बंदरों का सौदागर वापस आएगा !
एक जंगल के किनारे एक गांव बसा हुआ था वहां के लोग खेती करते और अपना जीविकोपार्जन करते थे। एक दिन वहां शहर से एक सौदागर आया उसने लोगों से कहा कि उसे बंदर चाहिए लेकिन किसी ने उसकी सुनी नहीं सब अपने काम में लगे रहे फिर उसने कहा कि वह एक बंदर के बदले सौ रुपए देगा। गांव के लोगों ने पास के जंगल से खूब सारे बंदर पकडे और सौदागर को सौंप दिए सौदागर ने लोगों को सौ-सौ रुपए दिए।उसने कहा उसे और बंदर चाहिए लोगों का रुझान कम हो गया था क्योंकि बंदर आसानी से नहीं मिल रहे थे अब उसने कहा कि वह एक बंदर के बदले पांच सौ रुपए देगा।
लोगों ने अपना काम छोडकर बंदर ढूंढे और सौदागर को दिए जल्दी की बंदरों की दूसरी खेप भी आनी बंद हो गई। अब सौदागर ने कहा कि मैं एक बंदर के बदले एक हजार रुपए दूंगा लोगों ने अपना खेती बाडी का काम छोडकर घने जंगल में जाकर बंदर पकडेऔर उन्हें सौदागर को सौंप दिया जल्दी ही बंदरों की और आवक बंद हुई।सौदागर ने कहा कि शहर से मांग आई है कि और बंदर चाहिए मैं अभी शहर जा रहा हूंवापस आकर और बंदर खरीदूंगा और एक बंदर के बदले दो हजार रुपए दूंगा। गांव के लोग परेशान थे कि जंगल में बंदर खत्म हो चुके हैं।
गांव में बैठे सौदागर के सहायक ने कहा कि मेरे पास सौदागर के काफी बंदर है वह अभी शहर में सौदा करने के लिए गया हुआ है वहां काफी ऊंचे दाम में बंदर बिक रहे हैं। आप लोगों को मैं डेढ हजार रुपए में बंदर दे देता हूं आप लोग सौदागर को दो हजार में बेच देना। लोग राजी हो गए सहायक ने सारे बंदर गांव वालों को डेढ-डेढ हजार रुपए में बेच दिए उस दिन के बाद न तो सौदागर और न ही उसका सहायक गांव में दिखाई दिए। कुछ लोगों ने अपने बंदर वापस जंगल में छोड दिए और कुछ के पास अब भी बंदर पडे हैं वे लोग सौदागर के लौटने का इंतजार कर रहे हें।
यह कहानी वाह मनी को राजस्थान के शहर बीकानेर से सिद्धार्थ जोशी ने भेजी है। शेयर बाजार के निवेशकों को इस कहानी से सबक लेना चाहिए। बंदरों का सौदागर के शहर चले जाने और सहायक द्धारा सारे शेयर बेच देने से बाजार में गिरावट आई। सौदागर एक बार फिर आएगा ताकि छोटे निवेशकों का बचा खुचा पैसा फिर से निकलवाया जा सके। बाजार के इस नियम को मानें कि अपना माल बेचकर एक बार भले ही पछता लें कि थोड़ा जल्दी बेच दिया बनिस्बत उसे हमेशा के लिए रखकर पछताने से।
लोगों ने अपना काम छोडकर बंदर ढूंढे और सौदागर को दिए जल्दी की बंदरों की दूसरी खेप भी आनी बंद हो गई। अब सौदागर ने कहा कि मैं एक बंदर के बदले एक हजार रुपए दूंगा लोगों ने अपना खेती बाडी का काम छोडकर घने जंगल में जाकर बंदर पकडेऔर उन्हें सौदागर को सौंप दिया जल्दी ही बंदरों की और आवक बंद हुई।सौदागर ने कहा कि शहर से मांग आई है कि और बंदर चाहिए मैं अभी शहर जा रहा हूंवापस आकर और बंदर खरीदूंगा और एक बंदर के बदले दो हजार रुपए दूंगा। गांव के लोग परेशान थे कि जंगल में बंदर खत्म हो चुके हैं।
गांव में बैठे सौदागर के सहायक ने कहा कि मेरे पास सौदागर के काफी बंदर है वह अभी शहर में सौदा करने के लिए गया हुआ है वहां काफी ऊंचे दाम में बंदर बिक रहे हैं। आप लोगों को मैं डेढ हजार रुपए में बंदर दे देता हूं आप लोग सौदागर को दो हजार में बेच देना। लोग राजी हो गए सहायक ने सारे बंदर गांव वालों को डेढ-डेढ हजार रुपए में बेच दिए उस दिन के बाद न तो सौदागर और न ही उसका सहायक गांव में दिखाई दिए। कुछ लोगों ने अपने बंदर वापस जंगल में छोड दिए और कुछ के पास अब भी बंदर पडे हैं वे लोग सौदागर के लौटने का इंतजार कर रहे हें।
यह कहानी वाह मनी को राजस्थान के शहर बीकानेर से सिद्धार्थ जोशी ने भेजी है। शेयर बाजार के निवेशकों को इस कहानी से सबक लेना चाहिए। बंदरों का सौदागर के शहर चले जाने और सहायक द्धारा सारे शेयर बेच देने से बाजार में गिरावट आई। सौदागर एक बार फिर आएगा ताकि छोटे निवेशकों का बचा खुचा पैसा फिर से निकलवाया जा सके। बाजार के इस नियम को मानें कि अपना माल बेचकर एक बार भले ही पछता लें कि थोड़ा जल्दी बेच दिया बनिस्बत उसे हमेशा के लिए रखकर पछताने से।
टिप्पणियाँ
काफी कुछ इधर फिट भी बैठ रही है। लेकिन भाया, ये बताओ, अगर उधर मंदी आएगी तो इधर क्या होगा? हमारा बाजार तो इन्ही बंदरो के सौदागरों की वजह से ही 100 से २००० हुआ था। अब अगर ये सौदागर चले गए तो वाल्यूम चले जाएंगे, (वही महूर्त ट्रेडिंग वाले वाल्यूम मिलेंगे बस), फिर तो ईश्वर ही मालिक है।
मेरे को ये तेजी भी कृत्रिम तेजी दिख्खे है, हम तो यही मूलमंत्र बनाए है कि अपना अपना माल काटो, और रकम तकिए के नीचे रखकर लेटो। पहले बाजार देखो, उसके बाद सोचेंगे कि क्या होगा। वैसे भी बजट सर पर है।
@ जीतेन्द्र चौधरी - अगर बन्दर खरीद रखे हैं तो मौका पा कर बंदर निकाल डाले जायें। नॉन बन्दरों वाला खेल भी मस्त है - वारेन बफेटगिरी सीख ली जाये। नये साल में मैं तो पढ़ने/अपनाने की सोच रहा हूं। कमल जी तो सही साट गुरू हैं उसके लिये।
आपको और सिदधार्थ जोशी को बधाई
विदेशी भाई लोग को पैसा बनाने के लिये इधर ही आना है, क्यूँकि हमारे जैसा मार्केट और है ही कहा?