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चीनी शेयरों में बढ़ रही मिठास

चीनी कंपनियों के लिए अगला सीजन बेहतर होने की आस में संस्थागत निवेशक चीनी से जुड़ी बड़ी कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी बढ़ा रहे हैं। सरकार ने चीनी उद्योग के भले के लिए जिस तरह कदम उठाने की मंशा दिखाई है, उससे तो यही लगता है। चीनी का उत्‍पादन घटने का अनुमान और चीनी उद्योग के भले के लिए उठने वाले कदमों के बल पर चीनी कंपनियों के शेयरों में पिछले एक महीने में बेहतर बढ़ोतरी देखने को मिली है। देश में इस साल चीनी का उत्‍पादन 250-260 लाख टन होने का अनुमान है जो पिछले साल 284 लाख टन था। गन्‍ने की घटती खेती से यह आंका जा रहा है कि अब अगले सीजन में चीनी का उत्‍पादन 210-220 लाख टन रह जाएगा। गन्ने के भुगतान में होने वाली देरी की वजह से किसान अब गन्‍ने की बोआई को घटा रहे हैं। साथ ही धान व गेहूं के समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी की वजह से भी किसान गन्‍ने से मुंह मोड़ रहे हैं। चीनी मिल मालिकों ने पिछले साल गन्ने का पैसा देने में काफी देरी कर दी थी। ऐसा इसलिए हुआ था कि गन्ने के दाम ऊंचे थे और चीनी के नीचे। अब किसानों के गन्‍ने की फसल से मुंह मोड़ने की वजह से चीनी के दाम ...

ये हैं सात कमाऊ पूत

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ग्‍लोबल इनवेस्‍टमेंट बैंकिंग कंपनी मोर्गन स्‍टेनली ने एशिया पैसिफिक की ऐसी 20 कंपनियों की सूची जारी की है जो अगले पांच वर्ष में बेहतर रिटर्न देगी। मोर्गन स्‍टेनली ने आने वाले कल के विजेता शीर्षक से जारी इस सूची में भारतीय कंपनियों रिलायंस इंडस्‍ट्रीज, रिलायंस कैपिटल, भारती एयरटेल, लार्सन एंड टुब्रो, पेंटालून रिटेल, आईडीएफसी और शोभा डेवलपर्स को शामिल किया है। इस सूची में शामिल हुई कंपनियों में से आधी से ज्‍यादा तो भारत या चीन के शेयर बाजार में सूचीबद्ध हैं। मोर्गन स्‍टेनली का कहना है कि एशिया में भारत और चीन के तेज विकास की वजह से हमने इस क्षेत्र और कारोबार पर ध्‍यान केंद्रित किया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि ये वे कंपनियां हैं जिन्‍होंने प्रतिस्‍पर्धा में बाजी मारी हैं एवं शेयरधारकों को बेहतर रिटर्न दिया है। इन कंपनियों ने अपने देश में खुद के प्रतिस्‍पर्धियों को जहां पीछे छोड़ दिया वहीं अंतरराष्‍ट्रीय प्रतिस्‍पर्धा का सामना करने के लिए बेहद मजबूत है। सूची में शामिल अधिकतर कंपनियां ऐसे उद्योगों से जुड़ी हुई...

