कार फाइनेंस पर भी करें रिसर्च

कार खरीदने से पहले जितनी रिसर्च कार पर की जाती है, उतनी ही जांच-पड़ताल लोन को लेकर भी होनी चाहिए। ज्यादतर लोग लोन को उतनी गंभीरता से नहीं लेते, लेकिन अगर इसे गंभीरता से लिया जाए, तो डील सस्ती साबित हो सकती है।

कार खरीदने से पहले तमाम लोग डीलरों और अपने दोस्तों-परिचितों से जरूरी जानकारी मालूम करते हैं और खुद ड्राइव कर हर तरह से निश्चिंत हो जाना चाहते हैं। इसके लिए ज्यादातर लोग रिसर्च करते हैं, प्राइस, फीचर्स, कलर्स, स्पेसिफिकेशन, सेफ्टी, क्वॉलिटी रेटिंग आदि से जुड़ी तमाम बातें मालूम करते हैं। लेकिन कम ही लोग ऐसे हैं, जो ऑटो फाइनैंस से जुड़ी इतनी तहकीकात करते हैं। अगर आप भी इन्हीं लोगों में से हैं, तो बेहतर डील के लिए आपको यह आदत बदलनी चाहिए।

ज्यादातर मामलों में खरीदार लोन के लिए डीलर पर ही निर्भर होते हैं। खरीदारों की ओर से डीलर ही उनकी जरूरत और बजट के मुताबिक लोन ऑप्शन बता देते हैं और अमूमन खरीदार उसी आधार पर डील फाइनल कर लेते हैं। लेकिन डीलर के बताने से पहले आपको भी थोड़ी रिसर्च कर लेनी चाहिए। आपको उपलब्ध ऑप्शंस के बारे में जान लेना चाहिए और अपने लिए सही डील का अंदाज खुद लगाना चाहिए। ऑटो लोन लेने का काम मुख्य रूप से तीन चरणों में पूरा किया जाना चाहिए।

होमवर्क कीजिए

अपनी माली हालत को खुद तौलिए और देखिए कि आप कितना लोन अफोर्ड कर सकते हैं। यानी आप कितनी रकम बतौर ईएमआई चुका सकते हैं। आप जैसी कार चाह रहे हैं, उस रेंज में उपलब्ध तमाम कंपनियों की कारों के बीच से अपने लिए सबसे अच्छे मॉडल का चयन कीजिए। अब लोन के लिए उपलब्ध तमाम ऑप्शंस पर नजर दौड़ाइए और इनके बीच से सबसे अच्छा विकल्प चुनिए। इंटरेस्ट रेट, प्रॉसेसिंग फी आदि की तुलना करते हुए सस्ता व आसान लोन देने वाले बैंक या फाइनेंशल इंस्टिट्यूशन के पास जाइए।

अटल रहिए

आप अपने बजट के हिसाब से लिए गए फैसले पर अटल रहिए। डिस्काउंट, इनिशिएटिव या किसी और आधार पर मॉडल फाइनल करने के बजाय आप अपनी जरूरतों के हिसाब से सही मॉडल का चयन कीजिए।

प्राइस को लेकर जहां तक हो सके, बारगेनिंग करने की कोशिश कीजिए। बारगेनिंग केवल प्राइस को लेकर ही नहीं होती, बल्कि लोन की शर्तों व रेट के मामले में भी होती है। इसलिए आप लोन देने वाले बैंक या फाइनेंशल इंस्टिट्यूशन से भी बारगेनिंग कर सकते हैं। कुल मिलाकर आपका टार्गेट सस्ते में बेहतर डील करना होना चाहिए।

ऑप्शनल प्रॉडक्ट्स, जैसे-एक्सटेंडेड वॉरंटी, एक्सटेंडेड सर्विस कॉन्ट्रैक्ट, क्रेडिट इंश्योरेंस आदि तभी खरीदें, जब आपको इसकी जरूरत हो। इनके लिए आपको अलग से कीमत चुकानी होगी और यह कीमत वसूल होती हो, तभी इन्हें खरीदना फायदेमंद रहेगा।

किसी डॉक्युमेंट पर दस्तखत करने से पहले उसे पढ़ कर अच्छी तरह समझ लें। जहां थोड़ी भी कठिनाई हो, पूछने में संकोच नहीं करना चाहिए।

क्रेडिट प्रोटेक्शन

किस्त समय पर भरें। इसमें अगर देर या चूक हुई, तो आपको लेट फी के रूप में अतिरिक्त रकम तो चुकानी ही पड़ेगी, इसके अलावा आपकी क्रेडिट रिपोर्ट खराब मानी जाएगी और इसकी वजह से भविष्य में लोन मिलने में मुश्किल हो सकती है।

अगर आपके लिए किस्त भरना मुश्किल हो रहा हो, तो बैंक या फाइनेंशल इंस्टिट्यूशन से बात कर एक रीपेमेंट शेड्यूल तय कर लीजिए। जरूरी हो, तो किसी स्वैच्छिक काउंसलिंग एजेंसी की सेवा भी ले सकते हैं। नवभारत टाइम्‍स से साभार

टिप्पणियाँ

JHAROKHA ने कहा…
अच्छा है आप ये भी बताइये कि जो लोग नई कार नाही खरीदने की स्थिति मे है वो पुरानी कार के लिये क्या क्या कर सकते है और मारुती की ट्रू वैल्यू कार के बारे में भी बात करें शायद बहुत उपयोगी होगॊ.
सुभाष मौर्य ने कहा…
कमल जी एक ही दि‍न में शेयर बाजार क्‍या रंग बदलता है आज का दि‍न इसका लाजवाब उदाहरण है। कल जब शेयर बाजार 282 अंक लुढ़का तो लगा कि‍ अब खरीदारी का मौसम आने वाला है। लेकि‍न अगले ही दि‍न में बाजार 788 अंक भाग कर एक नई ऊंचाई पर पहुंच गया।
चोटी के र्सि‍फ पांच शेयरों ने इस बढ़त में 60 फीसदी का योगदान दि‍या। ऐसे में इस तेजी को सतर्क नि‍गाहों से देखने की जरूरत है। यह सच है कि‍ भारत में अभी भी ब्‍याज दरें ऊंची रहने से वि‍देशी संस्‍थागत नि‍वेशकों को यहां ज्‍यादा मलाई नजर आती है।
वैसे तेजी मि‍ड कैप और स्‍माल कैप में भी रही लेकि‍न उतनी नहीं। मुझे लगता है कि‍ आज की तेजी में राजनीति‍क अनि‍श्‍ि‍चता कुछ हद तक कम होने के साथ साथ एस एंड पी और ओईसीडी की रि‍पोर्टों का भी हाथ रहा जि‍समें भारत की वि‍कास दर नौ फीसदी के आसपास रहने की उम्‍मीद जतायी गयी है।
इन खबरों से आगे आने वाले दि‍नों में भी तेजी बरकरार रह सकती है। यहीं नहीं दीपावली तक अगर बाजार 20000 का आंकड़ा भी छू ले तो कोई आश्‍चर्य नहीं।

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