शेयर बाजार में अगले साल तगड़ी चंचलता
शेयर बाजार में इस साल का आखिरी सप्ताह कोई खास उत्साहजनक नहीं दिख रहा। विदेशी संस्थागत निवेशक जहां क्रिसमस अवकाश पर हैं वहीं घरेलू बाजार के कुछ पंटरों को खुला मैदान मिल जाएगा। बीएसई सेंसेक्स 19733 अंक के स्तर को पार करता है तो यह 20333 अंक तक और निफ्टी 5933 अंक को पार करने पर 6077 अंक तक जा सकता है। हालांकि, नया सप्ताह केवल चार दिन का है और अधिकतर निवेशक छुट्टी के मूड में हैं जिससे कुछ पंटर ही इस मौके का लाभ उठाने का प्रयास करेंगे और सेंसेक्स में बड़ा उल्टफेर देखने को नहीं मिलेगा।
तकनीकी विश्लेषक हितेंद्र वासुदेव का कहना है कि शेयर बाजार की मौजूदा चाल ढुलमुल है जो यह संकेत देती है कि यह उसकी नई ऊंचाई का लांचिंग पैड बनेगा। अगले सप्ताह बीएसई सेंसेक्स के 20500-18100 अंक के बीच घूमने के आसार हैं। यदि सेंसेक्स गिरकर 18100 अंक से नीचे आता है तो यह गिरकर 17100 अंक तक जा सकता है लेकिन इसके आसार कम है क्योंकि इसने ट्रेंड लाइन को पकड़ रखा है।
वर्ष 2007 शेयर बाजार के लिए अहम वर्ष रहा जिसमें सेंसेक्स में 40 फीसदी की खासी बढ़त आई, जबकि मिड कैप इंडेक्स में 65 फीसदी की गर्मी रही। दिसंबर से फरवरी का समय शेयर बाजार में 40 फीसदी रिटर्न का समय माना जाता है और आने वाले दिन इस रिटर्न के रहेंगे। हालांकि, गुजरात विधानसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी की जीत दिल्ली की सर्दी को गरमा देगी और वामपंथी एक बार फिर ऐसे सुर अलपाएंगे कि मध्यावधि चुनाव की आहट सुनाई देगी। लेकिन अब मोदी की आक्रामक जीत के बाद कांग्रेस मध्यावधि चुनाव नहीं चाहेगी। वामपंथियों ने एक बार फिर कहा है कि वे भारत व अमरीका के बीच परमाणु करार के पक्ष में नहीं है लेकिन इसका असर वामपंथियों के साथ कांग्रेस की आक्रामक बयानबाजी से पड़ेगा।
दुनिया की एक मुख्य निवेश प्रबंध कंपनी फिडेलिटी इंटरनेशनल इंडिया के फंड मैनेजर संदीप कोठारी कहते हैं कि भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत फंडामेंटल के साथ वर्ष 2008 में प्रवेश करने जा रही है। सरकार भी इंफ्रास्ट्रक्चर पर लगभग चार सौ अरब डॉलर खर्च कर रही है लेकिन अंतरराष्ट्रीय बाजारों के घटनाक्रम और भारतीय शेयरों के ऊंचे मूल्य को ध्यान में रखते हुए अगले साल भारतीय शेयर बाजार में तगड़ी चंचलता यानी वोलेटिलिटी बनी रहेगी। इस स्थिति में निवेशकों को मजबूत कैश फ्लो और शानदार बैलेंसशीट वाली कंपनियों में ही निवेश करना चाहिए।
सिटीग्रुप के रत्नेश कुमार मानते हैं कि शेयर बाजार के लिए अगला साल उम्मीदों का साल रहेगा। विदेशी संस्थागत निवेशकों की ओर से धन प्रवाह भारत जारी रहेगा और बीमा क्षेत्र में लिक्विडीटी सबसे ज्यादा बढ़ेगी। वे कहते हैं कि अगले साल 15-16 अरब अमरीकी डॉलर की शुद्ध विदेशी खरीद की संभावना है। जबकि इस साल घरेलू म्युच्यूअल फंड की शुद्ध खरीद एक अरब अमरीकी डॉलर रही।