नाम बड़े और दर्शन छोटे

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शेयर बाजार में अभी बीस दिन पहले त‍क हर शेयर विश्‍लेषक बॉम्‍बे स्‍टॉक एक्‍सचेंज में लिस्‍टेड कंपनियों के शेयरों के नए भाव लक्ष्‍य दे रहे थे और यह बता रहे थे कि जल्‍दी से खरीदों वरना वन टू का फोर हो गया तो आप रह जाओगे। लेकिन इन विश्‍लेषकों को यह नहीं पता था कि फोर तो जब होगा तब होगा पहले वन का चौथाई जरुर हो जाएगा। लेकिन अब इन विश्‍लेषकों ने अपने प्राइस टार्गेट घटाने शुरु कर दिए हैं और निवेशकों को फिर से यह बता रहे हैं कि आप इस कंपनी के शेयर खरीदें और इसके तो ले ही लें। इन विश्‍लेषकों ने व्‍यावहारिक चीजों को दरकिनार कर अनाप शनाप प्राइस टार्गेट दिए जिसने होमवर्क न करने वाले निवेशकों को सबसे पहले डुबोया और भारतीय शेयर बाजार में सबसे ज्‍यादा वे ही निवेशक हैं जो खुद होमवर्क नहीं करते। वाह मनी लगातार कहता आ रहा है कि पैसा कमाने के लिए खुद भी होमवर्क करें और जिस कंपनी में निवेश करने जा रहे हैं उसके बारे में काफी कुछ पढ़ें। शेयर विश्‍लेषक तो इस साल बीएसई इंडेक्‍स के 35 से 40 हजार अंक तक पहुंच जाने की दावे के साथ भविष्‍यवाणी कर रहे थे। फरवरी में तो मानना था कि 25 हजार अंक से ऊपर इंडेक्‍स दिखेगा,...

रुचि सोया : सॉलिड स्‍टॉक

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घरेलू खाद्य तेल कंपनी के शेयरों में जब निवेश की बात आती है तो सभी निवेशकों के दिमाग में रुचि सोया का नाम सबसे पहले उभर आता है। इस कंपनी के कार्य प्रदर्शन और सही योजना ने निवेशकों को हमेशा अपनी ओर खींचा है। रुचि सोया ने हाल में अपने तिमाही नतीजे घोषित किए हैं। अक्‍टूबर से दिसंबर 2008 की तिमाही में कंपनी की शुद्ध बिक्री 3196.6 करोड़ रुपए रही जिस पर शुद्ध लाभ 59.5 करोड़ रुपए रहा। जबकि, अक्‍टूबर से दिसंबर 2007 की तिमाही में शुद्ध लाभ 37.5 करोड़ रुपए और शुद्ध बिक्री 2853.4 करोड़ रुपए थी। यानी चालू तिमाही में शुद्ध बिक्री में पिछली समान तिमाही की तुलना में 12 फीसदी और शुद्ध मुनाफे में 59 फीसदी की बढ़ोतरी। जबकि, इन नतीजों को अप्रैल से दिसंबर 2007 के नौ महीनों में संदर्भ में देखें तो शुद्ध बिक्री 7519.2 करोड़ रुपए और शुद्ध लाभ 119.7 करोड़ रुपए रहा। जबकि, पिछले साल समान अवधि में शुद्ध बिक्री 5536 करोड़ रुपए एवं शुद्ध लाभ 66.5 करोड़ रुपए था। नौ महीनों में शुद्ध बिक्री 36 फीसदी एवं शुद्ध लाभ में 80 फीसदी का इजाफा हुआ है। रुचि सोया ने सरसों, बिनौला और राइस ब्रान तेलों के रिटेल बाजार में बड़े पैमा...

बेहतर रिटर्न देगा अपोलो टायर्स

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अपोलो टायर्स ने अक्‍टूबर से दिसंबर 2007 की तिमाही के जो नतीजे पेश किए हैं, वे बाजार की उम्‍मीद से कहीं बेहतर है। कंपनी के शानदार नतीजे और विस्‍तार योजनाओं से पता चलता है कि 32 साल की यात्रा में इस कंपनी ने टायर उद्योग में अपना मुकाम खुद बनाया है। कंपनी की शुद्ध बिक्री चालू वित्‍त वर्ष की तीसरी तिमाही में 974.1 करोड़ रुपए पहुंच गई, जो पिछले साल की इसी तिमाही में 857.5 करोड़ रुपए थी। इसी तरह शुद्ध लाभ भी 35.1 करोड़ रुपए से बढ़कर 62.2 करोड़ रुपए पहुंच गया। कंपनी की आय में यह बढ़ोतरी ओरिजनल इक्विपमेंट मैन्‍युफैक्‍चरर्स (ओईएम) की मांग में सुस्‍ती के बावजूद देखने को मिली है। अपोलो टायर्स की बिक्री में रिप्‍लेसमेंट मांग की भूमिका 70 फीसदी रही जो पिछले साल समान तिमाही में 65 फीसदी थी। कच्‍चे माल की लागत में बढ़त के बावजूद कंपनी का ऑपरेटिंग लाभ मार्जिन सुधरा है। अपोलो टायर्स 220 करोड़ रुपए के पूंजीगत खर्च से अपना विस्‍तार करने जा रही है। इस विस्‍तार के तहत चेन्‍नई के समीप एक ग्रीनफील्‍ड रेडियल सुविधाएं खड़ी करना है। इस परियोजना के पहले चरण का कार्य अगले 18 महीनों में पूरा होने की संभावना है। इ...

