बढ़े चलो, चले चलो
देश के विख्यात निवेशक राकेश झुनझुनूवाला का कहना है कि वर्ष 2012 तक बीएसई सेंसेक्स 25 हजार अंक पहुंच जाएगा। वे मानते हैं कि देश की अर्थव्यवस्था इस बात के संकेत दे रही है कि तेजी कायम रहेगी। एकदम सही कहा है राकेश झुनझुनूवाला ने। वाह मनी ब्लॉग शुरू से ही कहता आया है कि हर गिरावट आपके लिए बेहतर कंपनियों के शेयर खरीद के मौके खड़ी करती है और हर बड़ी तेजी आंशिक मुनाफा वसूली।
असल में हर गिरावट के बाद एक उछाल आता है लेकिन सच्चा खिलाड़ी वह है जो हर बड़ी गिरावट में बेहतर शेयर छोटी छोटी मात्रा में खरीदता है। आपको कई बार यह लगता है कि मैंने अमुक कंपनी के शेयर नहीं लिए या चूक गया...लेकिन ऐसी गिरावट आपको बेहतर कंपनियों या अपनी पसंदीदा कंपनियों के शेयर खरीदने के मौके देती है। गिरावट के समय जो सबसे बड़ा मंत्र है, पहले आप शांत मन से अपनी पसंदीदा कंपनियों की सूची का विश्लेषण करें और यह देखें कि जिन कंपनियों के शेयर आप खरीदना चाहते हैं उनके नतीजे पिछले तीन सालों में किस तरह के आए हैं, प्रबंधन कैसा है, जिस क्षेत्र से कंपनी जुड़ी हैं, उस उद्योग का भविष्य कैसा है। क्या शेयर खरीदने के बाद आपकी होल्डिंग क्षमता कैसी है। इस तरह के अनेक कारक हैं जिन पर आप विचार कर हर गिरावट में बेस्ट कंपनियों के शेयर ले सकते हैं, लेकिन याद रखिए आपकी यह खरीद छोटी छोटी मात्रा में होनी चाहिए ताकि अगली गिरावट पर भी आपके पास लिक्विडीटी बनी रहे।
हम आज भी अपनी इस पुरानी बात पर कायम हैं कि भारतीय शेयर बाजार का सेंसेक्स इस साल 18 हजार अंक को छू जाएगा और अगले साल दिवाली के बाद दिसंबर अंत तक 25 हजार अंक के आसपास होगा। राकेश झुनझुनूवाला का मत इससे भिन्न हो सकता है। सभी फंडामेंटल्स और तकनीकी स्थिति को देखते हुए सेंसेक्स के पायदान में बदलाव की हमें कोई जरुरत महसूस नहीं हो रही है और लगता है कि सबप्राइम मामले से जल्दी ही दुनिया भर के बाजार उबर जाएंगे।
हम आपको यह भी बता दें कि जब महासागर में भयंकर तूफानी लहरें उठती हैं तो छोटी मोटी नौकाएं डूब जाती हैं। ऐसे में केवल कोलम्बस और वास्कोडिगामा जैसे नाविक ही सफल हो पाते हैं। इसी तरह भयंकर तूफानी लहरें जब शेयर बाजार में उठती हैं तो शेयरों में दैनिक कारोबार करना कमजोर दिल वालों के बस का रोग नहीं होता। उन्हें तो केवल लांग टर्म यानी लंबी अवधि का निवेश ही करना चाहिए। हम अपने इस ब्लॉग पर समय समय पर यह बताते रहे हैं कि कौन कौन सी कंपनियां लंबे समय के निवेश पर बेहतर रिटर्न देंगी। हालांकि, मजा भयंकर तूफान के समय ही खेलने का आता है और इस तूफान में जो नाविक पूरी सूझबूझ और तैयारी के साथ उतरता है वही पैसा कमा पाता है। हम एक बार फिर निवेशकों से कह रहे हैं कि वे अपने पास रखें क्रीम शेयरों को गिरावट के दौर में न बेचें और धैर्य बनाए रखें, सफलता उनके हाथ जरुर लगेगी। यदि फिर भी मन घबरता हो तो जहां मुनाफा मिल रहा हो, उसे गांठ बांध लें एवं गिरावट के समय फिर से अपने शेयर खरीद लें।
