मुनाफा वसूली के साथ करें शेयरों में कामकाज
यूरोपियन सेंट्रल बैंक और बैंक ऑफ इंग्लैंड ने भले ही ब्याज दरों को यथावत रखा हो लेकिन शेयर निवेशकों की नजर 18 सितंबर को होने वाली अमरीकी फेडरल रिजर्व की बैठक पर है। इस बैठक में ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद की जा रही है। लेकिन सब प्राइम की छाया से अभी अमरीकी अर्थव्यवस्था उबरी नहीं है। हाउसिंग और एम्पलायज के कमजोर आंकडों ने इस अर्थव्यवस्था को और हिला दिया है। लंदन मेटल एक्सचेंज में अलौह धातुओं के बढ़ रही आपूर्ति ने इन धातुओं के भाव को तोड़ दिया है जिसका असर मेटल शेयरों पर पड़ रहा है। हालांकि, घरेलू मोर्चे पर मुद्रास्फीति दर 16 महीने की निचले स्तर पर आ गई है लेकिन राजनीतिक स्थिरता नहीं है। ऐसा लग रहा है जैसे कि सभी राजनीतिक दल आर्थिक सुधारों पर ब्रेक लगाकर मध्यावधि चुनाव की तैयारी में जुट रहे हैं।
अगले सप्ताह यानी दस सितंबर को चालू होने वाले नए सप्ताह में बीएसई सेंसेक्स के 15125 से 15925 के बीच घूमने की उम्मीद है। पिछले दिनों की भारी गिरावट में बीएसई सेंसेक्स 13790 अंक तक आ गया था जो अब तक 1925 अंक बढ़ चुका है। यही वजह है निवेशकों का एक बड़ा वर्ग मानता है कि शेयर बाजार ही बेहतर रिटर्न दे सकता है। लंबी अवधि के लिए बेहतर कंपनियों का ही चयन करें और यह मानकर चलिए कि ऐसी कंपनियां चुनने वाले बाजार की हर परिस्थिति में विजेता बनकर उभरेंगे। यदि आपका निवेश बेहतर कंपनियों में है और बाजार टूटता भी है तो फिर से होने वाला सुधार इन कंपनियों के निवेशकों को रिटर्न जरुर देता है। लेकिन घटिया कंपनियों में किए गए निवेश के लिए यही कह सकते हैं कि काठ की हांडी दूसरी बार नहीं चढ़ती। ऐसी कंपनियों के भाव बढ़ने पर निवेशक लालचवश बेच नहीं पाता और दूसरी बार निकलने का अवसर नहीं मिलता।
बेहतर निवेशक की एक पहचान होती है कि वह खूब पढ़ता और मनन करता है, तब जाकर मुश्किल से एक कदम उठा पाता है जिसका उसे शानदार नतीजा मिलता है। लेकिन बगैर होमवर्क वाले निवेशक जिन्हें कानाफूसी पर ज्यादा भरोसा होता है, शेयर बाजार में अधिक समय फल फूल नहीं सकते। हम अपने निवेशकों से कहना चाहते हैं कि वे एफ एंड ओ में नहीं खेलें क्योंकि बाजार अभी रिस्क से उबरा नहीं है। ऐसे में 14 कंपनियों को एफ एंड ओ की सूची में डाल दिया गया है ताकि निवेशक कम पैसे में कमाने के चक्कर में फंस जाए। लक्ष्मी मशीन कंपनी जिसमें वोल्यूम काफी कम होता है, को एफ एंड ओ में किस आधार पर रखा गया, समझ नहीं आता। दूसरी ओर, नगद की अनेक कंपनियों में अचानक सर्किट सीमा बदल दी गई। पिछले एक-डेढ़ साल से पांच फीसदी सर्किट सीमा में चल रही कंपनियों में अचानक इसे बढ़ाकर सीधे 20 फीसदी कर दिया गया है। प्रिज्म सीमेंट में पांच फीसदी सर्किट को अचानक किस आधार पर बढ़ाकर 20 फीसदी किया गया। क्या यह कुछ वेस्टेड इंटरेस्ट वालों की खातिर किया गया है।
अगले सप्ताह ओएनजीसी, रिलायंस कम्युनिकेशन, एनटीपीसी, आईटीसी, इंफोसिस और हिंडाल्को फ्रंटरनर रहेंगे जबकि सिम्पलैक्स कास्टिंग, वेस्ट कोस्ट पेपर, सेंचुरी टेक्सटाइल, आईपीसीएल, मधुकॉन प्रोजेक्ट्स, बाम्बे डाईंग, आकृति निर्माण, ग्रासिम और एएसएम टेक्नो भी बढ़ेंगे। लेकिन निवेशकों को सलाह है कि वे आंशिक मुनाफा भी लेते रहें। बहुत लंबी पोजीशन लेने का यह सही अवसर नहीं है।
चीनी शेयर ले डूबेंगे
