतीय रिजर्व बैंक ब्याज दर में कटौती करेगा या नहीं, इस संबंध में दोनों तरह के मत हैं। कुछ खिलाड़ी मानते हैं कि बाजार में लिक्विडिटी पर्याप्त हैं जिससे इस समय ब्याज दर में कमी नहीं होगी। जबकि कुछ मानते हैं कि अर्थव्यवस्था को तेजी से ऊपर उठाने के लिए ब्याज दर में कटौती की जानी चाहिए। डीएसपी मेरिल लिंच के मुख्य अर्थशास्त्री इंद्रनील सेनगुप्ता कहते हैं कि अमरीका और भारत की स्थिति में अंतर हैं और ब्याज दर में कमी के बावजूद भारत की मौद्रिक नीति में सख्ती कम नहीं होगी। पूंजी बाजार के विश्लेषकों का मानना है कि शेयर बाजार कहीं भी स्थिर हो लेकिन यह कुछ समय तक सीमित दायरे में चलेगा और इसमें जल्दी बड़ी तेजी के आसार कम हैं। निवेशकों को इस समय उन बेहतर शेयरों को लेना चाहिए जो पहले काफी ऊंचे भाव पर थे और उनकी पहुंच से बाहर हो चुके थे। असल में यह डिस्काउंट सेल है।
ब्याज दर में कटौती को लेकर कोई भी निश्चित रुप से कुछ नहीं कह पा रहा है। भारतीय रिजर्व बैंक ब्याज दर में कटौती करेगा या नहीं, इस संबंध में दोनों तरह के मत हैं। कुछ खिलाड़ी मानते हैं कि बाजार में लिक्विडिटी पर्याप्त हैं जिससे इस समय ब्याज दर में कमी नहीं होगी। जबकि कुछ मानते हैं कि अर्थव्यवस्था को तेजी से ऊपर उठाने के लिए ब्याज दर में कटौती की जानी चाहिए। डीएसपी मेरिल लिंच के मुख्य अर्थशास्त्री इंद्रनील सेनगुप्ता कहते हैं कि अमरीका और भारत की स्थिति में अंतर हैं और ब्याज दर में कमी के बावजूद भारत की मौद्रिक नीति में सख्ती कम नहीं होगी। पूंजी बाजार के विश्लेषकों का मानना है कि शेयर बाजार कहीं भी स्थिर हो लेकिन यह कुछ समय तक सीमित दायरे में चलेगा और इसमें जल्दी बड़ी तेजी के आसार कम हैं। निवेशकों को इस समय उन बेहतर शेयरों को लेना चाहिए जो पहले काफी ऊंचे भाव पर थे और उनकी पहुंच से बाहर हो चुके थे। असल में यह डिस्काउंट सेल है।
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