गोल्डन रुल
अमरीकी निवेशक बर्नार्ड बारुक का कहना है कि शेयर बाजार केवल फायदे के सौदे करने की जगह है न कि घाटे का। उन्होंने अपनी पुस्तक में लिखा है कि एक नियम गांठ बांध कर रखों कि शेयर बाजार में कभी नुकसान नहीं करना। यानी केवल लाभ कमाने के लिए ही शेयर बाजार में कदम रखें। अब जरा यह सोचिए कि ऐसा कोई निवेशक होगा, जो शेयर बाजार में घाटा खाने के लिए जाता होगा।
बारुक के नियम में यह रहस्य छिपा है कि कोई भी सौदा करने से पहले पूरा रिसर्च करें फिर निवेश। यानी उठने वाले एक भी गलत कदम को रोक लेने का अर्थ है नुकसान को रोक लेना। कई लोग इस पर कह सकते हैं कि जो शेयर बाजार में खूब कमाते हैं या घाटा नहीं खाते, ऐसे लोग मुंह में सोने का चम्मच लेकर पैदा होते हैं। लेकिन मैं आपको बता दूं कि ऐसा नहीं होता। एक आदमी कहां कहां निवेश कर सकता है, वह गणित इस दुनिया में आकर ही सीखा जा सकता है। लेकिन बड़ा तबका यह नहीं देखता कि वह कहां निवेश कर रहा है। या सुनी सुनाई सूचनाओं के आधार पर निवेश किया जा रहा है या फिर किसी के पीछे पीछे।
सही निवेशक हमेशा अपना रास्ता खुद बनाते हैं और खूब होमवर्क करते हैं। निवेश करने वाली हर जगह और हर कंपनी के बारे में इतना कुछ मुंह जबानी याद रखते हैं जितना शायद उस कंपनी का कोई निदेशक भी याद नहीं रख पाता होगा। लेकिन हर निवेशक पैसा तो चाहता है लेकिन लिखना पढ़ना और सूचनाएं जुटाने से बचना चाहता है। वह चाहता है कि सूचनाएं जुटाने की मेहनत कोई और करे, हम केवल मुनाफा काटें। लोग बड़े बड़े निवेशकों के बेचारे ड्राइवरों के पीछे पड़े रहते हैं कि सेठ जी फोन पर किस शेयर के बारे में बात कर रहे थे। ड्राइवर ने कुछ सुना और कुछ नहीं.....जो बताया लोग दौड़ पड़े। अरे सोचो जरा यदि ड्राइवर इतना जानता तो वह खुद सेठ बनकर एक ड्राइवर नहीं रख लेता।
एक किस्सा बताता हूं.....एक टीवी चैनल ने एक बार बड़े और प्रसिद्ध निवेशक राकेश झुनझुनूवाला से पूछा कि लोग आपके ड्राइवर को पकड़ते हैं कि किस शेयर में पैसा लगाएं...उन्होंने कहा तो ड्राइवर से पूछकर निवेश करने वालों को आप पकड़ों और बताओं उनमें से कितने राकेश बने हैं। कहने का मतबल है कि यदि बढि़या निवेशक बनना है और जमकर कमाना है तो खूब सूचनाएं जुटानी होगी, उनके सही अर्थ भी निकालने होंगे। इन खबरों का अल्प समय, मध्यम समय और दीर्घकाल में क्या असर पड़ेगा, यह भी विश्लेषण करना होगा। इटली में जन्में और अमरीका में जाकर बसे निवेशक बर्नार्ड बारुक शायद यही कहना चाहते हैं कि खुद मेहनत करो। आप जरा सोचिए जिसने 20 साल पहले अंबालाल साराभाई और बजाज ऑटो के शेयर खरीदे थे उनमें अंबालाल साराभाई के शेयरों की वेल्यू को कोई अता पता नहीं, जबकि बजाज ऑटो आज किस जगह खड़ा है सभी को पता है। धीरुभाई अंबानी का कहना था कि सूचना पाने के लिए कोई भी कीमत चुकानी पड़े तो हिचके नहीं।
