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सितंबर, 2007 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

सेंसेक्‍स की विजेता छलांग

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हितेंद्र वासुदेव बीएसई सेंसेक्‍स पिछले सप्‍ताह उम्‍मीद के अनुरुप झूम उठा और 726 अंक की छलांग लगाई जो उससे पहले के सप्‍ताह में लगभग नौ सौ अंक बढ़ा। बीएसई सेंसेक्‍स पिछले सप्‍ताह पूर्व सप्‍ताह के बंद 16564.23 अंक की अपेक्षा बड़े अंतर पर खुला। सेंसेक्‍स 16697.89 अंक पर खुला और नीचे में 16599.66 अंक से नीचे नहीं गया। साप्‍ताहिक ऊंचाई 17361.47 अंक रही और अंत में बंद 17291.10 अंक पर हुआ। साप्‍ताहिक आधार पर यह 726 अंक बढ़ा। 31 अगस्‍त 2007 को सेंसेक्‍स के 15318 अंक पर बंद होने के बाद से साप्‍ताहिक रुझान तेजी का है। साप्‍ताहिक रुख नरमी का तभी दिखेगा जब यह साप्‍ताहिक बंद 16262 से नीचे होगा। अब सेंसेक्‍स के आने वाले दिनों में 17957-19248-21337 अंक जाने की उम्‍मीद है। 27 फरवरी 2008 से 19 मार्च 2008 के बीच सेंसेक्‍स के 17957 अंक जाने की उम्‍मीद की जा सकती है। लेकिन जिस तरह शेयरों के दाम चढ़ रहे हैं उससे 17957 का स्‍तर हमारे अनुमान से जल्‍दी देखने को मिल सकता है। साप्‍ताहिक स्‍पोर्ट 17084-16806-16564 पर होगा। साप्‍ताहिक रेसीसटेंस 17568, 17957, 18050 और 18330 पर रहेगा। उम्‍मीद बाजार के साप्‍ताहिक रेस

ज्‍योतिष कहते हैं गिरेगा शेयर बाजार

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शेयर बाजार में अब करेक्‍शन की बात तकनीकी विश्‍लेषक और निवेश सलाहकार ही नहीं कर रहे बल्कि ज्‍योतिष भी कह रहे हैं। विश्‍व विजय पंचांग के मुताबिक 11 अक्‍टूबर से 7 नवंबर 2007 के बीच शेयर बाजार में भारी मंदी देखने को मिलेगी। जबकि 11 अक्‍टूबर तक रिलायंस और एसीसी में जोरदार तेजी दिखेगी। इस पंचांग पर भरोसा करें तो 7 नवंबर से 31 दिसंबर 2007 के बीच बीएसई में तगड़ा उछाल देखने को मिलेगा। लेकिन यदि इसके बाद मंदी चले तो मंदी का कारोबार करें। पंचांग में कहा गया है कि 12 फरवरी 2008 से पहले नए साल में जबरदस्‍त नरमी आएगी। इसलिए सावधानी से कारोबार करें तो बेहतर है। राजस्‍थान के उदयपुर में मेरे एक निवेशक मित्र रहते हैं जिन्‍होंने बताया कि उन्‍हें भी एक ज्‍योतिष ने बताया है कि 8 से 11 अक्‍टूबर के बीच शेयर बाजार में गिरावट आएगी। वाह मनी ने भी 19 सितंबर को कहा था कि शेयर बाजार में गिरावट दस अक्‍टूबर के बाद ...पढ़ें.... ।

