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दलाल स्‍ट्रीट: डे ऑफ डिपार्चर

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इजिप्‍त (मिस्त्र) में 30 साल से शासन में जमे होस्‍नी मुबारक के खिलाफ जनता का डे ऑफ डिपार्चर शुरु हो गया है। यमन, सीरिया के भी हालात ठीक नहीं है। टयूनिशिया से शुरु हुई चिंगारी ने दस देशों की जनता को जगा दिया है। भारत की जनता अभी जागी नहीं है लेकिन दलाल स्‍ट्रीट जाग गई है। इजिप्‍त और सीरिया की गंभीर स्थिति को समझते हुए दलाल स्‍ट्रीट में आज आई जोरदार बिकवाली ने भारतीय शेयर बाजार के रिकॉर्ड में दर्ज ब्‍लैक फ्राइडे में एक और शुक्रवार को जोड़ दिया। बॉम्‍बे स्‍टॉक एक्‍सचेंज का सेंसेक्‍स आज 18450.07 अंक पर खुला और ऊपर में 18542.20 अंक आया। यह नीचे में 17926.98 अंक गया। यह अंत में 441.16 अंक गिरकर 17926.98 अंक पर बंद हुआ। बीएसई मिडकैप इंडेक्‍स 93.35 अंक घटकर 6734.52 अंक पर निपटा। बीएसई स्‍मॉल कैप इंडेक्‍स 132.80 अंक कमजोर पड़कर 8331.20 अंक पर बंद हुआ। नेशनल स्‍टॉक एक्‍सचेंज की निफ्टी 137.80 अंक फिसलकर 5388.95 अंक पर बंद हुई। जागी जनता शुक्रवार, शनिवार और रविवार को इजिप्‍त, सीरिया में क्‍या गुल खिला देगी, कोई नहीं जानता। यदि यहां अशांति बढ़ी तो शेयर बाजार की परेशानियां कम नहीं होगी लेकिन इजिप्‍

शेयर बाजार की दिशा का अहम समय

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भारतीय शेयर बाजार के लिए चार मई से शुरु हो रहा सप्‍ताह बेहद अहम है और 16 मई तक शेयर बाजार अनेक उतार चढ़ाव का सामना करता रहेगा। स्‍वाइन फ्लू और राजनीतिक जोड़तोड़ इन दो सप्‍ताहों में शेयर बाजार की अगली दिशा तय कर देंगे। हालांकि, लोकसभा के नतीजों से ही यह पता चल सकेगा कि दिल्‍ली में किस दल के हाथ कुर्सी लगेगी और उसके मित्र दल कौन कौन होंगे लेकिन नतीजों से पहले ही जिस तरह की हलचल राजनीतिक गलियारों में हो रही हैं उसका आम जनता से मिले वोट से कोई सारोकार नहीं है। केवल व्‍यक्तिगत स्‍वार्थ को सर्वोपरि रखा जा रहा है क्‍योंकि जनता से तो अब पांच साल बाद मिलना है। शेयर बाजार की इस रिपोर्ट में पिछली बार भारतीय उपमहाद्धीप की बदल रही स्थिति का जिक्र किया था कि श्रीलंका, पाकिस्‍तान और भारत में ऐसे कारक बन रहे हैं कि आने वाले वर्ष भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था के होंगे। श्रीलंका में तमिल चीतों का काफी दम निकल गया है, जबकि पाकिस्‍तान में ओबामा प्रशासन ने जरदारी को कमजोर खिलाड़ी मानते हुए नवाज शरीफ से पींगे बढ़ाना शुरु कर दिया है ताकि उन्‍हें कुर्सी का आनंद देने की एवज में तालिबान को पाकिस्‍तान में घेरकर मारा जा

