नाम बड़े और दर्शन छोटे

शेयर बाजार में अभी बीस दिन पहले त‍क हर शेयर विश्‍लेषक बॉम्‍बे स्‍टॉक एक्‍सचेंज में लिस्‍टेड कंपनियों के शेयरों के नए भाव लक्ष्‍य दे रहे थे और यह बता रहे थे कि जल्‍दी से खरीदों वरना वन टू का फोर हो गया तो आप रह जाओगे। लेकिन इन विश्‍लेषकों को यह नहीं पता था कि फोर तो जब होगा तब होगा पहले वन का चौथाई जरुर हो जाएगा। लेकिन अब इन विश्‍लेषकों ने अपने प्राइस टार्गेट घटाने शुरु कर दिए हैं और निवेशकों को फिर से यह बता रहे हैं कि आप इस कंपनी के शेयर खरीदें और इसके तो ले ही लें।

इन विश्‍लेषकों ने व्‍यावहारिक चीजों को दरकिनार कर अनाप शनाप प्राइस टार्गेट दिए जिसने होमवर्क न करने वाले निवेशकों को सबसे पहले डुबोया और भारतीय शेयर बाजार में सबसे ज्‍यादा वे ही निवेशक हैं जो खुद होमवर्क नहीं करते। वाह मनी लगातार कहता आ रहा है कि पैसा कमाने के लिए खुद भी होमवर्क करें और जिस कंपनी में निवेश करने जा रहे हैं उसके बारे में काफी कुछ पढ़ें। शेयर विश्‍लेषक तो इस साल बीएसई इंडेक्‍स के 35 से 40 हजार अंक तक पहुंच जाने की दावे के साथ भविष्‍यवाणी कर रहे थे। फरवरी में तो मानना था कि 25 हजार अंक से ऊपर इंडेक्‍स दिखेगा, लेकिन क्‍या हुआ। वाह मनी शुरु से कह रहा है कि वर्ष 2008 के आखिर तक ही बीएसई सेंसेक्‍स 25 हजार अंक पहुंचेगा, इससे पहले नहीं और अब ज्ञानी, महाज्ञानी विश्‍लेषकों ने भी अपने अनुमान कम कर दिए हैं। असल में किताबी चीजों से ज्‍यादा सफल व्‍यावहारिक चीजें होती हैं।

ब्रोकिंग हाउसों के इक्विटी विश्‍लेषकों ने विभिन्‍न कंपनियों के शेयरों के भाव आने वाले दिनों में जिन नई ऊंचाइयों पर पहुंचने के लिए जिस औजार को काम में लिया वह एम्‍बेडेड वेल्‍यू है। लेकिन इस औजार को काम में लेते समय विश्‍लेषक बाजार की बुरी दशा पर विचार करने से चूक गए। उन्‍हें यह औजार तो दिखा लेकिन यह नहीं कि कल हमारा बिगड़ने वाला है। यह हम मानते हैं कि एम्‍बेडेड वेल्‍यू कई जगह उपयोगी है। इसमें सम ऑफ द पार्टस पद्धति को काम में लिया जाता है। इसके तहत शेयर बाजार में लिस्‍टेड या अनलिस्‍टेड सब्सिडियरी कंपनियों की कीमत और कुछ संपत्तियों को ध्‍यान में रखना होता है। जरुरी नहीं कि ये संपत्तियां मुख्‍य कारोबार का हिस्‍सा हो ही। इस कीमत को कंपनी के शेयर भाव में शामिल कर लिया जाता है। लेकिन, शेयर विश्‍लेषकों ने इसका उपयोग कंपनियों के शेयरों को नई ऊंचाई के लक्ष्‍य दिखाने में किया।

एम्‍बेडेड वेल्‍यू के विचार को बढ़ावा देने में विदेशी संस्‍थागत निवेशकों और घरेलू निवेशकों की शेयरों के लिए जगी भूख जिम्‍मेदार है। ऐसे निवेशक शेयर खरीदने के लिए कोई भी बहाना खोजते रहते हैं। एम्‍बेडेड वेल्‍यू विचार ने पिछले कुछ महीनों में अनेक कंपनियों के शेयरों को उछाला है और यही वजह है कि कंपनियां अपनी सब्सिडियरी कंपनियों के पब्लिक इश्‍यू लाने के लिए आगे बढ़ीं। इसका उम्‍दा उदाहरण रिलायंस एनर्जी है जिसका भाव तकरीबन चार सौ फीसदी बढ़ गया था और सब्सिडियरी कंपनी रिलायंस पावर का पब्लिक इश्‍यू आया। इसी तरह, स्‍टेट बैंक ऑफ इंडिया और आईसीआईसीआई बैंक ने अपनी बीमा कंपनी और एसेट मैंनजमेंट सब्सिडियरी कंपनियों के लिस्टिंग के संबंध में कदम उठाए।

कुछ निवेश गुरु कहते हैं कि एम्‍बेडेड वेल्‍यू की धारणा बुरी नहीं है। कंपनियों के फंडामेंटल के संबंध में भी कोई समस्‍या नहीं है क्‍योंकि जो बातें सामने आई थी वे तो तीन से पांच वर्ष के लिए थीं लेकिन सटोरियों ने इसका उपयोग शेयरों के भाव उछालने में किया। दुनिया में जब लिक्विडिटी की स्थिति सुधरेगी तो यह विचार फिर अपना महत्‍व कायम करेगा।

टिप्पणियाँ

आपका कहना एकदम सही है। तथाकथित बाजार विश्लेषकों ने तो बेचारे आम निवेशकों का पैसा डुबाने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। लगातार सब्जबाग दिखाकर लोगों की गाढ़ी कमाई का पैसा बाजार में लगवा दिया और बाजार की स्थिति से सभी वाकिफ हैं। आपने भी खबर पढ़ी होगी कि बाजार के गिरने से गुजरात में एक व्यापारी ने खुदकुशी कर ली थी।
फिर भी अगर धैर्य रख पायेंगे
तो लाभ अवश्य ले पायेंगे
यही कमल जी बतलाते हैं
सच्चाई की राह दिखलाते हैं

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