शेयर बाजार में उछाल रहेगा लेकिन झटके खाकर

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भारतीय शेयर बाजार बीएसई के केवल छह दिन में 16 से 17 हजार अंक का सफर तय करते ही निवेशकों के चेहरे मुस्‍करा उठे। इस सफर में मिड कैप और स्‍माल कैप की अनेक कंपनियों ने बढ़त हासिल की जिससे तकरीबन सभी निवेशकों को लाभ हुआ है। क्रिकेट के ट्वेंटी ट्वेंटी मैच की तरह सेंसेक्‍स ने जो छलांग लगाई है उसके बाद सभी ब्रोकरेज हाउस और निवेश सलाहकार यह कह रहे हैं कि अब 20 हजार, 25 हजार और 30 हजार का सेंसेक्‍स जल्‍दी ही दिखेगा। वाह मनी लंबे समय से कह रहा है कि सेंसेक्‍स वर्ष 2008 में दिवाली के बाद कभी भी 25 हजार अंक पहुंच जाएगा ...देखें यहां... । सेंसेक्‍स का बढ़ना कोई अचरज की बात नहीं है। भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था में जो सुधार का शंख पूर्व प्रधानमंत्री पी वी नरसिंहराव ने फूंका उसे अब उस जमाने के वित्‍त मंत्री और मौजूदा प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह बढ़ा रहे हैं। देश में सरकार किसी भी दल की आ जाए, उस पर इतने दबाव रहेंगे कि वह चाहकर भी आर्थिक सुधारों को रोक नहीं सकेगी, भले ही इसकी गति धीमी हो। परिवर्तन संसार का नियम है और ऐसे में पीछे लौटा भी नहीं जा सकता। भारत सहित अनेक देशों के शेयर सूचकांक पिछले पांच सालों में इत

शेयर बाजार में नरमी के संकेत, बांध लेना मुनाफा गांठ में

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निवेश गुरु जिम रोजर्स पर भरोसा करें तो अमरीकी फैडरल रिजर्व बैंक द्धारा की गई ब्‍याज दर कटौती गंभीर गलत कदम है और इससे अमरीका में मुद्रास्‍फीति बढ़ेगी। अमरीकी डॉलर का दुनिया भर में बज रहा बैंड और बजेगा। कमोडिटी के बढ़ते दाम और डॉलर की ठुकाई अमरीका में मंदी को बढ़ावा देगी। जिम रोजर्स सोने और कृषि कमोडिटी में तेजी की बात कह रहे हैं। वे कहते हैं कि चीनी मुझे अच्‍छी लग रही है और यह मौजूदा स्‍तर से बढ़ेगी। भारतीय चीनी के संबंध में यहां पढ़े.... चीनी स्‍टॉक्‍स में किया निवेश तो खाएंगे धोखा . ...भविष्‍य कृषि कमोडिटी का है। हालांकि, वे चीन को छोड़कर अन्‍य उभरते बाजारों में तेजी नहीं देखते। वाह मनी ने 19 सितंबर को कहा था कि....केवल अमरीका ने ब्‍याज दरों में कटौती की और दुनिया भर की अर्थव्‍यवस्‍था सुधर गई। ऐसा कोई जादूई कदम हर देश क्‍यों नहीं उठा लेता ताकि सभी जगह खुशहाली दिखाई दे। अमरीका ने ब्‍याज दरों में जो कटौती की है, उसके परिणाम तत्‍काल दिखाई नहीं देंगे और अर्थव्‍यवस्‍था में सुधार भी नहीं होगा। सबप्राइम का मामला केवल इस कदम से ठीक हो सकता है तो पहले यह कदम क्‍यों नहीं उठा लिया गया। हम आम न

शेयर बाजार में होगा तगड़ा मूवमेंट

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शेयर विश्‍लेषक विकास अग्रवाल, राउरकेला का मानना है कि निफ्टी और सेंसेक्‍स मौजूदा स्‍तर पर काफी मजबूत हैं। ताजा खरीद का रुझान बाजार के माहौल को गर्म रखेगा और निफ्टी 4724 और सेंसेक्‍स 16216 से ऊपर रहेगा। समूचे सप्‍ताह में निफ्टी में 745 अंक और सेंसेक्‍स में 2295 अंक की हलचल देखने को मिल सकती है। यदि निफ्टी 4968 और सेंसेक्‍स 16964 अंक से ऊपर टिका रहता है तो ये क्रमश: 5099 अंक और 17365 अंक को छू सकते हैं। नरमी की स्थिति में निफ्टी को 4594 अंक और सेंसेक्‍स को 15815 अंक पर स्‍पोर्ट मिलेगा। निफ्टी फ्यूचर मौजूदा स्‍तर पर 4939.85 अंक के लक्ष्‍य के साथ खरीदा जा सकता है। इसमें स्‍टॉप लॉस या एवरेज 4779.05 अंक से नीचे। रोल्‍टा अक्‍टूबर 2007 को मौजूदा स्‍तर पर 603.65 रुपए के लक्ष्‍य के साथ खरीदें और स्‍टॉप लॉस 490.35 रुपए रखें। यदि आप लंबी अवधि के निवेशक हैं तो बॉम्‍बे डाईंग को मौजूदा स्‍तर पर 1519.75 रुपए के लक्ष्‍य के साथ खरीद सकते हैं। क्रेयन इंडिया 228.50 रुपए के लक्ष्‍य के साथ लिया जा सकता है। मध्‍यम अवधि के निवेशकों के लिए मवाना शुगर्स 28 रुपए के स्‍टॉप लॉस के साथ 46.95 रुपए के लक्ष्‍य को ध्‍य

