शेयर बाजार में पैसा लगाने से पहले

रिस्क प्रोफाइल सबसे पहले अपना रिस्क प्रोफाइल तय कर लें। यानी यह जान लें कि इनवेस्टमेंट के मामले में आप किस हद तक जोखिम उठाने की स्थिति में हैं। इनवेस्टमेंट से संबंधित कोई ठोस निर्णय लेने का यह एकदम सही आधार है। आपका इनवेस्टमेंट आपके रिस्क प्रोफाइल के अनुसार ही होना चाहिए। रिस्क प्रोफाइल आपकी उम्र, निजी जिम्मेदारियों, सरप्लस आमदनी या बचत और आपकी आर्थिक व पारिवारिक हालत पर निर्भर करता है। 25 साल का एक प्रफेशनल, 56 साल के किसी सर्विसमैन की तुलना में कहीं ज्यादा जोखिम उठाने की स्थिति में होता है। इनवेस्टमेंट के मामले में यही फॉर्म्युला लागू होता है, 'ज्यादा जोखिम, ज्यादा मुनाफा'। शेयर मार्केट में इनवेस्टमेंट के मामले में यह फॉर्म्युला कुछ ज्यादा ही फिट बैठता है, क्योंकि बाजार में उतार-चढ़ाव का माहौल कुछ ज्यादा ही रहता है। दूसरी ओर, बॉन्ड, फिक्स्ड डिपॉजिट, पीपीएफ, पोस्ट ऑफिस सेविंग स्कीम वगैरह उन लोगों के लिए हैं, जो ज्यादा जोखिम उठाने की स्थिति में नहीं होते।

देर नहीं भली इनवेस्टमेंट के मामले में सीधा-सा नियम है कि आपके पास वक्त जितना कम होगा, आपको उतना ही ज्यादा सावधान रहना होगा। अगर आप काफी कम उम्र में, मान लीजिए 20 साल की उम्र से ही, इनवेस्टमेंट शुरू करते हैं, तो जाहिर है कि उस समय आप ज्यादा जोखिम उठाने की स्थिति में होंगे। वजह यह कि उस समय आपके ऊपर ज्यादा जिम्मेदारियां नहीं होंगी। ऐसे में आप अपनी कमाई का बड़ा हिस्सा इनवेस्टमेंट करने की स्थिति में होंगे। इनवेस्टमेंट के लिए ज्यादा रकम होना और ज्यादा जोखिम उठाने की स्थिति में होना, ये दोनों बातें एक साथ मिलकर आपके लिए काफी फायदेमंद साबित होंगी। अगर आप कम उम्र से ही इनवेस्टमेंट करते हैं, तो आपकी रकम में वृद्धि और नुकसान से उबरने के लिए ज्यादा वक्त मिलेगा, जो अंतत: अच्छे नतीजे देगा।

रिसर्च है जरूरी शेयर बाजार में एंट्री करने से पहले थोड़ा रिसर्च कर लेना जरूरी है। इस बारे में ऐसा कोई कॉमन फॉर्म्युला नहीं है, जो हर इनवेस्टर के लिए सटीक साबित हो। यह रिसर्च आपकी निजी स्थिति (रिस्क प्रोफाइल, इनकम वगैरह) और आप कैसे शेयरों में इनवेस्ट करना चाहते हैं, इस पर निर्भर होना चाहिए। ऐसे में अलग-अलग कंपनियों के शेयरों की अपनी अलग खूबियां-खामियां होती हैं। इनके मद्देनजर ही आपकी रिसर्च होनी चाहिए। कंपनियों के तिमाही व सालाना नतीजे, कैश फ्लो, मैनेजमेंट, मार्केट कैप, पिछले साल भर के अंदर कंपनी की माली हालत व शेयर बाजार में परफॉर्मेंस आदि बातों से जुड़ी जानकारी जुटाकर उनका अध्ययन कर लेना सही रहेगा।

बुरा झेलने के लिए हमेशा रहिए तैयार आपने सारा होमवर्क कर लिया, इसके बावजूद आप निश्चिंत नहीं हो पा रहे हैं। आप किसी कंपनी के बारे में स्टडी कर उसके शेयर से जुड़े किसी नतीजे पर पहुंचते हैं। आपकी यह स्टडी आपको सेफ गेम खेलने में मदद करती है, लेकिन यह जान लीजिए कि इस बारे में कोई दावा नहीं कर सकता कि आपका निष्कर्ष गलत साबित नहीं होगा। बाजार का रुख कैसा होगा, इस बारे में कोई निश्चित तौर पर कुछ नहीं कह सकता। ऐसे में तमाम अच्छे संकेतों के बावजूद आपको विपरीत परिस्थितियों का सामना करने के लिए भी मानसिक तौर पर तैयार रहना चाहिए।

फैसला हो अपना आपका कोई मित्र वर्षों से शेयर बाजार में इनवेस्ट करता आ रहा है। आपने उनसे टिप्स ले लिए हैं और अब यह सोचकर कि कहीं मौका हाथ से निकल नहीं जाए, तत्काल शेयर बाजार में हाथ आजमाना चाहते हैं, तो जरा ठहरिए। पहले आप कुछ मूलभूत बातें चेक कर लें। जब आप एक बार शेयर बाजार में इनवेस्ट करना शुरू कर देते हैं, तो इसमें दिलचस्पी लगातार बढ़ती जाती है। फिर यह दोस्तों के बीच चर्चा के विषयों में शुमार हो जाता है। ऐसी चर्चाओं से मिले किसी टिप्स पर सीधे अमल करने के बजाय आप अपनी स्टडी और अपने विवेक के आधार पर निर्णय लें।

वैल्यू स्टॉक या ग्रोथ स्टॉक इनवेस्टर्स के बीच दोनों तरह के स्टॉक पॉपुलर हैं। वैल्यू स्टॉक में पैसा लगाने वाले तत्काल रिटर्न की चाह में इनवेस्टमेंट करते हैं, जबकि ग्रोथ स्टॉक में इनवेस्टमेंट करने वाले लोग तत्काल के बजाय भविष्य में अच्छा रिटर्न मिलने की उम्मीद में पैसा लगाते हैं। जोखिम को बैलेंस करने के उद्देश्य से बेहतर तो यही रहेगा कि आप दोनों तरह के स्टॉक में इनवेस्टमेंट करें। अगर आप इससे इतर फैसला लेते हैं, तो यह अपनी स्थिति का मूल्यांकन करते हुए लेना चाहिए।

इनवेस्टमेंट क्यों? आप इनवेस्टमेंट क्यों करना चाहते हैं? शेयर बाजार में इनवेस्टमेंट करने से पहले खुद से यह सवाल जरूर करें। अपनी इनकम बढ़ाना, अतिरिक्त पैसे को ठिकाने लगाना, जल्द रिटायर होने की प्लानिंग करना या रिटायरमेंट के बाद अच्छी आर्थिक स्थिति सुनिश्चित करना जैसे कई उद्देश्यों से लोग इनवेस्टमेंट करते हैं। आप किस उद्देश्य से इनवेस्टमेंट करने जा रहे हैं, यह जान लेने से आप सही इनवेस्टमेंट ऑप्शन तय कर सकेंगे। जब आप इनवेस्टमेंट का उद्देश्य और सही ऑप्शन तय कर लेंगे, तो आपको कम से कम जोखिम की संभावना रह जाएगी। नवभारत टाइम्‍स से साभार

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