भारतीय शेयर बाजार नई तेजी की ओर

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अंतरराष्‍ट्रीय इक्विटी विश्‍लेषक फर्म इलियटवेव ने जब यह कहा कि भारतीय शेयर बाजार का सेंसेक्‍स अगले 15 साल में एक लाख अंक पर पहुंच जाएगा तो अनेक निवेशकों और विश्‍लेषकों ने इसे हसंने के अंदाज में लिया कि आज क्‍या होगा, यह बताओं, 15 साल किसने देखें। लेकिन एशियाई बाजारों में आने वाले दिन भारतीय शेयर बाजार के होंगे। हो सकता है घरेलू शेयर बाजार चीन जैसे बाजार को भी पीछे छोड़ दें। भारतीय शेयर बाजार के बेहद मजबूत बनने के अनेक कारक अब पैदा होते जा रहे हैं जिसमें अति धैर्यवान निवेशक भारी भरकम मुनाफा कमाने की स्थिति में होंगे। लेकिन इस खजाने को हासिल करने के‍ लिए आज किए गए निवेश पर धैर्य रखना होगा। यहां धैर्य रखने की समय सीमा पर एक बात साफ कर दूं कि धैर्य का मतलब यह कदापी नहीं हैं कि आज शेयर खरीदें और अगले 15 साल तक उन्‍हें न देखें। अपने निवेश पर बीच बीच में मुनाफावसूली करते रहें और हर गिरावट पर फिर से खरीद जरुर करते रहें। यह न तो इंट्रा डे ट्रेडिंग है और ना ही चुपचाप बैठने वाली सलाह। भारतीय उपमहाद्धीप में हमारे शेयर बाजार के लिए जो सकारात्‍मक कारक पैदा हो रहे हैं वे भौगोलिक हैं। श्रीलंका में पिछल

शेयर बाजार को आखिरी धक्‍का मारने की तैयारी !

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मंदी में डूबे शेयर बाजार को क्‍या अब आखिरी धक्‍का मारने की तैयारी हो रही है। आम निवेशक के विचारों को आगे रखें तो शेयर बाजार में मंदी का अंत नहीं है और उन्‍हें ऐसा लगता है सब कुछ जीरो हो जाएगा। लेकिन ऐसा है नहीं। आम निवेशक की मनोस्थिति में उसे जीरो के अलावा कुछ नहीं दिख रहा जबकि अंधेरे के बाद उजाला और उजाले के बाद अंधियारा प्रकृति का नियम है। शेयर बाजार में यह कोई पहली बार मंदी नहीं आई है। ऐसा कई बार हुआ है लेकिन अब तक निचले और आकर्षक स्‍तर पर लेवाली कर फिर लौटी तेजी में मुनाफाकमाने वाले इस बार की मंदी में गच्‍चा खा गए हैं। हर घटे स्‍तर को निचला स्‍तर मानकर शेयर खरीदने वालों ने पैसा कमाया ही नहीं, बल्कि गंवाया ही है। शेयर बाजार की तलहटी का पता न लगते देख अब ऐसे निवेशकों ने खरीद रोक दी है। मंदडि़यों ने पूरे देश को ही नहीं बल्कि सारी दुनिया को मंदी में उतार दिया है। बस बेचो..बस बेचो...यही एक शब्‍द सब जगह गुंज रहा है। लेकिन हर बार ऐसा हुआ है पूरी तरह मंदी या तेजी में डूबा देने के बाद खिलाड़ी खेल बदलते हैं। यदि आपको याद हो तो दिसंबर 2008 में हर कोई मानकर चल रहा था कि रिलायंस पावर का आईपीओ

शेयर बाजार के लिए बड़ी हलचल का है यह सप्‍ताह

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कार्पोरेट नतीजों के इस मौसम में भारतीय बैंकिंग क्षेत्र के बेहतर कार्य नतीजों और देश की निजी क्षेत्र की सबसे बड़ी कंपनी रिलायंस इंडस्‍ट्रीज का प्रदर्शन आशंका से कम खराब आने की वजह से निवेशकों ने शेयर बाजार में अपने निवेश को बनाए रखा हैं। भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था की कई बुनियादी बातों ने निवेशकों के मन में यह विश्‍वास बैठा रखा है कि शेयर बाजार में तेजी की किरण जल्‍दी दिखाई देगी। हालांकि, दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्‍यवस्‍था अमरीका में नए राष्‍ट्रपति बराक ओबामा के आने से पूर्व राष्‍ट्रपति रुजवेल्‍ट जैसे चमत्‍कार की उम्‍मीद की जा रही है। लेकिन ओबामा के लिए मंदी की चपेट में आई अमरीकी अर्थव्‍यवस्‍था को उबारने की कोई जादूई छड़ी नहीं है। लेकिन वे 1929 की महामंदी से उबारने के रुजवेल्‍ट के किए गए प्रयासों से कई पाठ सीख सकते हैं। यदि ओबामा अमरीका को मंदी से उबार ले जाते हैं तो वे इस सदी के महानायक बनकर उभर जाएंगे। अमरीका और यूरोप में बैंकिंग जगत को अपना अस्तित्‍व टिकाए रखना मुश्किल नजर आ रहा है। यहां पैदा हुई बैंकिंग जगत की मुश्किलों ने दुनिया के सभी देशों पर प्रतिकूल असर डाला है, हालांकि भारत में भारती

