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टाटा के लिए दौलताबाद साबित हुआ साणंद

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महाराष्‍ट्र के औरंगाबाद के समीप बसा दौलताबाद शहर हमेशा शक्‍तिशाली बादशाहों के लिए आकर्षण का केंद्र रहा। दौलताबाद की सामरिक स्थिति बहुत ही महत्‍वपूर्ण थी। यह उत्तर और दक्षिण भारत के मध्‍य में पड़ता है। यहां से पूरे भारत पर शासन किया जा सकता था। इसी वजह से बादशाह मुहम्‍मद बिन तुगलक ने इसे अपनी राजधानी बनाया था। उसने दिल्‍ली की सारी जनता को दौलताबाद चलने का आदेश दिया था। लेकिन दौलताबाद की खराब स्थिति एवं आम लोगों की तकलीफों के कारण उसे कुछ वर्षों बाद राजधानी पुन: दिल्‍ली ले जानी पड़ी। शायद ऐसा ही है देश के शक्तिशाली उद्योगपति रतन टाटा के साथ। पश्चिम बंगाल के सिंगुर में लगने वाली यह परियोजना तृणमूल कांग्रेस की नेता ममता बनर्जी के तगड़े विरोध की वजह से लग नहीं पाई और टाटा इस परियोजना को लगाने के लिए अनेक राज्यों को खंगालते रहे लेकिन उनके पारिवारिक राज्य गुजरात के मुख्‍यमंत्री नरेंद्र मोदी के एक एसएमएस पर उन्‍होंने इस परियोजना को अहमदाबाद के करीब साणंद में लगाने का निश्‍चय कर लिया। इस लखटकिया कार परियोजना के गुजरात जाने से उस समय कई राज्यों के मुख्‍यमंत्री मन मसोस कर रह गए कि नरेंद्र मोदी न