जादूई डिबिया माचिस की


मारुति कार जब भारत की सड़कों पर पहली बार दौड़ी तो लोगों ने इसे माचिस की डिबिया कहा। छोटी और सुंदर कार देखने के लिए लोग उमड़ पड़ते थे और इसे माचिस की डिबिया की उपाधि दी गई। लेकिन आज यह डिबिया जादूई डिबिया साबित हुई है। भारतीय कार बाजार के ढांचे को बदलने के अलावा इसने अपने निवेशकों की स्थिति को भी बदला है। इसके शेयर बेचकर जहां सरकार को मोटा मुनाफा हुआ, वहीं आम निवेशक को भी इससे निराशा हाथ नहीं लगी। मारुति ने कार बाजार पर अपना कब्‍जा जमाए रखने के लिए अब पेट्रोल से डिजल पर मुड़ने में रुचि दिखाई है, जो इसके बेहतर भविष्‍य का संकेत है। मारुति के शेयरों में हर गिरावट असल में निवेशकों के लिए खरीद का मौका कहा जा सकता है। अब तक इसके शेयर में 17.8 फीसदी का करेक्‍शन आ चुका है और यह अवसर है, जब कहा जा सकता है कि यदि आप मारुति के शेयर लेना चाहते हैं तो थोड़े थोड़े शेयर लेकर जमा करते जाएं। वर्ष 2007 में कंपनी की शुद्ध आय 1551 करोड़ रुपए और प्रति शेयर आय यानी ईपीएस 53.68 रुपए रहने की आस है। वर्ष 2008 में शुद्ध आय 1859 करोड़ रुपए और ईपीएस 64.35 रुपए और वर्ष 2009 में शुद्ध आय 2144 करोड़ रुपए और ईपीएस 74.21 रुपए रहने की संभावना है। वर्ष 1993 में खुली यह कंपनी आज भी देश की सबसे बड़ी घरेलू ऑटोमोबाइल कंपनी है। पिछले पांच साल से देश में पैसेंजर व्‍हीकल की मांग 10.6 फीसदी की दर से बढ़ रही है लेकिन गत तीन सालों के रिकॉर्ड को देखें तो यह 17.3 फीसदी हो गई है। उद्योग के आंकडों पर भरोसा करें तो अगले दो साल में पैसेंजर व्‍हीकल की मांग किसी भी हालत में औसतन 15 फीसदी से नहीं घटेगी। देश में तकरीबन 500 लाख दुपहिया वाहन वाले हैं जो धीरे धीरे कार की ओर मुड़ रहे हैं। इसका लाभ सबसे ज्‍यादा मारुति को होगा और यह माना जा सकता है कि अगले दो साल में कंपनी के कारोबार में 21.6 फीसदी का इजाफा होगा। देश में डिजल कार का नया बाजार धीरे धीरे बढ़ रहा है जबकि यूरोप से तुलना की जाए तो यहां अभी यह बेहद छोटा है। भारत में डिजल कार का बाजार 18 फीसदी है। इस बढ़ते बाजार की नब्‍ज मारुति ने सही समय पर पहचानी है और अपने नए उत्‍पादों में इस पर जोर देना शुरू किया है। अब महिंद्रा एंड महिंद्रा और हुंडई भी डिजल उत्‍पादों पर निवेश बढ़ाने जा रही हैं। भारत पैसेंजर कार का आउटसोर्सिंग केंद्र भी बनता जा रहा है। हुंडई भारत में सैंट्रो कार का उत्‍पादन कर विदेश में इसे भेज रही है। मारुति का भी लक्ष्‍य वर्ष 2010 तक देश से डेढ़ लाख वाहन निर्यात करने का है। इसके लिए कंपनी ने निसान के साथ 50 हजार छोटी कारों के उत्‍पादन का करार भी किया है। इसके अलावा अन्‍य 50 हजार छोटी कार सुजूकी बेज के तहत बेचने के उम्‍मीद है।

टिप्पणियाँ

Monika (Manya) ने कहा…
Bahut achchi jaankaari dee hai aapne.. niweshakon ke liye bhi laabhdaayak hai..
अनुनाद सिंह ने कहा…
आपकी आर्थिक विषयों की समीक्षा बहुत उपयोगी और ज्ञानवर्धक है। हिन्दी जगत को ऐसे ही अन्य विषयों पर समीक्षात्मक लेखों के द्वारा लाभान्वित किया जा सकता है। ऐसे ही लोकोपयोगी विषयों पर अद्यतन जानकारी देते रहिये।
ePandit ने कहा…
भईया आर्थिक मामलों की तो हमें जानकारी नहीं लेकिन यह सच है कि मारुति ने ही हजारों लोगों का कार का सपना साकार किया।

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