एनविजन कैपिटल के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी निलेश शाह भी मानते हैं कि शेयर बाजार के लिए अगला साल नई उम्मीदों का होगा। शेयर बाजार में जनवरी से मार्च के दौरान भारी उतार चढ़ाव बने रहने की संभावना है। हालांकि, वे जोड़ते हैं कि आर्थिक दर और आय दर मजबूत बनी रहेगी।
केआर चौकसी सिक्युरिटीज के देवेन चौकसी कहते हैं कि क्रिसमस की छुट्टियों से निवेशकों के लौटने के बाद बाजार में माहौल तेजी का रहेगा। जनवरी महीने में शेयरों में चमक आएगी। वे कहते हैं कि कंसोलिडेशन के तहत सेंसेक्स 18830-19630 के बीच रहेगा लेकिन इससे ऊपर जाने पर यह 20500-21200 अंक पर होगा। वे एक अहम बात कहते हैं कि तीन लाख करोड़ रुपए का अग्रिम कर मिलने का मतलब है इसे आने वाली आय में परिवर्तित किया जाए तो यह नौ लाख करोड़ रुपए से ज्यादा बैठती है। यह नतीजा बताता है कि परियोजनाओं और निवेश बाजार में खासी रकम आ रही है। हम निफ्टी और सेंसेक्स शेयरों में 20 फीसदी की बढ़ोतरी देख सकते हैं। इस स्थिति में बाजार में आई हर गिरावट खरीद का मौका देती है।
निवेशकों के लिए अगले साल एक खुशखबर भी है। केंद्र सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र की 75 ऐसी कंपनियों की सूची बनाई है जिन्हें बोनस शेयर जारी करने को कहा जा रहा है। इन कंपनियों में से तकरीबन दो दर्जन कंपनियां शेयर बाजार में लिस्टेड हैं जिनमें आने वाले दिनों में निवेशकों को खूब फायदा होगा। इन कंपनियों में एनटीपीसी, सेल, गेल, भेल, एमटीएनएल, पावर फाइनेंस कार्पोरेशन, एचपीसीएल, आईओसी, बीपीसीएल और ओएनजीसी शामिल हैं।
सेबी ने केवल संस्थागत निवेशकों के बजाय सभी तरह के निवेशकों को शेयरों में शार्ट सेलिंग की अनुमति दे दी है। हालांकि, शार्ट सेलिंग कब से और किस रुप में चालू होगी, के संबंध में शेयर बाजार जल्दी ही निवेशकों को सूचित करेंगे। लेकिन शार्ट सेलिंग कभी बहुत कुख्यात रही थी और इसे शेयर बाजार में सट्टेबाजी की जड़ माना गया था। सेबी इस पर दो बार वर्ष 1998 और वर्ष 2001 में रोक लगा चुकी है। लेकिन सेबी अब यह मानती है कि भारतीय शेयर बाजार पिछले वर्षों में काफी मजबूत हो चुका है। लेकिन इस बार संस्थागत निवेशक को शेयर बेचते समय यह बताना होगा कि यह शार्ट सेल है। जबकि रिटेल निवेशक को यह जानकारी कारोबार बंद होते समय बतानी होगी। अब हर निवेशक को सैटलमेंट पर शेयर की डिलीवरी देना अनिवार्य होगा। किसी भी संस्थागत निवेशक को इसमें डे ट्रेडिंग की अनुमति नहीं होगी। सैटलमेंट साइकल टी+1 होगा। सेबी ने इस बार शार्ट सेलिंग की अनुमति देते समय काफी सावधानी बरती है लेकिन यदि इस पर ठीक ढंग से अमल नहीं हुआ तो छोटे निवेशको को एफएंडओ के बाद नकद बाजार से भी दूर होना पड़ सकता है।