अगले वर्ष निफ्टी 2333-4888 के बीच रहेगा

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वर्ष 2008 अमरीका में सब प्राइम, मार्गेज संकट में खरबों डॉलर की एसेटस की धुलाई, अमरीकी वित्तीय प्रणाली के आधार स्‍तंभ सिटी ग्रुप, मेरिल लिंच, मार्गन स्‍टेनली, एआईजी सहित अनेक संस्‍थाओं को हिलाकर रख देने एवं पश्चिमी देशों की वित्तीय प्रणाली खोखली साबित करने के साथ विदा ले रहा है। वर्ष 2008 में दुनिया भर के शेयर बाजारो ने अपना उच्‍च स्‍तर और निम्‍न स्‍तर तो देखा ही, वित्त एवं इक्विटी क्षेत्र के बड़े बड़े खिलाड़ी बाजार की चाल को जानने में नाकामयाब रहे। दुनिया भर में 1929 जैसी महामंदी होने के बावजूद भारत की वित्तीय प्रणाली जिसमें अभी भी काफी कुछ सरकारी नियंत्रण के तहत है, पर इसकी आंच कम आई। आर्थिक महामंदी को रोकने के लिए दुनिया के लगभग सभी देश जोरदार कोशिश कर रहे हैं। इस कोशिश के तहत उद्योगों, वित्त बाजारों को प्रोत्‍साहन एवं राहत देने के लिए स्‍टीम्‍युलस पैकेज घोषित किए जा रहे हैं लेकिन ये पैकेज असरकारक नहीं दिख रहे। अमरीका, ब्रिटेन, जापान सहित अनेक देशों में ब्‍याज दर शून्‍य के करीब आ गई है लेकिन अर्थव्‍यवस्‍थाएं पटरी पर आने का नाम ही नहीं ले रहीं। अब कार्पोरेट जगत ने अपनी विस्‍तार, विवि

पैकेज की ऑक्‍सीजन से शेयर बाजार को उठाने की कोशिश

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भारतीय शेयर बाजार पिछले साल इन्‍हीं दिनों भारी ऊफान पर थे और बीएसई सेंसेक्‍स के जल्‍दी ही 30 हजार, 35 हजार तक पहुंचने जाने की गर्मा गर्म चर्चाएं हर निवेशकों के बीच हो रही थी लेकिन इस साल बातें केवल यह हो रही है कि अब क्‍या लगता है। इस क्‍या लगता है के लिए अमरीका के नवनिर्वाचित उपराष्ट्रपति बिडेन का कहना है कि देश की इकॉनमी पर पूरी तरह धराशायी होने का खतरा मंडरा रहा है। 'देश की इकॉनमी हमारी सोच से कहीं ज्यादा बुरी हालत में 600 से 700 अरब डॉलर के एक प्रोत्साहन पैकेज की जरुरत है। इकॉनमी को पूरी तरह धराशायी होने से बचाने का इसके अलावा कोई तरीका नहीं है। बिडेन के इस बयान को समझे तो शेयर बाजार के हालात जल्‍दी अच्‍छे होने के संकेत नहीं है। अमरीका और कई देशों में अर्थव्‍यवस्‍था को फिर से खड़ा करने के लिए वित्तीय पैकेज दिए जा रहे हैं। अलग अलग उद्योगों के लिए पैकेज दर पैकेज आ रहे हैं। भारत में भी अर्थव्‍यवस्‍था को खड़ा करने के लिए इसी कदम का अनुसरण किया जा रहा है। पहले 30700 करोड़ रुपए के पैकेज के बाद सरकारी बैंकों का सस्‍ता होम लोन पैकेज आया। अब निजी बैंक भी सस्‍ते होम लोन के पैकेज ला रहे