वाह मनी ने पिछले सप्ताह भी कहा था कि चीनी कंपनियों के शेयर नहीं खरीदें। हम एक बार फिर अपनी बात दोहरा रहे हैं चीनी शेयरों में निवेश नहीं करें अन्यथा यह मान लें कि ये कंपनियां आपके निवेश को डूबा सकती हैं। सस्ते के चक्कर में कचरा न जुटा लें और यह तो आप भी जानते हैं कि कचरा अपने पास कोई नहीं रखना चाहता, चाहे ऑपरेटर हो या ब्रोकर अथवा पंटर। इन दिनों अनेक अखबारों और टीवी चैनलों पर यह खूब आ रहा है कि फलां चीनी शेयर को खरीदें क्योंकि शार्ट टर्म में इसका भाव यहां तक पहुंच सकता है। इस तरह के झांसे में न आएं और चीनी शेयरों से बचें।
केंद्र सरकार ने वर्ष 2007/08 में चीनी उद्योग को मदद करने की घोषणा की है जिससे चीनी शेयरों में एक बार फिर गर्मी दिखाई दे रही है। लेकिन एक सवाल यहां उठता है कि मदद से क्या होगा, चीनी उत्पादन घटेगा, चीनी की खपत बढ़ेगी या फिर जोरदार निर्यात होगा जबकि अन्य देश भी तो चीनी बना रहे हैं। हमें जो जानकारी मिली है उसके मुताबिक केंद्र सरकार पेट्रोल में एथनॉल की ब्लेडिंग को पांच फीसदी से बढ़ाकर दस फीसदी करने जा रही है। लेकिन यहां सवाल खड़ा होता है कि क्या इस समय देश में पांच फीसदी एथनॉल की ब्लेडिंग हो रही है। पहले सरकार पांच फीसदी एथनॉल की ब्लेडिंग तो शुरू करवाएं। सच्चाई यह भी है कि वर्ष 2007/08 में हमारे देश में दस फीसदी एथनॉल ब्लेडिंग की बुनियादी सुविधाएं नहीं है। दूसरी संभावना नाबार्ड बैंक के कर्ज को रिस्ट्रक्चरिंग करने की है तो हम आपको बता दें कि शेयर बाजार में लिस्टेड किसी भी शुगर कंपनी के पास नाबार्ड बैंक का कर्ज नहीं है, तो फायदा किसे मिलेगा। हमारे देश में अगले चीनी सीजन में चीनी का ओपनिंग स्टॉक 118 लाख टन और उत्पादन 290 लाख टन रहने की संभावना है यानी कुल 408 लाख टन चीनी का हम और चीनी उद्योग करेगा क्या। देश में चीनी की घरेलू खपत 200 लाख टन रहेगी। इसके अलावा हमारे बंदरगाहों पर चीनी निर्यात सुविधा 50 लाख टन की है। अब ऐसे में सवाल उठता है कि इस घरेलू खपत और निर्यात के बाद बची 158 लाख टन चीनी का क्या होगा। शेयर बाजार के पंटर चीनी कंपनियों के शेयरों के बारे में जो बात बताते हैं उन पर भरोसा कर इन शेयरों को खरीदने से पहले हमने जो बात आपके सामने रखी है उस पर भी विचार करें क्योंकि कहीं ऐसा नहीं हो कि चीनी आपके स्टॉक पोर्टफोलियों के लिए मधुमेह न बन जाए।
अगले सप्ताह यानी दस सितंबर को चालू होने वाले नए सप्ताह में बीएसई सेंसेक्स के 15125 से 15925 के बीच घूमने की उम्मीद है। पिछले दिनों की भारी गिरावट में बीएसई सेंसेक्स 13790 अंक तक आ गया था जो अब तक 1925 अंक बढ़ चुका है। यही वजह है निवेशकों का एक बड़ा वर्ग मानता है कि शेयर बाजार ही बेहतर रिटर्न दे सकता है। लंबी अवधि के लिए बेहतर कंपनियों का ही चयन करें और यह मानकर चलिए कि ऐसी कंपनियां चुनने वाले बाजार की हर परिस्थिति में विजेता बनकर उभरेंगे। यदि आपका निवेश बेहतर कंपनियों में है और बाजार टूटता भी है तो फिर से होने वाला सुधार इन कंपनियों के निवेशकों को रिटर्न जरुर देता है। लेकिन घटिया कंपनियों में किए गए निवेश के लिए यही कह सकते हैं कि काठ की हांडी दूसरी बार नहीं चढ़ती। ऐसी कंपनियों के भाव बढ़ने पर निवेशक लालचवश बेच नहीं पाता और दूसरी बार निकलने का अवसर नहीं मिलता।