चीनी स्‍टॉक्‍स में निवेश किया तो खाएंगे धोखा

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केंद्र सरकार अब चीनी उद्योग को अनेक रियायतों की बातें कर रही हैं जिससे शेयर बाजार में इन दिनों चीनी शेयरों को खरीदने की सिफारिश बड़े पैमाने पर हो रही है। बीच बीच में चीनी शेयरों के दाम इस तरह बढ़े भी हैं कि अच्‍छे अच्‍छे निवेशक पैसे बनाने के लालच में आ जाएं। जबकि हकीकत यह है कि चीनी शेयरों में निवेश करने वाले निवेशक एक दिन अपने को ठगा हुआ महसूस करेंगे। चीनी उद्योग के हालात मिलने वाली रियायतों के बावजूद खराब ही रहेंगे। अब जानिए हकीकत जो चीनी के मिठास जितनी ही कड़वी है। केंद्र सरकार चीनी उद्योग को दिए जा रहे निर्यात प्रोत्‍साहन समय को एक साल के लिए बढ़ाएगी। एथनॉल की ब्‍लेंडिंग पांच से बढ़ाकर दस फीसदी की जाएगी, जबकि इस समय ब्‍लेंडिंग पांच तो छोड़ों दो फीसदी भी नहीं हो रही। सीधे गन्‍ने में से एथनॉल बनाने का ढांचा ही नहीं है। ऐसी बुनियादी सुविधाएं खड़ी करने में दो साल लगेंगे। नाबार्ड बैंक के कर्ज को रिस्‍ट्रक्‍चरिंग करने की है तो हम आपको बता दें कि शेयर बाजार में लिस्‍टेड किसी भी शुगर कंपनी के पास नाबार्ड बैंक का कर्ज नहीं है, तो फायदा किसे मिलेगा। केवल उत्‍तर प्रदेश में गन्‍ने के दाम घटाए

शेयर बाजार में चमक बनी रहने की आस

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हितेंद्र वासुदेव शेयर बाजार ने पिछले सप्‍ताह ‘ क्‍या सेंसेक्‍स शिखर को पार कर पाएगा..? ’ का जवाब सकारात्‍मक दिया। हमने शेयर बाजार को ब्रेकआउट होते और नई ऐतिहासिक ऊंचाई बनाते देखा। पिछले सप्‍ताह बीएसई सेंसेक्‍स 15664.74 अंक पर खुला और नीचे में 15467.46 अंक तक गया लेकिन बाद में यह तेजी से उठकर 16616.84 के मुकाम पर पहुंच गया। अंत में यह 16564.23 अंक पर बंद हुआ। इस तरह सेंसेक्‍स ने साप्‍ताहिक आधार पर 927 अंक की रिकॉर्ड तोड़ बढ़त हासिल की। हमने सेंसेक्‍स में तीन सप्‍ताह पहले नौ सौ अंक की बढ़त देखी थी और फिर से पिछले सप्‍ताह नौ सौ अंक का उछाल देखा। बीएसई सेंसेक्‍स में तेजी का दौर 31 अगस्‍त 2007 को साप्‍ताहिक बंद स्‍तर 15318 अंक से ही चल रहा है। नरमी की बात करें तो साप्‍ताहिक रुझान शुक्रवार को 15769 अंक से बंद आने पर या सेंसेक्‍स के तेजी से गिरकर 15300 से नीचे पहुंचने पर ही दिखेगा। अगले सप्‍ताह करेक्‍शन देखने को मिल सकता है लेकिन इसमें बढ़त की गुजांइश से भी इनकार नहीं किया जा सकता। अब सेंसेक्‍स आने वाले समय में 17957-19248-21337 पर दिख सकता है। 27 फरवरी 2008 से 19 मार्च 2008 के बीच सेंसेक्‍स

शेयर बाजार कहीं भागकर नहीं जा रहा...