शेयर बाजार में गर्मी लाने के प्रयास

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वैश्विक आर्थिक मंदी के बीच मुंबई में हुए आतंकी हमले के बाद सहमे और कमजोर मानसिकता वाले शेयर बाजार में सरकार जान डालने के प्रयास में जुट गई हैं। भारतीय रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में कमी की है ताकि सस्‍ते कर्ज उपलब्‍ध हो सके ताकि कार्पोरेट क्षेत्र और आम आदमी इसका लाभ उठा सके और सुस्‍त पड़ी अर्थव्‍यवस्‍था में जान आ सके। साथ ही केंद्र सरकार ने 20 हजार करोड़ रुपए का एक खास पैकेज अर्थव्‍यवस्‍था के अलग अलग सेक्‍टरों के लिए घोषित किया है, जो शेयर बाजार सहित समूची अर्थव्‍यवस्‍था को गति देगा। बॉम्‍बे स्‍टॉक एक्‍सचेंज यानी बीएसई सेंसेक्‍स 8 दिसंबर से शुरु हो रहे नए सप्‍ताह में 9444 अंक से 8644 अंक के बीच घूमता रहेगा। जबकि नेशनल स्‍टॉक एक्‍सचेंज यानी एनएसई का निफ्टी 2844 अंक से 2589 के बीच कारोबार करेगा। तकनीकी विश्‍लेषक हितेंद्र वासुदेव का कहना है कि बीएसई सेंसेक्‍स में पुलबैक अभी बना हुआ है, हालांकि, इसकी प्रकृति इस समय ढुलमुल है जो पुलबैक का ही एक हिस्‍सा होता है। सेंसेक्‍स को तत्‍काल 8649-8316 पर सपोर्ट मिलेगा। यदि सेंसेक्‍स 8316 अंक के नीचे बंद होता है तो इसकी परीक्षा 7697 अंक पर होगी और यहां

सेंसेंक्‍स 7100 अंक आने की आशंका !

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मुंबई में आतंकी हमले के बाद अब पाकिस्‍तान के खिलाफ युद्ध की आशंका बढ़ती जा रही है जिससे आने वाले दिनों में भारतीय शेयर बाजारों में एक बार फिर नरमी बढ़ सकती है। अमरीकी अखबार न्‍यूयार्क टाइम्‍स ने खुलासा किया है कि भारत पाकिस्‍तान में चल रहे आतंकवादी प्रशिक्षण शिविरों को खत्‍म करने की योजना बना रहा है और वह आंतकवाद पर पाकिस्‍तान के साथ निर्णायक लड़ाई लड़ने के मूड में है। भारत यदि पाकिस्‍तान के साथ आतंकवाद के मुद्दे पर युद्ध लड़ता है तो शेयर बाजार को मंदी का सामना करना पड़ेगा और मुंबई स्‍टॉक एक्‍सचेंज का सेंसेक्‍स 7100 अंक तक आ सकता है। आतंकवाद के खिलाफ लड़े जाने वाले युद्ध की आशंका से विदेशी निवेशक भारतीय बाजार से अपना और पैसा निकालने की तैयारी में हैं जिससे बाजार का सेंटीमेंट बिगड़ सकता है। एक संभावना यह भी व्‍यक्‍त की जा रही है कि आतंकवाद से निपटने के लिए अमरीका, ब्रिटेन और भारत मिलकर पाकिस्‍तान से युद्ध कर सकते हैं। आर्थिक मंदी से जूझ रही दुनिया के लिए आतंकवाद एक बड़ा खतरा है और अब इससे निपटने का वक्‍त आ गया है। इस बीच अमरीका सहित अनेक देश अपनी अपनी अर्थव्‍यवस्‍थाओं को दुरुस्‍त करने

नौकरी खोने वालों के लिए दस सुझाव

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नौकरी का एकाएक चले जाना एक भयानक सपने की तरह होता है। एकदम से किंकर्तव्यविमूढता की स्थिति और ढेर सारा तनाव। अनिश्चित भविष्य के प्रति ढे़र सारी चिन्ताओं का बोझ और उदासियां। ऐसे में आशा की किरण खोजना काफी धैर्य और संयम का काम होता है, लेकिन यही एक रास्ता है जो हालिया मुसीबतों से किसी को भी निकालकर आगे ले जाता है। ऐसे में अपना संयम खोने वाले उन संभावनाओं को भी खो देते हैं, जो ऐसे वक्त में बेहतर अवसरों की तरह उनके पक्ष में कार्य कर सकती हैं। 1. सबसे पहले तो शांत और स्थिर चित्त के साथ तर्क पूर्ण तरीके से अपनी विचारशक्ति को बरकरार रखने की जरूरत होती है। लगता भले ही हो, लेकिन किसी के साथ एकाएक ऐसी घटना होते ही, बाकी सारी चीजें भी एकाएक नकारात्मक तरीके से बदल नहीं गई होती हैं। जरूरी है कि चीजों के बारे में अपने आशावादी नजरिए को बरकरार रखा जाए। आप मानें या नहीं, लेकिन लोगों में आपकी निराश भावनाओं को सूंघ लेने की गजब की शक्ति होती है और यदि आपका आत्मविश्वास और उत्साह अपनी जगह पर कायम है, तो इसका अच्छा प्रभाव लोगों को आपके पक्ष में निर्णय करने को प्रेरित भी करता है। 2. दूसरी बात है कि नौकरी से ब

