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इक्विटी बाजार में बड़ी तबाही की दस्‍तक !

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वाह मनी ब्‍लॉग का आज पहला जन्‍मदिन है। इस ब्‍लॉग के नियमित पाठक और मित्र अरबिंद सोलंकी ने वाह मनी की पहली वर्षगांठ पर विशेष रुप से यह लेख भेजा है जिसमें उन्‍होंने शेयर बाजार के खिलाडि़यों को चेताया है कि मौजूदा हालात इक्विटी बाजार में बड़ी तबाही की दस्‍तक है। कबीरा खड़ा बाजार में लिए लुकाटी हाथ, जो घर फूंके आपना चले हमारे साथ। कबीर को भी पता नहीं क्‍या हो जाता था, जब चाहे बाजार में खड़े हो जाते थे। किसी की खैर मांगेंगे तो बाजार में खड़े होकर और किसी को घर फूंक अपने साथ चलने को कहेंगे तो बाजार में खड़े होकर। कबीर का बाजार में खड़े होने का प्रेम समझ से परे है। अपने फक्‍कड़पन या विचारधारा के कारण कबीर, कम्‍युनिस्‍ट किस्‍म के लोगों में काफी लोकप्रिय हैं लेकिन जिस तरह से वे जब तब बाजार में खड़े हो जाते हैं या थे वे मुझे खांटी कैपिटिल्सिट लगते हैं। खैर! कबीर बाजार में खड़े हों या किसी मैदान में हमें ? दरअसल इस लेख का कबीर से या उनके बाजार में खड़े होने से कोई संबंध नहीं है। यह लेख तो शेयर बाजार में खड़े लोगों के लिए है जो मक्‍खी की तरह पूरा गुड़ चट करने की कोशिश में हैं। उन्‍हें लग रहा है ...