शेयर बाजार के लिए बड़ी हलचल का है यह सप्ताह
कार्पोरेट नतीजों के इस मौसम में भारतीय बैंकिंग क्षेत्र के बेहतर कार्य नतीजों और देश की निजी क्षेत्र की सबसे बड़ी कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज का प्रदर्शन आशंका से कम खराब आने की वजह से निवेशकों ने शेयर बाजार में अपने निवेश को बनाए रखा हैं। भारतीय अर्थव्यवस्था की कई बुनियादी बातों ने निवेशकों के मन में यह विश्वास बैठा रखा है कि शेयर बाजार में तेजी की किरण जल्दी दिखाई देगी। हालांकि, दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था अमरीका में नए राष्ट्रपति बराक ओबामा के आने से पूर्व राष्ट्रपति रुजवेल्ट जैसे चमत्कार की उम्मीद की जा रही है। लेकिन ओबामा के लिए मंदी की चपेट में आई अमरीकी अर्थव्यवस्था को उबारने की कोई जादूई छड़ी नहीं है। लेकिन वे 1929 की महामंदी से उबारने के रुजवेल्ट के किए गए प्रयासों से कई पाठ सीख सकते हैं। यदि ओबामा अमरीका को मंदी से उबार ले जाते हैं तो वे इस सदी के महानायक बनकर उभर जाएंगे।
अमरीका और यूरोप में बैंकिंग जगत को अपना अस्तित्व टिकाए रखना मुश्किल नजर आ रहा है। यहां पैदा हुई बैंकिंग जगत की मुश्किलों ने दुनिया के सभी देशों पर प्रतिकूल असर डाला है, हालांकि भारत में भारतीय रिजर्व बैंक की सख्ती ने बैंकिंग जगत को नुकसान होने से बचाया है जिसके लिए हमारे वित्तीय जगत को उसकी प्रशंसा करनी चाहिए। भारतीय रिजर्व बैंक के कड़े कदमों की वजह से 31 दिसंबर 2008 को समाप्त तिमाही में सरकारी बैंकों और चुनिंदा निजी बैंकों ने शंका-कुशंकाओं को दरकिनार कर उम्दा वित्तीय नतीजे पेश किए हैं। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, यूनियन बैंक, बैंक ऑफ इंडिया, विजया बैंक, यूको बैंक, आईसीआईसीआई बैंक सहित अनेक बैंक विपरीत परिस्थितियों में अपने मुनाफे में बढ़ोतरी दर्ज करने में सफल रहे हैं।
इससे उल्ट अमरीका में मेरिल लिंच का बैंक ऑफ अमरीका में विलय किया गया। सिटी बैंक को आर्थिक संकट से उबारने के लिए तगड़ा पैकेज दिया गया। अब खुद बैंक ऑफ अमरीका संकट में है, जिसे भारी भरकम वित्तीय पैकेज दिया जा रहा है तो सिटी बैंक का राष्ट्रीयकरण करने की नौबत आ गई है। ब्रिटेन में भी बार्कलेज बैंक के राष्ट्रीयकरण की स्थिति आ गई है। अमरीका और यूरोप को अब समझ में आ गया है कि बैंकिंग क्षेत्र में भारत की नीति कारगर रही है और वे उसी रास्ते पर बढ़ रहे हैं। लोकसभा चुनाव के बाद भारत में भी बैंकिंग क्षेत्र में कंसोलिडेशन का दौर आ सकता है क्योंकि मार्च 2009 और जून 2009 के वित्तीय नतीजे इस क्षेत्र के बड़ी चुनौती होंगे।
इस सप्ताह की शुरुआत भारतीय रिजर्व बैंक की ऋण एवं मौद्रिक नीति की तीसरी तिमाही की समीक्षा के साथ होगी। रिजर्व बैंक 27 जनवरी ब्याज दरों में और कटौती कर सकता है। पिछले चार महीनों में बैंकों के नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) को 9 से घटाकर पांच फीसदी करने, रिवर्स रेपो दर को 6 फीसदी से घटाकर 4 फीसदी करने के बाजवूद कार्पोरेट जगत का कहना है कि ब्याज दरों में अभी और कटौती होनी चाहिए। कल्पतरु मल्टीप्लायर के वाइस चैयरमेन आदित्य जैन का कहना है कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) अपनी समीक्षा में रिवर्स रेपो-रेपो और सीआरआर में परिवर्तन करती है तो शेयर बाजार में हल्की सी रैली की संभावना बन सकती है। 9094 जो टेन डेज ओ लाइन है, को आसानी से तोड़कर लगातार 2-3 दिन ऊपर बंद होने से सेंसेक्स 9188-9261-9397 तक की दौड़ लगा सकता है।
बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज यानी बीएसई सेंसेक्स 27 जनवरी से शुरु हो रहे नए सप्ताह में 9111 अंक से 8244 अंक के बीच घूमता रहेगा। जबकि नेशनल स्टॉक एक्सचेंज यानी एनएसई का निफ्टी 2811 अंक से 2544 के बीच कारोबार करेगा। इस सप्ताह 29 जनवरी को डेरीवेटिव्ज सेंगमेंट में जनवरी एफ एंड ओ का निपटान होना है। अत: शेयर बाजारों में भारी उथल पुथल देखने को मिल सकती है।
तकनीकी विश्लेषक हितेंद्र वासुदेव का कहना है कि शेयर बाजार के मंदी की ओर बढ़ने के लक्षण दिखाई दे रहे हैं। 27 जनवरी से शुरु हो रहे नए सप्ताह में इसका रेसीसटेंस स्तर 8905-9178।9420 अंक होंगे। साप्ताहिक सपोर्ट 98400-7622 अंक पर देखने को मिलेगा। सेंसेक्स के लिए 8316 और 7697 अहम बॉटम होंगे। यदि इन स्तरों पर सेंसेक्स को सपोर्ट नहीं मिला तो यह तत्काल टूटकर 7100-7000 अंक आ जाएगा।
आदित्य जैन का कहना है कि अभी निवेशक किसी प्रकार के लंबी-शार्ट अवधि के लिए निवेश न करें। डेली कारोबारी बाजार की दिशा के विपरीत न चले वरना स्थिति बिगड़ सकती है। ओवर नाइट कैरी न कर नफे नुकसान को उसी दिन सेटल करें, स्टॉप लॉस पद्धति का पालन सख्ती से करें। हमने देखा है कि जो जादूगर के मुट्ठी की रेत अभी सोना नहीं बन पाई है। निवेशक के मुनाफे की रेत धीरे धीरे हाथ से गिरकर मिट्टी में मिल गई और कैपिटल आधी रह गई है। बाजार में नया पैसा ब्याज से लेकर कतई न लगाएं वरना ब्याज का घोड़ा आपको रौंद डालेगा। निवेशक यह भी न भूले की सुरंग कितनी लंबी क्यों न हो दूसरे सिरे पर उजाला जरुर मिलेगा।
इस सप्ताह निवेशक फैडरल बैंक, सत्यम कंप्यूटर, एल एंड टी, एनटीपीसी, भारत बिजली, करुर वैश्य बैंक, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ इंडिया, जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज और जिंदल फोटो पर ध्यान दे सकते हैं।
अमरीका और यूरोप में बैंकिंग जगत को अपना अस्तित्व टिकाए रखना मुश्किल नजर आ रहा है। यहां पैदा हुई बैंकिंग जगत की मुश्किलों ने दुनिया के सभी देशों पर प्रतिकूल असर डाला है, हालांकि भारत में भारतीय रिजर्व बैंक की सख्ती ने बैंकिंग जगत को नुकसान होने से बचाया है जिसके लिए हमारे वित्तीय जगत को उसकी प्रशंसा करनी चाहिए। भारतीय रिजर्व बैंक के कड़े कदमों की वजह से 31 दिसंबर 2008 को समाप्त तिमाही में सरकारी बैंकों और चुनिंदा निजी बैंकों ने शंका-कुशंकाओं को दरकिनार कर उम्दा वित्तीय नतीजे पेश किए हैं। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, यूनियन बैंक, बैंक ऑफ इंडिया, विजया बैंक, यूको बैंक, आईसीआईसीआई बैंक सहित अनेक बैंक विपरीत परिस्थितियों में अपने मुनाफे में बढ़ोतरी दर्ज करने में सफल रहे हैं।