मास साइक्‍लोजी का गेम है यह पावर

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रिलायंस पावर लिमिटेड के पब्लिक इश्‍यू को खुलते ही जो 11 गुना ओवरसब्‍सक्राइब्‍ड का प्रतिसाद मिला वह असल में रिटेल निवेशकों से अधिक संस्‍थागत निवेशकों की देन है जिन्‍होंने काफी पहले ही यह तैयारी कर रखी थी कि ज्‍योंहि यह इश्‍यू खुलेगा, आवेदन जमा हो जाना चाहिए। आपका आवेदन पहले जमा हो या बाद में उससे कोई फर्क नहीं पड़ता। यहां ऐसा नहीं है कि पहले आओ और पहले पाओ। असल में जब इस इश्‍यू में जमकर पैसा आने की खबर बाजार में फैली तो आम निवेशक भी पावर ऑन, इ‍ंडिया ऑन के जोश में आ गया और लोग अपने बेहतर स्‍टॉक बेचकर इस आईपीओ के लिए पैसे की जुगत में लग गए। यही वजह रही कि कल शेयर बाजार ने विपरीत दिशा में रुख किया, वह इस समय तक कायम है। पूरा शेयर बाजार लाल॥लाल दिखाई दे रहा है। बढ़ने वाले शेयरों को ढूंढा जा रहा है कि कौनसे शेयर बढ़े हैं। रिलायंस पावर का आईपीओ तो निवेशकों की शेयर बिकवाली और यहां हुए निवेश से ऑन हो गया लेकिन शेयर बाजार खुद ऑफ हो गया। रिलायंस पावर में यह तय है कि किसी भी आम निवेशक को इतनी बड़ी संख्‍या में शेयर नहीं मिलेंगे कि उनकी माली हालत 20 से 25 दिन में पूरी तरह बदल जाएगी। रिलायंस पावर के...

स्‍टील की मजबूती है गेलेन्‍ट मेटल में

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गुजरात स्थित इंटीग्रेटेड स्‍टील उत्‍पादक कंपनी गेलेन्‍ट मेटल स्‍पोंज ऑयरन, एमएम बिलेट्स, रि रोल्‍ड उत्‍पादक (टीएमटी बार्स) के उत्‍पादन से जुड़ी हुई कंपनी है। कंपनी समूचे बिलेट्स का रोलिंग उत्‍पादकों के लिए खुद ही खपत करती है। कंपनी के रिरोल्‍ड उत्‍पादों को बनाने में एमएस बिलेट्स मुख्‍य कच्‍चा माल है। कंपनी के पास स्‍वयं के उपयोग के लिए बिजली संयंत्र भी है जिसमें 18 मेगावाट बिजली का उत्‍पादन किया जाता है। कंपनी ने अपनी परियोजना के दूसरे चरण के तहत मार्च 2007 में 25 मेगावाट का निजी बिजली संयंत्र स्‍थापित किया। शानदार आर्थिक विकास दर, इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर डेवलपमेंट, और ग्रामीण विकास पर ध्‍यान देने की नीति से स्‍टील उद्योग पर सकारात्‍मक असर देखने को मिलेगा। पश्चिम क्षेत्र में स्‍टील की मांग व आपूर्ति में अंतर का लाभ भी इस कंपनी को मिलेगा। साथ ही कंपनी ने गुजरात व महाराष्‍ट्र के हर बाजार में अपनी उपस्थिति बनाना शुरु कर दिया है। इस कंपनी ने अब अलॉय और स्‍पेशल स्‍टील के उत्‍पादन में उतरने का इरादा जताया है। साथ ही अपनी उत्‍पादन क्षमता में बढ़ोतरी और यूरोप व चीन के बाजार में निर्यात के माध्‍यम स...