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भारतीय शेयर बाजार बीएसई सेंसेक्‍स के नई ऊंचाई पर पहुंचने के बाद अधिकतर निवेशकों का कहना था कि जल्‍दी बताओं कौन कौनसी कंपनियों के शेयर खरीदें...हम तो गाड़ी चूक गए। गाड़ी न पकड़ पाए और यदि गाड़ी में बैठे हैं तो ऐसे निवेशक एक बार इसे पढ़ लें... शेयर बाजार में गिरावट का खेल दस अक्‍टूबर के बाद ....। हम गाड़ी पकड़ने के लिए दौड़ने वाले निवेशकों को राय देना चाहेंगे कि शेयर बाजार में आपाधापी का खेल न खेलें और अब तक जो भी निवेशक शेयर बाजार को कोसते हुए मिलते हैं या जिन्‍होंने इस बाजार में अपने हाथ जलाएं हैं वे आपाधापी में थे कि मैं क्‍यों नहीं पैसा कमा सका। उसकी कमीज मेरी कमीज से ज्‍यादा सफेद क्‍यों। इस समय शेयर बाजार में अलग अलग विश्‍लेषक अलग अलग बात कह रहे हैं...जैसे क्रिस्‍टॉप लालो को लें...उभरते शेयर बाजारों में विपुल संभावनाएं हैं। लेकिन मुद्रा यानी करेंसी एपरिसिएट होना लंबी अवधि के लिए अच्‍छा नहीं है। मेरे ख्‍याल से इस साल के आखिर या अगले साल की शुरूआत में बीएसई सेंसेक्‍स 20 हजार अंक तक पहुंच जाएगा। अब लें...जेएम फाइनेंशियल के तकनीकी विश्‍लेषक गौतम शाह को...अक्‍टूबर का महीना बाजार के लिए

शेयर बाजार में गिरावट का खेल दस अक्‍टूबर के बाद

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अमरीकी अर्थव्यवस्था की स्थिति को देखते हुए फैडरल रिजर्व के ब्याज दरों में अपेक्षित चौथाई फीसदी के बजाय आधा प्रतिशत कटौती कर दुनिया भर के शेयर बाजारों को तगड़ी ऊंचाई की ओर बढ़ा दिया है। डॉव जोंस भी वर्ष 2002 के बाद कल पहली बार एक ही दिन में 336 अंक उछला। भारतीय शेयर बाजार बीएसई ने अपनी पिछली ऊंचाई 15869 को पीछे छोड़ते हुए 16 हजार अंक को पार किया और इस समय यह 16261 अंक चल रहा है। इस समय तक सेंसेक्‍स में 591 अंक का जोरदार इजाफा। निवेशक झूम रहे हैं कि सेंसेक्‍स दौड़ गया लेकिन मिड कैप और स्‍मॉल कैप की कितनी कंपनियों के शेयरों में उछाल आया है। आज की दौड़ का आम निवेशक को जो मझौली और छोटी कंपिनयों में पैसा लगाता है कोई फायदा नहीं हुआ। कौनसे शेयर दौड़ रहे हैं, जरा यह सोचिए। क्‍या आज आपको शेयर बाजार से सेंसेक्‍स की तुलना में बड़ा फायदा हुआ है। अधिकतर निवेशकों का इस पर नकारात्‍मक जवाब है। जब आम निवेशक को लाभ नहीं हुआ है तो मौजूदा तेजी किसके हित में। विदेशी संस्‍थागत निवेशक, घरेलू बड़े संस्‍थागत निवेशक और म्‍युच्‍यूअल फंड इस मलाई के भागीदार बने हैं। इस समय सभी जगह यह बात आ रही है कि अमरीकी कदम से

शेयर बाजार में रही चमक

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अमरीकी फैडरल रिजर्व की बैठक में ब्याज दरों में कमी किए जाने की प्रबल संभावनाओं के बीच यूरोप के शेयर बाजारों में आई तेजी का असर 18 सितंबर 2007 को भारतीय शेयर बाजार में भी देखने को मिला। शेयर बाजार के मौजूदा रुझान को देखते हुए इस तेजी के आगे भी बने रहने की संभावना है। बीएसई सेंसेक्‍स में तेजी कारोबार दूसरे चरण में आई जब इसकी अगुआई तेल एवं गैस और बैंकिंग स्‍टॉक्‍स ने की। बीएसई में कुल 1794 शेयर बढ़े, जबकि 958 में गिरावट देखी गई। केवल 55 कंपनियों के शेयरों में कोई बदलाव नहीं देखा गया। बीएसई सेंसेक्स में 165 अंक की जोरदार बढ़त दर्ज की गई। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का निफ्टी 52 अंक चढ़ा। बाजार विश्लेषक कहते हैं कि अमरीकी अर्थव्यवस्था की स्थिति को देखते हुए फैडरल रिजर्व के ब्याज दरों में कम से कम चौथाई फीसदी की कमी किए जाने की पूरी-पूरी संभावना है। हालांकि, यह कटौती आधा प्रतिशत तक भी हो सकती है। एल एंड टी को सेल से 7।6 अरब रुपए का आर्डर मिलने से बढ़त देखी गई। लेन्‍को इंफ्राटेक का यूएई की कंपनी गल्‍फटेनर के साथ पोर्ट और ट्रांसपोर्टेशन परियोजनाओं के लिए करार होने से गर्मी आई। बिकवाली दबाव स

