मास साइक्‍लोजी का गेम है यह पावर

रिलायंस पावर लिमिटेड के पब्लिक इश्‍यू को खुलते ही जो 11 गुना ओवरसब्‍सक्राइब्‍ड का प्रतिसाद मिला वह असल में रिटेल निवेशकों से अधिक संस्‍थागत निवेशकों की देन है जिन्‍होंने काफी पहले ही यह तैयारी कर रखी थी कि ज्‍योंहि यह इश्‍यू खुलेगा, आवेदन जमा हो जाना चाहिए। आपका आवेदन पहले जमा हो या बाद में उससे कोई फर्क नहीं पड़ता। यहां ऐसा नहीं है कि पहले आओ और पहले पाओ। असल में जब इस इश्‍यू में जमकर पैसा आने की खबर बाजार में फैली तो आम निवेशक भी पावर ऑन, इ‍ंडिया ऑन के जोश में आ गया और लोग अपने बेहतर स्‍टॉक बेचकर इस आईपीओ के लिए पैसे की जुगत में लग गए। यही वजह रही कि कल शेयर बाजार ने विपरीत दिशा में रुख किया, वह इस समय तक कायम है। पूरा शेयर बाजार लाल॥लाल दिखाई दे रहा है। बढ़ने वाले शेयरों को ढूंढा जा रहा है कि कौनसे शेयर बढ़े हैं।

रिलायंस पावर का आईपीओ तो निवेशकों की शेयर बिकवाली और यहां हुए निवेश से ऑन हो गया लेकिन शेयर बाजार खुद ऑफ हो गया। रिलायंस पावर में यह तय है कि किसी भी आम निवेशक को इतनी बड़ी संख्‍या में शेयर नहीं मिलेंगे कि उनकी माली हालत 20 से 25 दिन में पूरी तरह बदल जाएगी। रिलायंस पावर के आईपीओ ने हर तरह के माध्‍यम में जमकर किए गए विज्ञापन व रिंगटोन से आम जन के मानस को जोरदार ढंग से प्रभावित किया है। मार्केटिंग वाले और प्रबंध संस्‍थानों में पढ़ाने वालों के लिए यह एक केस स्‍टेडी हो सकता है कि कैसे आम आदमी इक्विटी बाजार की ओर एक विज्ञापन की बदौलत मुड़ गया। देश के हर शहर, हर कस्‍बे और हर गांव में रिलायंस के आईपीओ की ही चर्चा है। स्‍थानीय, राष्‍ट्रीय और अंतरराष्‍ट्रीय मुद्दे तेल लेने गए...बस चर्चा है तो केवल रिलायंस पावर की....वाकई पावर दमदार बन गया। लोगों यह लग रहा है कि इस आईपीओ में पैसा न भरा तो शायद जिंदगी ही छूट जाएगी। डिमैट खातों की संख्‍या इतने जोरदार ढंग से कभी नहीं बढ़ी, भले ही इन खाताधारियों को यह भी नहीं पता हो कि यह खाता है क्‍या चीज।

शेयर बाजार से जुड़े पुराने निवेशक भी इस करंट के प्रभाव में आ गए हैं और वे भी अपने पास रखी बेहतर कंपनियों के शेयर बेचकर यहां पैसा लगा रहे हैं। लोग इस भ्रम में पूरी तरह फंस गए हैं कि अब केवल रिलायंस पावर के ही शेयर चलेंगे, भले ही बाजार गिर जाए। लेकिन ऐसा हो नहीं सकता। निवेशक तब जरुर पछताएंगे जब वे पाएंगे कि उन्‍होंने जिन बेस्‍ट कंपनियों के शेयर बेचकर यहां पैसा लगाया है उनके दाम नई ऊंचाई पर पहुंच गए हैं। अगले 20 से 25 दिन में महज सात से आठ हजार रुपए कमाने के लिए बेस्‍ट कंपनियों के शेयर बेचना कहां की समझदारी है। कल एक निवेशक से बात हो रही थी, उसने बताया कि उसने भेल, एल एंड टी के शेयर बेचकर एक लाख रुपए से ज्‍यादा का बंदोबस्‍त कर लिया है और अब घरवालों के नाम चार आवेदन रिलायंस पावर के भर रहा है। हंसी आती है ऐसे मूर्ख निवेशकों पर जिन्‍होंने क्रीम स्‍टॉक बेच दिए क्‍योंकि वह बता रहा था कि इसमें कमाई तो तय है।