पांच तरीके एक सफल कार्यकारी जीवन के

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फार्च्युन-500 कंपनियों को पिछले 14 सालों से सेवा प्रदान करने वाली एक प्रबंधन सलाहकार कंपनी की संस्थापिका और अध्यक्ष नैन्‍सी कोलासुर्डो ने अपनी पुस्तक 'गेट ए लाईफ दैट डज नॉट सक' में नए उद्यमियों के लिए कुछ बेहतरीन तरकीबों का उल्लेख किया है जो अच्छी तरह से जीवन जीने के बारे में और अपने कारोबार की सफलतापूर्वक शुरूआत करने के बारे में उपयोगी हो सकती हैं। उद्यमिता को विकसित और परिपुष्ट करने के लिए जरूरी इन पांच प्रमुख तत्वों के बारे में आप भी जानिए। 1- चुनिए आप जो, जैसा चाहते हैं , इसे समझने के लिए इस पर पूरा ध्यान केंद्रित करें। ऐसा करने से आप अच्छे चुनाव कर सकेंगे। यदि आपने कोई मनचाहा कारोबार शुरू करना तय कर लिया है, लेकिन पैसा आपके पास है नहीं और कुछ परेशान करने वाली उधारियां भी आप पर अभी बकाया हैं। ऐसे में, यह ध्यान केन्द्रीयकरण आपको पैसे की व्यवस्था के अन्य विकल्पों पर तार्किक रूप से सोचने में मदद देता है कि पैसा परिवार के लोगों से उधार ले लिया जाए या वे चीजें बेचकर जुटा लिया जाए, जिनकी जीवन में अति महत्त्वपूर्ण जरूरत नहीं। यह हमेशा चुनने का विषय होता है। 2- अच्छे विचार उत्पन्न

जब जॉब खोना पड़े

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लगभग रोज ही विभिन्‍न कंपनियों द्वारा अपने कर्मचारियों की तादाद घटाने के लिए तरह-तरह की कसरत करने की खबरें आ रही हैं। कहीं स्वैच्छिक (?) छुट्टी पर भेजा जा रहा है, कहीं आधे वेतन पर कुछ सालों के लिए समाजसेवा के लिए कार्मिकों को मुक्त किया जा रहा है, तो कहीं सीधे ही बाहर का रास्ता दिखाया जा रहा है कि निकलो भाई, हम आपका बोझ अब नहीं उठा सकते। लेकिन इसके बावजूद शायद ही कोई ऐसा शख्स होगा, जिसकी जिंदगी में इस वजह से कोई बड़ा परिवर्तन न आए। अगर इस दौर में आप प्रभावित होने से बचे हैं, तो आप खुशकिस्मत हैं। लेकिन यदि प्रभावित हुए हैं, तो आपको कुछ तरीकों पर जरूर सोचना चाहिए, जिनको अपनाकर आप इस परिस्थिति से बाहर निकल सकते हैं और नए सिरे से मुस्करा सकते हैं। 1- शांत बने रहें। चाहे यह अपेक्षित हो या नहीं, चाहे यह कैसे भी हुआ हो, आपको शांत बने रहने की जरूरत है। कुछ भी कदम उठाने से पहले उत्तेजित या तनावग्रस्त होने पर आप अनजाने ऐसा कुछ भी कर सकते हैं, जो आपको नहीं करना चाहिये। एमिली पोस्ट के निदेशक और 'एटिकेट:एडवांटेज इन बिजनेस' के लेखक पीटर पोस्ट कहते हैं-"आपको कंपनी से बाहर किया जाना आपके