क्‍या सेंसेक्‍स शिखर को पार कर पाएगा ?

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हितेंद्र वासुदेव बीएसई सेंसेक्‍स जिस मुकाम पर है वहां उसकी परीक्षा उसके पिछले शिखर पर होगी। सेंसेक्‍स ने इसका प्रयास भी किया। पिछले सप्‍ताह सेंसेक्‍स का उच्‍च स्‍तर 15824 रहा, जबकि पिछला उच्‍चतम शिखर 15868 था। इस शिखर पर सेंसेक्‍स की परीक्षा हो रही है लेकिन चंचलता और उतार चढ़ाव भी देखा गया। बीएसई सेंसेक्‍स पिछले सप्‍ताह 15413.58 पर खुला और नीचे में 15363.53 तक गया। इसने ऊपर में 15824.65 अंक तक जाने का प्रयास किया लेकिन आखिर में 15603.80 अंक पर बंद हुआ। इस तरह साप्‍ताहिक आधार पर इसमें 13 अंक की बढ़ोतरी रही। कुल मिलाकर सेंसेक्‍स में हलचल सीमित रही। 31 अगस्‍त को समाप्‍त सप्‍ताह में सेंसेक्‍स 15318 पर बंद हुआ और तभी से साप्‍ताहिक रुझान ऊपर का है। साप्‍ताहिक रुझान नरमी में पलट सकता है यदि यह शुक्रवार के 15234 से नीचे से बंद हो। यहां एक बार फिर यह अहम सवाल उठता है कि क्‍या सेंसेक्‍स अपने‍ शिखर को पार करेगा। हालांकि, इस संबंध में कोई भी साफ तौर पर नहीं कह सकता। हां, सेंसेक्‍स 15868 के ऊपर बंद होता है तो यह स्थिति को और साफ करेगा। दैनिक बंद स्‍तर 15868 अंक से ऊपर होना ही पर्याप्‍त नहीं है, इ

वाह मनी ब्‍लॉग को चाहिए दो यंग जर्नलिस्‍ट

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वाह मनी ब्‍लॉग को दो ऐसे नव पत्रकारों की जरुरत है जो बिजनैस समाचारों की शुरूआती समझ बूझ रखते हों। अंग्रेजी से हिंदी अनुवाद और कंप्‍यूटर पर कम्‍पोजिंग एवं इंटरनेट की जानकारी जरुरी। शेयर बाजार लाइव के साथ कार्य करने की क्षमता। मुंबई में नियुक्ति के साथ बैचलर आवास सुविधा। संपर्क ईमेल : kamaljalaj@gmail.com

बीएसई सेंसेक्‍स दिवाली तक 17 हजार

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भारतीय शेयर बाजार एक बड़े झटके से उबरता हुआ एक बार फिर नई ऊंचाई की ओर बढ़ रहा है। ऐसे में यह सवाल फिर से हर निवेशक के मन में उठ रहा है कि क्‍या शेयर बाजार फिर से गोता तो नहीं लगा जाएगा या यह तेजी का माहौल निरंतर बना रहेगा। यदि हम भारतीय शेयर बाजार के मौजूदा रुझान को देखें तो बीएसई सेंसेक्‍स इस साल के अंत तक 17 हजार अंक को पार कर सकता है बशर्ते राजनीतिक मोर्चे पर स्थिरता कायम रहे। भारत अमरीका परमाणु करार की समीक्षा के लिए समिति बनने के बाद भी जिस तरह के बयान आ रहे हैं उससे यह लगता है कि कांग्रेस एवं वामपंथी एक दूसरे की ताकत और संभावना को टटोल रहे हैं, जबकि समिति बनने के बाद सार्वजनिक बयान बंद हो जाने चाहिए थे और जो कुछ आना चाहिए वह समिति की रिपोर्ट के माध्‍यम से आना चाहिए। लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। माकपा महासचिव प्रकाश कारत का मूड कुछ और ही दिखता है। संभवत: वे चाहते होंगे कि उनकी अगुआई में वामपंथी पश्चिम बंगाल एवं केरल के साथ कुछ और जगह अच्‍छा प्रर्दशन कर सकते हैं। यदि वामपंथी केंद्र सरकार का साथ छोड़ते हैं तो बॉम्‍बे स्‍टॉक एक्‍सचेंज का सेंसेक्‍स इस साल के अंत तक 17 हजार अंक को नहीं छू