पैसे तो जमीन में गड़े हैं पेन्निसुला

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पुराने जमाने के कई बड़े बुजूर्ग आज भी ऐसे ढ़ेरों किस्‍से सुनाते हैं जिनसे पता चलता है कि पहले कई धन्‍ना सेठ या आम आदमी पैसे जमीन में गाड़कर रखते थे। अब नए जमाने में लोग जमीन की खरीद फरोख्‍त का काम कर पैसा कमाते हैं लेकिन इक्विटी कल्‍चर वाले जानते हैं कि जितने पैसों में महंगी जमीन खरीदेंगे उससे कम दाम में बेहतरीन रियल्‍टी स्‍टॉक खरीद कर कम समय में मोटा मुनाफा बैंक में जमा कर लेंगे। यदि आप इस समय बेहतरीन रियल्‍टी स्‍टॉक की तलाश कर रहे हैं तो अशोक पिरामल समूह की कंपनी पेन्निसुला लैंड से उम्‍दा कोई नहीं, जहां आने वाले समय में मोटे मुनाफे की बड़ी संभावना छिपी हुई है। पिरामल होल्डिंग्‍स लिमिटेड और मोरारजी रियॉल्टीज लिमिटेड के वर्ष 2005 में हुए विलय से पेन्निसुला लैंड अस्तित्‍व में आई। मुंबई स्थित यह रियल इस्‍टेट डेवलपर, नॉन लैंड बैंक अवधारणा वाली यह कंपनी अब मुंबई के अलावा दक्षिण व पश्चिम भारत में अपने पैर पसार रही है। इस कंपनी का उसूल है मौजूदा जरुरत के मुताबिक जमीन खरीदो और इसे विकसित करो। कंपनी अब तक मुंबई में 22 लाख वर्ग फीट रियल इस्‍टेट विकसित कर चुकी है जिसमें 38 फीसदी आवासीय परियोज...

शेयरों में घटबढ़ सीमित रेंज में

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नए साल के पहले सप्‍ताह ने शेयर बाजार और निवेशकों में तेजी का नया जोश भरा लेकिन पिछले सप्‍ताह जिस तरह से विदेशी संस्‍थागत निवेशकों ने जमकर बिकवाली की उससे अधिकतर निवेशकों में बेचैनी छा गई। 14 जनवरी से शुरु होने वाले नए सप्‍ताह में भी शेयर बाजार के एक सीमित रेंज में ही रहने की उम्‍मीद है। वैसे भी इस सप्‍ताह रिलायंस पावर का पब्लिक इश्‍यू खुल रहा है जिसमें देश के ज्‍यादातर निवेशकों ने पैसा लगाने की तैयारी कर रखी है। आज से शुरु हो रहे नए सप्‍ताह में बॉम्‍बे स्‍टॉक एक्‍सचेंज यानी बीएसई सेंसेक्‍स के 21443 से 20168 अंक के बीच रहने की प्रबल संभावना है। जबकि निफ्टी 6348 से 6066 अंक के बीच घूमता रहेगा। तकनीकी विश्‍लेषक हितेंद्र वासुदेव का मानना है कि शेयर बाजार में तेजी के लिए बीएसई सेंसेक्‍स के 20210 से ऊपर बने रहना जरुरी है। तकनीकी विश्‍लेषक मार्टिन प्रिंग मानते हैं कि सेंसेक्‍स को 19600 पर मजबूत स्‍पोर्ट मिलेगा। सेंसेक्‍स 21 हजार अंक के लेवल को पार करता है तो यह 23 हजार तक पहुंच जाएगा। इस सप्‍ताह देश की अनेक प्रमुख कंपनियों के तिमाही नतीजे आने जा रहे हैं। यदि जो बेहतर नतीजे समाने रखती हैं तो ...

