शेयर बाजार दौड़ा, छोटे निवेशक मुस्काते रहे, हाथ न आया धैला
यूपीए और वामपंथियों की बैठक का नतीजा जीरो आने की भनक लगते ही शेयर बाजार के खिलाड़ी पूरी तरह रंग में आ गए जो पिछले शुक्रवार से भयभीत थे जिसकी वजह से कल सोमवार को बाजार का रंग फीका पड़ गया था। आज सुबह भी निवेशक इसी भय में खरीद टाल रहे थे कि कहीं वामपंथी उन्हें साफ न कर दें, लेकिन बैठक का नतीजा जीरो आने की भनक के साथ ही शेयर बाजार दौड़ने लगा और नीचे से 1040 अंक सुधरकर 18327 अंक तक जा पहुंचा। हालांकि, कुल बढ़त 789 अंक की रही और बीएसई सेंसेक्स बंद हुआ 18280 अंक पर। एक दिन में हजार अंक की निचले स्तर से बढ़त ऐतिहासिक बढ़त हो गई है। सेंसेक्स का अगला मुकाम 18 हजार...देखें।
हाथ नहीं आया धैला
सेंसेक्स की उछाल से निवेशकों के चेहरों पर मुस्कान फैली हुई थी और ऐसी अनुभूति हो रही थी, मानो बड़ा गढ़ जीत लिया हो लेकिन आज भी यही सवाल सामने खड़ा है कि आम निवेशक की जेब में कितना मुनाफा आया क्योंकि जब शेयर बाजार ऊपर की दौड़ रहा था तब भी मिड कैप और स्मॉल कैप काउंटरों की हालत अच्छी नहीं थी। असली फायदा तो कुछ ही स्टॉक्स को हुआ। जैसे रिलायंस एनर्जी बढ़त 11.78%, रिलायंस कम्युनिकेशन 11.39%, रिलायंस इंडस्ट्रीज 8.07%, मारुति 7.73%, भारती एयरटेल 6.71%, एनटीपीसी 6.55%, एसबीआई 5.85%, टिस्को 5.82%, ग्रासिम 5.53%, एलएंडटी 5.12% बढ़े। इन तेजी से दौड़ने वाली कंपनियां के कितने शेयर आम निवेशक के पास है। आज की तेजी में आम निवेशक केवल मुस्कराता रहा लेकिन हाथ में एक भी धैला नहीं आया।
छोटे छोटे ही रहे
आज की दौड़ का आम निवेशक को जो मझौली और छोटी कंपिनयों में पैसा लगाता है कोई फायदा नहीं हुआ। कौनसे शेयर दौड़ रहे हैं, जरा यह सोचिए। क्या आज आपको शेयर बाजार से सेंसेक्स की तुलना में बड़ा फायदा हुआ है। अधिकतर निवेशकों का इस पर नकारात्मक जवाब है। जब आम निवेशक को लाभ नहीं हुआ है तो मौजूदा तेजी किसके हित में। विदेशी संस्थागत निवेशक, घरेलू बड़े संस्थागत निवेशक और म्युच्यूअल फंड इस मलाई के भागीदार बने हैं। आम निवेशक को पैसा निवेश करना चाहिए। लेकिन आम निवेशक तो मझौली व छोटी कंपनियों में पैसा लगाता है और जब ये शेयर बढ़ते नहीं तो उसे क्या फायदा। हां, खूबसूरत पिक्चर खड़ी कर छोटे निवेशकों की जेब से पैसा निकालने के लिए जमकर राय देना संस्थागत निवेशकों के लिए कारोबार करने वाले विश्लेषकों के लिए जरुर मुनाफे का सौदा है।
बैठक एक ढकोसला