गणेश चतुर्थी की शुभकामनाएं, सेंसेक्‍स इस साल 17 हजार के पार

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वाह मनी के सभी चहेतों को गणेश चतुर्थी की शुभकामनाएं। भारतीय शेयर बाजार के मौजूदा मूड को भांपते हुए इस साल के अंत तक बीएसई सेंसेक्‍स 17 हजार अंक के पार होगा। सेंसेक्‍स के इस सफर पर पढि़ए खास स्‍टोरी कल गणेश चतुर्थी के मौके पर। वाह मनी के चहेतों की मांग पर हम जल्‍दी ही लेखों की एक श्रृंखला शुरु करने जा रहे हैं उन निवेशकों के लिए जो बिल्‍कुल नए हैं और शेयर बाजार से अनजान हैं। साथ ही शेयर बाजार का रोजाना का हालचाल और किसी एक विशेष कंपनी से जुड़ी खबर एवं उसका असर हम आपको बताएंगे, ताकि आप यह निर्णय कर सकें कि जिस खबर को आप पढ़ रहे हैं उस कंपनी में निवेश करें या नहीं अथवा अपने निवेश को बनाए रखें या बाहर निकल जाएं। वाह मनी पर आप और क्‍या चाहते हैं यानी आप शेयर बाजार से जुड़ी और कैसी जानकारियां जानना चाहते हैं, हमें जरुर बताएं।

शेयर बाजार में पैसा लगाने से पहले

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रिस्क प्रोफाइल सबसे पहले अपना रिस्क प्रोफाइल तय कर लें। यानी यह जान लें कि इनवेस्टमेंट के मामले में आप किस हद तक जोखिम उठाने की स्थिति में हैं। इनवेस्टमेंट से संबंधित कोई ठोस निर्णय लेने का यह एकदम सही आधार है। आपका इनवेस्टमेंट आपके रिस्क प्रोफाइल के अनुसार ही होना चाहिए। रिस्क प्रोफाइल आपकी उम्र, निजी जिम्मेदारियों, सरप्लस आमदनी या बचत और आपकी आर्थिक व पारिवारिक हालत पर निर्भर करता है। 25 साल का एक प्रफेशनल, 56 साल के किसी सर्विसमैन की तुलना में कहीं ज्यादा जोखिम उठाने की स्थिति में होता है। इनवेस्टमेंट के मामले में यही फॉर्म्युला लागू होता है, 'ज्यादा जोखिम, ज्यादा मुनाफा'। शेयर मार्केट में इनवेस्टमेंट के मामले में यह फॉर्म्युला कुछ ज्यादा ही फिट बैठता है, क्योंकि बाजार में उतार-चढ़ाव का माहौल कुछ ज्यादा ही रहता है। दूसरी ओर, बॉन्ड, फिक्स्ड डिपॉजिट, पीपीएफ, पोस्ट ऑफिस सेविंग स्कीम वगैरह उन लोगों के लिए हैं, जो ज्यादा जोखिम उठाने की स्थिति में नहीं होते। देर नहीं भली इनवेस्टमेंट के मामले में सीधा-सा नियम है कि आपके पास वक्त जितना कम होगा, आपको उतना ही ज्यादा सावधान रहना होग

