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ये हैं सात कमाऊ पूत

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ग्‍लोबल इनवेस्‍टमेंट बैंकिंग कंपनी मोर्गन स्‍टेनली ने एशिया पैसिफिक की ऐसी 20 कंपनियों की सूची जारी की है जो अगले पांच वर्ष में बेहतर रिटर्न देगी। मोर्गन स्‍टेनली ने आने वाले कल के विजेता शीर्षक से जारी इस सूची में भारतीय कंपनियों रिलायंस इंडस्‍ट्रीज, रिलायंस कैपिटल, भारती एयरटेल, लार्सन एंड टुब्रो, पेंटालून रिटेल, आईडीएफसी और शोभा डेवलपर्स को शामिल किया है। इस सूची में शामिल हुई कंपनियों में से आधी से ज्‍यादा तो भारत या चीन के शेयर बाजार में सूचीबद्ध हैं। मोर्गन स्‍टेनली का कहना है कि एशिया में भारत और चीन के तेज विकास की वजह से हमने इस क्षेत्र और कारोबार पर ध्‍यान केंद्रित किया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि ये वे कंपनियां हैं जिन्‍होंने प्रतिस्‍पर्धा में बाजी मारी हैं एवं शेयरधारकों को बेहतर रिटर्न दिया है। इन कंपनियों ने अपने देश में खुद के प्रतिस्‍पर्धियों को जहां पीछे छोड़ दिया वहीं अंतरराष्‍ट्रीय प्रतिस्‍पर्धा का सामना करने के लिए बेहद मजबूत है। सूची में शामिल अधिकतर कंपनियां ऐसे उद्योगों से जुड़ी हुई हैं जिनमें उतरने के लिए बड़ी बड़ी अड़चनों का सामना करना पड़ता है। मोर्गन स

रिलांयस 10 रुपए और डॉ. रेड्डी सात रुपए में !

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शेयर बाजार में आई ताजा तेज गिरावट ने अधिकतर निवेशकों को पूरी तरह हिलाकर रख दिया। कुछ निवेशक तो इस कदर साफ हो गए कि अब वे शायद ही आपको शेयर बाजार में फिर कभी दिखाई दे और कुछ अब अपना पैसा निकालकर बाहर हो जाएंगे क्‍योंकि वे मानते हैं कि यहां लगने वाले झटके जमकर हिला देते हैं। हालांकि, एक बात सामने जरुर आई है कि हमारी अर्थव्‍यवस्‍था बुनियादी तौर पर मजबूत है और ताजा गिरावट बीते दिनों की बात बन जाएगी एवं जल्‍दी ही शेयर बाजार नई ऊंचाई की तरफ बढ़ेगा। हिंदू समूह के बिजनैसलाइन अखबार में आज एक ऐसी ही मजेदार स्‍टोरी है। जिसमें मद्रास स्‍टॉक एक्‍सचेंज के पूर्व ब्रोकर महेंद्र शाह ने अपने अनुभव बताए हैं। वाह मनी के पाठक भी इस स्‍टोरी का आनंद लें। शाह कहते हैं कि उनके पास रिलायंस इंडस्‍ट्रीज के आईपीओ में मिले तीन सौ शेयर आज तक हैं, जो उन्‍हें प्रति शेयर दस रुपए की कीमत पर मिले थे। जबकि डॉ. रेड्डी के का हर शेयर तो उन्‍हें अपने इश्‍यू भाव से भी कम यानी सात रुपए पर मिला था। लेकिन आज इन दोनों कंपनियों के शेयर आसमान पर हैं। इतने वर्षों में राइट, बोनस और लाभांश मिला सो अलग। शेयर बाजार में तीन दशक का अनुभव