बेहतर निवेशक की एक पहचान होती है कि वह खूब पढ़ता और मनन करता है, तब जाकर मुश्किल से एक कदम उठा पाता है जिसका उसे शानदार नतीजा मिलता है। लेकिन बगैर होमवर्क वाले निवेशक जिन्हें कानाफूसी पर ज्यादा भरोसा होता है, शेयर बाजार में अधिक समय फल फूल नहीं सकते। हम अपने निवेशकों से कहना चाहते हैं कि वे एफ एंड ओ में नहीं खेलें क्योंकि बाजार अभी रिस्क से उबरा नहीं है। ऐसे में 14 कंपनियों को एफ एंड ओ की सूची में डाल दिया गया है ताकि निवेशक कम पैसे में कमाने के चक्कर में फंस जाए। लक्ष्मी मशीन कंपनी जिसमें वोल्यूम काफी कम होता है, को एफ एंड ओ में किस आधार पर रखा गया, समझ नहीं आता। दूसरी ओर, नगद की अनेक कंपनियों में अचानक सर्किट सीमा बदल दी गई। पिछले एक-डेढ़ साल से पांच फीसदी सर्किट सीमा में चल रही कंपनियों में अचानक इसे बढ़ाकर सीधे 20 फीसदी कर दिया गया है। प्रिज्म सीमेंट में पांच फीसदी सर्किट को अचानक किस आधार पर बढ़ाकर 20 फीसदी किया गया। क्या यह कुछ वेस्टेड इंटरेस्ट वालों की खातिर किया गया है।
अगले सप्ताह ओएनजीसी, रिलायंस कम्युनिकेशन, एनटीपीसी, आईटीसी, इंफोसिस और हिंडाल्को फ्रंटरनर रहेंगे जबकि सिम्पलैक्स कास्टिंग, वेस्ट कोस्ट पेपर, सेंचुरी टेक्सटाइल, आईपीसीएल, मधुकॉन प्रोजेक्ट्स, बाम्बे डाईंग, आकृति निर्माण, ग्रासिम और एएसएम टेक्नो भी बढ़ेंगे। लेकिन निवेशकों को सलाह है कि वे आंशिक मुनाफा भी लेते रहें। बहुत लंबी पोजीशन लेने का यह सही अवसर नहीं है।
चीनी शेयर ले डूबेंगे
वाह मनी ने पिछले सप्ताह भी कहा था कि चीनी कंपनियों के शेयर नहीं खरीदें। हम एक बार फिर अपनी बात दोहरा रहे हैं चीनी शेयरों में निवेश नहीं करें अन्यथा यह मान लें कि ये कंपनियां आपके निवेश को डूबा सकती हैं। सस्ते के चक्कर में कचरा न जुटा लें और यह तो आप भी जानते हैं कि कचरा अपने पास कोई नहीं रखना चाहता, चाहे ऑपरेटर हो या ब्रोकर अथवा पंटर। इन दिनों अनेक अखबारों और टीवी चैनलों पर यह खूब आ रहा है कि फलां चीनी शेयर को खरीदें क्योंकि शार्ट टर्म में इसका भाव यहां तक पहुंच सकता है। इस तरह के झांसे में न आएं और चीनी शेयरों से बचें।
केंद्र सरकार ने वर्ष 2007/08 में चीनी उद्योग को मदद करने की घोषणा की है जिससे चीनी शेयरों में एक बार फिर गर्मी दिखाई दे रही है। लेकिन एक सवाल यहां उठता है कि मदद से क्या होगा, चीनी उत्पादन घटेगा, चीनी की खपत बढ़ेगी या फिर जोरदार निर्यात होगा जबकि अन्य देश भी तो चीनी बना रहे हैं। हमें जो जानकारी मिली है उसके मुताबिक केंद्र सरकार पेट्रोल में एथनॉल की ब्लेडिंग को पांच फीसदी से बढ़ाकर दस फीसदी करने जा रही है। लेकिन यहां सवाल खड़ा होता है कि क्या इस समय देश में पांच फीसदी एथनॉल की ब्लेडिंग हो रही है। पहले सरकार पांच फीसदी एथनॉल की ब्लेडिंग तो शुरू करवाएं। सच्चाई यह भी है कि वर्ष 2007/08 में हमारे देश में दस फीसदी एथनॉल ब्लेडिंग की बुनियादी सुविधाएं नहीं है। दूसरी संभावना नाबार्ड बैंक के कर्ज को रिस्ट्रक्चरिंग करने की है तो हम आपको बता दें कि शेयर बाजार में लिस्टेड किसी भी शुगर कंपनी के पास नाबार्ड बैंक का कर्ज नहीं है, तो फायदा किसे मिलेगा। हमारे देश में अगले चीनी सीजन में चीनी का ओपनिंग स्टॉक 118 लाख टन और उत्पादन 290 लाख टन रहने की संभावना है यानी कुल 408 लाख टन चीनी का हम और चीनी उद्योग करेगा क्या। देश में चीनी की घरेलू खपत 200 लाख टन रहेगी। इसके अलावा हमारे बंदरगाहों पर चीनी निर्यात सुविधा 50 लाख टन की है। अब ऐसे में सवाल उठता है कि इस घरेलू खपत और निर्यात के बाद बची 158 लाख टन चीनी का क्या होगा। शेयर बाजार के पंटर चीनी कंपनियों के शेयरों के बारे में जो बात बताते हैं उन पर भरोसा कर इन शेयरों को खरीदने से पहले हमने जो बात आपके सामने रखी है उस पर भी विचार करें क्योंकि कहीं ऐसा नहीं हो कि चीनी आपके स्टॉक पोर्टफोलियों के लिए मधुमेह न बन जाए।
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