लालच यही करता है जो आज हुआ...
पार्टिसिपेटरी नोट को लेकर शेयर बाजार में मचा तूफान वित्त मंत्री का बयान आने के बाद थमता दिखाई दिया लेकिन विदेशी संस्थागत निवेशकों ने तो कुछ और ही तय कर रखा था। शेयर बाजार कल की तगड़ी गिरावट के बाद जिस तरह रिकवर हुआ, उससे आम निवेशक के मन में यह बात बैठी की इस तरह की गिरावट के बाद पैसा कमाया जा सकता है। आम निवेशक ने इसी सोच को देखते हुए सुबह जब बीएसई सेंसेक्स को 18827 अंक से बढ़ते हुए देखा तो अपने मन पर काबू न पा सके और जमकर शेयरों की खरीद की। बस, विदेशी संस्थागत निवेशकों को तो यही चाहिए था कि घरेलू निवेशक बाजार की ओर आएं। सेंसेक्स 19198 अंक, ऑल टाइम हाई। शेयर विश्ेलषकों ने राग अलापना शुरू किया कि सब ठीक ठाक हो गया और सेंसेक्स 19700 अंक से ऊपर दिखाई देगा। इसके बाद खेल खेला विदेशी संस्थागत निवेशकों ने और सेंसेक्स को ऐसा हिलाया कि अच्छे अच्छे विश्लेषक सोच न पाएं और सेंसेक्स आ गया 17771 अंक। हालांकि, अंत में एवेरज होकर सेंसेक्स आया 17998 अंक।
मैं कल रात से कई निवेशक मित्रों से बात कर रहा था कि 15 नवंबर से पहले सेंसेक्स 15 से 15500 अंक तक आ सकता है। कुछ निवेशकों का कहना था कि ऐसा नहीं हो सकता। मैं कहता हूं क्यों नहीं हो सकता। क्या किसी को पता था कि पार्टिसिपेटरी नोट का मुद्दा सामने आएगा और बाजार में तूफान मच जाएगा। अब क्या क्या मुद्दे सामने आएंगे, आपको पता है, नहीं ना। हालांकि, मैं आम निवेशक के हित में कहना चाहूंगा कि सेंसेक्स बढ़े और लोग मुनाफा कमाकर बाजार से निकले। लेकिन, लालची मन लोगों को रोकता है कि ठहरो, और तेजी आएगी, और तेजी आएगी। मुनाफा गांठ बांधना अच्छा नहीं लगता। हर कोई मुनाफे की आखिरी पाई पाई कमाना चाहता है लेकिन ऐसा हो नहीं सकता। हर किसी को सबसे निचले स्तर पर खरीद कर, सबसे ऊंचे स्तर पर शेयर बेचने हैं और ऐसा आज तक नहीं हुआ। हां, यदि आप सोने का चम्मच लेकर पैदा हुए हों तो बात अलग है और सोने का चम्मच लेकर पैदा होने वाले दुनिया में अंगुलियों पर गिने जा सकते हैं।
वाह मनी निवेशकों को एक बार फिर कहना चाहता है कि जहां आपको मुनाफा मिले, उसे लेकर चलते रहें क्योंकि जो मुनाफा आज आपकी जेब में आ रहा है, वह कल किसी और की जेब में जा सकता है। आज की स्थिति के बाद वाह मनी निवेशकों से कहना चाहेगा कि वह 25 अक्टूबर तक रुके और सेबी की पार्टिसिपेटरी नोट पर होने वाली बैठक के बाद ही अपनी रणनीति तय करें। हालांकि, इससे पहले 22 अक्टूबर को होने वाली परमाणु करार पर वामपंथियों के बयान को गहराई से समझें। वैसे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अमरीका को इस करार के संबंध में कहा है उससे नहीं लगता कि वामपंथी केंद्र सरकार को गिराने के मूड में दिखें। इसके बाद भारतीय रिजर्व बैंक मौद्रिक नीति जारी करेगा जिसमें सीआरआर के बढ़ने की आशंका है। हालांकि यदि ऐसा होता है तो बाजार को एक धक्का लग सकता है लेकिन इस कारक को बाजार जल्दी ही डिस्काउंट कर लेगा। शेयर बाजार के मौजूदा हालात इस ओर संकेत करते हैं कि आम निवेशक को हर समय सचेत रहने की जरुरत है और लंबी पोजीशन लेकर चलने के बजाय डे ट्रेडिंग कर पोजीशन को बराबर कर लें। यद्यपि जिन लोगों ने वास्तविक निवेशक के रुप में पैसा लगाया है उन्हें घबराने की जरुरत नहीं है क्योंकि उन्हें लांग टर्म में बड़ा लाभ होगा। वाह मनी अपनी इस राय पर कायम है कि दिवाली 2008 के आसपास सेंसेक्स 25 हजार के आसपास होगा।