असल में हर गिरावट के बाद एक उछाल आता है लेकिन सच्चा खिलाड़ी वह है जो हर बड़ी गिरावट में बेहतर शेयर छोटी छोटी मात्रा में खरीदता है। आपको कई बार यह लगता है कि मैंने अमुक कंपनी के शेयर नहीं लिए या चूक गया...लेकिन ऐसी गिरावट आपको बेहतर कंपनियों या अपनी पसंदीदा कंपनियों के शेयर खरीदने के मौके देती है। गिरावट के समय जो सबसे बड़ा मंत्र है, पहले आप शांत मन से अपनी पसंदीदा कंपनियों की सूची का विश्लेषण करें और यह देखें कि जिन कंपनियों के शेयर आप खरीदना चाहते हैं उनके नतीजे पिछले तीन सालों में किस तरह के आए हैं, प्रबंधन कैसा है, जिस क्षेत्र से कंपनी जुड़ी हैं, उस उद्योग का भविष्य कैसा है। क्या शेयर खरीदने के बाद आपकी होल्डिंग क्षमता कैसी है। इस तरह के अनेक कारक हैं जिन पर आप विचार कर हर गिरावट में बेस्ट कंपनियों के शेयर ले सकते हैं, लेकिन याद रखिए आपकी यह खरीद छोटी छोटी मात्रा में होनी चाहिए ताकि अगली गिरावट पर भी आपके पास लिक्विडीटी बनी रहे।
हम आज भी अपनी इस पुरानी बात पर कायम हैं कि भारतीय शेयर बाजार का सेंसेक्स इस साल 18 हजार अंक को छू जाएगा और अगले साल दिवाली के बाद दिसंबर अंत तक 25 हजार अंक के आसपास होगा। राकेश झुनझुनूवाला का मत इससे भिन्न हो सकता है। सभी फंडामेंटल्स और तकनीकी स्थिति को देखते हुए सेंसेक्स के पायदान में बदलाव की हमें कोई जरुरत महसूस नहीं हो रही है और लगता है कि सबप्राइम मामले से जल्दी ही दुनिया भर के बाजार उबर जाएंगे।
हम आपको यह भी बता दें कि जब महासागर में भयंकर तूफानी लहरें उठती हैं तो छोटी मोटी नौकाएं डूब जाती हैं। ऐसे में केवल कोलम्बस और वास्कोडिगामा जैसे नाविक ही सफल हो पाते हैं। इसी तरह भयंकर तूफानी लहरें जब शेयर बाजार में उठती हैं तो शेयरों में दैनिक कारोबार करना कमजोर दिल वालों के बस का रोग नहीं होता। उन्हें तो केवल लांग टर्म यानी लंबी अवधि का निवेश ही करना चाहिए। हम अपने इस ब्लॉग पर समय समय पर यह बताते रहे हैं कि कौन कौन सी कंपनियां लंबे समय के निवेश पर बेहतर रिटर्न देंगी। हालांकि, मजा भयंकर तूफान के समय ही खेलने का आता है और इस तूफान में जो नाविक पूरी सूझबूझ और तैयारी के साथ उतरता है वही पैसा कमा पाता है। हम एक बार फिर निवेशकों से कह रहे हैं कि वे अपने पास रखें क्रीम शेयरों को गिरावट के दौर में न बेचें और धैर्य बनाए रखें, सफलता उनके हाथ जरुर लगेगी। यदि फिर भी मन घबरता हो तो जहां मुनाफा मिल रहा हो, उसे गांठ बांध लें एवं गिरावट के समय फिर से अपने शेयर खरीद लें।
गोल्डन रुल