आम निवेशकों को निवेश सलाहकारों और ब्रोकरों ने समझाना तो कई दिन पहले से ही शुरु कर दिया था कि रिलायंस पावर के आईपीओ पर सवार जरुर हो जाना क्‍योंकि यह अगली मैराथन में भाग लेगा। मेरे भोले निवेशक 20 से 25 दिन में सात से आठ हजार रुपए कमा लेगा, चल भर ये फार्म। हालांकि, जो लोग यह कह रहे हैं कि आंशिक भुगतान करने वालों को लिस्टिंग गेन नहीं मिलेंगे वह गलत है। इस तरह समझिए... रिटेल निवेशक के लिए रिलायंस पावर का प्राइस बैंड 405 से 450 रुपए है। लेकिन आम निवेशक को इसमें 20 रुपए की छूट मिलेगी यानी चुकाने हैं 430 रुपए प्रति शेयर। शेयर लिस्‍टिंग गेन यानी कंपनी की सूचीबद्धता के समय शेयर बेचने का लाभ केवल उसी स्थिति में नहीं मिल सकता जब आपको अपने शेयरों के लिए कोई भुगतान देना बाकी हो। या फिर इतनी बड़ी मात्रा में शेयर मिल गए कि पैसा चुकाना अभी बाकी है। खुदरा निवेशक रिलायंस पावर में अधिकतम 225 शेयर के लिए कट ऑफ पर आवेदन कर सकते हैं। आंशिक भुगतान में देखें तो 115 रुपए प्रति शेयर के हिसाब से 25875 रुपए देने होंगे। रिटेल इनवेस्‍टर श्रेणी को भी जबरदस्‍त प्रतिसाद मिल रहा है। जिससे संभावना यह बन रही है कि रिलायंस पावर के 25 से 30 शेयर ही एक निवेशक को मिल पाएं....और यह संख्‍या घटकर एक लॉट यानी 15 शेयर भी रह सकती है। फिर भी हम 25 से 30 शेयर मान लें तो 430 रुपए के कट ऑफ पर यह राशि 10750 से 12900 रुपए आती है। यानी 25875 रुपए में से यह राशि कटने के बाद शेष राशि रिफंड आएगी। इसका मतलब यह है कि आप लिस्टिंग गेन आसानी से पा सकते हैं।

रिलायंस पावर अपने आईपीओ के माध्‍यम से 11700 करोड़ रुपए जुटा रही है। इसमें प्रमोटरों का योगदान केवल 1440 करोड़ रुपए है। इस कंपनी का कामकाज अभी शुरु नहीं हुआ है जिसकी वजह से वित्‍तीय स्थि‍ति को लेकर कोई विश्‍लेषण नहीं किया जा सकता। कंपनी के सही वित्‍तीय प्रदर्शन का अंदाज वित्‍त वर्ष 2010 से पहले नहीं लग सकेगा। ऐसे में एक निवेशक को क्‍या करना चाहिए और क्‍या नहीं, कुछ कहा नहीं जा सकेगा। आईपीओ के बाद कंपनी की विस्‍तारित इक्विटी 2260 करोड़ रुपए होगी। इश्‍यू के कट ऑफ प्राइस 450 रुपए को ध्‍यान में रखें तो इसका बाजार पूंजीकरण 102000 करोड़ रुपए होगा। इस समय ग्रे बाजार में इसका प्रीमियम 370 रुपए प्रति शेयर बोला जा रहा है जिसका अर्थ यह हुआ कि रिलायंस पावर के शेयर की लिस्टिंग 820 रुपए पर होगी। इस स्थिति में एंटरप्राइज वेल्‍यू 210000 करोड़ रुपए होगी। लेकिन कंपनी जिन बिजली परियोजना पर काम करने जा रही हैं वहां काफी समय लगेगा तो ऐसे में एक सवाल उठता है कि क्‍या यह वेल्‍यूएशन बनी रहेगी।

