शेयर बाजार का बड़ा बंटाढार नहीं
दिवाली के बाद गुजरात घूमने चले जाने से वाह मनी पर कोई भी पोस्ट नहीं डाल पाया। शेयर बाजार में अहम भूमिका निभाने वाले इस राज्य से लौटते हुए पाया कि बाजार काफी टूट चुका है। भारतीय शेयर बाजार में इस समय चल रही गिरावट से ज्यादातर निवेशक घबराए हुए हैं और अपना पोर्टफोलियो हल्का करने में जुटे हैं। शेयर बाजार में एक सप्ताह पहले जब हजार अंक का उछाल आया तो ये ही निवेशक पोर्टफोलियो को बड़ा करने में जुटे थे लेकिन जरा सी नरमी देखने की आदत नहीं होने से अब बिकवाली पर उतर आए हैं।
अमरीकी बाजार में मंदी के खासे संकेत होने से भारतीय शेयर बाजार का भी जायका बिगड़ने की बात हर कोई कह रहा है लेकिन हम इस बात को दूसरे तरीके से लेते हैं। मसलन एक निवेशक को जब एक बाजार में पैसा कमाने को नहीं मिलता है तो वह दूसरे बाजार की तलाश करता है, जहां उसे बेहतर रिटर्न मिल सके। रिटर्न के मामले में भारतीय बाजार आने वाले कई वर्ष तक बेहतर रहेगा। जिसकी वजह से अमरीकी बाजार के टूटने पर भी पैसा भारतीय बाजार में आता रहेगा। इस समय दुनिया भर के बड़े संस्थागत निवेशक भारतीय बाजार में निवेश करने के लिए लालायित हैं। सेबी अध्यक्ष भी कह चुके हैं कि पी नोटस पर उठाए गए कदम के बाद अब विदेशी निवेशकों के रजिस्ट्रेशन पाने के आवेदनों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है।
इंडोनेशिया में विदेशी संस्थागत निवेशकों के फंड मैनेजरों की एक बैठक होने जा रही है जिसमें यह तय किया जाएगा कि अमरीकी व यूरोपीय शेयर बाजारों में आई मंदी में अपने नुकसान को कम करने के लिए क्या भारतीय शेयर बाजार में निवेश को बढ़ाया जा सकता है। उम्मीद है कि ये फंड मैनेजर भारतीय शेयर बाजार के मिड कैप शेयरों में लेवाली का मानस बनाएंगे और साढ़े चार हजार से पांच हजार करोड़ रुपए की लेवाली निकलेगी। घरेलू म्युच्युअल फंड भी मौजूदा गिरावट के पूरा होने पर नई खरीद की रणनीति बनाकर बैठे हुए हैं।
वाह मनी की राय में निवेशकों को इस समय घबराहटपूर्ण बिकवाली के बजाय हर गिरावट पर थोड़ी थोड़ी संख्या में बेहतर कंपनियों के शेयर खरीदने चाहिए क्योंकि भारतीय शेयर बाजार में आने वाले समय में मजबूती का माहौल बना रहेगा। जो निवेशक बेहतर कंपनियों की तलाश नहीं कर पा रहे हो, वे वाह मनी की इस पिछली पोस्ट को जरुर पढ़ें और निवेश के लिए शेयरों का चयन कर लें। बीएसई सेंसेक्स के लिए 18333 अंक का स्तर काफी अहम हैं क्योंकि यदि यह स्तर टूटता है तो सेंसेक्स 17100 अंक तक जा सकता है। वैसे सेंसेक्स के एक सप्ताह में संभल जाने की संभावना है। निवेशकों से हम कहना चाहेंगे कि अपना सारा निवेश एक ही उद्योग की कंपनियों में न करें बल्कि पोर्टफोलियो में विविधता रखें।
अमरीकी बाजार में मंदी के खासे संकेत होने से भारतीय शेयर बाजार का भी जायका बिगड़ने की बात हर कोई कह रहा है लेकिन हम इस बात को दूसरे तरीके से लेते हैं। मसलन एक निवेशक को जब एक बाजार में पैसा कमाने को नहीं मिलता है तो वह दूसरे बाजार की तलाश करता है, जहां उसे बेहतर रिटर्न मिल सके। रिटर्न के मामले में भारतीय बाजार आने वाले कई वर्ष तक बेहतर रहेगा। जिसकी वजह से अमरीकी बाजार के टूटने पर भी पैसा भारतीय बाजार में आता रहेगा। इस समय दुनिया भर के बड़े संस्थागत निवेशक भारतीय बाजार में निवेश करने के लिए लालायित हैं। सेबी अध्यक्ष भी कह चुके हैं कि पी नोटस पर उठाए गए कदम के बाद अब विदेशी निवेशकों के रजिस्ट्रेशन पाने के आवेदनों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है।
इंडोनेशिया में विदेशी संस्थागत निवेशकों के फंड मैनेजरों की एक बैठक होने जा रही है जिसमें यह तय किया जाएगा कि अमरीकी व यूरोपीय शेयर बाजारों में आई मंदी में अपने नुकसान को कम करने के लिए क्या भारतीय शेयर बाजार में निवेश को बढ़ाया जा सकता है। उम्मीद है कि ये फंड मैनेजर भारतीय शेयर बाजार के मिड कैप शेयरों में लेवाली का मानस बनाएंगे और साढ़े चार हजार से पांच हजार करोड़ रुपए की लेवाली निकलेगी। घरेलू म्युच्युअल फंड भी मौजूदा गिरावट के पूरा होने पर नई खरीद की रणनीति बनाकर बैठे हुए हैं।
वाह मनी की राय में निवेशकों को इस समय घबराहटपूर्ण बिकवाली के बजाय हर गिरावट पर थोड़ी थोड़ी संख्या में बेहतर कंपनियों के शेयर खरीदने चाहिए क्योंकि भारतीय शेयर बाजार में आने वाले समय में मजबूती का माहौल बना रहेगा। जो निवेशक बेहतर कंपनियों की तलाश नहीं कर पा रहे हो, वे वाह मनी की इस पिछली पोस्ट को जरुर पढ़ें और निवेश के लिए शेयरों का चयन कर लें। बीएसई सेंसेक्स के लिए 18333 अंक का स्तर काफी अहम हैं क्योंकि यदि यह स्तर टूटता है तो सेंसेक्स 17100 अंक तक जा सकता है। वैसे सेंसेक्स के एक सप्ताह में संभल जाने की संभावना है। निवेशकों से हम कहना चाहेंगे कि अपना सारा निवेश एक ही उद्योग की कंपनियों में न करें बल्कि पोर्टफोलियो में विविधता रखें।
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