इंडेक्स पर नहीं शेयर पर रखें नजर
अमरीकी और एशियाई शेयर बाजारों के रुझान का असर भारतीय शेयर बाजार पर पड़ने की बात और उससे उपजने वाले भय से अब निवेशक यह तय नहीं कर पा रहे हैं कि कल क्या होगा। निवेशकों के लिए इस तरह की चिंता करना जायज है और हर निवेशक को यह रणनीति तो बनानी व बदलनी होगी कि नया निवेश कहां किया जाए। शेयर, सोना, बैंक जमा, बांड आदि...आदि...या फिर घरेलू बाजार अथवा विदेशी बाजार जहां रिटर्न उम्दा मिलने की संभावना हो।
शेयर बाजार में जरा सी भी मंदी की आहट हर निवेशक को बिकवाली पर उतरने के लिए सोचने को मजबूर कर देती है और लोग बार बार बस यही सवाल करते हैं कि अब क्या करें। क्या पूरा पोर्टफोलियो बेच दें। एक दिन में कई लोग तो यही सवाल 25 बार कर देते होंगे, लेकिन हर बढ़त पर उत्साह और हर गिरावट पर चिंता ठीक नहीं है यदि आप लंबी अवधि के निवेशक हैं तो। हमारी राय में भारतीय शेयर बाजार में अगले दस साल तक तेजी का माहौल बना रहे तो अचरज नहीं होना चाहिए। हो सकता है तेजी का यह माहौल इससे भी ज्यादा समय तक बना रहे। हालांकि, यह भी सच है कि तेजी हर सेक्टर और हर शेयर में नहीं रहेगी। इसलिए आपको बेहतर कंपनियों का चयन करना होगा और इसके लिए पढ़ने, खूब पढ़ने की आदत डालनी होगी। कारोबार दूसरे के कंधे पर नहीं किया जा सकता भले ही दूसरे के कंधे पर बंदूक रखकर चलाने की कहावत हो।
निवेशकों को हमारी सलाह है कि वे इस समय इंडेक्स को न देखकर शेयर विशेष को देखकर कारोबार करें क्योंकि इंडेक्स दिसंबर अंत तक इसी तरह ढुलमुल चल सकता है। जबकि आपको कोई कोई शेयर इस दौरान इंडेक्स के नीचे रहने पर भी बड़ा मुनाफा दे सकता है जैसा कि भूषण स्टील में हुआ। हमने दिवाली से दिवाली वाले शेयरों की लिस्ट में इसे शामिल किया था। यहां देखें...पूरी सूची। आने वाला समय उस निवेशक का है जो सूचनाएं जल्द से जल्द पाएगा। एक खबर आपको बड़ा मुनाफा दे सकती है, आपका घाटा कम कर सकती है या फिर आपके पैसे को पानी में जाने से रोक सकती है।
आपके पास सही समय पर सूचनाएं नहीं आती तो यह आपकी कमी है। जो लोग तेजी से सूचनाएं बटोरते हैं वे ही मौजूदा बाजार में टिक सकते हैं। हम ऐसे कई निवेशकों को जानते हैं कि जो रोजाना दो से चार रुपए का एक आर्थिक अखबार तक नहीं खरीदते। जो निवेशक एक अखबार तक नहीं पढ़ते उनसे आप देश विदेश के अखबार और पत्रिकाएं पढ़ने या इंटरनेट पर जानकारियां लेने की उम्मीद छोड़ दीजिए। शेयर बाजार में कमाई कोई रसगुल्ला नहीं है कि बाजार गए और मुंह में लपक लिया। यहां भी दूसरे कारोबार की तरह मेहनत करनी पड़ती है लेकिन यह मेहनत ज्ञान आधारित है। मैं मेरे एक मित्र को जानता हूं जो देर रात पढ़ाई करते हैं और सुबह जल्दी उठकर इंटरनेट पर सारे अखबार और सूचनाएं पढ़ चुके होते हैं। दिन रात फोन पर जगह जगह से सूचनाएं लेते रहते हैं। मेरे इन मित्र को शेयर बाजार में कोई नुकसान नहीं हुआ, जबकि वे इससे तकरीबन 20 साल से जुड़े हुए हैं।
ज्यादातर निवेशक जिस कंपनी में पैसा लगाते हैं उन्हें यही नहीं पता कि यह कंपनी करती क्या है, इसका ट्रेक रिकॉर्ड कैसा है, कौन चेयरमैन और निदेशक हैं...इन सब को भी छोडि़ए यह तक नहीं पता रहता कि इस कंपनी का रजिस्टर्ड कार्यालय कहां है और इसके कार्य परिणाम कब आएंगे। ऐसे महान निवेशकों से क्या उम्मीद की जा सकती है। अखबार इन निवेशकों के हाथ में दे दीजिए तो यह नहीं देख पाते कि जिस कंपनी में उन्होंने निवेश किया है उसके बारे में आज किस पेज पर क्या खबर छपी है। मैं सैंकड़ों कंपनियों की सालाना आम सभा यानी एजीएम में गया हूं, वहां अलग ही नजारा देखने को मिलता है कि बाहर लोग कंपनी के कर्मचारियों से इसलिए लड़ रहे है कि उन्हें चाय, कोल्ड ड्रिंक और नाश्ते के फ्री कूपन नहीं मिले। ऐसे निवेशक कूपन के लड़ रहे हैं और भले ही अंदर जहां एजीएम चल रही हैं कंपनी के निदेशक कंपनी को बेच डालें या मनमाने प्रस्ताव पास करा लें। कंपनी के निदेशक क्या करना चाहते हैं इससे कोई मतलब नहीं, बस फ्री में नाशता मिल जाए, यह जरुरी है बाकी कंपनी गई भाड़ में। कंपनी चेयरमैन की स्पीच और कुछ निवेशकों के उठे सवालों पर दिए जवाब से जिन निवेशकों को कोई मतलब नहीं है उन्हें बाजार को कोसने का भी अधिकार नहीं है। बस ऐसे निवेशकों को छेड़ दो तो कहेंगे, अरे जो अंदर बैठे हैं उन्हें जो करना है वे उसे तय करके आए हैं। लेकिन हम कहते हैं आप अपनी बात तो उठाइए, कंपनी के निदेशक कैसे मनमानी कर लेंगे। इस समय ढेरों कंपनियों के प्रमोटर अपना हिस्सा बेच रहे हैं क्योंकि बाजार में खूब तेजी है और ये प्रमोटर अगर अपनी सारी हिस्सेदारी बेचकर कंपनी से बाहर निकल जाएं तो भी ऐसे निवेशकों को कोई मतलब नहीं है कि कंपनी का क्या होगा। हाल में रिलायंस पेट्रोलियम का शेयर नई ऊंचाई छूने के बाद तकरीबन सौ रुपए गिरा और बाद में पता चला कि एक बड़ा हिस्सा प्रमोटर समूह ने ही बेचकर खासा पैसा जुटा लिया और अब हर निवेशक यही पूछ रहा है कि रिलायंस पेट्रोलियम कब बढ़ेगा।
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