इससे उल्ट अमरीका में मेरिल लिंच का बैंक ऑफ अमरीका में विलय किया गया। सिटी बैंक को आर्थिक संकट से उबारने के लिए तगड़ा पैकेज दिया गया। अब खुद बैंक ऑफ अमरीका संकट में है, जिसे भारी भरकम वित्तीय पैकेज दिया जा रहा है तो सिटी बैंक का राष्ट्रीयकरण करने की नौबत आ गई है। ब्रिटेन में भी बार्कलेज बैंक के राष्ट्रीयकरण की स्थिति आ गई है। अमरीका और यूरोप को अब समझ में आ गया है कि बैंकिंग क्षेत्र में भारत की नीति कारगर रही है और वे उसी रास्ते पर बढ़ रहे हैं। लोकसभा चुनाव के बाद भारत में भी बैंकिंग क्षेत्र में कंसोलिडेशन का दौर आ सकता है क्योंकि मार्च 2009 और जून 2009 के वित्तीय नतीजे इस क्षेत्र के बड़ी चुनौती होंगे।
इस सप्ताह की शुरुआत भारतीय रिजर्व बैंक की ऋण एवं मौद्रिक नीति की तीसरी तिमाही की समीक्षा के साथ होगी। रिजर्व बैंक 27 जनवरी ब्याज दरों में और कटौती कर सकता है। पिछले चार महीनों में बैंकों के नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) को 9 से घटाकर पांच फीसदी करने, रिवर्स रेपो दर को 6 फीसदी से घटाकर 4 फीसदी करने के बाजवूद कार्पोरेट जगत का कहना है कि ब्याज दरों में अभी और कटौती होनी चाहिए। कल्पतरु मल्टीप्लायर के वाइस चैयरमेन आदित्य जैन का कहना है कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) अपनी समीक्षा में रिवर्स रेपो-रेपो और सीआरआर में परिवर्तन करती है तो शेयर बाजार में हल्की सी रैली की संभावना बन सकती है। 9094 जो टेन डेज ओ लाइन है, को आसानी से तोड़कर लगातार 2-3 दिन ऊपर बंद होने से सेंसेक्स 9188-9261-9397 तक की दौड़ लगा सकता है।
बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज यानी बीएसई सेंसेक्स 27 जनवरी से शुरु हो रहे नए सप्ताह में 9111 अंक से 8244 अंक के बीच घूमता रहेगा। जबकि नेशनल स्टॉक एक्सचेंज यानी एनएसई का निफ्टी 2811 अंक से 2544 के बीच कारोबार करेगा। इस सप्ताह 29 जनवरी को डेरीवेटिव्ज सेंगमेंट में जनवरी एफ एंड ओ का निपटान होना है। अत: शेयर बाजारों में भारी उथल पुथल देखने को मिल सकती है।
तकनीकी विश्लेषक हितेंद्र वासुदेव का कहना है कि शेयर बाजार के मंदी की ओर बढ़ने के लक्षण दिखाई दे रहे हैं। 27 जनवरी से शुरु हो रहे नए सप्ताह में इसका रेसीसटेंस स्तर 8905-9178।9420 अंक होंगे। साप्ताहिक सपोर्ट 98400-7622 अंक पर देखने को मिलेगा। सेंसेक्स के लिए 8316 और 7697 अहम बॉटम होंगे। यदि इन स्तरों पर सेंसेक्स को सपोर्ट नहीं मिला तो यह तत्काल टूटकर 7100-7000 अंक आ जाएगा।
आदित्य जैन का कहना है कि अभी निवेशक किसी प्रकार के लंबी-शार्ट अवधि के लिए निवेश न करें। डेली कारोबारी बाजार की दिशा के विपरीत न चले वरना स्थिति बिगड़ सकती है। ओवर नाइट कैरी न कर नफे नुकसान को उसी दिन सेटल करें, स्टॉप लॉस पद्धति का पालन सख्ती से करें। हमने देखा है कि जो जादूगर के मुट्ठी की रेत अभी सोना नहीं बन पाई है। निवेशक के मुनाफे की रेत धीरे धीरे हाथ से गिरकर मिट्टी में मिल गई और कैपिटल आधी रह गई है। बाजार में नया पैसा ब्याज से लेकर कतई न लगाएं वरना ब्याज का घोड़ा आपको रौंद डालेगा। निवेशक यह भी न भूले की सुरंग कितनी लंबी क्यों न हो दूसरे सिरे पर उजाला जरुर मिलेगा।
इस सप्ताह निवेशक फैडरल बैंक, सत्यम कंप्यूटर, एल एंड टी, एनटीपीसी, भारत बिजली, करुर वैश्य बैंक, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ इंडिया, जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज और जिंदल फोटो पर ध्यान दे सकते हैं।
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