शेयर बाजार तो चमकेगा ही

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भारत और अमरीका के बीच परमाणु करार पर वामपंथियों ने जो रुख दिखाया और सरकार से समर्थन वापस लेने की बात तक कही अब उससे हर सांसद बचता नजर आ रहा है। मौजूदा यूपीए सरकार पूरे पांच साल चले इसकी पहल दस सांसदों ने शुरू कर दी है। इन सांसदों की अगुआई कर रहे राहुल बजाज का कहना है कि इस पहल का उद्देश्‍य सभी दलों की सरकार बनाकर मध्‍यावधि चुनावों को टालना है। ऐसे चुनाव से देश पर तगड़ा वित्‍तीय बोझ पड़ता है। हमारा आश्‍य मौजूदा लोकसभा अपनी अवधि पूरी करे यही है। इस समय मध्‍यावधि चुनाव होते हैं तो 2700 करोड़ रुपए खर्च होंगे। इस खर्च में राजनीतिक दलों द्धारा किए जाने वाला खर्च शामिल नहीं है। इस प्रयास की पहल भले ही दस सांसदों ने की हो, लेकिन हरेक पार्टी के सांसद के मन में तो यही है कि मध्‍यावधि चुनाव न हो। राजनीतिक गलियारों में चल रही चर्चाओं पर भरोसा करें तो देश में मध्‍यावधि चुनाव की संभावना कम ही है क्‍योंकि सभी दल जानते हैं कि भाजपा ने समय से पहले चुनाव कराकर अपनी सत्‍ता खो दी थी। वामपंथियों से लेकर दक्षिणपंथी तक इस बात के हिमायती हैं कि मध्‍यावधि चुनाव को टाला जाना चाहिए। यदि देश मध्‍यावधि चुनाव की

मुनाफा वसूली के साथ करें शेयरों में कामकाज

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यूरोपियन सेंट्रल बैंक और बैंक ऑफ इंग्‍लैंड ने भले ही ब्‍याज दरों को यथावत रखा हो लेकिन शेयर निवेशकों की नजर 18 सितंबर को होने वाली अमरीकी फेडरल रिजर्व की बैठक पर है। इस बैठक में ब्‍याज दरों में कटौती की उम्‍मीद की जा रही है। लेकिन सब प्राइम की छाया से अभी अमरीकी अर्थव्‍यवस्‍था उबरी नहीं है। हाउसिंग और एम्‍पलायज के कमजोर आंकडों ने इस अर्थव्‍यवस्‍था को और हिला दिया है। लंदन मेटल एक्‍सचेंज में अलौह धातुओं के बढ़ रही आपूर्ति ने इन धातुओं के भाव को तोड़ दिया है जिसका असर मेटल शेयरों पर पड़ रहा है। हालांकि, घरेलू मोर्चे पर मुद्रास्‍फीति दर 16 महीने की निचले स्‍तर पर आ गई है लेकिन राजनीतिक स्थिरता नहीं है। ऐसा लग रहा है जैसे कि सभी राजनीतिक दल आर्थिक सुधारों पर ब्रेक लगाकर मध्‍यावधि चुनाव की तैयारी में जुट रहे हैं। अगले सप्‍ताह यानी दस सितंबर को चालू होने वाले नए सप्‍ताह में बीएसई सेंसेक्‍स के 15125 से 15925 के बीच घूमने की उम्‍मीद है। पिछले दिनों की भारी गिरावट में बीएसई सेंसेक्‍स 13790 अंक तक आ गया था जो अब तक 1925 अंक बढ़ चुका है। यही वजह है निवेशकों का एक बड़ा वर्ग मानता है कि शेयर बाजार

मार्च-2009 तक भरे जा सकते हैं बिलेटिड रिटर्न

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वित्त वर्ष 2006-07 के लिए टैक्स रिटर्न भरने की अंतिम तारीख 31 जुलाई थी। इस तारीख से पहले लोगों ने टैक्स रिटर्न भरने के लिए काफी भागदौड़ की और कई-कई पेजों का नया टैक्स रिटर्न भरा। पर इस भागदौड़ के बावजूद बहुत से लोग ऐसे छूट गए, जो टैक्स रिटर्न नहीं भर पाए। उनके लिए एक अच्छी खबर। वे 31 मार्च, 2009 तक रिटर्न भर सकते हैं। पर इसमें एक 'खतरा' भी है। अगर आयकर अधिकारी ने उनके पेपर का असेसमेंट कर लिया, तो हो सकता है कि उनको 5,000 रुपये तक जुर्माना देना पड़ जाए। इसके अतिरिक्त भी उन्हें कर अदा करने में देरी के लिए 1 प्रतिशत मासिक की दर से ब्याज देना पड़ेगा। क्या है बिलेटिड रिटर्न इनकम टैक्स एक्ट की धारा 139(4) करदाताओं को अंतिम तारीख के बाद भी रिटर्न भरने की अनुमति देती है। इसके तहत रिटर्न असेसमेंट इयर के अंत के बाद एक साल के भीतर भरा जा सकता है। इसको हम और साफ करते हैं। वित्त वर्ष 2006-07 के लिए रिटर्न भरने की अंतिम तारीख 31 जुलाई, 07 थी। इस वित्त वर्ष के लिए असेसमेंट इयर 2007-08 होगा। यानी कि असेसमेंट वर्ष 31 मार्च, 08 को पूरा होगा। ऐसे में असेसमेंट साल के खत्म होने के बाद एक साल तक या