निवेशक लौटने लगे दलाल स्‍ट्रीट में

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दलाल स्‍ट्रीट में यह दिवाली वाकई जगमग दिवाली रही और मायूस निवेशकों के चेहरों पर फिर से रौनक लौटने लगी। बीएसई सेंसेक्‍स के पिछले सप्‍ताह 9700 अंक पार करने के साथ एक बार फिर निवेशकों को यह भरोसा दिलाया जाने लगा है कि चलो दलाल स्‍ट्रीट। लेकिन कुछ इक्विटी विश्‍लेषक इस गर्मी को रीलिफ रैली मानते हैं। यानी इस तेजी के टिकाऊ होने के आसार नहीं हैं। एक फंड प्रबंधक का कहना है कि दलाल स्‍ट्रीट में पिछले सप्‍ताह आई तेजी में घटी महंगाई दर की अहम भूमिका रही। दुनिया भर में खासकर अमरीकी वित्तीय बाजार में आया संकट अभी दूर होने के आसार नहीं हैं। साथ ही दुनिया भर के शेयर बाजारों में भी बड़े सुधार के आसार कम हैं। इस बीच, भारतीय रिज़र्व बैंक ने मुख्य दरों में कटौती करके एक बार फिर चौंकाया है। रिजर्व बैंक ने शनिवार दोपहर अचानक सीआरआर और एसएलआर में एक फ़ीसदी और रेपो रेट में 0.5 फीसदी की कटौती कर दी। कटौती के बाद सीआरआर अब 5.5 फीसदी रेपो दर 7.5 फीसदी और एसएलआर 24 फीसदी हो गई है। एक अनुमान के मुताबिक इस कटौती से सिस्टम में करीब 85 हजार करोड़ रुपए आएंगे। नकदी की समस्या से जूझ रहे बैंकिंग सिस्टम को इससे निश्चित त

दिवाली से दिवाली तक सेंसेक्‍स

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देश भर में दिवाली का पर्व मनाया जा रहा है। भगवान राम के 14 वर्ष के वनवास से अयोध्‍या लौटने की खुशी में दिवाली का पर्व मनाया जाता है। साथ ही धन की देवी लक्ष्‍मी की खास कृपा पाने के लिए आज उनकी विशेष पूजा अर्चना की जाती है। लेकिन शेयर बाजार के निवेशक काफी निराश है। उनके लिए दिवाली का पर्व खुशी की जगह मातम का पर्व बन गया है। जहां पिछली दिवाली पर बीएसई सेंसेक्‍स 20 हजार अंक के आसपास था, वहीं इस दिवाली पर यह 8500 अंक पर है। दुनिया की आर्थिक नीति तय करने वाले देश अमरीका के वित्तीय संकट में फंसने से पिछले दस महीनों में दुनिया भर के शेयर बाजारों में गिरावट का दौर जारी है और अब इस मंदी को वर्ष 1929 की महामंदी के समान बताया जा रहा है। यह मंदी कहां जाकर ठहरेगी कोई नहीं जानता क्‍योंकि कई देशों की आर्थिक स्थिति तो इतनी डगमगा गई है कि वे दिवालिया होने के कगार पर खड़े हैं। समूचे देश इसके लिए जोरदार प्रयास कर रहे हैं कि यह मंदी महामंदी साबित न हो और जल्‍दी से जल्‍दी बेहतर आर्थिक उपायों से इस पर नियंत्रण पाया जा सके। मौजूदा मंदी का सीधा असर भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था के बैरोमीटर शेयर बाजार पर भी पड़ा है जि

सेंसेक्‍स का सुपर शो

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रजनीकांत जनवरी में जंप लगाया (Month High-21206- Low-15332) फरवरी में फेड होना शुरू किया (Month High 18895- Low 16457) मार्च में मारकाट मचाया (Month High- 17227- Low 14677) अप्रैल में कुछ एडवांस हुआ (Month High- 17480- Low 15297) मई में हुआ कुछ और मस्त (Month High -17735- Low 16196) जून में शुरू हुआ जलजला (Month High -16632- Low 13405) जुलाई में निवेशकों के और जले हाथ (Month High -15130- Low 12514) अगस्त में जगाई आस (Month High - 15579- Low 14002) सितंबर में फिर खूब ढाहा सितम (Month High -15107- Low 12153) अक्टूबर में तेज किया अटैक (Month High -13203- Low 8566) क्या नवंबर में करवाएगा नो-नो.... दिसंबर में भी क्या यह रहेगा दिशाहीन... इस साल कैसा रहेगा सेंसेक्स का शो सुपर हिट या सुपर फ्लाप ।

