मार्च-2009 तक भरे जा सकते हैं बिलेटिड रिटर्न
वित्त वर्ष 2006-07 के लिए टैक्स रिटर्न भरने की अंतिम तारीख 31 जुलाई थी। इस तारीख से पहले लोगों ने टैक्स रिटर्न भरने के लिए काफी भागदौड़ की और कई-कई पेजों का नया टैक्स रिटर्न भरा। पर इस भागदौड़ के बावजूद बहुत से लोग ऐसे छूट गए, जो टैक्स रिटर्न नहीं भर पाए। उनके लिए एक अच्छी खबर। वे 31 मार्च, 2009 तक रिटर्न भर सकते हैं। पर इसमें एक 'खतरा' भी है। अगर आयकर अधिकारी ने उनके पेपर का असेसमेंट कर लिया, तो हो सकता है कि उनको 5,000 रुपये तक जुर्माना देना पड़ जाए। इसके अतिरिक्त भी उन्हें कर अदा करने में देरी के लिए 1 प्रतिशत मासिक की दर से ब्याज देना पड़ेगा।
क्या है बिलेटिड रिटर्न
क्या है बिलेटिड रिटर्न
इनकम टैक्स एक्ट की धारा 139(4) करदाताओं को अंतिम तारीख के बाद भी रिटर्न भरने की अनुमति देती है। इसके तहत रिटर्न असेसमेंट इयर के अंत के बाद एक साल के भीतर भरा जा सकता है। इसको हम और साफ करते हैं। वित्त वर्ष 2006-07 के लिए रिटर्न भरने की अंतिम तारीख 31 जुलाई, 07 थी। इस वित्त वर्ष के लिए असेसमेंट इयर 2007-08 होगा। यानी कि असेसमेंट वर्ष 31 मार्च, 08 को पूरा होगा। ऐसे में असेसमेंट साल के खत्म होने के बाद एक साल तक यानी कि 31 मार्च, 2009 तक आप रिटर्न भर सकते हैं।
क्या है जुर्माना
क्या है जुर्माना
टैक्स रिटर्न की बात करते वक्त करदाता को 2 स्थितियों से गुजरना होगा।
करदाता ने अपने सभी टैक्स अदा कर दिए हैं, पर वह जायज कारणों से रिटर्न नहीं जमा कर पाया है
या फिर उसने टैक्स भी अदा नहीं किए हैं, और वह रिटर्न भी जमा नहीं कर पाया है।
पहले मामले में चूंकि करदाता ने अपने सभी टैक्स जमा कर दिए हैं, इसलिए उस पर किसी तरह का जुर्माना नहीं लगेगा। पर उसको असेसमेंट इयर के अंत तक रिटर्न जमा करना होगा। यानी कि यदि करदाता असेसमेंट इयर के अंत तक (31 मार्च, 2008) तक रिटर्न जमा कर देता है, तो उस पर कोई जुर्माना नहीं लगेगा।
वहीं अगर रिटर्न इस समयावधि के दौरान जमा नहीं कराया जाता है, और कर अधिकारी करदाता की आय का असेसमेंट करता है, तो वह उस पर आयकर कानून की धारा 271 एफ के तहत 5,000 रुपये का जुर्माना लगा सकता है।
दूसरे मामले में, जो लोग सरकार को न तो टैक्स का भुगतान कर सके हैं, और न तो उन्होंने रिटर्न जमा किया है, उन पर इनकम टैक्स एक्ट की धारा 234ए के तहत कुल टैक्स बकाया पर 1 फीसदी मासिक के आधार पर ब्याज देना लगेगा। मान लें कि यदि आपने रिटर्न 31 दिसंबर, 08 को फाइल किया है, तो आपको 5 माह के लिए 1 प्रतिशत का ब्याज देना होगा।
और क्या हो सकता है
करदाता ने अपने सभी टैक्स अदा कर दिए हैं, पर वह जायज कारणों से रिटर्न नहीं जमा कर पाया है
या फिर उसने टैक्स भी अदा नहीं किए हैं, और वह रिटर्न भी जमा नहीं कर पाया है।
पहले मामले में चूंकि करदाता ने अपने सभी टैक्स जमा कर दिए हैं, इसलिए उस पर किसी तरह का जुर्माना नहीं लगेगा। पर उसको असेसमेंट इयर के अंत तक रिटर्न जमा करना होगा। यानी कि यदि करदाता असेसमेंट इयर के अंत तक (31 मार्च, 2008) तक रिटर्न जमा कर देता है, तो उस पर कोई जुर्माना नहीं लगेगा।
वहीं अगर रिटर्न इस समयावधि के दौरान जमा नहीं कराया जाता है, और कर अधिकारी करदाता की आय का असेसमेंट करता है, तो वह उस पर आयकर कानून की धारा 271 एफ के तहत 5,000 रुपये का जुर्माना लगा सकता है।
दूसरे मामले में, जो लोग सरकार को न तो टैक्स का भुगतान कर सके हैं, और न तो उन्होंने रिटर्न जमा किया है, उन पर इनकम टैक्स एक्ट की धारा 234ए के तहत कुल टैक्स बकाया पर 1 फीसदी मासिक के आधार पर ब्याज देना लगेगा। मान लें कि यदि आपने रिटर्न 31 दिसंबर, 08 को फाइल किया है, तो आपको 5 माह के लिए 1 प्रतिशत का ब्याज देना होगा।
और क्या हो सकता है
यदि कोई व्यक्ति अंतिम तारीख के बाद रिटर्न जमा करता है, और उसे यह पता नहीं है कि उसने टैक्स का भुगतान किया है या नहीं, ऐसी स्थिति में यदि वित्त वर्ष के दौरान उसे किसी तरह का घाटा हुआ है, तो वह इस घाटे को आगे नहीं ले जा सकेगा। नवभारत टाइम्स से साभार
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