अमरीकी निवेशक बर्नार्ड बारुक का कहना है कि शेयर बाजार केवल फायदे के सौदे करने की जगह है न कि घाटे का। उन्होंने अपनी पुस्तक में लिखा है कि एक नियम गांठ बांध कर रखों कि शेयर बाजार में कभी नुकसान नहीं करना। यानी केवल लाभ कमाने के लिए ही शेयर बाजार में कदम रखें। अब जरा यह सोचिए कि ऐसा कोई निवेशक होगा, जो शेयर बाजार में घाटा खाने के लिए जाता होगा।
बारुक के नियम में यह रहस्य छिपा है कि कोई भी सौदा करने से पहले पूरा रिसर्च करें फिर निवेश। यानी उठने वाले एक भी गलत कदम को रोक लेने का अर्थ है नुकसान को रोक लेना। कई लोग इस पर कह सकते हैं कि जो शेयर बाजार में खूब कमाते हैं या घाटा नहीं खाते, ऐसे लोग मुंह में सोने का चम्मच लेकर पैदा होते हैं। लेकिन मैं आपको बता दूं कि ऐसा नहीं होता। एक आदमी कहां कहां निवेश कर सकता है, वह गणित इस दुनिया में आकर ही सीखा जा सकता है। लेकिन बड़ा तबका यह नहीं देखता कि वह कहां निवेश कर रहा है। या सुनी सुनाई सूचनाओं के आधार पर निवेश किया जा रहा है या फिर किसी के पीछे पीछे।
सही निवेशक हमेशा अपना रास्ता खुद बनाते हैं और खूब होमवर्क करते हैं। निवेश करने वाली हर जगह और हर कंपनी के बारे में इतना कुछ मुंह जबानी याद रखते हैं जितना शायद उस कंपनी का कोई निदेशक भी याद नहीं रख पाता होगा। लेकिन हर निवेशक पैसा तो चाहता है लेकिन लिखना पढ़ना और सूचनाएं जुटाने से बचना चाहता है। वह चाहता है कि सूचनाएं जुटाने की मेहनत कोई और करे, हम केवल मुनाफा काटें। लोग बड़े बड़े निवेशकों के बेचारे ड्राइवरों के पीछे पड़े रहते हैं कि सेठ जी फोन पर किस शेयर के बारे में बात कर रहे थे। ड्राइवर ने कुछ सुना और कुछ नहीं.....जो बताया लोग दौड़ पड़े। अरे सोचो जरा यदि ड्राइवर इतना जानता तो वह खुद सेठ बनकर एक ड्राइवर नहीं रख लेता।
एक किस्सा बताता हूं.....एक टीवी चैनल ने एक बार बड़े और प्रसिद्ध निवेशक राकेश झुनझुनूवाला से पूछा कि लोग आपके ड्राइवर को पकड़ते हैं कि किस शेयर में पैसा लगाएं...उन्होंने कहा तो ड्राइवर से पूछकर निवेश करने वालों को आप पकड़ों और बताओं उनमें से कितने राकेश बने हैं। कहने का मतबल है कि यदि बढि़या निवेशक बनना है और जमकर कमाना है तो खूब सूचनाएं जुटानी होगी, उनके सही अर्थ भी निकालने होंगे। इन खबरों का अल्प समय, मध्यम समय और दीर्घकाल में क्या असर पड़ेगा, यह भी विश्लेषण करना होगा। इटली में जन्में और अमरीका में जाकर बसे निवेशक बर्नार्ड बारुक शायद यही कहना चाहते हैं कि खुद मेहनत करो। आप जरा सोचिए जिसने 20 साल पहले अंबालाल साराभाई और बजाज ऑटो के शेयर खरीदे थे उनमें अंबालाल साराभाई के शेयरों की वेल्यू को कोई अता पता नहीं, जबकि बजाज ऑटो आज किस जगह खड़ा है सभी को पता है। धीरुभाई अंबानी का कहना था कि सूचना पाने के लिए कोई भी कीमत चुकानी पड़े तो हिचके नहीं।
टिप्पणियाँ