एनटीपीसी की बिजली उत्‍पादन क्षमता 25 हजार मेगावाट से अधिक है और बाजार पूंजीकरण 227000 करोड़ रुपए। इसकी एंटरप्राइजेज वेल्‍यू 245000 करोड़ रुपए का अनुमान है। एनटीपीसी की वित्‍त वर्ष 2008 में प्रति शेयर आय यानी ईपीसी 10 रुपए आने के आसार हैं। सरकार के पास इसकी शेयरधारिता 90 फीसदी है। टाटा पावर का बाजार पूंजीकरण 34 हजार करोड़ रुपए और एंटरप्राइजेज वेल्‍यू 36 हजार करोड़ रुपए है। टाटा पावर की बिजली उत्‍पादन क्षमता तीन हजार मेगावाट है और सात हजार मेगावाट की परियोजनाएं पाइपलाइन में हैं जिनमें मुंद्रा का चार हजार मेगावाट की अल्‍ट्रा मेगा पावर परियोजना शामिल है। इन कंपनियों से जब रिलायंस पावर की तुलना करें तो यह लगता है कि या तो ये कंपनियां अंडरवेल्‍यूड हैं या फिर रिलायंस पावर के बारे में बढ़ाचढ़ाकर स्थिति पेश की गई है। रिलायंस पावर को 21 हजार मेगावाट की नई परियोजनाओं के लिए 95 हजार करोड़ रुपए निवेश करने की जरुरत होगी और इन परियोजनाओं को खड़ा करने में कम से कम दो से तीन साल का वक्‍त लगेगा ऐसे में निवेशक चाहें तो मौजूदा बड़ी बिजली कंपनियों में निवेश कर कम समय में मोटा मुनाफा कमा सकते हैं।

टिप्पणियाँ

Ashish Maharishi ने कहा…
जनाब इंतजार किजीए उस दिन का जब हमारे प्‍यारे भारत देश का नाम ही भारत रिलायंस अनिल धीरु भाई अंबानी ग्रुप होने वाला होगा, वैसे भी हमारे देश में हर कुछ बिकाऊ है
सुभाष मौर्य ने कहा…
कमल जी में आपके तर्क से शत प्रतिशत सहमत हैं। इस आईपीओ में शोशेबाज़ी ज्यादा है। दम कम। कारण यह है कि इसका वैल्यूएशन कंपनी के फंडामेंटल्स के बजाए रिलायंस की ब्रांड वैल्यू के आधार पर किया जा रहा है। पावर ऑन इंडिया ऑन के शोर में राजकोट निवेशक संघ की आवाज़ दबा दी गयी जो इस आईपीओ के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया था। ख़बर है कि रिलायंस ने आईपीओ के बारे में माहौल बनाने के लिये अख़बारों और अन्य समाचार माध्यमों को लाखो रुपये बांटे।
आप ने बिल्कुल सही कहा है कि आम आदमी अपने अच्छे निवेश बेचकर रिलायंस पावर में पैसा लगा रहा है जबकि उसे वहाँ ज्यादा फ़ायदा होता। पर भेड़चाल का कोई कुछ नहीं कर सकता। यहाँ पर मेरी राय में अच्छे स्टाक के भाव नीचे आ गये हैं मेरी राय में तो वहाँ पोजीशन लेनी चाहिये जैसे - रिलायंस इंडस्ट्रीज, NTPC, etc.
Jitendra Chaudhary ने कहा…
सही और सटीक विश्लेषण।
भैया हम तो इतने उत्साहित नही है, अपने पास दो एकाउन्ट है और दोनो मे ही हम लगाएंगे वो भी आखिरी दिन और लगाएंगे तो पार्ट पैमेंट के जरिए ही। इत्ते शेयर मिलने नही कि कोई उम्मीद बांधी जाए, लिस्टिंग गेन्स भी धीरे धीरे कम होते जाएंगे। हम तो भाई एक वाले को लांग टर्म के लिए रखेंगे, दूसरे मे अगर लिस्टिंग गेन्स १००% मिले तो बेचेंगे नही तो बंधा रहे खूंटे से।

