ले लो सोना और करो मौज
ईरान और पश्चिम के बीच बढ़ रहे तनाव और गिरते शेयर बाजारों में निवेशकों की चिंता बढ़ना सही है। कहावत है कि आदमी रुपया आठ घंटे कमाता है लेकिन रुपया तो चौबीस घंटे कमाता है। इसी कहावत को ध्यान में रखकर लोग चाहते हैं कि वे भले कमाएं या नहीं लेकिन रुपया चौबीस घंटे दौड़ते रहना चाहिए। ईरान और अमरीका व ब्रिटेन में इस समय जो संवाद चल रहे हैं, उसी ने सोने और क्रूड तेल में आग लगाने का काम किया है। अमरीका को तेल से मतलब है, यानी दुनिया भर के तेल कुंओं पर कब्जा। और यह काम वह धीरे धीरे प्यार और हथियार के बल पर करता जा रहा है। खाड़ी के देश हो या कोई और वे इस बात को साफ समझ लें कि ईरान के बाद भी एक देश का नंबर है। फिर यह नंबर चाहे जिस किसी का हो। तीसरी दुनिया के देश जो अमरीकी कर्ज के बोझ तले दबे हैं, सब सहन कर रहे हैं। संसाधनों पर कब्जे के अलावा बाजार हथियाने की लड़ाई जोरदार चरण में पहुंचती जा रही है। आज भले ही हम निशिंचत होकर सो रहे हों, लेकिन हमें भी सावधान रहना होगा क्योंकि एक दिन हमारा भी नंबर आ सकता है। खैर हम चर्चा को अलग जगह ले आए...चलिए फिर चलते हैं पैसे पर। ईरान और पश्चिम के बीच बढ़ते तनाव से एक बात तो साफ है कि क्रूड और सोना इस समय निवेश लायक हैं। क्रूड 64 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर पहुंच गया है और इसके थमने के आसार नहीं हैं। दूसरा हम भारतीयों की पसंद तो सोना है, तभी तो हर साल यहां 700 टन से ज्यादा सोना खपता है। सोना इस समय लंदन में 672.30 डॉलर प्रति औंस चल रहा है, जिसके जल्दी ही सात सौ डॉलर प्रति औंस पहुंच जाने की तगड़ी संभावना है। साफ है सोना खरीदें और सात सौ डॉलर पार करने पर बेचकर मुनाफा गांठ बांध लें। रही बात शेयर बाजार की तो एक बात साफ कर दूं कि जैसा हम पहले भी बताते आ रहे हैं यहां बड़ी मंदी लंबे समय में तो नहीं है और बाजार में अप्रैल से स्थिति सुधरेगी। हालांकि, मानसून की पहली रिपोर्ट के बाद इसमें यह सुधार बेहतर रहेगा। केरल में मानसून 20 मई के आसपास आता है। शेयर बाजार के पुराने खिलाडि़यों की राय देखें तो वे कहते हैं कि धैर्य रखने वाले ही इस 15 फुट चौड़ी गली यानी दलाल स्ट्रीट में पैसा कमा पाते हैं। इस 15 फुट चौड़ी गली में रोजाना करोड़ों रुपया आता और जाता है। समय की नब्ज को पहचानने की क्षमता होनी चाहिए।
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