जिन कंपनियों के शेयरों पर इस सप्ताह निवेशक ध्यान दे सकते हैं वे है : रिलायंस इंडस्ट्रीज, एनजीसी, एचडीएफसी, टेल्को, मारुति उद्योग, एलआईसी हाउसिंग, सेंट्रल बैक ऑफ इंडिया, वेलस्पन गुजरात, अपोलो टायर्स, मारिको, आइडिया सेलुलर और स्पान डायग्नोस्टिक्स।
तकनीकी विश्लेषक हितेंद्र वासुदेव का कहना है कि शेयर बाजार की मौजूदा चाल ढुलमुल है जो यह संकेत देती है कि यह उसकी नई ऊंचाई का लांचिंग पैड बनेगा। अगले सप्ताह बीएसई सेंसेक्स के 20500-18100 अंक के बीच घूमने के आसार हैं। यदि सेंसेक्स गिरकर 18100 अंक से नीचे आता है तो यह गिरकर 17100 अंक तक जा सकता है लेकिन इसके आसार कम है क्योंकि इसने ट्रेंड लाइन को पकड़ रखा है।
वर्ष 2007 शेयर बाजार के लिए अहम वर्ष रहा जिसमें सेंसेक्स में 40 फीसदी की खासी बढ़त आई, जबकि मिड कैप इंडेक्स में 65 फीसदी की गर्मी रही। दिसंबर से फरवरी का समय शेयर बाजार में 40 फीसदी रिटर्न का समय माना जाता है और आने वाले दिन इस रिटर्न के रहेंगे। हालांकि, गुजरात विधानसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी की जीत दिल्ली की सर्दी को गरमा देगी और वामपंथी एक बार फिर ऐसे सुर अलपाएंगे कि मध्यावधि चुनाव की आहट सुनाई देगी। लेकिन अब मोदी की आक्रामक जीत के बाद कांग्रेस मध्यावधि चुनाव नहीं चाहेगी। वामपंथियों ने एक बार फिर कहा है कि वे भारत व अमरीका के बीच परमाणु करार के पक्ष में नहीं है लेकिन इसका असर वामपंथियों के साथ कांग्रेस की आक्रामक बयानबाजी से पड़ेगा।
दुनिया की एक मुख्य निवेश प्रबंध कंपनी फिडेलिटी इंटरनेशनल इंडिया के फंड मैनेजर संदीप कोठारी कहते हैं कि भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत फंडामेंटल के साथ वर्ष 2008 में प्रवेश करने जा रही है। सरकार भी इंफ्रास्ट्रक्चर पर लगभग चार सौ अरब डॉलर खर्च कर रही है लेकिन अंतरराष्ट्रीय बाजारों के घटनाक्रम और भारतीय शेयरों के ऊंचे मूल्य को ध्यान में रखते हुए अगले साल भारतीय शेयर बाजार में तगड़ी चंचलता यानी वोलेटिलिटी बनी रहेगी। इस स्थिति में निवेशकों को मजबूत कैश फ्लो और शानदार बैलेंसशीट वाली कंपनियों में ही निवेश करना चाहिए।
सिटीग्रुप के रत्नेश कुमार मानते हैं कि शेयर बाजार के लिए अगला साल उम्मीदों का साल रहेगा। विदेशी संस्थागत निवेशकों की ओर से धन प्रवाह भारत जारी रहेगा और बीमा क्षेत्र में लिक्विडीटी सबसे ज्यादा बढ़ेगी। वे कहते हैं कि अगले साल 15-16 अरब अमरीकी डॉलर की शुद्ध विदेशी खरीद की संभावना है। जबकि इस साल घरेलू म्युच्यूअल फंड की शुद्ध खरीद एक अरब अमरीकी डॉलर रही।
एनविजन कैपिटल के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी निलेश शाह भी मानते हैं कि शेयर बाजार के लिए अगला साल नई उम्मीदों का होगा। शेयर बाजार में जनवरी से मार्च के दौरान भारी उतार चढ़ाव बने रहने की संभावना है। हालांकि, वे जोड़ते हैं कि आर्थिक दर और आय दर मजबूत बनी रहेगी।
