भैया ! यह दीवार टूटती क्यों नहीं
देखो भाई क्या कह रहा है...आओ अपने बीच की इस दीवार को गिरा देते हैं....भैया यह दीवार टूटती क्यों नहीं....टूटेगी कैसे......सीमेंट से जो बनी है। लेकिन लगता है कि केंद्र सरकार सीमेंट पर उत्पाद शुल्क यानी एक्साइज डयूटी बढ़ाकर बड़ी सीमेंट कंपनियों और आम उपभोक्ता का बेड़ा गर्क करना चाहती है। सरकार यह मानती है कि इस शुल्क को बढ़ाने से सीमेंट सस्ती होगी। लेकिन सच यह है कि इन बड़ी कंपनियां की हालत जहां खराब होगी, वहीं छोटी छोटी सीमेंट कंपनियों की पौ बारह हो जाएगी। छोटी कंपनियां कुछ पैसा बिल से और कुछ बगैर बिल लेकर अपने और खरीदने वाले के लिए रास्ते आसान कर लेगी। सरकार को कुछ पता भी नहीं चलेगा यानी सीधे सीधे खेल खत्म पैसा हजम। सीमेंट पर उत्पाद शुल्क बढ़ाकर सरकार ने बिल्डरों की तो चांदी ही कर दी। अब बिल्डर सीमेंट महंगी होने का बहाना कर मकान का सपना रखने वालों को खूब चूना लगा लेंगे वहीं छोटी छोटी कंपनियों से सीमेंट खरीद कर पैसे का घालमेल भी कर लेंगे। साथ ही बड़ी परियोजनाओं की लागत बढ़ने से निवेशक भी ढीले पड़ जाएंगे।
सरकार ने रिटेल में 190 रुपए प्रति बैग (50किलो) से ज्यादा भाव पर बिकने वाली सीमेंट पर उत्पाद शुल्क 50 फीसदी बढ़ा दिया है। सीमेंट उत्पादक और उपभोक्ता दोनों मानते हैं कि यह फैसला ठीक नहीं है क्योंकि इस समय सीमेंट पर प्रति टन चार सौ रुपए उत्पाद शुल्क लगता है लेकिन पी चिदम्बरम ने जो घोषणा की है उसके तहत यह 350 रुपए होगा, यदि सीमेंट का दाम खुदरा में 190 रुपए प्रति बैग से कम है तो। अन्यथा यह डयूटी प्रति टन छह सौ रुपए देनी होगी। सीमेंट कंपनियां कहती हैं कि अब इतना भारी भरकम शुल्क देने से अच्छा है सीमेंट की कालाबाजारी। यदि सीमेंट के मौजूदा भावों पर नजर डाली जाए तो देश भर में इसका औसत भाव प्रति बैग दो सौ रुपए है। लेकिन मुंबई जैसे तगड़ी मांग वाले बाजारों में यह 225-250 रुपए प्रति बैग तक बिकती है। सही स्थिति यह है कि रिटेल में सीमेंट 190 रुपए प्रति बैग से ज्यादा कीमत पर बिकती है। ऐसे में अब प्रति बैग 12 रुपए अधिक देने होंगे। हां, साउथ के कुछ छोटे सीमेंट प्लांट ही इसे 190 रुपए प्रति बैग पर बेच सकते हैं, बड़े नहीं। है ना, साउथ के भैया का कमाल !
सरकार ने रिटेल में 190 रुपए प्रति बैग (50किलो) से ज्यादा भाव पर बिकने वाली सीमेंट पर उत्पाद शुल्क 50 फीसदी बढ़ा दिया है। सीमेंट उत्पादक और उपभोक्ता दोनों मानते हैं कि यह फैसला ठीक नहीं है क्योंकि इस समय सीमेंट पर प्रति टन चार सौ रुपए उत्पाद शुल्क लगता है लेकिन पी चिदम्बरम ने जो घोषणा की है उसके तहत यह 350 रुपए होगा, यदि सीमेंट का दाम खुदरा में 190 रुपए प्रति बैग से कम है तो। अन्यथा यह डयूटी प्रति टन छह सौ रुपए देनी होगी। सीमेंट कंपनियां कहती हैं कि अब इतना भारी भरकम शुल्क देने से अच्छा है सीमेंट की कालाबाजारी। यदि सीमेंट के मौजूदा भावों पर नजर डाली जाए तो देश भर में इसका औसत भाव प्रति बैग दो सौ रुपए है। लेकिन मुंबई जैसे तगड़ी मांग वाले बाजारों में यह 225-250 रुपए प्रति बैग तक बिकती है। सही स्थिति यह है कि रिटेल में सीमेंट 190 रुपए प्रति बैग से ज्यादा कीमत पर बिकती है। ऐसे में अब प्रति बैग 12 रुपए अधिक देने होंगे। हां, साउथ के कुछ छोटे सीमेंट प्लांट ही इसे 190 रुपए प्रति बैग पर बेच सकते हैं, बड़े नहीं। है ना, साउथ के भैया का कमाल !
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