महा रिटर्न जय मंत्र

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सही तरीके और सही मात्रा में शेयर आधारित फंडों का चयन, निवेशक के लिए लंबे समय के निवेश लक्ष्यों के मामले में अति महत्त्वपूर्ण है। अब इस तरीके और मात्रा के साथ जुड़े 'सही' के पुछल्ले से निबटने के लिए पेशेवर सलाहकार की शरण में जाना आसान उपाय है, लेकिन अपनी गाढी कमाई की पूंजी को जोखिम भरे शेयर बाजार में निवेशित करने का इरादा करते समय कुछ महत्त्वपूर्ण बातें खुद भी ध्यान में रखी जानी चाहिए। इससे एक तो आत्मविश्वास बढता है और दूसरे सचेतता आती है जो कि रूपए-पैसे के मामले में सुरक्षा के लिहाज से बहुत ही जरूरी है। 1- सबसे पहले अपनी जोखिम क्षमता का आकलन करें। यह निवेश के अनुभवों, आपके दृष्टिकोण और भावनात्मक दृढता पर आधारित होता है। जोखिम उठाने की क्षमता और इच्छा दो अलग-अलग चीजें हैं, यह याद रखना बहुत जरूरी है। जोखिम क्षमता के आधार पर ही निवेश की अति सुरक्षित, या सामान्य सुरक्षित या आक्रामक रणनीति बनानी चाहिए। अति सुरक्षित नीति जहां पूंजी की सुरक्षा को सर्वोच्च सुनिश्चित करती है, वहीं रिटर्न के मामले में कमजोर भी साबित होती है जबकि आक्रामक रणनीति बेहद अच्छे रिटर्न भी दिला सकती है और आपकी कु

अन्तरात्मा खडी़ बजार में...

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मोहन वर्मा पश्चिम बंगाल की जनता के नाम अपने खुले पत्र में टाटा ने बहुत बुनियादी सवाल उठाया है, कि कानून का शासन, आधुनिक ढांचा और औद्योगिक विकास दर वाले खुशहाल राज्य बनाम टकराव, आंदोलन, हिंसा और अराजकता के विध्वंसकारी राजनीतिक माहौल से बरबाद होते राज्य में से पश्चिम बंगाल की जनता किस प्रकार के राज्य को चुनना चाहेगी? इस मूलभूत सवाल के परिप्रेक्ष्य में यह जानना दिलचस्प है, कि एक ही शब्द के मायने, एक ही बात की परिभाषाएं, किस तरह व्यक्तियों और समुदायों के लिए अलग-अलग विरोधाभासी रूख अख्तियार करती हैं। कानून का शासन यह है कि राज्य प्राकृतिक संसाधनों को उन ब़डे देशी-विदेशी उद्योगपतियों के हवाले कर दे, जिनकी औद्योगिक परियोजनाओं की सफलताएं, भारत के भावी विकसित स्वरूप का निर्माण करने वाली हैं। कानून का शासन वे लोग मानें, जिनकी जिंदगियों में शेयरों का, कंपनियों का कोई सीधा दखल नहीं, बल्कि जिनकी जिंदगी की शर्तें जल-जंगल और जमीन से जुडी़ हैं। पश्चिम बंगाल सरकार कानून के शासन के परीक्षण के इस मामले में विफल रही और अंतत: टाटा के आगे बिछ-बिछ जाने को तैयार विभिन्न मुख्यमंत्रियों में से टाटा ने एक म

