शेयर बाजार को चमत्‍कार की जरुरत

भारतीय शेयर बाजार अभी भी संभल नहीं पाया है और एक दिन की बढ़त जहां निवेशकों में आस दिखाती है वहीं दूसरे दिन की मंदी उन्‍हें अपने निवेश के बारे में फिर से सोचने पर मजबूर कर देती है। हालांकि, भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था के जो आंकड़ें हाल में सामने आए हैं वे चिंताजनक नहीं है लेकिन बढ़ती मुद्रास्‍फीति को थामना कठिन नजर हो गया है। शेयर बाजार के बजट तक ही स्थिर होने की उम्‍मीद की जा सकती है लेकिन इसे ऊपर उठाने के लिए किसी चमत्‍कार की जरुरत है जिसका सभी निवेशक बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।

शेयर बाजार में चल रही गिरावट की वजह से प्राइमरी बाजार को भी तगड़ा झटका लगा है। जिसकी वजह से जुलाई 2006 के बाद पहली बार किसी कंपनी को अपने पब्लिक इश्‍यू को वापस लेने पर विवश होना पड़ा। वोकहार्ट हॉस्पिटल के बाद रीयल इस्‍टेट दिग्गज कंपनी एमार एमजीएफ को भी अपने आईपीओ को कमजोर समर्थन की वजह से वापस लेना पड़ा। फर्स्ट ग्लोबल के शंकर शर्मा का कहना है कि निवेशकों को डर है कि आईपीओ के शेयर बीएसई और एनएसई में लिस्टेड होने पर मंदी की चपेट में न आ जाएं। इसलिए वे ज्यादा प्राइस बैंड वाले आईपीओ से बच रहे हैं। निवेशकों का मूड देखते हुए आने वाले कई आईपीओ के भविष्य पर सवालिया निशान लग गया है।

वोकहार्ट हॉस्पिटल और एमार एमजीएफ वाकई अच्‍छी कंपनियां है लेकिन इनका प्राइस बैंड बाजार की उम्‍मीद से कहीं ऊंचा था। हालांकि इन दोनों कंपनियों ने अपने प्राइस बैंड घटाने के अलावा आईपीओ में पैसा लगाने के लिए आवेदन जमा कराने की तारीख तक बढ़ाई लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। वोकहार्ट हॉस्पिटल ने अपने शेयर की प्राइस बैंड 280 से 310 रुपए से घटाकर 225 से 260 रुपए कर दी थी। एमार एमजीएफ ने अपने शेयर की प्राइस बैंड 610 से 690 रुपए से घटाकर 540 से 630 रुपए कर दी थी। प्राइस बैंड का मतलब होता कि जिस भाव पर निवेशक शेयरों के लिए आवेदन कर सकते हैं। जब कोई कंपनी अपना आईपीओ बाजार में लाती है तो उसका प्रति शेयर का मूल्य तकनीकी रूप से दस रुपए होता है। कारोबार और नेटवर्थ के आधार पर कंपनी को प्रीमियम और प्राइस बैंड तय करने का अधिकार होता है। आज 11 फरवरी को शुरु हो रहे नए सप्‍ताह में सभी की नजरें रिलायंस पावर लिमिटेड पर है। यह कंपनी आज शेयर बाजार में सूचीबद्ध हो रही है।

दुनिया के तीन बड़े निवेश गुरु में से एक जॉर्ज सोरास भी मार्क फैबर और जिम रोजर्स की तरह अमरीकी अर्थव्‍यवस्‍था के मंदी की चपेट में आने की बात कहते हैं। वे कहते हैं कि मौजूदा संकट 60 सालों से डॉलर को रिजर्व करेंसी मानकर किए जा रहे ऋण विस्‍तार के युग का अंत है। समय समय पर आने वाले वित्‍तीय संकट बूम बस्‍ट साइकिल के हिस्‍से थे। लेकिन मौजूदा संकट 60 साल के सुपर बूम की समाप्ति है। ग्‍लोबलाइजेशन ने अमरीका को दुनिया भर की बचत को चट करने में मदद की और वह अपने उत्‍पादन से ज्‍यादा खपत करते चला गया। सोरास का कहना है कि हालांकि, विकसित देशों में मंदी लगभग तय है लेकिन चीन, भारत और कुछ तेल उत्‍पादक देशों की स्थिति बिल्‍कुल विपरीत है इसलिए मौजूदा वित्‍तीय संकट वैश्विवक मंदी में तब्‍दील नहीं हो पाएगा।

आज से शुरु हो रहे नए सप्‍ताह में बॉम्‍बे स्‍टॉक एक्‍सचेंज यानी बीएसई सेंसेक्‍स 17966 अंक के ऊपर बंद होता है तो यह 18444 अंक तक जा सकता है। इसे नीचे में 17063 अंक पर स्‍पोर्ट मिलने की संभावना है। निफ्टी को 5011 अंक पर स्‍पोर्ट मिलने के आसार हैं। निफ्टी 5273 अंक पार करने पर 5433 अंक तक जा सकता है। पिछले सप्‍ताह सेंसेक्‍स में 805 अंक की धुलाई हुई और यह 17465 अंक पर बंद हुआ। तकनीकी विश्‍लेषक हितेंद्र वासुदेव का कहना है कि बीएसई सेंसेक्‍स को एक चमत्‍कार की जरुरत है और वही इसे बुरी तरह टूटने के एक और राउंड से बचा सकता है। वे कहते हैं कि शेयर बाजार की स्थिति में बेहतर सुधार के लिए सेंसेक्‍स का 19 हजार अंक के ऊपर बंद होना जरुरी है। सेंसेक्‍स यदि जल्‍दी से 19 हजार अंक के ऊपर नहीं पहुंचता है और 16729 अंक के नीचे बंद होता है तो सेंसेक्‍स 15532 और 14800 से 14400 अंक तक जा सकता है।

इस सप्‍ताह कुछ कंपनियां शेयर विभाजन और लाभांश घोषित करेंगी। इनमें फिनिक्‍स मिल, बजाज हिंदुस्‍तान, कंटेनर कार्पोरेशन, भेल, क्‍युमिंस, दालमिया सीमेंट, इरकॉन इंटरनेशनल, कुलकर्णी पावर और ट्राइटोन कार्पोरेशन मुख्‍य हैं।

जिन कंपनियों के शेयरों पर इस सप्‍ताह निवेशक ध्‍यान दे सकते हैं वे है : इंटरनेशनल कॉम्‍ब्‍युजन, पुंज लायड, गोदावरी फर्टिलाइजर्स, जीवीके पावर, एलआईसी हाउसिंग, बारटोनिक्‍स इंडिया, इंडो टेक ट्रांसफारमर्स और रिलायंस नेचुरल रिसोर्स।

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