हमे तो अनिल को धन्यवाद देना चाहिए, कि उसने ये अवसर प्रदान किया। हम तो मार्केट गिरने के साथ अपनी लिस्ट मे से चुन चुन कर शेयरों और म्यूचल फ़ंड की की जमकर खरीदारी कर रहे है, और गिराओ मार्केट, हम तो इधर ही पैसे बनाएंगे।
बेनामी ने कहा…
Lagta hai pure primary market ko manage karne ke liye Jamkar kam kiya gaya hai, Tabhi rating agnecies power on hue bina hi reliance power ko top rating de rahin, media hype bana rahi. Sab kucch hawa main hai lekin koi swal nahin pooch raha hai.sab bhed chaal chal rahen hain,jise dekhte hue lagta hai ki reliance lambe samay ke liye bazar ki power off karne wala hai.
गरिमा ने कहा…
पावर के साथ शेयर मार्केट भी ऑन है, मै तो जमकर खरीददारी करने वाली हूँ, दलाला स्ट्रीट के वीकली इंवेस्टमेंट प्लान के एस एम एस के इंतेजार मे हूँ उसके बाद खरीददारी मे जुट जाऊँगी, इस बीच RNRL, RPL, ATLANTA, OMAXE, NTPC, JAIPRAKASH A को ध्यान मे ले सकते हैं, jaypee के बारे मे खबर है कि इसे 3000 करोड़ का प्रोजेक्ट मिला है, और इसका शेयर किसी भी कीमत पर अपने पोर्ट्फोलिओ मे होना ही चाहिये। बाकी मै जितेन्द्र सर से सहमत हूँ
बेनामी ने कहा…
इन दिनों भारतीय शेयर बाजार कंपनी प्रोफाइल और परफार्मेंस के बजाय स्पेक्युलेशन पर चल रहा है। एकबारगी देखें तो विदेशी संस्थागत निवेशकों द्वारा जोरदार लिवाली के चलते आम भारतीय निवेशकों को शुरूआत में फायदा हो रहा है। यही नहीं इस बहती गंगा में हाथ धोने के लिए बीएसएनएल भी आईपीओ निकालने की तैयारी में है। ऐसे में रिलायंस पावर ने अगर स्पेक्युलेशन के उस पार्ट को एनकैश कराने की कोशिश की है जिससे आम भारतीय निवेशकों को फायदा हो सकता है तो यह सतही तौर पर तो सही कोशिश है लेकिन हां समय के साथ इन शेयरों से सेफ डिस्टेंस बनाना भी जरूरी है। क्योंकि इस प्रकार का बाजार अब स्लॉटर हाउस की तरह दिखाई देने लगा है।
उन लोगों को शुभकामनाएं जो बाजार की गिरावट में फायदे को तलाश रहे हैं।
सिध्दार्थ जोशी
बीकानेर
Vinod Kumar Purohit ने कहा…
एकदम सटीक विशलेषण, इस आईपीआे के बहुत ही बढा चढा कर बताया जा रहा है। इतनी राशि से तो पावर के दूसरे शेयर खरीदे जाते तो काफी अच्छा मुनाफा जेब में आ सकता है।
बेनामी ने कहा…
एकदम तथ्यात्मक एवं यथार्थ विश्लेषण ... मास सायकोलाजी के प्रभाव का ही उदाहरण है कि आज रिलायंस पावर की पोस्ट पर करीब 9 टिप्पणीयां की गयी है , जबकि कल पेनिन्सुला लेण्ड पर लिखे लेख पर केवल 2-3 टिप्पणी ही हुई थी... :)... कम्पनी के बारे मे कई सारी आशंकाये है और आर एच पी पढ़्ने पर पता चलता है कि कई सारे प्रोजेक्ट्स के साथ साथ इस कम्पनी का नाम ' रिलायंस पावर ' भी विवादो के घेरे में है और यह तय नही है कि भविष्य में यह कम्पनी इस नाम का उपयोग भी कर पायेगी या नही....

हो ना हो, जिसको भी शेयर का आवंटन होगा उसे कुछ मिनटो के लिये 400 -700 रू. प्रति शेयर मिल ही सकते है... वैसे हम तो आई पी ओ में 15-20 दिन के लिये अपना पैसा कतई नही फंसाने वाले... पर लिस्टिंग वाले दिन रिलायंस पावर के 2-4 लाट्स की मन्दी करने की इच्छा जरूर रखते है.... लेकिन आज बाजार ने बता दिया है कि अगर आप एक लेवल बना कर नही चल सकते है तो आपकी जेब खाली होने से कोई नही रोक सकता है... पर यहा पर एक सवाल यह खड़ा होता है कि बड़े अम्बानी पहले नम्बर पर बने रहने के लिये इस इशू की लिस्टिंग के पहले रिलायंस इंडस्ट्रीस 3400-3500 के ऊपर ले जाने और ले जाकर टिकाने में कितने कामयाब रहते है ???
राजीव जैन ने कहा…
बॉस आंखे खोलने वाली है आपकी यह पोस्‍ट
पूरी मेहनत के साथ तैयार की है आपने
इतनी जानकारी के लिए साधुवाद
Poonam Misra ने कहा…
सटीक विश्लेषण
कमल जी रिलायंस पावर के पावर की धूम में आपने कुछ सचेत करने वाली बात कही है, जो अबतक किसी से नहीं सुनी। जिनसे मिलिए रि. पॉवर की शेयर खरीदने की जुगत में लगा है। पर आगे उन्हें अगर झटका लगता है तो यही कहा जा सकता है कि अब पछताए होत क्या जब चिड़ियां चुग गई खेत।

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