धैर्यवान का साथ देगा शेयर बाजार

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भारत ही नहीं दुनिया भर के शेयर बाजार इस समय वैश्विक वित्तीय संकट की चपेट में हैं जिससे आम और खास दोनों तरह के निवेशक बुरी तरह मायूस हैं। शेयर बाजारों का और बुरा हाल होने की आंशका अभी भी बनी हुई है लेकिन इतिहास इस बात का भी गवाह है कि बुरे दौर से गुजरने के बाद इस बाजार ने हमेशा बेहतर रिटर्न दिया है तभी तो दुनिया के सबसे बड़े निवेशक वारेन बफेट इस समय बेहतर अमरीकी कंपनियों में निवेश कर रहे हैं। असल में शेयर बाजार और लक्ष्‍मी ने हमेशा धैर्यवानों का साथ दिया है। न्यूयॉर्क टाइम्स में लिखे अपने लेख में वारेन बफेट ने कहा है कि अमरीका को खरीदो, मैं इसे खरीद रहा हूं। वित्तीय संकट के केंद्र में बैठे इस शक्तिशाली और धैर्यवान निवेशक का एक-एक शब्द निवेशकों के लिए पत्थर की लकीर जैसे होता है और इसका सकारात्मक असर दुनिया भर के बाजारों में पड़ सकता है। वे लिखते हैं कि 20 वीं सदी में अमरीका ने दो विश्वयुद्धों के साथ लंबे समय तक चला शीतयुद्ध और अनेक मंदियां देखी। हर बार लगा कि रिकवर कर पाना कठिन है बावजूद डॉव जोंस 11497 पर पहुंच गया। अमरीका, ताईवान सहित अनेक देशों ने अपने यहां शेयरों में शार्ट सेल पर रोक

शेयर बाजार ट्रेडिंग जोन में

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भारतीय शेयर बाजार इस समय पूरी तरह ट्रेडिंग जोन में है और निवेशकों को इस समय लंबी अवधि के निवेश के बजाय पूरी तरह एक कारोबारी की तरह लाभ उठाना चाहिए। लेकिन ज्‍यादातर निवेशक एक गलती करते हैं और वे वैल्‍यू स्‍टॉक पर दांव लगा बैठते हैं जो फंडामेंटल व टेक्निकल तौर पर बेहद मजबूत होते हैं लेकिन निवेशकों की शिकायत होती है कि उनके शेयर चल ही नहीं रहे। जबकि, बाजार जब पूरी तरह ट्रेडिंग जोन में हो तो निवेश ग्रोथ स्‍टॉक में करना चाहिए। अंतरराष्‍ट्रीय बाजार में क्रूड के दाम 147 डॉलर से घटकर 116 डॉलर प्रति बैरल आ जाने से अर्थव्‍यवस्‍था पर सबसे घातक मार करने वाला कारक ठंडा होता नजर आ रहा है। लेकिन सरकार के समाने अभी भी बढ़ती महंगाई दर को काबू में करना, उच्‍च ब्‍याज दरों को फिर से कम करना और औद्योगिक उत्‍पादन बढ़ाना मुख्‍य चुनौतियां हैं। हालांकि, अब आम चुनाव का समय जैसे जैसे नजदीकी आ रहा है सरकार की प्राथमिकताओं में भी ये ही बातें आ गई हैं ताकि चुनावी समर में फतह हासिल की जा सके। ऊंची ब्‍याज दर की वजह से कर्ज की मांग में आने वाली कमी और अंतरराष्‍ट्रीय कमोडिटी बाजारों में आई नरमी से आने वाले दिनों में मह

शेयर बाजार को जरुरत वोट ऑफ कान्फिडेंस की

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भारतीय संसद और शेयर बाजार को इस सप्‍ताह वोट ऑफ कान्फिडेंस की जरुरत है। दिल्ली में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सरकार 22 जुलाई को संसद में विश्‍वास मत हासिल कर पाती है या नहीं, पर खिलाडि़यों की नजरें इसी पर टिकी हैं और यही से शेयर बाजार की दिशा तय होगी। हालांकि यहां एक बात अहम है कि संसद चुनावों से पहले शेयर बाजार ने निवेशकों को पोजिटिव रिटर्न दिया है। संसद में सरकार विश्‍वास मत हासिल करें या नहीं लेकिन यह तो तय है कि देश आम चुनाव की ओर अब धीरे धीरे बढ़ रहा है। संसद चुनावों से पहले के शेयर बाजार इतिहास पर नजर डालें तो इसने केवल 1989 के चुनाव को छोड़कर पिछले पांच आम चुनाव से पहले पोजिटिव रिटर्न दिया है। वर्ष 1991 से 2004 के दौरान कुल पांच बार आम चुनाव हुए। इन चुनावों से पहले तीन, छह और नौ महीनों के दौरान शेयर बाजार ने निवेशकों को खुश किया है। चुनाव से पहले के छह महीनों में जहां बाजार ने 11.03 फीसदी का रिटर्न दिया है, वहीं नौ महीने की अवधि में यह रिटर्न 19.70 फीसदी रहा है। चुनाव से तीन महीने पहले की समयावधि में यह रिटर्न औसतन 2.62 फीसदी देखने को मिला है। वर्ष 1999 में हुए आम चुनाव से पहले