अगले वर्ष निफ्टी 2333-4888 के बीच रहेगा
वर्ष 2008 अमरीका में सब प्राइम, मार्गेज संकट में खरबों डॉलर की एसेटस की धुलाई, अमरीकी वित्तीय प्रणाली के आधार स्तंभ सिटी ग्रुप, मेरिल लिंच, मार्गन स्टेनली, एआईजी सहित अनेक संस्थाओं को हिलाकर रख देने एवं पश्चिमी देशों की वित्तीय प्रणाली खोखली साबित करने के साथ विदा ले रहा है। वर्ष 2008 में दुनिया भर के शेयर बाजारो ने अपना उच्च स्तर और निम्न स्तर तो देखा ही, वित्त एवं इक्विटी क्षेत्र के बड़े बड़े खिलाड़ी बाजार की चाल को जानने में नाकामयाब रहे। दुनिया भर में 1929 जैसी महामंदी होने के बावजूद भारत की वित्तीय प्रणाली जिसमें अभी भी काफी कुछ सरकारी नियंत्रण के तहत है, पर इसकी आंच कम आई।
आर्थिक महामंदी को रोकने के लिए दुनिया के लगभग सभी देश जोरदार कोशिश कर रहे हैं। इस कोशिश के तहत उद्योगों, वित्त बाजारों को प्रोत्साहन एवं राहत देने के लिए स्टीम्युलस पैकेज घोषित किए जा रहे हैं लेकिन ये पैकेज असरकारक नहीं दिख रहे। अमरीका, ब्रिटेन, जापान सहित अनेक देशों में ब्याज दर शून्य के करीब आ गई है लेकिन अर्थव्यवस्थाएं पटरी पर आने का नाम ही नहीं ले रहीं। अब कार्पोरेट जगत ने अपनी विस्तार, विविधीकरण की विशाल योजनाओं को ठंडे बस्ते में डालना शुरु कर दिया है और अपने आप को इस महामंदी से बचाने में लग गया है। भारत सरकार भी अब अर्थव्यवस्था में जान फूंकने के लिए जल्दी ही दूसरा आर्थिक पैकेज घोषित करने जा रही है।
इस वर्ष अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड 147 डॉलर प्रति बैरल पहुंचा जिससे सभी कमोडिटी के दाम आसमान पर पहुंच गए लेकिन उपभोक्ताओं ने ही खरीद रोक दी जिससे क्रूड सहित सभी कमोडिटी को दाम आज जमीन पर हैं। उपभोक्ताओं ने बाजारों को यह कहावत याद दिलाई कि अति की गति नहीं होती।
वर्ष 2007 के अंत तक बाजार विश्लेषक इंडिया ग्रोथ स्टोरी का राग अलाप रहे थे लेकिन वर्ष 2008 का भविष्य का भान उन्हें था ही नहीं। ग्रोथ स्टोरी की चमक में विदेशी संस्थागत निवेशकों ने कोई 71486.50 करोड़ रुपए का भारत में निवेश किया लेकिन इन निवेशकों पर अपने देश में पड़े रिडम्पशन दबाव की वजह से अब तक वे भारत में 53 हजार करोड़ रुपए के शेयर बेच चुके हैं। वर्ष 2008 की जनवरी में सेंसेक्स 21206 अंक पहुंच गया था जो इस साल अक्टूबर में नीचे में 7687 अंक आने के बाद अब दस हजार अंक के आसपास स्थिर होने के लिए संघर्ष कर रहा है।
कार्पोरेट सेक्टर द्धारा एडवांस टैक्स के रुप में 43700 करोड़ रुपए अदा किए गए हैं जो 22 फीसदी कम है। कर की यह अदायगी इस बात का संकेत है कि आने वाले दिनों में कार्पोरेट सेक्टर के कामकाजी नतीजे अच्छे नहीं होंगे। 31 मार्च 2008 को समाप्त होने वाली तिमाही के नतीजे काफी निराशजनक आ सकते हैं। इस आशंका से जनवरी से मार्च तक अर्थव्यवस्था और बाजार में शंका और कुशंका का दौर बना रहेगा। जून 2009 के बाद ही शेयर बाजार में सुधार की गुंजाइश बन रही है, हालांकि बाजार ने बुरे कारणों को लगभग डिस्काउंट कर लिया है लेकिन भारत-पाक सीमा पर बढ़ा तनाव सेहत के लिए खराब है। युद्ध होने की स्थिति में कैसे कैसे हथियारों का उपयोग होगा इसके बारे में इस समय अनुमान लगाना