मैं कल रात से कई निवेशक मित्रों से बात कर रहा था कि 15 नवंबर से पहले सेंसेक्स 15 से 15500 अंक तक आ सकता है। कुछ निवेशकों का कहना था कि ऐसा नहीं हो सकता। मैं कहता हूं क्यों नहीं हो सकता। क्या किसी को पता था कि पार्टिसिपेटरी नोट का मुद्दा सामने आएगा और बाजार में तूफान मच जाएगा। अब क्या क्या मुद्दे सामने आएंगे, आपको पता है, नहीं ना। हालांकि, मैं आम निवेशक के हित में कहना चाहूंगा कि सेंसेक्स बढ़े और लोग मुनाफा कमाकर बाजार से निकले। लेकिन, लालची मन लोगों को रोकता है कि ठहरो, और तेजी आएगी, और तेजी आएगी। मुनाफा गांठ बांधना अच्छा नहीं लगता। हर कोई मुनाफे की आखिरी पाई पाई कमाना चाहता है लेकिन ऐसा हो नहीं सकता। हर किसी को सबसे निचले स्तर पर खरीद कर, सबसे ऊंचे स्तर पर शेयर बेचने हैं और ऐसा आज तक नहीं हुआ। हां, यदि आप सोने का चम्मच लेकर पैदा हुए हों तो बात अलग है और सोने का चम्मच लेकर पैदा होने वाले दुनिया में अंगुलियों पर गिने जा सकते हैं।
वाह मनी निवेशकों को एक बार फिर कहना चाहता है कि जहां आपको मुनाफा मिले, उसे लेकर चलते रहें क्योंकि जो मुनाफा आज आपकी जेब में आ रहा है, वह कल किसी और की जेब में जा सकता है। आज की स्थिति के बाद वाह मनी निवेशकों से कहना चाहेगा कि वह 25 अक्टूबर तक रुके और सेबी की पार्टिसिपेटरी नोट पर होने वाली बैठक के बाद ही अपनी रणनीति तय करें। हालांकि, इससे पहले 22 अक्टूबर को होने वाली परमाणु करार पर वामपंथियों के बयान को गहराई से समझें। वैसे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अमरीका को इस करार के संबंध में कहा है उससे नहीं लगता कि वामपंथी केंद्र सरकार को गिराने के मूड में दिखें। इसके बाद भारतीय रिजर्व बैंक मौद्रिक नीति जारी करेगा जिसमें सीआरआर के बढ़ने की आशंका है। हालांकि यदि ऐसा होता है तो बाजार को एक धक्का लग सकता है लेकिन इस कारक को बाजार जल्दी ही डिस्काउंट कर लेगा। शेयर बाजार के मौजूदा हालात इस ओर संकेत करते हैं कि आम निवेशक को हर समय सचेत रहने की जरुरत है और लंबी पोजीशन लेकर चलने के बजाय डे ट्रेडिंग कर पोजीशन को बराबर कर लें। यद्यपि जिन लोगों ने वास्तविक निवेशक के रुप में पैसा लगाया है उन्हें घबराने की जरुरत नहीं है क्योंकि उन्हें लांग टर्म में बड़ा लाभ होगा। वाह मनी अपनी इस राय पर कायम है कि दिवाली 2008 के आसपास सेंसेक्स 25 हजार के आसपास होगा।
टिप्पणियाँ
मैं तो लम्बे काल के लिए पावरग्रीड और टाटा टेली में कुछ निवेश कर भूल जाना चाहता हूँ. आप क्या कहते हैं? :)
बाद मे पता चला कि कहानी कुछ और थी, कुछ संस्थागत निवेशको ने हाथ खींच लिए थे, बाकी सारा कुछ कल सुबह की एक घन्टे की ट्रेडिंग पर निर्भर करता है। वैसे लांग-टर्म के निवेशक के लिए अभी भी सुनहरे अवसर है, ट्रेडर थोड़ा सावधान रहें।
संजय भाई पावरग्रिड बहुत शानदार है, थोड़ा कम होने पर लेकर रखें। हालांकि टाटा टैली पर मेरा विश्वास इत्ता नही जमता, फिर भी कमल भाई इस बारे में ज्यादा बता सकेंगे।