सेंसेक्‍स हजार अंक उछलेगा !

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भारतीय शेयर बाजार ने न्‍यूक्लियर डील पर वामपंथियों के रवैये से जो मात खाई थी वह दूर हो गई है। न्‍यूक्लियर डील के संबंध में समिति का गठन कर दिया गया है और अब इस बारे में समिति मिलकर निर्णय करेगी कि भारत को क्‍या करना चाहिए। समूचे मामले को शां‍त करने के लिए समिति बनाई गई लेकिन एक बात तय है कि इस संबंध में समय समय पर हो हल्‍ला होता रहेगा ता‍कि पश्चिम बंगाल और केरल के मतदाताओं को यह लगते रहना चाहिए कि वामपंथी मौजूद है और उनके वोट बैंक में कोई दरार नहीं पड़ पाए। सत्‍ता का स्‍वाद चख रहे वामपंथी भी नहीं चाहते कि कुर्सी का दम ही निकल जाए अन्‍यथा ऑल क्लियर डील कहां करेंगे। बड़ी मुश्किल से मिलती है कुर्सी। वामपंथी भी चाहते हैं कि पश्चिम बंगाल और केरल उनके हाथ से न निकले बस इतना तो हो हल्‍ला करने ही दो। वामपंथियों को दूसरे रुप में धन्‍यवाद देना चाहिए कि अनेक निवेशकों को बेस्‍ट स्‍टॉक्‍स सस्‍ते में मिल गए और वापस सेंसेक्‍स वहीं पहुंच गया, जहां से वह गिरा था। अब शेयर ऑपरेटरों, पंटरों की बात पर भरोसा करें तो अक्‍टूबर मध्‍य तक सेंसेक्‍स 16500 के आसपास दिखाई देगा। इनका कहना है कि सभी जगह सब कुछ ठीकठा

शेयर बाजार में रहेगी गर्मी, चीनी शेयरों से बचें

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दुनिया भर के शेयर बाजारों में आए सुधार के साथ अब भारतीय शेयर बाजार भी ताल मिला रहा है। हालांकि, इस तेजी की रेस में भारतीय शेयर बाजार पहले पिछड़ रहे थे क्‍योंकि भारत अमरीका परमाणु करार पर वामपंथियों ने केंद्र सरकार से अपना समर्थन लेने की बात कही थी। हालांकि, अडि़यल वामपंथी अब थोड़े नरम पड़े हैं और न्‍यूक्लियर डील को क्लियर करवाने के लिए एक समिति बनाई गई है। निवेशकों को इस समय भी सचेत रहने की जरुरत है क्‍योंकि समिति बन जाना राजनीतिक स्थिरता की गारंटी नहीं है। वामपंथी कभी भी इस मुद्दे पर सरकार का साथ छोड़ सकते हैं या अपने बयानों से बाजार पर बुरा असर डाल सकते हैं। इस समय सभी राजनीतिक दल देश में मध्‍यावधि चुनाव की बात सोच जरुर रहे हैं। सभी दल इस गणना में लगे हैं कि यदि इस समय मध्‍यावधि चुनाव होते हैं तो उन्‍हें कितना लाभ होगा और जब तक कांग्रेस की रिपोर्ट नहीं बन जाती, मध्‍यावधि चुनाव की ओर बढ़ने का सवाल ही नहीं उठता। वामपंथी भी एक बात यह अच्‍छी तरह जानते हैं कि वे अपने बूते कभी देश में सरकार नहीं बना सकते और मौजूदा मौके को खोना उन्‍हें ठीक नहीं लगता क्‍योंकि सत्‍ता हमेशा ताकत देती हैं। आज स