भारत-अमरीका परमाणु करार पर आपसी मतभेद हल करने के लिए यूपीए और वामपंथियों की बैठक फिर बेनतीजा रही। अब अगली बैठक 22 अक्टूबर को होगी। उन्होंने कहा है कि इस बैठक में परमाणु समझौते का विदेश नीति और सुरक्षा सहयोग के मसलों पर होने वाले असर पर चर्चा शुरु की गई है। चुनावों की चर्चा के बीच बैठक के बाद यूपीए के एक घटक दल के नेता और केंद्रीय मंत्री लालू प्रसाद यादव ने पत्रकारों से कहा, "कोई भी चुनाव नहीं चाहता, इसलिए मध्यावधि चुनाव होने की कोई आशंका नहीं है." आज की बैठक से पहले सुबह ही राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा जोरों पर थी कि वामपंथियों की सरकार से समर्थन वापसी की धमकी गीदड़ धमकी साबित होगी क्योंकि कोई भी वाम दल इस समय आम चुनाव का सामना करने को तैयार नहीं है। वाह मनी ने पहले ही कहा था कि कम्युनिस्ट ‘न्यू क्लियर डील’ में लगे हैं।
बड़े बूढ़ों ने कराया चुप
वामदल समर्थन वापस लेते हैं तो इसका खामियाजा सबसे अधिक वामदलों को ही होगा और उन्हें यह भी भरोसा नहीं है कि इस समय संसद में उनके जितने सांसद हैं वह संख्या भी बरकरार रहेगी। राजनीतिक विश्लेषक कह रहे थे कि सोनिया गांधी ने कड़ा रुख अपनाकर जो कदम उठाया उससे कम्युनिस्टों को पीछे हटना पड़ रहा है। साथ ही बूढ़े नेता ज्योति बसु भी नहीं चाहते कि देश चुनाव की ओर मुड़े। उन्होंने ही अपने कामरेडो को सलाह दी की बैठक करो और केवल बैठक। सही है सत्ता का मजा और स्वाद अलग ही तरह का होता है। राजनीतिक गलियारों की चर्चा पर भरोसा करें तो भारत और अमरीका के बीच परमाणु करार होकर रहेगा और यह कांग्रेस की नाक का सवाल बन गया है। वामपंथी आगे थोड़ा बहुत चिल्लाते रहेंगे और करार हो जाएगा।
हाथ नहीं आया धैला
सेंसेक्स की उछाल से निवेशकों के चेहरों पर मुस्कान फैली हुई थी और ऐसी अनुभूति हो रही थी, मानो बड़ा गढ़ जीत लिया हो लेकिन आज भी यही सवाल सामने खड़ा है कि आम निवेशक की जेब में कितना मुनाफा आया क्योंकि जब शेयर बाजार ऊपर की दौड़ रहा था तब भी मिड कैप और स्मॉल कैप काउंटरों की हालत अच्छी नहीं थी। असली फायदा तो कुछ ही स्टॉक्स को हुआ। जैसे रिलायंस एनर्जी बढ़त 11.78%, रिलायंस कम्युनिकेशन 11.39%, रिलायंस इंडस्ट्रीज 8.07%, मारुति 7.73%, भारती एयरटेल 6.71%, एनटीपीसी 6.55%, एसबीआई 5.85%, टिस्को 5.82%, ग्रासिम 5.53%, एलएंडटी 5.12% बढ़े। इन तेजी से दौड़ने वाली कंपनियां के कितने शेयर आम निवेशक के पास है। आज की तेजी में आम निवेशक केवल मुस्कराता रहा लेकिन हाथ में एक भी धैला नहीं आया।
छोटे छोटे ही रहे