कठिन है क्योंकि पाकिस्तान में फौज पर सरकार का नहीं बल्कि तालिबानियों का कब्जा लगता है। अमरीका और ब्रिटेन सहित अनेक देश इस आशंका को कई बार जता चुके हैं कि पाकिस्तान के परमाणु हथियार चरमपंथियों के हाथों के करीब हैं। दूसरा, युद्ध की तैयारी और युद्ध लड़ने की स्थिति में रक्षा पर भारी भरकम खर्च होगा जिसका अर्थव्यवस्था पर बड़ा दबाव दिखेगा जो बाजार के लिए बड़ा नकारात्मक कारक बनेगा, इसलिए जब तक सीमा पर मामला ठंडा नहीं होता और सब कुछ कुशलता से नहीं निपट जाता शेयर बाजार के बुरे दिन खत्म नहीं होंगे।
बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज यानी बीएसई सेंसेक्स 29 दिसंबर से शुरु हो रहे नए सप्ताह में 9767 अंक से 8888 अंक के बीच घूमता रहेगा। जबकि नेशनल स्टॉक एक्सचेंज यानी एनएसई का निफ्टी 2979 अंक से 2727 के बीच कारोबार करेगा। अगले वर्ष यानी 2009 की बात की जाए तो बीएसई सेंसेक्स के 7111 से 14888 अंक और एनएसई निफ्टी के 2333 से 4888 अंक के बीच रहने की संभावना है।
तकनीकी विश्लेषक हितेंद्र वासुदेव का कहना है कि बीएसई सेंसेक्स पिछले सप्ताह कुल 770 अंक गिरा। पिछले सप्ताह के रुझान को देखते हुए नए सप्ताह में इसका रेसीसटेंस स्तर 9599-9903-10209 अंक होंगे। साप्ताहिक सपोर्ट 9024-8316-8146 अंक पर देखने को मिलेगा। यदि सेंसेक्स 10209 अंक को पार कर बंद होता है तो इसमें एक बार फिर तेजी का रुझान देखने को मिलेगा। वे कहते हैं कि जब तक सेंसेक्स 10945 को पार नहीं करता निवेशकों को हर बढ़त पर अपनी पोजीशन खाली करते रहना चाहिए। आने वाले कुछ सप्ताह तक सेंसेक्स की चाल 10935-8316 के बीच रहेगी।
इस सप्ताह निवेशक यूनिकैम लैबोरेटरीज, सत्यम कंप्यूटर, पावर फाइनेंस कार्पोरेशन, अल्सथाम प्रोजेक्टस, यस बैंक, इंडियन होटल्स, रिलायंस पेट्रोलियम, भारत बिजली, पेंटालून रिटेल, जयप्रकाश एसोसिएटस, भारती एयरटेल और बाटा इंडिया पर ध्यान दे सकते हैं।
आर्थिक महामंदी को रोकने के लिए दुनिया के लगभग सभी देश जोरदार कोशिश कर रहे हैं। इस कोशिश के तहत उद्योगों, वित्त बाजारों को प्रोत्साहन एवं राहत देने के लिए स्टीम्युलस पैकेज घोषित किए जा रहे हैं लेकिन ये पैकेज असरकारक नहीं दिख रहे। अमरीका, ब्रिटेन, जापान सहित अनेक देशों में ब्याज दर शून्य के करीब आ गई है लेकिन अर्थव्यवस्थाएं पटरी पर आने का नाम ही नहीं ले रहीं। अब कार्पोरेट जगत ने अपनी विस्तार, विविधीकरण की विशाल योजनाओं को ठंडे बस्ते में डालना शुरु कर दिया है और अपने आप को इस महामंदी से बचाने में लग गया है। भारत सरकार भी अब अर्थव्यवस्था में जान फूंकने के लिए जल्दी ही दूसरा आर्थिक पैकेज घोषित करने जा रही है।
इस वर्ष अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड 147 डॉलर प्रति बैरल पहुंचा जिससे सभी कमोडिटी के दाम आसमान पर पहुंच गए लेकिन उपभोक्ताओं ने ही खरीद रोक दी जिससे क्रूड सहित सभी कमोडिटी को दाम आज जमीन पर हैं। उपभोक्ताओं ने बाजारों को यह कहावत याद दिलाई कि अति की गति नहीं होती।