केआर चौकसी सिक्युरिटीज के देवेन चौकसी कहते हैं कि क्रिसमस की छुट्टियों से निवेशकों के लौटने के बाद बाजार में माहौल तेजी का रहेगा। जनवरी महीने में शेयरों में चमक आएगी। वे कहते हैं कि कंसोलिडेशन के तहत सेंसेक्स 18830-19630 के बीच रहेगा लेकिन इससे ऊपर जाने पर यह 20500-21200 अंक पर होगा। वे एक अहम बात कहते हैं कि तीन लाख करोड़ रुपए का अग्रिम कर मिलने का मतलब है इसे आने वाली आय में परिवर्तित किया जाए तो यह नौ लाख करोड़ रुपए से ज्यादा बैठती है। यह नतीजा बताता है कि परियोजनाओं और निवेश बाजार में खासी रकम आ रही है। हम निफ्टी और सेंसेक्स शेयरों में 20 फीसदी की बढ़ोतरी देख सकते हैं। इस स्थिति में बाजार में आई हर गिरावट खरीद का मौका देती है।
निवेशकों के लिए अगले साल एक खुशखबर भी है। केंद्र सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र की 75 ऐसी कंपनियों की सूची बनाई है जिन्हें बोनस शेयर जारी करने को कहा जा रहा है। इन कंपनियों में से तकरीबन दो दर्जन कंपनियां शेयर बाजार में लिस्टेड हैं जिनमें आने वाले दिनों में निवेशकों को खूब फायदा होगा। इन कंपनियों में एनटीपीसी, सेल, गेल, भेल, एमटीएनएल, पावर फाइनेंस कार्पोरेशन, एचपीसीएल, आईओसी, बीपीसीएल और ओएनजीसी शामिल हैं।
सेबी ने केवल संस्थागत निवेशकों के बजाय सभी तरह के निवेशकों को शेयरों में शार्ट सेलिंग की अनुमति दे दी है। हालांकि, शार्ट सेलिंग कब से और किस रुप में चालू होगी, के संबंध में शेयर बाजार जल्दी ही निवेशकों को सूचित करेंगे। लेकिन शार्ट सेलिंग कभी बहुत कुख्यात रही थी और इसे शेयर बाजार में सट्टेबाजी की जड़ माना गया था। सेबी इस पर दो बार वर्ष 1998 और वर्ष 2001 में रोक लगा चुकी है। लेकिन सेबी अब यह मानती है कि भारतीय शेयर बाजार पिछले वर्षों में काफी मजबूत हो चुका है। लेकिन इस बार संस्थागत निवेशक को शेयर बेचते समय यह बताना होगा कि यह शार्ट सेल है। जबकि रिटेल निवेशक को यह जानकारी कारोबार बंद होते समय बतानी होगी। अब हर निवेशक को सैटलमेंट पर शेयर की डिलीवरी देना अनिवार्य होगा। किसी भी संस्थागत निवेशक को इसमें डे ट्रेडिंग की अनुमति नहीं होगी। सैटलमेंट साइकल टी+1 होगा। सेबी ने इस बार शार्ट सेलिंग की अनुमति देते समय काफी सावधानी बरती है लेकिन यदि इस पर ठीक ढंग से अमल नहीं हुआ तो छोटे निवेशको को एफएंडओ के बाद नकद बाजार से भी दूर होना पड़ सकता है।
जिन कंपनियों के शेयरों पर इस सप्ताह निवेशक ध्यान दे सकते हैं वे है : रिलायंस इंडस्ट्रीज, एनजीसी, एचडीएफसी, टेल्को, मारुति उद्योग, एलआईसी हाउसिंग, सेंट्रल बैक ऑफ इंडिया, वेलस्पन गुजरात, अपोलो टायर्स, मारिको, आइडिया सेलुलर और स्पान डायग्नोस्टिक्स।
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