आज की दौड़ का आम निवेशक को जो मझौली और छोटी कंपिनयों में पैसा लगाता है कोई फायदा नहीं हुआ। कौनसे शेयर दौड़ रहे हैं, जरा यह सोचिए। क्या आज आपको शेयर बाजार से सेंसेक्स की तुलना में बड़ा फायदा हुआ है। अधिकतर निवेशकों का इस पर नकारात्मक जवाब है। जब आम निवेशक को लाभ नहीं हुआ है तो मौजूदा तेजी किसके हित में। विदेशी संस्थागत निवेशक, घरेलू बड़े संस्थागत निवेशक और म्युच्यूअल फंड इस मलाई के भागीदार बने हैं। आम निवेशक को पैसा निवेश करना चाहिए। लेकिन आम निवेशक तो मझौली व छोटी कंपनियों में पैसा लगाता है और जब ये शेयर बढ़ते नहीं तो उसे क्या फायदा। हां, खूबसूरत पिक्चर खड़ी कर छोटे निवेशकों की जेब से पैसा निकालने के लिए जमकर राय देना संस्थागत निवेशकों के लिए कारोबार करने वाले विश्लेषकों के लिए जरुर मुनाफे का सौदा है।
बैठक एक ढकोसला
भारत-अमरीका परमाणु करार पर आपसी मतभेद हल करने के लिए यूपीए और वामपंथियों की बैठक फिर बेनतीजा रही। अब अगली बैठक 22 अक्टूबर को होगी। उन्होंने कहा है कि इस बैठक में परमाणु समझौते का विदेश नीति और सुरक्षा सहयोग के मसलों पर होने वाले असर पर चर्चा शुरु की गई है। चुनावों की चर्चा के बीच बैठक के बाद यूपीए के एक घटक दल के नेता और केंद्रीय मंत्री लालू प्रसाद यादव ने पत्रकारों से कहा, "कोई भी चुनाव नहीं चाहता, इसलिए मध्यावधि चुनाव होने की कोई आशंका नहीं है." आज की बैठक से पहले सुबह ही राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा जोरों पर थी कि वामपंथियों की सरकार से समर्थन वापसी की धमकी गीदड़ धमकी साबित होगी क्योंकि कोई भी वाम दल इस समय आम चुनाव का सामना करने को तैयार नहीं है। वाह मनी ने पहले ही कहा था कि कम्युनिस्ट ‘न्यू क्लियर डील’ में लगे हैं।
बड़े बूढ़ों ने कराया चुप
वामदल समर्थन वापस लेते हैं तो इसका खामियाजा सबसे अधिक वामदलों को ही होगा और उन्हें यह भी भरोसा नहीं है कि इस समय संसद में उनके जितने सांसद हैं वह संख्या भी बरकरार रहेगी। राजनीतिक विश्लेषक कह रहे थे कि सोनिया गांधी ने कड़ा रुख अपनाकर जो कदम उठाया उससे कम्युनिस्टों को पीछे हटना पड़ रहा है। साथ ही बूढ़े नेता ज्योति बसु भी नहीं चाहते कि देश चुनाव की ओर मुड़े। उन्होंने ही अपने कामरेडो को सलाह दी की बैठक करो और केवल बैठक। सही है सत्ता का मजा और स्वाद अलग ही तरह का होता है। राजनीतिक गलियारों की चर्चा पर भरोसा करें तो भारत और अमरीका के बीच परमाणु करार होकर रहेगा और यह कांग्रेस की नाक का सवाल बन गया है। वामपंथी आगे थोड़ा बहुत चिल्लाते रहेंगे और करार हो जाएगा।
टिप्पणियाँ
मेरे विचार में, ये बढत, छोटे निवेशकों के लिए फायदे का सौदा साबित हो सकता है, बशर्ते वे कम्पनियों में सोच समझकर निवेश करें। निवेश करते समय दीर्घकालीन हित का सोचें ना कि शार्ट टर्म प्रोफ़िट, आप निवेशक है, ट्रेडर नही। बाकी मेरे विचार मे छोटे निवेशकों को इस समय म्यूचल फंड का रुख करना चाहिए, ना कि शेयर बाजार का। सेंसेक्स जिस तरह से एक दिन मे ८०० से १००० प्वाइंट तक ऊपर चढा है उसी तरह से २००० प्वाइंट नीचे भी आ सकता है। इसलिए सावधान रहें।