सस्‍ती, सुंदर सुमेधा

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वाह मनी से अनेक निवेशकों ने यह पूछा है कि उन्‍हें कोई सस्‍ता शेयर बताया जाए जिसमें बड़ी मात्रा में निवेश किया जाए जिसकी लागत भी कम हो और रिटर्न बेहतर मिले। यानी सस्‍ता और सुंदर शेयर। शेयर बाजार में आई जोरदार तेजी के बीच सभी ब्रो‍किंग कंपनियों के शेयर दौड़ रहे हैं। ऐसे में इसी क्षेत्र की कंपनी सुमेधा फिस्‍कल सर्विसेस एक बेहतर शेयर है जो अन्‍य सभी ब्रोकिंग कंपनियों की तुलना में सस्‍ता मिल रहा है। सुमेधा फिस्‍कल सर्विसेस पूंजी बाजार और एफएनओ सेगमेंट में नेशनल स्‍टॉक एक्‍सचेंज की सदस्‍य है। इस कंपनी का बाजार पूंजीकरण 14 करोड़ रुपए है और संभवत: यह ब्रोकिंग कंपनियों के शेयरों के बीच बीएसई पर सबसे सस्‍ते में मिल रहा है। वर्ष 2007 में कंपनी को केवल 85 लाख रुपए का लाभ हुआ जबकि वर्ष 2008 की पहली छमाही में इसने कर पश्‍चात लाभ 85 लाख रुपए कमाया। कंपनी ने वर्ष 2007 में लाभांश दिया जो पांच फीसदी था लेकिन वर्ष 2008 में इस लाभांश के बढ़ने की उम्‍मीद है। सुमेधा फिस्‍कल के ऑफिस कोलकाता में है। इसके अलावा आठ शाखाएं हैं। कंपनी के प्रमोटर चार्टर्ड एकाउंटेंट्स हैं और 6.6 करोड़ रुपए की इक्विटी में 53 फीसदी...

डार्क हॉर्स है गुजरात स्‍टेट पेट्रोनेट

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गुजरात स्‍टेट पेट्रोनेट लिमिटेड (जीएसपीएल) ने वित्‍त वर्ष 2007 में अपनी पाइपलाइन नेटवर्क को 1130 किलोमीटर कर दिया, जो वित्‍त वर्ष 2006 में केवल 510 किलोमीटर थी। यानी एक ही साल में पाइपलाइन नेटवर्क दुगुना। यह कंपनी पाइपलाइन के निर्माण और इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर स्‍थापित करने के लिए पहले ही दो अरब रुपए निवेश कर चुकी है। कंपनी ने जामनगर और हलोल के इलाके को जोड़ने के लिए दो अरब रुपए का अतिरिक्‍त पूंजीगत खर्च करने की योजना बनाई है। कंपनी मोरबी से मुंद्रा पोर्ट और पीपावाव पोर्ट से जामनगर के इलाके को कवर करने के लिए पाइपलाइन गैस ग्रिड स्‍थापित करने की भी योजना बना रही है। पूंजीगत खर्च के लिए आईएफसी ने लगभग 123 करोड़ रुपए का इक्विटी निवेश किया है और 338 करोड़ रुपए का कर्ज दिया है। जीएसपीएल शुद्ध रुप से गैस ट्रांसमीशन कंपनी है और मौजूदा समय में यह अपने ग्राहकों को लगभग 18 एमएमएससीएमडी गैस सप्‍लाई कर रही है। वर्ष 2009 तक कंपनी चरणबद्ध रुप से अपने इस वोल्‍यूम को बढाएगी। वर्ष 2009 की चौथी तिमाही से कंपनी का रिलायंस इंडस्‍ट्रीज के साथ भरुच से जामनगर के बीच 11 एमएमएससीएमडी गैस के ट्रांसपोर्टेशन का 15 साल...