वर्ष 2007 के अंत तक बाजार विश्लेषक इंडिया ग्रोथ स्टोरी का राग अलाप रहे थे लेकिन वर्ष 2008 का भविष्य का भान उन्हें था ही नहीं। ग्रोथ स्टोरी की चमक में विदेशी संस्थागत निवेशकों ने कोई 71486.50 करोड़ रुपए का भारत में निवेश किया लेकिन इन निवेशकों पर अपने देश में पड़े रिडम्पशन दबाव की वजह से अब तक वे भारत में 53 हजार करोड़ रुपए के शेयर बेच चुके हैं। वर्ष 2008 की जनवरी में सेंसेक्स 21206 अंक पहुंच गया था जो इस साल अक्टूबर में नीचे में 7687 अंक आने के बाद अब दस हजार अंक के आसपास स्थिर होने के लिए संघर्ष कर रहा है।
कार्पोरेट सेक्टर द्धारा एडवांस टैक्स के रुप में 43700 करोड़ रुपए अदा किए गए हैं जो 22 फीसदी कम है। कर की यह अदायगी इस बात का संकेत है कि आने वाले दिनों में कार्पोरेट सेक्टर के कामकाजी नतीजे अच्छे नहीं होंगे। 31 मार्च 2008 को समाप्त होने वाली तिमाही के नतीजे काफी निराशजनक आ सकते हैं। इस आशंका से जनवरी से मार्च तक अर्थव्यवस्था और बाजार में शंका और कुशंका का दौर बना रहेगा। जून 2009 के बाद ही शेयर बाजार में सुधार की गुंजाइश बन रही है, हालांकि बाजार ने बुरे कारणों को लगभग डिस्काउंट कर लिया है लेकिन भारत-पाक सीमा पर बढ़ा तनाव सेहत के लिए खराब है। युद्ध होने की स्थिति में कैसे कैसे हथियारों का उपयोग होगा इसके बारे में इस समय अनुमान लगाना कठिन है क्योंकि पाकिस्तान में फौज पर सरकार का नहीं बल्कि तालिबानियों का कब्जा लगता है। अमरीका और ब्रिटेन सहित अनेक देश इस आशंका को कई बार जता चुके हैं कि पाकिस्तान के परमाणु हथियार चरमपंथियों के हाथों के करीब हैं। दूसरा, युद्ध की तैयारी और युद्ध लड़ने की स्थिति में रक्षा पर भारी भरकम खर्च होगा जिसका अर्थव्यवस्था पर बड़ा दबाव दिखेगा जो बाजार के लिए बड़ा नकारात्मक कारक बनेगा, इसलिए जब तक सीमा पर मामला ठंडा नहीं होता और सब कुछ कुशलता से नहीं निपट जाता शेयर बाजार के बुरे दिन खत्म नहीं होंगे।
बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज यानी बीएसई सेंसेक्स 29 दिसंबर से शुरु हो रहे नए सप्ताह में 9767 अंक से 8888 अंक के बीच घूमता रहेगा। जबकि नेशनल स्टॉक एक्सचेंज यानी एनएसई का निफ्टी 2979 अंक से 2727 के बीच कारोबार करेगा। अगले वर्ष यानी 2009 की बात की जाए तो बीएसई सेंसेक्स के 7111 से 14888 अंक और एनएसई निफ्टी के 2333 से 4888 अंक के बीच रहने की संभावना है।
तकनीकी विश्लेषक हितेंद्र वासुदेव का कहना है कि बीएसई सेंसेक्स पिछले सप्ताह कुल 770 अंक गिरा। पिछले सप्ताह के रुझान को देखते हुए नए सप्ताह में इसका रेसीसटेंस स्तर 9599-9903-10209 अंक होंगे। साप्ताहिक सपोर्ट 9024-8316-8146 अंक पर देखने को मिलेगा। यदि सेंसेक्स 10209 अंक को पार कर बंद होता है तो इसमें एक बार फिर तेजी का रुझान देखने को मिलेगा। वे कहते हैं कि जब तक सेंसेक्स 10945 को पार नहीं करता निवेशकों को हर बढ़त पर अपनी पोजीशन खाली करते रहना चाहिए। आने वाले कुछ सप्ताह तक सेंसेक्स की चाल 10935-8316 के बीच रहेगी।
इस सप्ताह निवेशक यूनिकैम लैबोरेटरीज, सत्यम कंप्यूटर, पावर फाइनेंस कार्पोरेशन, अल्सथाम प्रोजेक्टस, यस बैंक, इंडियन होटल्स, रिलायंस पेट्रोलियम, भारत बिजली, पेंटालून रिटेल, जयप्रकाश एसोसिएटस, भारती एयरटेल और बाटा इंडिया पर ध्यान दे सकते हैं।
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